मेरी चूत की जरूरत और पड़ोसी का लंड

( Desi Bhabhi Nice Fuck)

देसी भाभी नाइस फक कहानी में मेरे और मेरे पति के बीच सेक्स ठंडा हो चुका था. हमारे पड़ोस का कपल खूब मस्ती करता था. मैं उस लड़के के लंड का मजा लेना चाहती थी.

ये कहानी मेरी एक पाठिका ने मुझे भेजी है तो उन्हीं के शब्दों में मज़ा लें.

मैं 32 साल की शादीशुदा महिला हूँ. मैं और मेरा पति मुंबई में रहते हैं.
उनकी नौकरी थी और मैं घर का काम देखती थी.
सब कुछ अच्छा चल रहा था.

पर पति की बढ़ती उम्र, काम का दबाव और बच्चों की ज़िम्मेदारी ने हमारी सेक्स की आग को कम कर दिया था.

फिर एक दिन हमारे पड़ोस में दिल्ली से एक कपल आया जो उम्र में तो हमारे जितना था पर उनका मिजाज और मस्ती हमसे कहीं ज़्यादा थी.

मैं उस कपल को देखकर प्रभावित होने लगी.
धीरे-धीरे मैं उस महिला से जुड़ने लगी.

हम दोनों की दोस्ती होने से हमारे पति भी एक-दूसरे से बात करने लगे.

कुछ महीनों बाद हमारे बीच आना-जाना अच्छा हो गया, तो वाइन-बियर पीने के लिए हम सब साथ में पार्टी करने लगे.

मैं तो उनकी सेक्स लाइफ में पहले से ही अपने लिए कुछ खुशियां देखती थी जो मेरी अधूरी ज़िंदगी में कम हो गई थीं.

मैं उस लड़के शुभम के लिए आकर्षित होने लगी.
साधारण सा दिखने वाला शुभम साढ़े पांच फुट का लड़का था.

मैं उसे देख कर सोचती थी कि शुभम इतनी सुंदर और 36-30-38 फिगर वाली खूबसूरत लड़की नेहा को कैसे इतना खुश रख पाता होगा?

ऐसे ही सब चल रहा था, पर मेरे पति के काम से बाहर जाने पर मैंने अपनी सहेली नेहा को बताया.
हमने रात में पार्टी करने का प्लान बना लिया.

मैंने अपने 36B के चूचों को लाल ब्रा और 38 की गांड को थॉन्ग वाली लाल पैंटी में ढककर पीले रंग की नेट की साड़ी पहन ली और नेहा के घर चली गई.

मुझे पीली साड़ी और ब्लाउज़ में देखकर नेहा ने मेरी बंगाली स्टाइल में पहनी हुई साड़ी तारीफ की.
उसका पति भी मुस्कुराकर देखने लगा.

फिर खाने-पीने का सिलसिला शुरू हुआ और हम तीनों पीने लगे.

चार-पांच पैग पीने के बाद नेहा बहक गई तो उसके पति ने पार्टी खत्म करने को कहा.

मैंने कहा- मैं एक पैग और लूँगी!

शुभम अपनी पत्नी नेहा को बांहों का सहारा देकर बेडरूम में ले जाने लगा.

ये देखकर मुझे भी अपनी चड्डी में जलन होने लगी कि काश ये मुझे अपनी बांहों में बेडरूम ले जाए और साला वहीं पटक-पटक कर मुझे चोद दे.
पर मेरी ऐसी किस्मत कहां!

वह अपनी पत्नी को लेकर चला गया और मैं अपना पैग बनाने लगी.

मैं पैग बनाकर वाइन को अपने सेक्सी होंठों से लगाने ही वाली थी कि शुभम की आवाज़ सुनाई दी- एक मेरे लिए भी बनाओ!
मैंने ध्यान से देखा, तो शुभम मेरी तरफ ही आ रहा था.

मैंने एक दूसरा ग्लास भरना शुरू किया, तभी शुभम ने पीछे से मुझे पकड़ा और अपनी बांहों में कस लिया.

वह मेरी कमर को अपने हाथों से कस कर अपने कड़क लंड को मेरी साड़ी के ऊपर से ही मेरी भारी चूतड़ों की दरार में रगड़ने लगा.

मैं तो एकदम से हुए इस हमले से सिहर गई … और इसी हिल-डुल में मेरा ग्लास मेज़ पर ही लुढ़क गया.

मैं अभी कुछ कहती कि शुभम ने मेरा मुँह बंद करते हुए कहा- शोर मत करो, नेहा उठ जाएगी!

मैंने कहा- तुम ऐसे जानवर की तरह टूट पड़ोगे, तो मैं क्या कर सकती हूँ!
शुभम बोला- साली, बहन की लौड़ी तू कितनी शरीफ बन रही है. तू भी तो यही चाहती थी न मादरचोद … इसी लिए तो मैंने नेहा को ज़्यादा पिला दी. अब वह सुबह तक सोएगी और मैं तुम्हारे साथ जगराता करूंगा.

सच बोलूँ, तो मुझे दिल्ली वालों की ये बेफिक्री की भाषा और उनका देने का अंदाज़ बहुत पसंद है.

मैंने अपना गिलास शुभम को दे दिया.
तो उसने एक ही बार में पूरा ख़त्म करके मुझे किस करना शुरू कर दिया.

मेरे होंठों की पूरी लिपस्टिक खराब होने तक वह मेरे होंठों को चूसता रहा.
फिर मेरी गर्दन की गोलाई को चूमने लगा.

मैं न/शे में चूर थी.
उसके होंठों के चुम्बन और नाक से आती गर्म सांसें मुझे पागल बना रही थीं.

मैंने उसको रोका और बोला- मेरे फ्लैट में चलते हैं.
उसने कहा- वहां तुम्हारा बेटा सोया होगा, वह उठ गया तो?

यह कह कर उसने फिर से मेरी गर्दन पर चूम लिया और मेरी साड़ी को खींचने लगा.

मैंने उसको दूर हटाया और बोला- नेहा उठ गई, तो सीन बन जाएगा.
उसने नेहा के कमरे को बाहर से बंद कर दिया और मुझे नंगी करने लगा.

एक मिनट बाद हम दोनों जन्मजात नंगे खड़े थे.
मैंने भी इतनी मेहनत से पहने कपड़े टेबल और कुर्सी पर फेंक दिए थे.

उसने मेरी चूचियों को हाथों में पकड़ कर मसला और बारी बारी से दोनों दूध को तसल्ली से चूसा और भँभोड़ा.
मैं आह-उफ़ करके उसका सिर अपनी चूची पर दबाने लगी.

शुभम किसी छोटे ब/च्चे की तरह मेरे निप्पल को चूस-चूसकर मज़ा ले रहा था और दे रहा था.

फिर उसने कुर्सी पर बैठकर मुझे अपनी जांघों पर बैठने को कहा.
मुझे तो उसके हाथ में पकड़ा हुआ लंबा, मोटा लंड दिख रहा था.

मैंने धीरे से अपने हाथ शुभम के कंधों पर रखे और शुभम ने अपने हाथ में लंड पकड़ कर मेरी चूत में डाल दिया.

उसका गर्म लंड अन्दर जाते ही मेरी चूत पानी-पानी हो गई.
आह!

शुभम ने मेरी कमर अपने हाथों में पकड़ ली और वह मुझे अपने लौड़े पर ऊपर-नीचे करने लगा.
मैंने भी अपने पंजे ज़मीन पर रखकर अच्छे से अपनी चूत में लंड की घिसाई का मज़ा लिया.

शुभम के कंधे पर सिर रखकर मैंने उसे जोर से पकड़ लिया.

कुछ ही देर में हम दोनों की गर्मी फूट पड़ी. उसका पानी मेरी चूत में भर गया.
मैं उसे पकड़ कर अपनी सांसों को कंट्रोल करने लगी.

शुभम ने मेरे कंधे पर किस किया और कुछ ही समय में उसका लंड फिर से कड़क होकर मेरी जांघ पर चुभने लगा.
मैं समझ गई कि ये मेरे पति की तरह एक बार में ख़त्म नहीं होगा.
ये फिर से करेगा.

शुभम ने मुझे ऐसे ही पकड़ कर गोद में उठा लिया और बालकनी में ले गया.
उसने मुझे ग्रिल के पास घोड़ी बनने को कहा.
मैं तो डर गई कि कोई देख लेगा!

उसने कहा- मैंने और नेहा ने रात में बहुत बार यहां किया है. कोई साला नहीं देखता!

मैंने शुभम के चेहरे पर हाथ रखकर कहा- प्लीज़, अन्दर करते हैं!
शुभम ने कहा- साली कुतिया, नखरा मत कर! तू आंख बंद करके घोड़ी बन जा और सोच कि तू बेडरूम में है!

अब मैं क्या कर सकती थी?
मैंने ग्रिल को पकड़ा और कुतिया बन कर झुक गई.
देसी भाभी नाइस फक का मजा लेने लगी.

शुभम ने मेरी टांगों को खोलकर अपना रिमोट मेरे टीवी में घुसा दिया.
उसने मेरी कमर पर अपने हाथ रखकर मुझे और नीचे किया, जिससे मेरे चूतड़ उभर गए और मेरी चूत का छेद पूरी तरह खुल गया.

उसने बड़े प्यार से झटके लगाकर मेरी चूत चोदी.
वह धीरे से पीछे खींच कर जोर से झटका मारता तो मेरा पूरा शरीर हिल जाता.

पर मैं अपने मुँह से एक भी आवाज़ नहीं निकाल सकती थी.

उसने बहुत देर तक मेरी चूत में चोदा और मेरी चूत बार-बार पानी-पानी होती रही.
चूत से पानी निकलने पर उसे भी अन्दर बाहर करने में ज़्यादा परेशानी नहीं हुई.

अचानक से शुभम ने मेरी चुम्मी लेते हुए मुझसे पूछा- तुमने गांड मरवाई है कभी?
मैंने मना कर दिया.

वैसे एक-दो बार मैंने कॉलेज के टाइम पर पोर्न देखकर उंगली और मोटा सा गोल टूथब्रश गांड में घुसाया था, पर अब तो कई साल हो गए.

शुभम को मस्ती सूझ रही थी तो उसने अचानक से अपना लंड मेरी चूत से निकाला और गांड में घुसेड़ दिया.
मैं दर्द में तड़प गई!

उसने मेरी कमर को इतनी जोर से पकड़ा था कि मैं कुछ नहीं कर सकी.
ज्यादा चिल्ला भी नहीं पा रही थी … क्योंकि बाहर आवाज जाती तो मैं बदनाम हो जाती.

शुभम बहुत तेज़-तेज़ धक्के मारकर बेरहमी से मेरी गांड चोद रहा था और मैं दबी हुई आवाज में ‘प्लीज़, धीरे करो!’ बोलती रही.

उस कुत्ते ने मेरी एक भी नहीं सुनी और मेरी गांड में अपना पानी भर दिया.
मुझे गांड में दर्द हुआ तो मैंने गुस्से में उसे जोर से झापड़ मार दिया.
उसने मुझे पकड़ कर होंठों पर चूम लिया और बेशर्मों की हंस कर ‘सॉरी डार्लिंग!’ बोला.

मेरी कमर और गांड में दर्द हो रहा था. उसने मुझे फिर से गोद में उठाया और अन्दर कुर्सी पर बैठा दिया.
अब उसने मेरी ब्रा उठाई और कमर पर किस करके उसे मेरी चूचियों पर बांध दिया.

फिर टांगों में पैंटी डाल कर खड़े होने को कहा.
मैं उसके कंधे पकड़ कर खड़ी हो गई.
उसने मेरे चूतड़ों पर नाखून रगड़कर पैंटी पहना दी.

सारे कपड़े पहना कर वह मुझे सहारा देकर मेरे फ्लैट तक छोड़ने आया.

मैं धीरे-धीरे से चलती हुई अपने पलंग पर आकर ढेर हो गई.

मुझे थोड़ी देर दर्द हुआ, उसके बाद बड़े सुकून से नींद आई.

अगले दिन मैं 12 बजे सोकर उठी.

दो महीने बाद नेहा और शुभम वापस दिल्ली चले गए.
अब भी कभी-कभी उनसे बात होती है.

नेहा मज़ाक में कहती है- जब मिलेंगे, तो फिर से वैसी ही पार्टी करेंगे!

मैं सोचती हूँ कि क्या नेहा को पता है कि उस दिन मैंने और शुभम ने सेक्स किया था?

बस वह एक सेक्स जब भी याद आता है, तो मैं रोमांचित हो जाती हूँ.

दोस्तो, यह सत्य घटना पर आधारित देसी भाभी नाइस फक कहानी है, आपको कैसी लगी, प्लीज जरूर बताएं.
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लेखक की पिछली कहानी थी: अंकल की मस्त ग्रुप सेक्स की दुनिया

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