पड़ोसन आंटी ने मुझे पटाकर चूत मरवाई

(Desi Aanti Sex Kahani)

अजीत 8 2025-08-04 Comments

देसी आंटी सेक्स कहानी में पड़ोस की एक आंटी मुझे देखकर मुस्कुराती थी. वे मुझसे अपने काम भी करवाती थी, अपने घर बुलाती थी. एक दिन मैंने उनको अपनी चूत में डिलडो से मजा लेती देखा.

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अजीत है और मैं रांची का रहने वाला हूँ.
मैं अभी ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर का छात्र हूँ.

यह मेरी पहली सेक्स स्टोरी है.
यह देसी आंटी सेक्स कहानी मेरी और मेरे पड़ोस की सेक्सी आंटी अमृता की है जो एक सच्ची घटना पर आधारित है.

आंटी की उम्र 34 साल है और उनका फिगर मस्त है.
आंटी के बूब्स 36 साइज़ के हैं, कमर 32 की और गांड की साइज़ 38 इंच की है.

उनकी गांड इतनी मतवाली है कि उसको देखकर किसी नामर्द का भी लौड़ा खड़ा हो जाए.

यह सेक्स कहानी कुछ महीने पहले शुरू हुई थी जब मैं नया-नया कॉलेज में आया था.

एक दिन की बात है … मैं कॉलेज जाने के लिए बाइक स्टार्ट कर रहा था कि सामने से एक औरत आ रही थी.
मैं समझ ही नहीं सका कि यह कौन है!

फिर जब वे पास आईं, तो बोलीं- मुझे मार्केट जाना है, लेकिन टैक्सी नहीं मिल रही. क्या तुम मुझे छोड़ दोगे?
मैं तो उन्हें देख कर दंग ही रह गया क्योंकि यह तो सामने वाली अमृता आंटी थीं.

मैं बता दूँ कि मैं दो साल तक लॉकडाउन में घर से बाहर ही रहा था और मेरी पढ़ाई भी बाहर हुई थी.

मैंने अमृता आंटी से कहा- ठीक है चलिए, छोड़ देता हूँ.
वे हल्के से मुस्कुराईं, मैं खुश हो गया.

आंटी अपनी किंग साइज़ गांड उचकाती हुई बाइक पर पीछे बैठ गईं और मैं बाइक चलाने लगा.
हालांकि उस समय मैं आंटी को सेक्स की नजर से नहीं देखता था.

फिर आंटी अचानक बोलीं- कैसे हो?
मैंने कहा- ठीक हूँ.

आंटी बोलीं- तुम बहुत बदल गए हो.
मैं हंसते हुए बोला- नहीं आंटी, ऐसा कुछ नहीं है … बस आपको लगता है!

वे मुस्कुराने लगीं.
फिर मैं भी बोला- आप भी तो बहुत बदली-बदली लग रही हैं आंटी!
वे हंस दीं.

मैंने कहा- मैं तो आपको उस समय पहचान ही नहीं पाया कि आप हैं. आप भी बाहर रहती थीं क्या?
आंटी हंसने लगीं और बोलीं- नहीं, तुम्हारा वहम है … मुझे कहां जाना!

अचानक सड़क पर ब्रेकर आ गया.
मैंने ध्यान नहीं दिया था, तो बाइक अचानक ब्रेकर के सामने आ गई और मैंने आगे वाला ब्रेक लगा दिया.

तभी आंटी के बूब्स मेरे कंधे से टच हो गए.
ओह … क्या मस्त लगा था. मेरा लौड़ा तो खड़ा हो गया था.

आंटी बोलीं- देख कर चला!

आंटी के बूब्स के स्पर्श से मैं कुछ बोल ही नहीं पा रहा था.
फिर कुछ देर बाद हम लोग मार्केट पहुंच गए.

आंटी बोलीं- थैंक्स.
मैंने कहा- अरे काहे का थैंक्स … ठीक है.

फिर मैं कॉलेज पहुंचा, लेकिन मेरा मन उस घटना से हट ही नहीं रहा था.
आंटी के चूचों का स्पर्श आह क्या मस्त अहसास था.

पाठकों को बता दूँ कि आंटी का घर और मेरा घर बगल बगल में ही है.

कॉलेज आने में लेट होने की वजह से क्लास के टीचर ने डांट भी लगा दी.

फिर मैं अपनी बेंच पर बैठ गया, पढ़ाई कर ली और थोड़ी देर बाद घर के लिए निकल गया.

घर पहुंचा, तो शाम हो चुकी थी.

घर गया, फ्रेश होकर अपने रूम में आकर लेट गया.
थोड़ी देर फोन चलाया, फिर छत पर चला गया.

शाम का वक्त था.

तभी मुझे सामने आंटी दिखीं और वह घटना फिर से याद आ गई.
मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया.

आंटी ने मुझे देखते ही हल्के से आवाज देते हुए कहा- कैसे हो अजीत?
मैंने कहा- ठीक हूँ, आप बताइए!
वे बोलीं- मैं भी मस्त हूँ.

मैं उनकी ‘मस्त हूँ’ वाली बात पर हंसने लगा.

वे बोलीं- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं.

वे बोलीं- चाय पियोगे क्या?
मैंने कहा- नहीं अभी नहीं, अभी रहने देते हैं.

वे बोलीं- आ जाओ … कोई दिक्कत नहीं है. मैं तुम्हारी मम्मी को बोल दूँगी.
फिर मैंने कहा- ओके आ रहा हूँ.

मैं जल्दी से अपने कमरे में गया परफ्यूम लगाया ताकि आंटी को अच्छा लगे.
फिर जल्दी से आंटी के घर आ गया.

आंटी मुझे देख कर बोलीं- आओ, अन्दर आ जाओ.
मैं घर के अन्दर जाकर सोफे पर बैठ गया.

आंटी चाय बनाकर लाईं, एक मेरे लिए और एक अपने लिए.
फिर हम दोनों साथ में चाय पीने लगे.

कुछ देर बाद मैंने पूछा- बच्चे कहां हैं?
वे बोलीं- अपने रूम में पढ़ाई कर रहे हैं.

मैंने कहा- तब तो आप बहुत खुशकिस्मत हैं.
वे बोलीं- कैसे?

मैंने कहा- बच्चे कभी शांति से नहीं बैठते. अगर मैं दूसरे घर का होता, तो तंग कर देता.

वे मुस्कुराईं.
उनकी उस मुस्कान को देखकर मेरा लौड़ा फिर खड़ा हो गया.

वहां तकिया पड़ा था. मुझे लगा मेरा चेद्दू लाल सलामी देने वाला है, तो मैंने झट से तकिया लौड़े के सामने रख लिया.

वे यह देख कर फिर से मुस्कुराने लगी थीं.
शायद आंटी समझ गई थीं कि मेरा लौड़ा खड़ा हो गया है.

फिर वे मुझसे खाना खाकर जाने के लिए कहने लगीं.
मगर मुझे न जाने कुछ ठीक नहीं लग रहा था तो मैं जैसे-तैसे बहाना बनाकर वहां से निकल गया.
आंटी आवाज देती रह गईं.

घर वापस आया, तो मम्मी बोलीं- खाना खा लो.

खाना खाने के बाद मैं कमरे में आ गया और मैं बस आंटी के बारे में सोचता रहा.
यही सब सोचते-सोचते कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला.

सुबह उठा, फ्रेश हुआ.

मम्मी बोलीं- मुझे जरूरी काम है, वापस घर आने में मुझे देर हो जाएगी. जो कल कपड़े छत पर फैला रखे थे, वे सूख गए होंगे, तो उठा लेना.
यह कह कर मम्मी चली गईं.

मैं छत पर गया, कपड़े उठाकर नीचे आने वाला था कि तभी आंटी मस्त पीली साड़ी पहने हुई थीं.

क्या माल लग रही थीं.
लग ही नहीं रहा था कि वे तीन बच्चों की मां हैं.

आंटी भी अपनी छत पर कपड़े लेने आई थीं.

आंटी ने मुझे देखा और बोली- क्या. कल क्यों भाग गए थे … बिना खाना खाए?

मैं शर्म से लाल हो गया कि क्या बोलूँ?
फिर बहाना बना दिया- आंटी, बहुत ज़रूरी काम था … कॉलेज का.

आंटी गुस्सा हो गईं.
मैं समझ ही नहीं सका कि ऐसा क्या गलत हो गया था.
वे मुँह फुला कर नीचे चली गईं.

फिर मैं भी बिना कुछ सोचे समझे नीचे आया और आंटी के घर चला गया.
उधर जाकर मैं आंटी से बोला- आंटी क्या हुआ?

वे बोलीं- तुम्हें कल ऐसे नहीं जाना था!
तब मैंने आंटी से सॉरी बोलकर उन्हें मनाया और बात को घुमाने की नीयत से पूछा- बच्चे दिख नहीं रहे, कहां हैं? स्कूल चले गए हैं क्या?

वे बोलीं- हां.
फिर मैंने पूछा- और अंकल?

वे बोलीं- वे तो महीनों में दो-तीन बार ही आते हैं.
मैं मन ही मन बहुत खुश हो गया.

तभी मैं आंटी से बोला- आपका बाथरूम यूज़ कर सकता हूँ?

वे बोलीं- इसमें पूछने की क्या बात है? कर लो.

मैं बाथरूम गया और मुँह धोने के लिए रुका.
तभी सामने टंगी आंटी की ब्रा और पैंटी दिख गई.

मैंने ब्रा को सूंघा तो क्या मस्त खुशबू आ रही थी ब्रा से!
उसे सूँघकर मेरा मन उछल उठा- आह.

फिर मैंने पैंटी सूँघी और मुठ मारने लगा.
दस-पंद्रह मिनट बाद मेरा माल झड़ गया.

फिर मैं फ्रेश होकर बाहर आया तो आंटी किचन में थीं.

वे बोलीं- फ्रेश हो गए हो तो थोड़ा ब्रेकफास्ट करके जाना. कल के जैसे नहीं चले जाना!

मैं भी मन ही मन खुश हुआ और आंटी के साथ ब्रेकफास्ट करने लगा.

तभी आंटी अचानक बोलीं- कल एकदम से क्यों चले गए थे?
मैं शर्माते हुए बोला- आंटी बोला ना, ज़रूरी काम था.

आंटी हंसने लगीं और बोलीं- मुझे पता है.

मैं हैरान हो गया और मुस्कुराने लगा.
फिर मैं बोला- चलता हूँ.

वे बोलीं- तुम अपना नंबर दे दो, कब काम आ जाए.
मैंने दे दिया.

फिर कुछ दिन ऐसे ही बीते.

कुछ कुछ दिन बाद मैं आंटी को छत पर देख लेता था. कभी-कभी वे मुझे घर बुला लेती थीं.

फिर एक दिन अचानक मम्मी की तबीयत खराब हो गई.

मम्मी बोलीं- अमृता के घर जाओ और दवाई ले आओ, वह दवाई रखती है.
मैं झट से आंटी के घर गया.

दरवाजा खुला था, रात का समय था.
मैंने सोचा, शायद गलती से खुला रह गया होगा.

अन्दर गया तो कोई नहीं दिखा.

बच्चों के रूम में गया, देखा तो वह सब सो रहे थे.
फिर आंटी के रूम में गया, वहां भी नहीं थीं.

मैं छत पर गया, तो मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं.

आंटी छत की मुंडेर की आड़ में बैठी हुई थीं और वे एक डिल्डो लेकर उसे अपनी चूत में अन्दर-बाहर कर रही थीं.

मैं चुपके से ये सब देख रहा था.

फिर मुझे याद आया कि मम्मी ने दवाई लाने के लिए भेजा है.
तो मैं जल्दी से नीचे गया और ‘आंटी … आंटी’ पुकारने लगा.

मेरी आवाज सुनकर वे छत से नीचे आईं.
वे बहुत ही ज्यादा असंतुष्ट लग रही थीं और हांफ रही थीं.

मैंने कहा- कहां चली गई थीं आप?
वे बोलीं- छत पर फोन पर पति से बात कर रही थी … तुम बताओ क्या बात है? कुछ काम याद आ गया है क्या?

मैंने कहा- मम्मी की तबीयत ठीक नहीं है, बुखार की दवाई लाने के लिए आपके घर भेजा था.
वे बोलीं- ओह यह बात है … रुको, देती हूँ.

आंटी दवाई लाईं और जैसे ही देने आईं, मेरे ऊपर ही गिर गईं.

मैं खुद को संभालता हुआ उठा और आंटी को उठाकर खड़ा किया.

वे बोलीं- आह मोच आ गई है शायद … मेरे पैर में बड़ा दर्द हो रहा है. प्लीज़, मुझे रूम तक छोड़ दो.

मैंने उन्हें अपनी बांहों का सहारा देते हुए कसकर उठाया.
वे भी सीधे मेरे सीने से चिपक कर लटक सी गई थीं.

मुझे उनके बूब्स का सुखद अहसास हो रहा था.
बस लग रहा था कि आंटी को यहीं पटक कर चोदना शुरू कर दूँ.

सच में बड़ा मीठा अहसास हो रहा था.

मैंने आंटी को ले जाकर आराम से बेड पर लिटाया और बोला- कल तक ठीक हो जाएगा.
वे बोलीं- ठीक है.

मैं घर चला गया, मम्मी को दवाई दी और अपने कमरे में आ गया.

अब मैं सारी घटना याद करने लगा.
मेरा लौड़ा खड़ा हो गया.

जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैं नंगा हो गया और मुठ मारने लगा.
फिर झड़ कर नंगा ही सो गया.

सुबह उठा, बाहर आया तो मम्मी स्वस्थ दिख रही थीं.

वे बोलीं- तबीयत ठीक हो गई है, मैं काम के लिए जा रही हूँ. मैं खाना बना दिया है.
मैंने कहा- ठीक है.

मुझको आज कुछ काम नहीं था तो मैंने सोचा कि आंटी के पास चलता हूँ और उन्हें देख लेता हूँ कि वे कैसी हैं.

मैं उन्हें देखने गया तो वे अपने कमरे में अपनी चुत रगड़ रही थीं.
मैंने कमरे में घुसते ही उन्हें आवाज दे दी थी, तो वे संभल ही नहीं पाईं.

मुझे उम्मीद ही नहीं थी कि वे चुत रगड़ रही होंगी इसलिए मैं बिना आवाज दिए अन्दर चला गया था.

अब आंटी क्या करती. वे झट से सही हुईं और बिना कुछ कहे चुपचाप से बाहर चली गईं.
मैं तो मूड में आ गया था कि आंटी को चोद दूं.

फिर मैं भी वापस घर आ गया और अपने कमरे में चला गया.
मैं आंटी के बारे में सोचकर फिर से मुट्ठी मारने लगा और सो गया.

सारा दिन कुछ नहीं हुआ.
न मैं आंटी के पास गया और न ही वे आईं.

रात को मैं खाना खाकर सो गया.

अचानक से फोन से नोटिफिकेशन की आवाज आई तो मेरी आंखें खुल गईं.
मैंने देखा कि एक मैसेज आया हुआ था.

‘हैलो अजीत!’
मैंने रिप्लाई दिया- कौन?
वे बोली- तुम्हारी आंटी.

मैं खुश हो गया.
अब हम दोनों के बीच खूब बात हुई.

उसी बीच आंटी बोलीं- कॉल करूँ क्या? मैंने तुरंत हां बोल दिया.

आंटी ने फट से कॉल किया और बोलीं- आज जो हुआ, वह तुमने देखा था क्या?
मैंने हां बोल दिया.

उसी वक्त वे बोलीं- कैसी लगी थी?
मैं समझ गया कि मछली जाल में फँस चुकी है, देसी आंटी सेक्स करना चाहती हैं.

मैंने कहा- मस्त, हॉट और सेक्सी.

वे बोलीं- अब तुमने तो मेरा देख ही लिया है, आगे और पीछे दोनों … है न!
मैंने कहा- हां दोनों छेद देख लिए.

आंटी हंस कर बोलीं- बेड पर जो मुझे लेकर गए थे, उस समय क्या अहसास किया था?
मैंने कहा- मस्त पपीते हैं!

वे हंस कर बोलीं- मेरा तो तभी से तुम्हारा औजार देखने का मन कर रहा था!
मैंने कहा- तो पकड़ लेतीं न!

वे बोलीं- मैंने तो तुमको घर चाय पिलाने बुलाया था, लेकिन तुम निकले बुद्धू … कुछ समझ ही नहीं सके.

मैंने कहा- सॉरी आंटी, मेरा भी मन कर रहा था. जब आप छत पर उस दिन डिल्डो से खुद को संतुष्ट कर रही थीं!
आंटी- हां मैं तुम्हें दिखाने ही उधर बैठी वर्ना कमरे में न कर लेती!
‘हां आंटी, मुझे पता है!’

वे बोलीं- जब तुमने छत पर देख लिया था डिल्डो के साथ? तभी मैंने तुम्हें नीचे आते वक्त देख लिया था.
मैं चुप रहा.

आंटी फिर से बोलीं- कोई बात नहीं, अभी आ जाओ.

मैंने हां कहा और घर का ताला लगा कर फट से आंटी के घर आ गया.

वे मस्त लाल साड़ी पहने गेट पर इंतजार कर रही थीं.
क्या कांटा माल लग रही थीं.

वे मुझे देखते ही चुदासी आवाज में बोलीं- अन्दर आ जाओ!

मैं अन्दर आया तो आंटी ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने साथ ले जाने लगीं.

मैं उनके साथ उनके रूम में चला गया. उधर उन्होंने अपनी गांड से दरवाजे को बंद किया और मैंने फट से आंटी को अपनी बांहों में उठा लिया.

वे खिलखिला उठीं. मैंने उन्हें चूमा और बेड पर लिटा दिया.

अब मैंने उन्हें किस करना शुरू कर दिया. आंटी के रसीले होंठों को चूसने में क्या मस्त मजा आ रहा था.

आंटी भी पूरी मस्ती से मेरा साथ दे रही थीं.
उनकी वासना भरी आवाजें निकल रही थीं.

मैंने धीरे से आंटी को अपनी बांहों में फिर से उठाया और गोद में ले लिया.

मैं बोला- आंटी, आज मैं दिखाता हूँ अपना जलवा!
वे बोली- आंटी नहीं मेरी जान. अमृता बोलो!

मैं- हां अमृता, मेरी जान. तुम देखो आज मेरा घोड़ा क्या करता है.

‘बहुत तड़पी हूँ मैं!’

मैंने उन्हें गोदी में लिए हुए ही खूब चूमा और वापस बिस्तर पर रख दिया.
वे तुरंत उठ कर बैठ गईं.

मैंने आंटी की साड़ी खोल दी, साथ में ब्लाउज और पेटीकोट भी.

वे बस ब्रा और पैंटी में थीं.
एकदम मस्त रांड की तरह लग रही थीं.

उनके बदन पर पिंक कलर की पैंटी और रेड कलर की ब्रा बड़ी ही कामुक लग रही थी.

उस दिन लग रहा था, जैसे जन्नत से उतरी हुई किसी परी का दीदार हो रहा हो.

अब मैंने आंटी की ब्रा और पैंटी उतार दी और अपने दोनों हाथों से उनके बूब्स को मसलने लगा.

फिर उनकी टांगों के बीच में बैठ कर मैंने उनकी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया.

आंटी ने मादक सी ‘आह …’ की आवाज निकाली और गांड उठा कर मेरे मुँह में चुत देती हुई बोलीं- चूस लो बेबी, चूसो आह मेरी चुत भी चूस लो और मेरे निप्पलों को भी मसलो.

मैं जोर जोर से चुत चूसने लगा और अपने दोनों हाथों से आंटी के दोनों दूध मसलने लगा.
वे तेज स्वर में आवाजें निकालने लगीं- आह … ओह … उह … उफ़… मां …

उनकी चुत से चिपचिपापन निकल कर बाहर आने लगा था.

मैं समझ गया कि इसमें आग लग चुकी है.
मैंने तुरंत बूब्स छोड़े और 69 पोजीशन में आ गया. मेरा लौड़ा आंटी के मुँह में … और आंटी की चूत मेरे मुँह में.

वे जोर-जोर से ‘आह … हाय … ओह …’ की आवाजें निकाल रही थीं.
‘मर गई … आह … उफ्फ …’ वे इसी के साथ साथ मादक सिसकारियां भी ले रही थीं.

थोड़ी देर बाद वे मेरे मुँह में झड़ने को हो गईं और मैं भी चरम सीमा पर आ गया था.

हम दोनों एक साथ झड़ गए.

फिर आंटी बोलीं- तुम्हारा लंड तो मेरे पति से भी बड़ा है.
कुछ देर बाद आंटी ने मेरा लंड वापस चूसना शुरू कर दिया.
मेरा औजार फिर खड़ा हो गया.

वे बोलीं- जान, प्लीज अब मत तड़पाओ … मुझे रगड़ दो.

फिर क्या था … मैंने आंटी की टांगें चौड़ी कर दीं और अपने लौड़े के साथ मैं उन्हें पेलने के लिए तैयार था.

आंटी का एक पैर अपने कंधे पर रखा. अपना औजार आंटी की चूत में सैट कर दिया.
मुझे गर्म चुत पर गर्म सुपारा रख कर ऐसा लग रहा था मानो जन्नत की सैर कर रहा हूँ.

आंटी ‘आह … ओह … आह … उफ़ …’ की मदभरी आवाजें निकाल रही थीं.

मैंने एक झटका दिया और पूरा लंड डाल दिया.
वे जोर से चीख उठीं- आह … उफ़ … मर गई … यह काफी मोटा है!

फिर मैंने खुली चूत की चुदाई करते हुए धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करना शुरू किया.
आंटी को मजा आ रहा था.

‘उफ़ … आह … ओह … डालो जोर से … तेज चोदो और तेज प्लीज आह!’
मैंने रफ्तार बढ़ा दी.

वे मस्त आवाजें निकाल रही थीं- उफ्फ … आह … चोदो मुझे जान!
मैं उनके बूब्स चूसते हुए उनको ताबड़तोड़ चोद रहा था.

मेरी रफ्तार और बढ़ गई.
देसी आंटी सेक्स में मस्ती से संभोग करवा रही थीं.

करीब 20 मिनट बाद मेरा वीर्य निकलने वाला था.
मैं बोला- अमृता, मैं झड़ने वाला हूँ.

आंटी बोलीं- चूत में सारा माल डाल दो. कोई दिक्कत नहीं होगी.

मैं झड़ गया और आंटी को कसकर पकड़ कर किस करते हुए उनकी चूत को चाटने लगा.
क्या मस्त खुशबू आ रही थी.
वे भी ‘आह … उह … उफ्फ …’ की आवाज के साथ झड़ गईं.

मैंने सारा माल चाटकर साफ कर दिया.
उस रात आंटी के साथ मैंने रात भर सेक्स किया.

सुबह चार बजे मैं दबे पांव घर में दाखिल हुआ और कमरे में जाकर सो गया.

अब जब भी हम दोनों को मौका मिलता है, हम दोनों खुल कर चुदाई कर लेते हैं.

दोस्तो, मैं आशा करता हूँ कि आपको मेरी देसी आंटी सेक्स कहानी अच्छी लगी होगी.
कमेंट में जरूर बताएं.
आप मेल पर भी बता सकते हैं.
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