मकान मालकिन भाभी की चुत चुदाई का मौक़ा

(Desi Bhabhi Ki Chut Ka Maja)

देसी भाभी की चूत का मजा लिया मैंने अपनी मकान मालकिन को चोद कर! मेरी बीवी मायके गयी हुई थी और मेरी नजर भाभी के सेक्सी बदन पर थी.

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार.
यह मेरी पहली सेक्स कहानी है देसी भाभी की चूत चुदाई की … मुझे उम्मीद है कि आप लोग इसे पसंद करेंगे.

मेरा नाम संजय है और मैं जयपुर से हूँ. मेरी हाइट 5 फुट 11 इंच है. मेरे दोस्त का साइज 6+ है.

ये एक सत्य घटना पर आधारित कहानी है, जिसके पात्रों के नाम गोपनीयता की वजह से बदल दिए गए हैं.

अभी कुछ दिन पुरानी बात है, हम लोगों ने नया मकान किराये पर लिया था.
मकान मालिक बाहर जॉब करते हैं और किसी कारणवश अपनी पत्नी को साथ नहीं ले जा सकते थे.
इसलिए उनको फैमिली वाले लोगों को ही मकान देना था.

हमारी फ़ैमिली में हम दो और दो बच्चों को देखते हुए उन्होंने हमें घर किराए पर दिया.

अब कहानी की नायिका यानि मकान मालकिन संजना भाभी की बात करता हूँ.

संजना भाभी बेहद खूबसूरत और सेक्सी बदन की मालकिन हैं. उनकी 45 की उम्र में 36D-32-40 का फिगर और कातिल मुस्कान किसी का भी लंड खड़ा कर दे.

मैं भी उनको चोदने की सोचने लगा लेकिन बीवी के होते हुए मौका नहीं मिल रहा था.
कुछ दिनों बाद गर्मी की छुट्टी आयी तो मेरी पत्नी बच्चों को लेकर मायके निकल गयी.

बीवी के जाते ही मैं पूरी तरह आज़ाद हो गया.
अब मैं भाभी पर लाइन मारने लगा, कभी उनकी खूबसूरती की तारीफ करता, कोई न कोई बहाने से उनको छूने की कोशिश करता.

ये वो भी समझने लगी थीं लेकिन उन्होंने जाहिर नहीं होने दिया.

भाभी अक्सर अपने कपड़े छत पर डाल देती थीं.

एक रविवार मैं सोकर उठा तो देखा बाहर भाभी की नीली चड्डी सूख रही थी.
मैंने चड्डी उठा कर और उनके बारे में सोचते हुए सारा वीर्य चड्डी में स्खलित कर दिया.

अब तो मैं अक्सर ऐसा करने लगा.
भाभी को पता चल चुका था और वो मुझे रंगे हाथ पकड़ने का प्लान बना चुकी थीं, ये मुझे बाद में पता चला.

ऐसे ही एक दिन मैं जब उनकी सेक्सी चड्डी मैं अपना लंड डाल कर हिला रहा था तो वो अचानक से चाय देने के बहाने ऊपर आ गईं.
मेरे हाथ में मेरा मोटा लंड उनकी सेक्सी लाल कलर की चड्डी को चोद रहा था.

वो उस समय सामने आईं जब मेरा वीर्य निकलने वाला था.
तो रुकने का तो सवाल ही नहीं उठता.
अतः मेरा वीर्य उनके सामने ही उनकी सेक्सी लाल चड्डी में निकल गया.

मेरी चोरी सामने की सामने पकड़ी गई.
उन्होंने मुझे खूब डांटा फटकारा और मेरी वाइफ को बताने के लिए बोला.

तो मेरी गांड फट गई.
मैंने चोदने की छोड़ कर अपनी इज़्ज़त बचाने की सोची और उनसे माफी मांगने लगा.
लेकिन वो बहुत गुस्से में थीं तो नीचे चली गईं.

मैंने शाम को उनसे नीचे जाकर माफी मांगी और भविष्य में ऐसा ना करने की कसम खायी.
उन्होंने काफी ना नुकुर के बाद मुझे आइंदा ऐसा न करने के लिए हिदायत दी.

दूसरे दिन मैं ऑफिस जाने के लिए निकलने वाला था तभी मुझे किसी के बहुत तेज गिरने की आवाज़ आयी.

मैंने नीचे भाभी को आवाज लगाई तो वो बहुत तेज दर्द से चिल्लाईं कि वो वाशरूम में गिर गयी हैं.

जब मैंने जाकर वाशरूम का दरवाजा खोला तो भाभी चड्डी और ब्रा में फर्श पर पड़ी थीं.
मैंने दरवाजा वापिस बंद किया तो उन्होंने बोला- मेरे पैर और कमर दर्द से उठा नहीं जा रहा है, कुछ करो.

मैंने कहा- भाभी जी, आप इस तरह से पड़ी हैं तो मैं कैसे अन्दर आ सकता हूँ?
भाभी- कुछ करो संजय, मुझे बहुत दर्द हो रहा है.

मैंने पूछा- तौलिया कहां है?
उन्होंने बोला- ये बाथरूम के गेट के अन्दर ही टंगी है.

मैं बाथरूम में अन्दर आ गया.
मेरी नजरें उनके बूब्स की क्लीवेज पर जा पड़ी. उनकी चूची ब्रा के साइड से दिख रही थी.

मैं भाभी की नंगी जवानी को देखता ही रह गया.
उनका गोरा-चिट्टा बदन लाइट में जगमगा रहा था.
मेरा लंड तनकर विकराल हो गया था.

उन्होंने चिल्लाते हुए कहा- प्लीज कुछ करो.
तब मैं जैसे नींद मैं से जागा और उनका तौलिया उठाकर उन पर लपेटकर उनको उठाने का प्रयास किया.

पर तेज़ दर्द से वो उठ ना सकीं.
तब मैंने उनको गोदी में उठाया और बेडरूम में लिटा दिया.

इतने में मैं काफी गर्म हो गया और उन्होंने मेरा खड़ा लंड पैंट में देख लिया था.
पर उनके पास कोई और रास्ता नहीं था.

भाभी मुझसे बोलीं- प्लीज मूव लगा दो … बहुत दर्द हो रहा है.

मैंने उनकी कमर पर मूव लगाना चालू की, तो मेरे से कंट्रोल खत्म होने लगा और शायद भाभी भी मेरे सख्त हाथों से गर्म हो चली थीं.

मैंने कमर से होते होते उनकी सेक्सी गांड को सहलाना चालू कर दिया.
एक बार तो उन्होंने मेरा हाथ हटाया लेकिन जब मैंने दुबारा ऐसा किया तो उन्होंने कोई प्रतिरोध नहीं किया क्योंकि उनको भी भैया का लंड लिए हुए काफी टाइम हो गया था.

फिर मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी.
मैंने उनकी नंगी पीठ और चूतड़ों को दबाना और किस करना चालू कर दिया.

अब भाभी की सेक्सी सिसकारियां चालू हो गयी थीं.

मैंने भी देर ना करते हुए उनको सीधा किया और उनके ग़ुलाबी होंठों को चूसने लगा, अपने हाथों से उनके 36 इंची चूचों को दबाने लगा.

भाभी भी मेरा साथ देने लगीं.
कभी वो मेरे होंठों को काटतीं तो कभी जीभ अन्दर डालकर चूसने लगतीं.

हम दोनों ने लगभग दस मिनट तक एक दूसरे को जम कर चूसा, उनके पिंक बूब्स को मैंने चूस चूस कर लाल कर दिया.

अब मैं उनकी गर्दन और पेट पर किस करते हुए उनकी पैंटी तक आ गया.
उनकी सेक्सी पैंटी कामरस से बुरी तरह भीगी हुई थी जिसमें से उनकी चूतरस की भीनी भीनी खुशबू मुझे उसको चूसने के लिए आमंत्रित कर रही थी.

मैंने अपना मुँह भाभी की पैंटी पर लगा दिया. उन्होंने कभी चुत चुसवाने का मज़ा नहीं लिया था तो मुझे मना किया कि गंदी चीज़ को नहीं चूसते.

लेकिन जब मैंने बोला- मैं अपनी वाइफ की चुत बिना चूसे चुदाई नहीं करता.
तो वो मान गईं.

मैंने भाभी की पैंटी उतारी और उनकी चूत को जम कर चूसने लगा.
वो बुरी तरह से पागल होकर सेक्सी आवाजें निकालने लगीं.

कभी मैं देसी भाभी की चूत को काटता तो कभी चूत की क्लिट को चूसता.
इससे भाभी सिहर जातीं.

आखिर भाभी ने मेरा सिर पकड़ कर अपनी गर्म चूत पर दबा लिया और बोलीं- कुछ करो संजय … नहीं तो चूत रस छोड़ देगी.
मैंने- क्या करूं भाभी?

भाभी बोलीं- प्लीज अब तो लंड डाल दो. जैसे मेरी चड्डी को बुरी तरह चोद चोद कर छेद कर दिए हैं, प्लीज ऐसे ही मुझे रगड़ रगड़ कर चोद दो.

मैं भी अब देर ना करते हुए लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा, उनकी चूत के दाने को लंड से छेड़ने लगा.

भाभी कसमसा रही थीं और ऊपर की और उचक कर लंड लेने के लिए उचक रही थीं.

जब मैंने उनको ज्यादा तड़पाया तो खुद से लंड पकड़ कर नीचे से धक्का देने लगीं.
उसी समय मैंने एक जोर का धक्का लगा दिया और मेरा आधा रॉड जैसा लंड भाभी की बिना बाल वाली चूत के अन्दर पेल दिया.

अचानक हुए इस हमले के लिए भाभी तैयार नहीं थीं, तो वो चिल्ला पड़ीं.
उनके मुँह से गाली निकल गयी- अबे मारेगा क्या साले कमीने.

मुझे भाभी के मुँह से गाली की उम्मीद नहीं थी तो मुझे और भाभी दोनों को हंसी आ गयी.

फिर उन्होंने बोला- संजू ,प्लीज अब अच्छे से चोद दो.
मैंने कहा- भाभी, मैं तो न जाने कबसे आपको चोदना चाह रहा था.

भाभी मुझे चूमती हुई बोलीं- अब बात न करो … पहले अपना लंड अन्दर डालो.
मैंने धीरे धीरे भाभी की चूत में लंड पेला और पूरा लौड़ा चुत की जड़ में ठांस दिया.

पूरा लंड लेने के बाद मैं रुक गया और भाभी को चूमने लगा.
वो गांड उठाने लगीं और बोलीं- अब चोदो भी यार.
मैंने झटके देना शुरू कर दिए.

भाभी को लंड लिए बहुत टाइम हुआ था तो उनका थोड़ा सा दर्द हुआ लेकिन कुछ देर बाद मेरे दमदार झटकों से वो भी मस्त हो गईं और अपनी गांड उठा उठा कर मज़े लेने लगीं.

अब मैं कभी उनके मम्मों को चूसता, कभी होंठों को काटता.

मैंने भाभी से पूछा- अब आपको दर्द नहीं हो रहा है?
भाभी- हां अब दर्द खत्म हो गया है और मजा आ रहा है.

मैंने कहा- चुत का दर्द नहीं संजना भाभी … वो गिरने वाला दर्द कैसा है.
भाभी हंसने लगीं और बोलीं- वो भी खत्म हो गया है.

मैंने कहा- क्या मेरे लंड से चोट का दर्द खत्म हो गया है?
भाभी मेरी छाती पर मुक्का मारती हुई बोलीं- वो तो मैंने ड्रामा किया था.

मैंने कहा- हां, मैं समझ तो गया था मगर तब भी मुझे लगा कि कहीं सच में आपको चोट न लग गई हो.
भाभी- चोट तो मेरे अन्दर लगी थी जब मुझे तुमने अपनी बांहों में उठाया था.

मैंने कहा- तो आपने मुझ पर गुस्सा क्यों किया था?
भाभी- यार, मैं एकदम से कैसे कह सकती थी कि मुझे रगड़ दो.

मैंने कहा- तो डांटने की जगह देख कर मुस्कुरा भी तो सकती थीं.
भाभी बोलीं- हां, पहले तो मेरा भी ऐसा ही मन था मगर मैं कर ही नहीं सकी थी. अब बातें छोड़ो और मुझे रगड़ो.

मैंने कहा- रगड़ो या चोदो?
भाभी- हां चोदो … और जोर जोर से चोदो.

हम दोनों फिर से चुदाई का मजा लेने लगे.

थोड़ी देर बाद मैंने उनको ऊपर आने को बोला.
अब भाभी की बारी थी, वो मेरे लंड पर अपनी चुत फंसा कर बैठ गईं और खड़े लंड की सवारी गांठने लगीं.

इस वक्त उनके चुचे मस्त हिल रहे थे, तो मैं उनके चूचों को मसलने लगा.

भाभी नशीली अदा से बोलीं- दूध पियोगे?
मैंने कहा- हां पिलाओ.

भाभी झुक कर मुझे अपने मम्मों का रस पिलाने लगीं.
मैंने भी भाभी के दिनों मम्मों को बारी बारी से खूब चूसा और उस बीच उनकी चुत में मेरा लंड हरकत करता रहा.

करीबन 10 मिनट की चुदाई के बाद वो हसीन लम्हा आया जब हम दोनों ही झड़ गए.

झड़ने के बाद भाभी मेरे सीने पर ही ढह गईं और लम्बी लम्बी साँसें लेने लगीं.

मैंने भाभी को चूमते हुए कहा- अपने देवर के लंड से चुदने में मजा आया भाभी?
भाभी मुस्कुराती हुई बोलीं- देवर का लंड मुझे बहुत प्यारा लगा. इसने मेरी चुत की आग को ठंडी कर दिया है.

उनकी इस तरह की बातों से मेरा मुरझाया हुआ लंड चुत में फिर फड़कने लगा.

भाभी की झड़ी हुई चूत में मेरे लंड ने हरकत की तो भाभी बोलीं- क्या मस्त ठुमक रहा है.
मैंने कहा- क्या ठुमक रहा है भाभी?

भाभी- तेरा लंड मेरी चुत में हरकत कर रहा है.
मैंने कहा- हां इसे फिर से चुदाई करने का मन है.
वो बोलीं- तो चोद दे ना!

मैंने उन्हें चूमा और अपने नीचे ले लिया.

भाभी ने टांगें फैला दीं और मैंने फिर से लंड चूत में पेल दिया.

इस बार हम दोनों ने बीस मिनट तक चुदाई का मजा लिया.

उस तरह से उस दिन मैंने भाभी को एक बार और चोदा.
फिर तो हम अक्सर एक होने लगे.

बाद मैं उन्होंने अपनी एक देवरानी को भी मेरे लंड से चुदवाया.
ये मैं अपनी अगली कहानी मैं शेयर करूंगा.

मेरी मकान मालकिन देसी भाभी की चूत की कहानी कैसी लगी, प्लीज मेल से बताइएगा.
[email protected]

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