भाभी जी की दो कचौड़ियां- 2

(Desi Bhabhi Romance Story)

देसी भाभी रोमांस स्टोरी में पढ़ें कि भाभी को नंगी देखने के बाद उनकी चुदाई के लिए मैंने उनको उत्तेजित करने के लिए बहाने से उनको अपना लंड दिखाया।

दोस्तो, मैं सचिन आपको सेक्सी भाभी की चुदाई की स्टोरी बता रहा था जिसके पहले भाग
जवान पड़ोसन को नंगी देखा
में आपने पढ़ा था कि भाभी को मैंने बाथरूम से नंगी बाहर आते देख लिया था।
उसके बाद मैं भाभी को चोदने के लिए तड़प गया था। एक रात को उनके पति ने मुझे खाने पर बुलाया मगर मैंने मना कर दिया।

अब आगे देसी भाभी रोमांस स्टोरी:

अगले दिन जब मैं काम से लौटा तो मैंने देखा कि भाभी गैलरी में टहल रही थी।
उनको देख कर लग रहा था कि वो मेरा ही इंतजार कर रही थी।

जब मैं बाइक खड़ी करके गैलरी में पहुंचा तो भाभी ने मेरी आंखों में आंखें डाल कर देखा और मुस्कराई।
जवाब में मैं भी मुस्कराया और तुरंत मेरा लंड खड़ा होने लगा। उस दिन वाला सीन दिखाई देने लगा और मेरे सामने ऐसा लग रहा था कि वह नंगी खड़ी होकर मेरा इंतजार कर रही है।

जब मैं उसके करीब पहुंचा तो भाभी ने मुझे हैलो कहा।
मैंने भी मुस्कराते हुए हाय कहा और रुक गया।

हम दोनों के बीच 3 फीट का अंतर था।

भाभी बात शुरू करते हुए बोली- आपका नाम क्या है?
मैं- सचिन नाम है मेरा!
भाभी हाथ आगे बढ़ाते हुए बोली- मैं मोहिनी।

मैंने भी हाथ आगे बढ़ाते हुए हाथ मिलाया और बोला- जैसा नाम वैसे ही हो आप! कहते हुए एक कातिल सी मुस्कान मैंने दे दी और उसने भी मुस्कराकर नजरें झुका लीं।

जब हम दोनों ने हाथ आपस में मिलाया तो हम दोनों को करंट सा लगा और हम दोनों ही एक साथ उत्तेजित होने लगे।
उसे देखकर तो मेरा लंड पहले ही खड़ा हो गया था जो कब से उसकी चूत मांग रहा था।

उसका हाथ जब मेरे हाथ में आया तो मेरा लंड मेरी पैंट को फाड़कर बाहर आने की कोशिश करने लगा।

मोहिनी भाभी ने मेरी पैंट के उभार को देख लिया जो अलग ही दिख रहा था और वह नीचे मुंह करके मुस्कराने लगी और बोली- चलिए अंदर चलकर चाय पी लीजिए।

मैं- आज नहीं, फिर कभी।
मोहिनी भाभी ने भी ज्यादा जोर नहीं दिया। वो शायद अपनी औपचारिकता पूरी कर रही हो मुझे ऐसा लगा।

मैं अपना रास्ता पकड़ कर अपने रूम में आया और जल्दी से बाथरूम में घुस गया और उसके नाम की मुठ मारकर लंड का पानी निकाल दिया।
जिससे मेरा लंड कुछ देर के लिए शांत हो गया।

मैं थका होने के कारण सो गया।
अगली सुबह 7 बजे तैयार होकर मैं अपना बैग लेकर सीढ़ियां उतर रहा था कि बाहर मुझे भाभी के पति यानि दिनेश भाई साहब मिले और उन्होंने मुझे देखा।

दिनेश- सचिन, इतनी सुबह सुबह बैग लेकर कहां जा रहे हो?
मैं- भाई साहब, कल होली है तो आज मैं अपने गांव निकल रहा हूं।

हमारी बात सुनकर भाभी अपने गेट पर आकर खड़ी हो गई और हमारी बातें सुनने लगी।
वह मुझे ही देख रही थी।

मैंने उसको मुझे देखते हुए देखा।
उसके देखने से मुझे ऐसा लग रहा था कहीं वह मुझसे कह रही हो कि मत जाओ, रुक जाओ मेरे लिए।

दिनेश भाई- हां, त्यौहार आ रहा है तो घर जाना तो बनता है। मगर शायद इस बार कोई होली ना खेले।

मैं- हां भाई साहब, कोरोना की वजह से पूरे देश का माहौल खराब हो गया है। चलिए मैं निकलता हूं। एडवांस में आपको हैप्पी होली विद फैमिली! मैंने भाभी की साइड देखा, वह भी मुझे देखकर मुस्करा दी।

दिनेश भाई- तुमको भी सचिन … और तुम्हारी फैमिली को भी हमारी तरफ से होली की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं।
मैंने अपना बैग पीठ पर टांगा और बाइक स्टार्ट करके अपने गांव के लिए निकल गया।

दोपहर 12:00 बजे तक मैं अपने गांव के घर में पहुंच गया; सभी परिवारवालों से मिला।
फिर मैं अपने गांव में घूमने निकल गया। मैं अपने कुछ दोस्तों से मिला।

उसके बाद फिर अपने घर आ गया।

घर आकर अपने रूम में आकर बैठा मगर कहीं मन नहीं लग रहा था।
रूम में अकेला होने के कारण मुझे बस उस दिन भाभी का नंगा शरीर ही आंखों के सामने दिखाई दे रहा था।

9 मार्च को पूरे गांव ने मिलकर गांव के बाहर होलिका दहन की और एक दूसरे को होली की बधाइयां दीं।

10 मार्च को दुल्हैंडी थी मगर किसी ने होली नहीं खेली।
इस बार की होली सबकी फीकी ही जा रही थी।
मेरा भी घर में एक पल भी मन नहीं लग रहा था।

मैं अपने मोबाइल पर पबजी खेलने लगा।

कुछ देर बाद मेरे मोबाइल पर एक कॉल आई।
मैंने रिसीव किया और हैलो बोला लेकिन वहां से कोई आवाज नहीं आई।

5 सेकंड बाद उस साइड से फोन डिस्कनेक्ट हो गया।

मैंने उस नंबर को कॉपी करके ट्रूकॉलर पर सर्च किया तो उसमें लिखा हुआ आया- नाम जानकर क्या करोगे।

तो मैंने फिर उस नंबर पर कॉल किया और हैलो बोला लेकिन वहां से कोई आवाज नहीं आई।
फिर वहां से फोन डिस्कनेक्ट हो गया।
मैंने दोबारा फिर कॉल किया मगर फिर उसने फोन नहीं उठाया।

उसके बाद मैंने उस नंबर को नजरअंदाज कर दिया और अपने मोबाइल में गेम खेलने लगा।

मगर मेरा मन कहीं नहीं लग रहा था।
बार-बार मुझे उस भाभी का ही नंगा जिस्म दिखाई दे रहा था।
कभी पैंटी में तो कभी पेटीकोट में, जैसा मैंने उसको देखा था।

बड़ी मुश्किल से मैंने दो-तीन दिन और गांव में निकाले।

फिर घरवालों से बोलकर मैं 14 मार्च को वापस भोपाल आ गया।
7:00 बजे जब मैं अपने फ्लैट पर पहुंच तो बाहर भैया और भाभी दोनों टहल रहे थे और मुझे देख कर बोले- सचिन इतनी जल्दी आ गए?

मैं बोला- क्या करूं भाई साहब, वहां पर मन ही नहीं लग रहा था और अपनी जॉब के कारण मुझे वापस आना पड़ा।
ये बोलकर मैं अपने रूम में गया और खाना बनाकर खाया।

फिर मूवी देखने लगा और सो गया।

दोस्तो, फिर वो दिन आया जिसको मैं कभी नहीं भूल सकता। इस दिन मैंने भाभी को चोदा था। यह दिन मेरी जिंदगी का सबसे यादगार दिन था और रहेगा।

यही वह दिन था जिस दिन वो हसीना, जो मेरी आंखों के सामने नंगी दिखाई देती रहती थी, पूरी नंगी होकर मेरा लंड अपनी चूत में लेकर मेरे लंड पर बैठी थी।

लोग अक्सर संडे को देर से सोकर उठते हैं और मैं भी सोकर देर से ही उठता, मगर न जाने क्यों उस दिन मेरी नींद जल्दी खुल गई।
शायद कुछ बड़ा होने वाला था मेरी लाइफ में।

7:30 बजे के आसपास मैं उठकर बालकनी में आकर बैठ गया; सोचा सुबह-सुबह भाभी के दर्शन हो जाएंगे।
संडे का दिन था तो मुझे जॉब पर जाना नहीं था।

तो सुबह सुबह भाभी के दर्शन भी हुए मगर उसने उस दिन सिर्फ पंजाबी सूट पहना हुआ था और उसका पति दिनेश सुबह-सुबह हमारे बिल्डिंग के बाहर खड़ी हुई कार में बैठकर कहीं जा रहा था।

मैं उनकी बातें सुन सकता था।
मेरे कानों में आवाज पड़ी कि भाभी पूछ रही थी- पिकनिक से कब तक लौटेंगे?
दिनेश- पता नहीं, मैं फोन कर दूंगा। अब लेट हो रहा हूं, निकल रहा हूं। तुम अपनी मां को फोन कर लेना. उनका कॉल मेरे फोन पर आ रहा है। बाय!

ये सब बातें मैंने सुन लीं लेकिन उन्होंने मुझे नहीं देखा।
मैं अंदर ही अंदर सोच रहा था कि आज तो कुछ भी हो जाए, भाभी से बात करके ही रहूंगा।
मगर कैसे चोदूं, यह कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

भाभी को अपने लंड के नीचे लेकर आने के लिए मैंने एक एक तरकीब निकाली।
मैंने सोचा कि भाभी अगर मेरा लंड देख ले तो शायद वह मुझसे चुद जाएगी।

दोस्तो क्योंकि जहां तक मैं जानता हूं अगर कोई औरत खड़ा लंड देख ले और हम उसे ऐसे दिखाएं कि हमने उसे लंड देखते हुए नहीं देखा तो वो पक्का से चुद जाएगी, इस बात का मुझे पूरा भरोसा था।

फिर मैं तुरंत अपने फ्लैट की सीढ़ियां उतरते हुए उनके दरवाजे पर पहुंचा और गेट खटखटाया।
मोहिनी भाभी गेट खोलते हुए बोली- अरे सचिन! तुम इतने सवेरे? कुछ काम था क्या?

मैं- भाभी चार्जर चाहिए आपका, मेरा वाला मिल नहीं रहा है।
मोहिनी भाभी- मगर सचिन, मेरा मोबाइल भी चार्ज पर लगा हुआ है, थोड़ी देर में ले जाना, मुझे अपनी मां को एक जरूरी कॉल करना है।

तो मैंने कहा- भाभी, मेरे मोबाइल की बैटरी डेड हो गई है और अर्जेंट कॉल करना है प्लीज आप देख लीजिए ना?
मोहिनी भाभी- रुको देखती हूं।

वह चार्जर में लगे हुए मोबाइल को देखते हुए बोली- सचिन मेरे मोबाइल की बैटरी 8 पर्सेंट चार्ज हो गई है, तुम ले जाओ। मगर मुझे 15 मिनट में दे देना, मुझे घर पर बात करनी है और इतनी सी बैटरी में ज्यादा देर बात नहीं हो पाएगी मेरी। तो तुम ध्यान से 15 मिनट बाद मुझे मोबाइल चार्जर दे देना।

यह कहते हुए उन्होंने अपना चार्जर मुझे दे दिया।
मैं- ठीक है भाभी, 15 मिनट बाद मैं आपको आपका चार्जर दे दूंगा।
तो चार्जर लेकर मैं अपने रूम में आ गया।

दोस्तो, मेरे फ्लैट के ऊपर भी एक फ्लैट बना हुआ था जो अभी खाली था। मैंने अपने फ्लैट में आकर मोबाइल फोन चार्ज होने के लिए लगा दिया।

जब 10 मिनट हो गए तो मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए।
मैं नंगा होकर घुटने मोड़कर अपने पलंग पर लेट गया और कानों में हेडफोन लगाकर अपने लंड को सहलाने लगा और और मसाज देने लगा।
साथ में मोबाइल में ब्लू फिल्म देखने लगा ताकि मेरा लंड जल्दी खड़ा हो जाए।

20 मिनट बीत जाने के बाद भी मैं उसे चार्जर देने के लिए नहीं गया तो मोहिनी भाभी अपना चार्जर लेने के लिए मेरे गेट पर आईं और दरवाजा खटखटाया।

मैंने उनकी आवाज को अनसुना कर दिया और अपने लंड को फिर से मसाज देने लगा।
ब्लू फिल्म देखने के कारण मेरा लंड वैसे भी तना खड़ा था।

फिर उन्होंने दोबारा आवाज लगाई- सचिन जी?
मैंने उनकी आवाज को अनसुना कर दिया।

गेट खुला होने के कारण वह बेझिझक अंदर हॉल में आईं। उनके आने की आवाज मैं पहचान गया क्योंकि उन्होंने पांव में पायल पहनी हुई थी।
हॉल में आकर भाभी ने मुझे फिर आवाज दी- सचिन जी?

मैंने फिर से आवाज को अनसुना कर दिया।

जब वह हॉल में आईं तो मैंने जानबूझकर सेक्सी आहें भरना शुरू कर दिया और जानबूझकर आधी आंखें बंद कर लीं।

फिर मैंने नजर बचाकर देखा तो वह धीरे से मेरे बेडरूम में झांक रही थीं और मेरे लंड को देख रही थीं।

मैंने जब यह देखा तो मेरे अंदर अलग ही आग सी लग गई।
मेरा लंड और बड़ा और मोटा लगने लगा।

अब मैंने बाजू में रखे हुए जैतून के तेल को अपने लंड पर डाला और मसाज देने लगा।
वह कुछ सेकेंड वहां पर खड़ी रही और फिर वापस लौट गई। फिर 5-10 सेकेंड बाद वापस गेट पर आ गई।

मैंने देखा कि वह फिर वापस आ गई है तो मैंने अपने हाथों की स्पीड बढ़ा दी और मुठ मारने लगा और जानबूझकर आवाजें करने लगा।
कुछ देर में मेरा लंड झड़ गया।

मैंने नजर बचाकर भाभी को देखा तो उसकी नजरें मेरे लंड पर टिकी हुई थीं।

जब मैं झड़ गया तो वह एकदम से भागती हुई नीचे चली गई।

जब भाभी मेरे रूम से चली गई तो मैंने सोचा कि जो मैंने प्लान बनाया था वह तीर तो निशाने पर लग गया है।
अब जो होना है वह सिर्फ मोहिनी भाभी की तरफ से होना है।

फिर मैं उठा, अपने आप को साफ किया और नहाया।

मैंने अपने कपड़े पहनकर उनका चार्जर निकाल कर हाथों में लिया और जानबूझकर कुछ तेल हल्का सा उसमें लगा दिया।
चार्जर लेकर मन में बोला- जिस काम के लिए मैं तुझे लेकर आया था, वह काम मेरा हो गया।

अब मैं चार्जर लेकर उनके गेट के पास पहुंचा और उनका गेट खटखटाया।
मोहिनी भाभी- कौन है?
मैं- मैं सचिन, आपका चार्जर वापस लाया हूं।
मोहिनी भाभी- रुको, अभी आती हूं।

उन्होंने गेट खोला तो मैंने उन्हें देखा। वो सलवार सूट पहने हुई थी। भाभी की सलवार कुछ अस्त-व्यस्त और पानी में भीगी हुई लग रही थी।
वो बोलीं- आइए, अंदर आकर बैठिए।

मैं अंदर आया, अपने हाथ में रखा हुआ चार्जर मैंने भाभी की ओर आगे बढ़ाकर उन्हें दिया तो उन्होंने अपना हाथ आगे बढ़ाकर चार्ज ले लिया।

जब मैंने चार्जर भाभी के हाथ में दिया तो मेरा हाथ उनके हाथ के अंगूठे के पीछे टच हो गया। जिसमें कुछ लसलसा सा पदार्थ लगा हुआ था।

इससे मैं तुरंत समझ गया कि भाभी ने मुझे मुट्ठी मारते हुए देख लिया था तो वह भी गर्म हो गई होंगी, और वह बाथरूम में अपनी चूत में उंगली कर रही होंगी।
शायद उनकी चूत से निकला पानी ही लगा था उनके हाथ में।

मैंने अपने अंगूठे मैं लगे हुए उस तरल पदार्थ को अपने अंगूठे और उंगली से मसलते हुए भाभी से पूछा- भाभी, यह क्या लगा हुआ है? आपके हाथ में लगा तरल पदार्थ मेरे हाथ में भी लग गया।

उसे लेकर मैंने अपनी नाक के पास ले जाकर सूंघा और आंखें बंद करके 5 सेकंड तक सूंघता रहा।
भाभी समझ गई थी कि मैं जान गया हूं कि वह तरल पदार्थ क्या है।

भाभी ने मेरी आंखों में आंखें डाल कर देखा और फिर शर्मा कर मुस्कराने लगी और अपनी बात पलटते हुए बोली- यह सब छोड़िए, आप उस दिन के बाद आज पहली बार मेरे घर पर आए हैं। आप बैठ जाइए, चाय पी कर जाइयेगा।

इससे पहले मैं कुछ बोलता वह किचन में चली गई और चाय बनाने लगी।
मैं वहीं सोफे पर बैठ गया।

भाभी दो कप चाय लेकर आई और एक मुझे दे दी।

एक कप अपने हाथ में लेकर भाभी मेरे सामने बैठ गई।

मैंने कहा- भाभी नाश्ते में कुछ नहीं है क्या?
मोहिनी भाभी- नाश्ते में मीठा और नमकीन है। मैं लाना भूल गई। बताइए क्या खाना पसंद करेंगे मीठा या नमकीन?
मैं- मुझे तो कचौड़ी खाने का मन कर रहा है, वह भी दो कचौरियां।

भाभी- अब इतनी सवेरे मैं कचौड़ी कहां से लाऊं?
मैं- क्यों झूठ बोल रही हो भाभी, आपके पास कचौड़ी हैं और वह भी दो फूली हुई कचौड़ियां।
उसके बूब्स देखते हुए मैंने बोला तो भाभी मेरी बात का अर्थ समझ गई।

मोहिनी भाभी- नॉटी हो तुम तो! 15 मिनट बोल कर गए थे कि चार्जर में वापस दे दूंगा, मगर पूरे आधे घंटे बाद चार्जर लेकर वापस आए हो।
मैं- वो बस भाभी … थोड़ा बिजी हो गया था और पता ही नहीं चला कब टाइम निकल गया। आप मुझे कॉल कर देतीं? मैं अपना नंबर आपको देकर तो गया था!

भाभी- अरे बाबा, मेरा मोबाइल डेड पड़ा है।
मैं- ओ हां, मैं भूल ही गया यह बात तो!

मोहिनी भाभी- सचिन, तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैं- थी … मगर कुछ महीने पहले उसकी शादी हो गई। तो अब मैं अकेला हो गया। मगर ऐसा क्यों पूछा आपने?

मैं उनकी बात समझ गया था।
मोहिनी भाभी- मैंने देखा कि तुम 15 मिनट बोलकर गए हो, फिर भी 20 मिनट हो गए तुम नहीं आए तो मैं तुम्हारे रूम पर आई थी। मगर तुम कहीं बिजी थे।
तुम्हारा गेट खुला हुआ था तो मैं अंदर आ गई हॉल में, फिर जब हॉल में आई तो मुझे कुछ अजीब आवाज सुनाई दी। जाकर जब देखा तो तुम किसी के साथ खेल रहे थे। फिर मैं देखकर वापस आ गई।

मैं- वैसे भाभी, आप वहां कितनी देर रुकीं थीं?

मोहिनी भाभी- जब मैंने तुम्हें न्यूड पहली बार देखा तो मैं एकदम से डर गई। फिर वापस हॉल में आकर रुक गई और 5 सेकंड तक अपनी सांस को रोका। फिर ना जाने क्यों मेरे कदम वापस उसी जगह आकर खड़े हो गए और तुम्हें अपना ‘वो’ हिलाते हुए देखने लगी। जब तक तुमने अपना पूरा स्पर्म बाहर नहीं निकाल दिया मैं वहीं खड़ी रही।

भाभी के मुंह से मेरे मुठ मारने की बात सुनकर तो मेरे लंड में फिर से तनाव आने लगा।
जबकि मैं कुछ देर पहले ही माल निकालकर आया था।

मेरा लंड खड़ा होने लगा और भाभी की नजर भी मेरी पैंट की ओर जाने लगी।

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देसी भाभी रोमांस स्टोरी का अगला भाग: भाभी जी की दो कचौड़ियां- 3

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