प्यासी पड़ोसन आंटी का सेक्स की तड़प- 2
(Desi Aunty Fuck Story)
देसी आंटी फक स्टोरी में मैंने अपने साथ वाले कमरे में रह रही एक सेक्सी आंटी को चोद दिया. असल में आंटी को अकेली रहना पड़ रहा था जिससे उनकी चुदाई नहीं हो पा रही थी.
हैलो फ्रेंड्स, मैं आपका दोस्त विक्की एक बार पुनः अपनी सेक्स कहानी के अगले भाग के साथ हाजिर हूँ.
कहानी के पहले भाग
पड़ोसन आंटी के साथ सेक्स की शुरुआत
में अब तक आपने पढ़ा था कि आंटी मेरे साथ चुदवाने के लिए मचल उठी थीं.
अब आगे देसी आंटी फक स्टोरी:
रीता आंटी तो जैसे मदहोश हो गई थीं.
वे बस मुझमें खुद को समर्पित किए जा रही थीं.
इसके बाद मैंने उन्हें गले लगाया और उनकी गर्दन पर हल्का सा लव बाइट दिया.
जैसे ही मैंने लव बाइट दिया, उन्होंने मुझे कसके गले से लगाया और अपने मुँह से सिसकारियां निकालने लगीं b‘आह विक्की आह सच में मुझे तुम्हारी बहुत जरूरत थी आह आज मुझे अपने में समा लो विक्की आह.’
मैं उनकी चूचियों को अपने सीने में दबाते हुए उनकी पीठ पर हाथ फेरने लगा और उन्हें मस्त करने लगा.
आंटी कहने लगीं- विक्की मेरी जान, तुमने मुझे पटाने में इतनी देर क्यों कर दी … मैंने तुम्हें कितनी बार इशारा किया. आज तुम मुझे पूरा निचोड़ लो आज से मैं तुम्हारी हूं. मैंने कभी सोचा नहीं था कि तुम्हारे जैसे जवान लड़के का लंड मेरी चूत में जाएगा. आज मैं धन्य हो जाऊंगी.
मैंने आंटी से कहा कि चलो रूम में चलते हैं.
उन्होंने कहा कि यहां पर क्या बुराई है?
मैंने कहा- बुराई तो कुछ भी नहीं है मेरी जान … लेकिन रूम में तुम्हारे बिस्तर पर मैं तुमको चोदना चाहता हूं.
वे मुस्कुराने लगीं.
मैंने फिर से कहा कि चलते हैं ना … क्या दिक्कत है?
वे शर्माने लगीं.
मैंने आंटी का हाथ पकड़ा और सोफे पर से उठा कर सबसे पहले फिर से गले लगाया.
मैंने जब इस बार आंटी को गले से लगाया तो मैं उनके शरीर के हर अंग को महसूस कर रहा था.
मुझे अद्भुत आनन्द आ रहा था.
मुझे भी पूरी उम्मीद थी कि वे भी मेरे मेरे शरीर के हर अंग को महसूस कर रही होंगी, खास कर मेरे लौड़े को. क्योंकि इस बार हम एक दूसरे को गले खड़े होकर लग रहे थे तो हमारे शरीर के हर अंग एक दूसरे से स्पर्श कर रहे थे.
इस चीज को मैं महसूस कर रहा था और उनकी पीठ को सहला रहा था.
वे तो मानो मुझे छोड़ना ही नहीं चाह रही थीं.
मैं उन्हें धीरे-धीरे बेडरूम की ओर लेकर आया और उनको बेड पर पटक दिया.
आंटी ने साड़ी के पल्लू से अपना सर ढक लिया.
मैंने पल्लू से उनको आजाद करते हुए कहा कि अब तुम मुझसे मत शर्माओ रीता रानी.
वे मुस्कुरा दी.
फिर उन्होंने पूछा- तुमने मुझमें ऐसा क्या देख लिया जो तुम मुझे किस करने लगे और मुझे बेड तक ले आए. तुम्हें तो तुम्हारी उम्र की लड़कियां ही मिल जाएंगी!
मैंने कहा- बस मुझे आप पसंद हो उससे ज्यादा कुछ नहीं!
फिर मैं उनकी चूचियों को दबाने लगा उन्हें किस करने लगा.
अब हम दोनों लोग चुदाई करना चाहते थे.
मुझे उनकी चूत चाटने का बहुत मन कर रहा था क्योंकि मुझे चूत चाटने में खूब मजा आता है.
मैं किस करते-करते उनके पेटीकोट के अन्दर एक अपना हाथ ले गया और उनकी चूत को उंगली से सहलाने लगा.
मैंने जैसे ही आंटी की चूत पर उंगली को लगाया, उनके पूरे शरीर में सिहरन होने लगी.
उनके मुँह से आह इस्स की आवाज निकल गई.
मैंने महसूस किया तो पाया कि उनकी चूत तो पूरी गीली हो चुकी है.
मैंने थोड़ी देर अपनी उंगली को उनकी चूत पर रगड़ा, फिर उसे चुत के अन्दर पेल दी.
वे आह कह कर कसमसा उठीं.
मैंने चुत में उंगली को अन्दर बाहर किया तो आंटी ने अपनी टांगों को ढीला छोड़ दिया.
कुछ देर बाद मैंने उंगली को चुत से बाहर निकाल कर उन्हें दिखाते हुए अपने मुँह में रख लिया.
मैंने जब आंटी की चुत के रस का स्वाद लिया, तो अद्भुत स्वाद आ रहा था.
वे मुझे वासना से देख रही थीं.
मैंने भी उनकी आंखों में देखा.
फिर मैंने वापस अपनी उंगली को उनकी चूत में अच्छे से घुसा दिया.
उनकी वापस से आह आह की आवाज निकली.
फिर मैंने उनकी आंखों में देखते हुए नाटक करते हुए इस्स आह की कामुक आवाज निकाली तो आंटी हंस दीं और शर्मा गईं.
उन्होंने भी अपनी कमर को हिलाया और मेरी उंगली को अपनी चुत में कस कर रगड़ते हुए मेरी इस्स कर उत्तर उसी अंदाज में दिया.
वे भी इस्स करने लगीं.
इस बार मैंने दो उंगलियों को उनकी चुत में घुसेड़ दिया और उनके चेहरे के बदलते हुए आनन्द के अहसास को देख रहा था.
वे अपनी आंखों को बंद करती हुई आनन्द पूर्ण ध्वनि निकालने लगीं.
मैंने अपनी उंगलियों को उनकी चूत में से अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
दो-तीन बार चुत को चोदने के बाद मैंने फिर से उंगलियों को बाहर निकाला तो उन्होंने फिर से अपनी आंखें खोलीं और मुझे देखने लगीं कि मैं क्या करता हूं.
मैंने उनकी न/शीली आंखों में देखते हुए चूत के रस से सनी हुई अपनी उंगलियों को अच्छे से चाटा.
इस बार मेरी दोनों उंगलियां पूरी भीग गई थीं.
दोस्तो, जिस चुत की आप चुदाई करने वाले हो, उस चूत का रस चाटने का आनन्द ही कुछ अलग होता है.
खासकर जब वह औरत बड़ी उम्र की हो, तो उसकी चूत का रस और ज्यादा स्वादिष्ट लगता है.
मैं चूत के रस का भरपूर आनन्द लेता हूं. मुझे बहुत अच्छा लगता है और मैं वही कर रहा था.
वे मुझे ऐसा करती हुई देख रही थीं.
मैंने पूछा- क्या देख रही हो?
उन्होंने कहा- तुम नई उम्र के लड़के भी ना … चुदाई का हर आनन्द लेना जानते हो … तुम लोगों को चूत चाटने में भी कोई शर्म नहीं आती है.
मैंने कहा- हां मुझे ऐसा करना अच्छा लगता है.
आंटी- जब मैं कॉलेज में थी तो उस वक्त तो लड़के किस भी अच्छे से नहीं करते थे. उस वक्त चुदाई का मतलब सिर्फ चूत में लंड डालना होता था. लड़के लौड़े को पेल कर सीधी चुदाई चालू कर देते थे. फिर अपना पानी बाहर या चूत में ही निकाल देते थे … बस हो गया!
उनकी बातों को सुनते हुए मैं उनकी गीली चूत का रस का स्वाद लेकर उतावला हो गया था.
मैं जल्दी से नीचे आया और उनकी साड़ी को ऊपर उठा दिया.
उनकी चूत पर हल्के हल्के बाल थे.
मैंने उनसे पूछा कि आपने शेविंग कब की थी?
तो उन्होंने बताया कि हो गया एक महीना.
मैंने कहा- कल से साफ ही रखना.
उन्होंने कहा- हां, अब हमेशा से ही मैदान साफ रहेगा.
मैंने उनके दोनों पैरों को फैलाया और उनकी चूत की फांकों को अपने दोनों हाथों से हल्का सा फैला दिया.
पूरी चूत गीली हो गई थी.
आंटी देखने में पूरी गोरी थीं, उनकी चूत हल्की सी जामुनी रंग की थी लेकिन फांकों के अन्दर लाल थी.
मुझे चूत देखने में बहुत मजा आ रहा था और आंटी की गीली चूत के तो क्या ही कहने!
धीरे-धीरे मैंने अपनी जीभ को नुकीला करके उनकी उस गीली चूत में लगा दिया और लिक लिक करके चुत रस को चाटने लगा.
उन्होंने अपने हाथों की मुट्ठियों को भींच लिया था, जैसे ही मैंने उनकी चूत को जीभ से चाटा.
कुछ पल बाद आंटी मस्त हो गई थीं और मैं जोर जोर से उनकी चुत को चूस रहा था व दाने को हल्के हल्के से बाइट दे रहा था.
मेरी इस शरारत के कारण उनमें तो जैसे बिजली की करंट वाली लहर दौड़ गई थी.
उन्होंने जोर से दोनों हाथ से बिस्तर को पकड़ लिया और कामुक सिसकारियां लेने लगीं.
मैं चूत चाटने में लगा गया और जोर-जोर से उनकी चूत को अन्दर तक चाटने की कोशिश कर रहा था.
मेरा सर पर उनका हाथ आ गया था.
वे अपने हाथ से मेरे सर को ऊपर से दबा रही थीं और बोल रही थीं- आह बहुत अच्छा लग रहा है विक्की … आह मैंने नहीं सोचा था कि इतने अच्छे से चूत भी चाटी जाती है … आह बहुत आनन्द आ रहा है चूत चटवाने में,
मैं आंटी की चुत को जोर-जोर से चाटता रहा और कभी कभी अपनी जीभ को नुकीली बनाकर उनके चूत में घुसेड़ देता और मेरे मुँह की गर्मी उनकी चुत की गर्मी से लड़ने लगती.
वे भी आह आह करती हुई मेरे सर को ऐसे अपनी चुत पर ऐसे दबातीं मानो मुझे अपनी चुत में साबुत घुसेड़ लेंगी.
एक दो ऐसा हुआ तो वे एकदम से बेचैन हो गईं और अलग-अलग तरह की आवाजें निकालने लगी थीं ‘आआह विक्कीइई ई आह खा जा आह मेरे राजाआ आह.’
उनकी इस तरह की कामुक आवाजों को सुनकर मुझे और ज्यादा उत्तेजना होने लगी.
मैं और जोर से चूसने लगा.
मुझे भी बहुत आनन्द आ रहा था और उनको भी पूरा मजा आ रहा था.
उसके बाद उन्होंने कहा कि मैं आने वाली हूं!
मैंने उनके दूध को दबा कर इशारा किया कि मेरे मुँह में आ जाइए, मैं आपका ताजा-ताजा रस पीना चाहता हूं … आ जाइए!
तभी एक तेज सिसकारी के साथ उनकी चूत का पानी मेरे मुँह में छूट गया.
मैं उनकी चूत से निकले हुए रस की एक-एक बूंद को चाट गया.
बड़ा ही नमकीन स्वाद था. बहुत मजा आ रहा था.
मेरे मुँह पर और मेरी दाढ़ी पर मेरी मूछों पर उनकी चूत का पानी लगा हुआ था.
मैं फिर भी चूत को चाटे जा रहा था.
इससे हुआ यह कि वे फिर से गर्म हो गईं.
अब मैं उनकी चुदाई करने वाला था.
मेरी उनको चोदने की इच्छा बहुत ज्यादा थी.
फिर भी मैंने एक बार पूछा- मेरा लंड चूसोगी?
मैंने उन्हें लंड चाटने के लिए बोला, तो उन्होंने कहा कि मुझे अच्छा नहीं लगता है.
मैंने उनसे कहा- एक बार कोशिश तो करो!
उन्होंने कहा- आज नहीं, फिर कभी जरूर करूंगी … अभी तो हमारे मिलन की शुरुआत है. तुम मुझे इतना आनन्द दे रहे हो. चुदाई से पहले इतना आनन्द मुझे कभी नहीं आया. मैं कितनी बार चुद चुकी हूं. मैं तुम्हारा लंड बाद में चूसूंगी आज पहले चुदाई कर दो.
जब वे फिर से गर्म होने लगीं, तो मेरा लंड उनकी चूत में जाने के लिए उतावला हो रहा था.
आंटी भी लंड के उतावली हो रही थीं.
चुदाई के लिए बेचैनी उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी.
लेकिन मैं थोड़ा सा उन्हें और बेचैन करना चाहता था.
उनकी चूत का स्वाद में अपने जीभ से और लेना चाहता था.
वे कहने लगीं- बहुत दिन से मेरी चूत में लंड नहीं गया है. तुम ज्यादा देर मत करो .. पहले मेरी चुदाई करो! जल्दी से इसकी गर्मी शांत करो!
मैंने उनकी चुत को हाथ से सहलाया.
वे अपनी चुत मेरे हाथ से रगड़ती हुई बोलीं- अब तो मैं रोज तुम्हारी दुल्हन बन कर तुमसे चुदूंगी. मुझे चुदाई में बहुत आनन्द आता है. तुम जवान हो … यह देखकर मुझे और ज्यादा खुशी हो रही है. तुम जैसे चाहो वैसे मेरी चुदाई करना और खूब करना … मैं तुम्हें कभी मना नहीं करूंगी. मैं तुमसे खूब चुदना चाहूंगी, तुम मेरी बुर में अपना लंड खूब पेलना. मैं तुम्हें कभी मना नहीं करूंगी लेकिन अभी मुझे चोद दो. मुझे चुदाई की बहुत जरूरत है … मेरी चूत तुम्हारे लंड से अब और ज्यादा देर दूर रहना नहीं चाहती. मैं अपने हस्बैंड से रोज चुदाई करवाती थी. इतने दिन हो गए ट्रांसफर किए हुए मेरा यहां पर … मैं ही समझती हूं कि मैं कैसे दिन काट रही हूं. दिन तो कट जाता है पर रात को बर्दाश्त नहीं होता है. किसी तरह बर्दाश्त करती हूं … अब मुझे चुदाई का आनन्द दे दो.
आंटी नॉनस्टॉप चुदाई के लिए कह रही थीं तो मैं समझ गया कि आज इनको देर तक तड़फाना ठीक नहीं है.
उनके इतने आमंत्रण पर अब मैं उनकी चूत में लंड डालकर चोदने में किसी तरह का विलंब नहीं करना चाहता था.
मैं खड़ा हुआ, तो मेरे मुँह में लगे अपने चूत रस को देखकर वे हंसने लगीं.
आंटी बोलीं- बंदर लग रहे हो!
मैंने कहा- अभी बंदर आपका है और आपकी सिसकारियां भी निकालेगा.
उन्होंने कहा- अच्छा जी, तो जल्दी से डालो ना … कितनी बातें कर रहे हो!
मैं अपना लंड उन्हें दिखाकर सहलाने लगा.
उन्होंने मेरा लंड देखकर कहा- बहुत मस्त लंड है … अब देखते हैं चुदाई भी उतनी मस्त करता है कि नहीं!
मैंने कहा- बस रीता रानी तुमको अन्दर लेते ही पता चल जाएगा कि यह लंड क्या चीज है.
यह कह कर मैंने पोजीशन बनाई और लंड को उनकी चूत पर रगड़ने लगा.
उनकी मम्मों को धीरे-धीरे दबाने लगा.
आंटी मेरे लंड को अपनी बुरे में लेने के लिए तड़प रही थीं.
मैं भी उन्हें थोड़ा तड़फाना चाह रहा था.
जब तक चुत लंड के लिए मचले न … तब चुदाई का क्या मजा?
मैं उनकी चूत पर कभी लंड का टोपा रगड़ता तो कभी उनकी चूत के छेद में लंड को लगाकर थोड़ा सा धक्का देकर निकाल लेता.
इससे आंटी चुदाई के लिए इतनी ज्यादा बेचैन हो गई थीं कि वे मेरा लंड अपनी बुर में लेने के लिए अपनी गांड को हिलाने लगतीं.
वे लंड के लिए पागल हो रही थीं.
अचानक से उन्होंने गाली देते हुए कहा- जल्दी चोद न साले … मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ रही हूं भोसड़ी के … मेरी चुदाई करो न!
मैंने गाली सुनकर आंटी की एक चूची को जोर से दबा दिया.
उनकी चीख निकल गई.
दर्द से तड़फते हुए उन्होंने कहा- तुम्हें जो करना है करो, लेकिन मेरी चुदाई करो … अपना लंड मेरी चूत में डाल दो.
मैंने मजाक में कहा कि मैंने कंडोम नहीं लगाया है!
उन्होंने कहा- हमारे बीच कंडोम की कोई जरूरत नहीं, मैं तुम्हारे बच्चे की मां नहीं बनूंगी बस इतना समझ लो.
मैंने तो मजाक ही किया था.
उनकी बात पर हम दोनों हंस पड़े और इसी बीच मैंने अचानक से अपना लंड आंटी की बुर में घुसेड़ दिया और धक्के लगाने लगा. साथ ही उनकी चूचियों को जोर-जोर से दबाने लगा.
उनकी गीली चुत में मेरा लंड आसानी से घुसता चला गया था क्योंकि वे कोई नई लड़की तो थीं नहीं कि उनकी चुत टाइट होती.
लेकिन जैसा भी छेद था, मुझे बहुत मजा आ रहा था.
आंटी के चूत भट्टी की तरह गर्म थी.
एकदम से धक्का लगने से उनकी अचानक से आह निकल गई थी.
उन्होंने हल्की आह भरते हुए कहा कि बता तो देता!
मैं उनकी चूत में अपने लंड से धक्के मारने लगा और उनकी चुदाई करने लगा.
चुत चुदाई के साथ-साथ मैं उनकी चूची को भी दबा रहा था.
उनको किस भी कर रहा था.
उस वक्त उनका शरीर का हर अंग व्यस्त था … और मेरा भी.
मैंने जब धक्के लगाना चालू किया, तब उन्होंने अपने पैरों से मेरी कमर को लॉक कर लिया ताकि मैं अपना लंड नहीं निकाल सकूँ.
मैं उतना ही लंड निकाल पाऊं, जितना आंटी चाहें और फिर से वापस चूत के अन्दर चला जाए.
इतना तो मुझे पता लग गया था कि आंटी चुदाई में बहुत माहिर खिलाड़ी थीं.
मैं उनकी चुत की चुदाई जोर-जोर से कर रहा था, उनके होंठों पर किस भी कर रहा था और उनके चूचों को भी जोर-जोर से दबा रहा था.
उन्हें हल्का हल्का दर्द भी हो रहा था लेकिन दर्द के साथ आनन्द भी आ रहा था.
मैं उन्हें किस करना जैसे ही छोड़ा, तो उन्होंने कहा- मेरे राजा ऐसे ही चुदाई करो … बहुत मजा आ रहा है.
मैंने उनके गाल पर दो-चार चांटे भी मारे, तो उन्होंने हंस कर कहा- आह और मारो.
मैंने कहा- क्या मजा आ रहा है!
उन्होंने कहा- हां … और मारो मैं तुम्हारी हूं मेरी जान … मुझे बस जोर-जोर से चोदो … मैंने अब तक कभी नहीं सोचा था कि तुम्हारे जैसे जवान लड़के भी मेरी चुदाई हो पाएगी. मैं तुम्हारी चुदाई से पहले वाली काम-क्रीड़ा की पूर्ण रूपेण दीवानी हो गई हूं. जब तक मैं यहां पर हूं, मुझे खूब चोदो. मैं यहां पर तड़प रही थी … तुमने मेरी प्यास मिटा दी मेरी जान. आह मेरे राजा किसी ने सही कहा कि चूत अगर लंड लेने लायक हो जाए और लंड चोदने लायक हो जाए तो उम्र की कोई सीमा नहीं रहती.
उन्होंने मुझे यह बात बताईं, तब मैं उनकी आंखों में देख रहा था और उनकी चूत में रगड़ कर धक्के लगा रहा था.
उन्होंने अपने दोनों पैरों से लॉक लगाया हुआ था, उस वजह से मैं पूरा लंड नहीं निकाल पा रहा था.
मैं कभी उनके दूध को चूसता तो कभी उनके होंठों को चूसने लगता.
मुझे बहुत मजा आ रहा था.
उनका आनन्द उनके चेहरे से झलक रहा था.
बीच-बीच में मैं उनके गाल पर एक दो चांटे भी मार देता था उसका भी वे बड़ा आनन्द ले रही थीं.
उनके गाल भी लाल हो गए थे.
लेकिन चुदाई के जोश में वे कुछ नहीं कह रही थीं बल्कि मुझे जोर-जोर से चोदने के लिए कह रही थीं.
इस प्रकार चुदाई करते हुए करीब 15 मिनट बीत गए थे.
अब मेरा लंड अपना माल निकालने वाला था.
इसलिए मैंने सोचा कि अब मैं उनकी चुत के अन्दर ही अपना पानी डाल दूं.
लेकिन फिर भी मैंने पूछा- मेरी जान मैं अब आना चाहता हूं, पानी कहां पर लोगी?
आंटी ने कहा- पहली और आखरी बार बता रही हूं मेरी जान, तुम अपना पानी हमेशा मेरी चुत के अन्दर छोड़ना क्योंकि मेरा मैनोपॉज हो गया है और अब मैं कभी मां नहीं बन सकती.
मैंने कहा- ठीक है मेरी जान.
मैं जोर-जोर से धक्के देने लगा साथ ही जोर-जोर से उनकी चूची भी दबाने लगा.
मुझे आंटी को चोदने में बहुत मजा आ रहा था.
इस 15 मिनट के दरमियान वे तीन बार झड़ चुकी थीं.
मैंने आने को हो गया और जोर जोर से धक्का मारने लगा.
मेरे लंड ने उनकी चूत में पानी छोड़ दिया.
मैं जोर-जोर से धक्के देता हुआ रस छोड़ने लगा- आहह हह … रीता रानी आह!
उनकी चुत ने मेरे लंड के पानी को निचोड़ लिया था.
मैं उनकी आंखों में देखते हुए उनके ऊपर ही लेट गया, फिर उन्हें करवट दिलाता हुआ उनके बगल में आ गया.
मेरा लंड अभी भी उनकी चुत में ही था.
उन्होंने भी राहत की सांस ली और अपने पैरों को सीधा कर लिया.
थोड़ी देर बाद मेरा लंड छोटा होकर उनकी चूत से बाहर आ गया.
आंटी मेरी आंखों में देखने लगीं.
मैं उनके सर पर हाथ फेरने लगा, उनके होंठों पर एक किस किया.
मैंने पूछा- कैसा लगा मेरी जान?
उन्होंने कहा कि मेरे चेहरे की खुशी से तुम अंदाजा नहीं लगा सकते कि मैं खुश हूं कि नहीं!
मैंने हल्की सी स्माइल दी और फिर से उन्हें किस किया.
फिर हम दोनों एक दूसरे से लिपटकर सो गए.
अब यह हम दोनों का काम हो गया था.
मैं उनकी रोज चुदाई करता.
अब मेरा सिर्फ नाम का अपना रूम था, मैं हमेशा आंटी के ही फ्लैट में रहता.
वे मेरे हर खर्च को उठातीं और पूछने पर कह देतीं- बस तुम मेरे हो और बिस्तर पर तुम्हारा काम मुझे संतुष्ट करना है.
मुझे भी क्या फर्क पड़ता. मुझे फ्री में चूत चोदने मिलती थी और खाने पीने पहनने रहने का सारा खर्च आंटी उठाती थीं.
मुझे भी उनका साथ अच्छा लगता था.
दोस्तो, यह थी मेरी पड़ोसन आंटी के साथ सेक्स कहानी.
उम्मीद करता हूं कि देसी आंटी फक स्टोरी आप लोगों को पढ़ कर अच्छा लगा होगा.
आप अपनी राय मुझे ईमेल के माध्यम से बताएं.
आप सभी का धन्यवाद.
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