मकान मालिक की पुत्रवधू की चुदाई- 2

(Hindi Antarvasana Chudai Kahani)

हिंदी अन्तर्वासाना चुदाई कहानी में मेरे मकान मालिक के बेटे की पत्नी मेरे साथ अपनी सेक्स की आग बुझाने के लिए आतुर थी. हमें मौके की तलाश थी. एक दिन मौक़ा मिला तो मैंने उसे पेल दिया.

फ्रेंड्स, मैं डेविल एक बार पुनः अपनी सेक्स कहानी के अगले भाग के साथ हाजिर हूँ.

कहानी के पहले भाग
मालिक मकान की बहू की अकेली जवानी
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि मैं मकान मालिक की बहू तनु भाभी को चोदने के लिए उनके घर में आ गया था और उन्हें अपने सामने देख कर एकदम से ठिठक गया.

अब आगे Hindi Antarvasana Chudai कहानी:

भाभी ने आज ब्लू कलर की साड़ी पहनी थी जो उनके शरीर से पूरी तरह चिपकी हुई थी.
उसमें से उनकी गांड का शेप भी साफ दिख रहा था.
ब्लाउज़ भी डीप नेक और स्लीवलेस था, जिसमें से भाभी का क्लीवेज बहुत प्यारा लग रहा था.

मैं तो जैसे उनको देखकर खो सा गया था!
भाभी मेरे पास आईं और चुटकी बजाकर मुझे होश में लाईं.

जब मैंने उन्हें पास से देखा, तो उन्होंने लाइट पिंक कलर की लिपस्टिक लगाई थी, जिससे उनके होंठ और भी प्यारे लग रहे थे.
मैंने उनकी कमर पकड़कर अपनी तरफ खींचा, जिससे वे मेरे सीने से आ लगीं.

फिर मैंने उनके माथे को चूमा और धीरे-धीरे उनकी आंखों को चूमते हुए मेरे हाथ भाभी की पीठ की तरफ बढ़े.

मैंने पाया कि भाभी के ब्लाउज़ में पीछे सिर्फ एक चौड़ी सी पट्टी थी, जो उनकी ब्रा की स्ट्रैप को कवर कर रही थी.

मेरे लंड ने भी हरकत शुरू कर दी थी.
अब मैं धीरे-धीरे भाभी के होंठों की तरफ बढ़ रहा था.

जैसे ही मेरे होंठ भाभी के होंठों के पास पहुंचे, उनकी गर्म-गर्म सांसों को महसूस करने लगा.

जैसे ही मैंने तनु भाभी के होंठों को हल्का सा किस किया, वे सिहर सी गईं और उन्होंने अपनी आंखें बंद करके मुझे मूक आमंत्रण दे दिया.

फिर मैंने भाभी के होंठों को धीरे-धीरे किस करना शुरू किया.

कुछ देर बाद मैंने भाभी के ऊपरी होंठ को अपने दोनों होंठों के बीच लेकर चूसना शुरू कर दिया.

भाभी के होंठ इतने मुलायम और रसीले थे कि उन्हें छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था.

दस मिनट तक इस होंठों की चुसाई से भाभी को थोड़ा सांस लेने में तकलीफ हुई.
उन्होंने मुझे हल्के हाथों से धकेलते हुए इशारा किया, तो मैंने उन्हें छोड़ दिया.

तब तनु भाभी बोलीं- चलो पहले कुछ खा लो, मुझे भी भूख लग रही है. मैं तो वैसे भी आज सारी रात तुम्हारे पास रहूँगी.

मुझे भी भूख लग रही थी, तो मैंने सोचा कि हां चलो पहले कुछ हल्का सा खा लेते हैं, फिर उसके बाद करते हैं चुदाई.

भाभी मेरे आगे-आगे चलने लगीं, तो मैं भी उनकी मटकती हुई गांड को देखकर चलने लगा.
जब मैंने भाभी की मटकती हुई गांड को देखा, तो मेरे लंड ने सलामी दे दी.

मैंने मन ही मन अपने लंड को सहलाते हुए कहा कि बेटा थोड़ा इंतज़ार और कर ले, आज तुझे ये चुत मिलने वाली है.

इतने में भाभी पीछे मुड़ीं और मुझे लंड सहलाते देखकर मुस्कुरा दीं.

फिर वे बोलीं- तुम बैठो, मैं डिनर लेकर आती हूँ.
मैं उन्हें किचन में जाते हुए देखने लगा.

भाभी डिनर लेकर आईं और मुझे खाना परोसने लगीं.
जब वे खाना परोस रही थीं, तो बार-बार उनका पल्लू सरका जा रहा था, जिसे देखकर हम दोनों एक-दूसरे को मुस्कुरा रहे थे.

फिर मैंने उन्हें खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया और हम दोनों एक-दूसरे को खाना खिलाने लगे.

जब भाभी मेरी गोद में बैठीं, तो उनकी मक्खन सी गांड के अहसास से मेरा लंड उछलने लगा.

भाभी ने भी इसे महसूस किया और अपनी गांड को मेरे लंड पर दबाती हुई बोलीं- ये बहुत शैतानी कर रहा है!
वे मुस्कुराने लगीं.

फिर हम दोनों ने ऐसी ही मस्ती करते हुए डिनर खत्म किया.
भाभी मेरी गोद से उठकर बर्तन लेकर किचन में मटकती हुई चलने लगीं.

वे मेरी तरफ देख कर मुस्कुराती हुई बोलीं- तुम बेडरूम में चलो, मैं आती हूँ.

उनकी बात सुनकर मैं बेडरूम में गया, तो देखा कि बेडरूम में नीला बल्ब जल रहा था और गुलाब की खुशबू आ रही थी.
बेड के पास रखे टेबल पर ड्राई फ्रूट्स और चॉकलेट्स रखे थे.

मुझे सुहागरात वाली फीलिंग आई.

करीब 15 मिनट इंतज़ार करने के बाद भी भाभी नहीं आईं, तो मैंने सोचा कि जाकर देखता हूँ कि वे क्या कर रही हैं.
जैसे ही मैं किचन में पहुंचा, उन्होंने मुझे इशारे से चुप रहने को कहा.

फिर उन्होंने मुझे मोबाइल दिखाया, तो मैं समझ गया कि वे अपने पति से बात कर रही थीं.

मैं इशारे से बोलकर वापस बेडरूम में आ गया और टॉयलेट चला गया क्योंकि लंड काफी देर से खड़ा था.

मैंने सोचा कि एक बार मूत लूँ, तो लंड को थोड़ा आराम मिलेगा.

भाभी दस मिनट बाद केसर और मलाई वाला एक ग्लास दूध लेकर आईं और मुझे पीने को दिया.

जैसे ही वह वापस मुड़कर जाने लगीं, मैंने पूछा- कहां जा रही हो?

इस पर भाभी मुस्कुराईं और अपनी गांड मटकाती हुई दरवाजे के पास आ गईं.
दरवाजा बंद करके वे मेरे पास आईं और बोलीं- अब कहीं नहीं जा रही हूँ बेबी!

फिर मैंने उन्हें बचा हुआ दूध पीने को दिया.
उन्होंने बड़ी ही अदा से दूध पिया.

मैंने गौर किया कि उनके होंठों पर हल्का-सा दूध लगा था.
इसे देखकर मैं उनके होंठों पर टूट पड़ा और भाभी भी मेरा साथ देने लगीं.

पहले मैं तनु भाभी के निचले होंठ को चूसने लगा और उनकी पीठ पर हाथ फेरने लगा.

धीरे-धीरे मैंने उनकी जीभ से अपनी जीभ को लड़ाना शुरू किया और उनकी जीभ को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.

इससे भाभी मचलने लगीं और मेरे सिर के बालों को सहलाने लगीं.

मेरे हाथ भी अपना रास्ता बदलने लगे और धीरे-धीरे भाभी की चूचियों को ब्लाउज़ के ऊपर से ही दबाने और सहलाने लगे, जिससे भाभी और ज्यादा मचलने लगीं.
करीब 15 मिनट की होंठों की ज़बरदस्त चुसाई के बाद मैंने उनके कान की लौ को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया.

इससे भाभी के मुँह से ‘सीईई …’ की सिसकारियां निकलने लगीं.

जैसे-जैसे मैं उनकी गर्दन के पास चूमते हुए और जीभ से चाटते हुए नीचे बढ़ रहा था, वैसे-वैसे भाभी मेरे सिर के बालों को सहलाती हुई मुझे नीचे की तरफ धकेल रही थीं.

जब मैं भाभी के क्लीवेज के पास अपनी जीभ घुमा रहा था, तो उन्होंने मेरे सिर को अपनी चूचियों में कसकर दबा लिया.

मैंने सोच लिया कि अब भाभी के कपड़े उतारने का समय आ गया है.
मैं उनसे हट गया, तो भाभी मेरी तरफ प्रश्नवाचक निगाहों से देखने लगीं.

मैंने उनकी साड़ी खींची, तो वे समझ गईं और बेड से उतर कर अपने कपड़े उतारने में मेरा साथ देने लगीं.

दोस्तो, मैंने उनकी साड़ी पेटीकोट और ब्लाउज़ को उतार कर ज़मीन पर फेंक दिया.
सामने देखा तो भाभी ने लाल रंग की ब्रा और पैंटी पहनी थी, जिसमें वह गज़ब की माल लग रही थीं.

उनका कसा हुआ, सांचे में ढला हुस्न देखकर मैं अपना आपा खोने लगा.
वे मुझे ऐसे घूरते हुए देखकर शर्मा गईं और मेरे सीने से लगकर खुद को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगीं.

इस कोशिश में मेरा लंड उनके पेट से टकराने लगा.
फिर उन्होंने मेरा लोअर और टी-शर्ट उतार दिया.

मैं उन्हें बेड पर लेकर लेट गया और उनकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही चूसने लगा.
इससे भाभी मचलने लगीं और अपना सिर इधर-उधर झटकने लगीं.

मैंने उनकी चूचियों को छोड़कर उनके पेट को चूमना शुरू किया और चूमते-चूमते उनकी नाभि तक पहुंच गया.

जैसे ही मैंने उनकी नाभि में जीभ घुमाई, भाभी ने ज़ोर की सिसकारी ली- सीईई …
वे अपना सिर इधर-उधर करती हुई चादर को खींचने लगीं.

मैं भी मस्ती में उनकी नाभि को चूसने में लगा रहा और जीभ को नाभि में अन्दर डाल-डालकर चूसता रहा.

अब मैं भाभी की नाभि से हटकर उनके पेट को चूमते हुए नीचे की तरफ बढ़ने लगा.

जैसे ही मैंने उनकी चूत को पैंटी के ऊपर से चूमा, तो एक सुगंधित खुशबू आई और पैंटी का चूत वाला हिस्सा गीला-गीला सा महसूस हुआ.

मैंने अपने होंठों को भाभी की पैंटी के ऊपर चूत वाले हिस्से पर रगड़ा और उनकी दोनों जांघों को बारी-बारी से चूमते और चाटते हुए नीचे बढ़ने लगा.
फिर भाभी के पैरों की उंगलियों को बारी-बारी से मुँह में लेकर चूसने लगा.

भाभी तो चुदास के कारण तड़प रही थीं. इसलिए मैंने देर न करते हुए पहले उनकी ब्रा उतारी और उनके निप्पलों को मुँह में लेकर बारी-बारी से चूसने लगा.

भाभी बस मेरा सिर अपनी चूचियों में दबाए जा रही थीं और सिसकती हुई बोल रही थीं- आहह … मेरे राजा चूस डालो आज इनको … कब से ये तुम्हारे होंठों के लिए तरस रहे थे आहह … आहह … हां ऐसे ही चूसो, निचोड़ लो सारा रस मेरी चूचियों से!

मैंने बारी-बारी से भाभी की दोनों रसीली चूचियों को खूब चूसा. बीच-बीच में उनकी घुंडियों को भी मैं अपने दांतों से हल्के से काट लेता.
तब भाभी जोर से चिल्ला उठतीं- आआ मर गई साले काट मत आह.

अब बारी थी भाभी की चूत के दर्शन करने की, उसको प्यार करने और चोदने की!

मैं धीरे से भाभी की पैंटी को अपने दांतों से पकड़कर नीचे करने लगा.

जैसे-जैसे मैं भाभी की पैंटी को उतारता गया, भाभी अपने हाथों से अपनी चूत को ढकने की कोशिश करती रहीं.

मैंने भाभी की पैंटी को निकाल कर सूँघा. भाभी की चूत की खुशबू सूँघते ही मेरे लंड में एक अजीब-सा तनाव आ गया.

फिर मैंने भाभी की पैंटी को साइड में रखा और उनकी चूत को देखने की कोशिश करने लगा.
लेकिन भाभी अपने दोनों पैरों को चिपकाए और एक हाथ से अपनी चूत छुपाए हुई थीं.

मैंने भाभी के पैरों को चूमते हुए उन्हें अलग करना शुरू किया.
जैसे-जैसे मैं उनके पैरों को चूमते हुए ऊपर की तरफ बढ़ रहा था, वैसे-वैसे उनके पैर खुलते गए.

जैसे ही मैं उनकी चूत के पास पहुंचा, भाभी ने खुद-ब-खुद अपने हाथ हटा लिए और मुझे अपनी चूत के दर्शन कराए.
भाभी की चूत के बाहरी होंठ हल्के भूरे रंग के और अन्दर के होंठ गुलाबी रंगत लिए हुए थे.

भाभी की चूत एकदम चिकनी थी, मानो आज ही साफ की हो.

मैंने आंखों के इशारे से पूछा- आज ही चिकनी की है चूत?
उन्होंने हां में सिर हिलाकर सहमति दी.

अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैंने भाभी की चूत पर अपने होंठ लगा दिए.

मेरे होंठ लगते ही भाभी ने बड़ी जोर से सिसकारी भरी- सीईई मर गई … आह!

बस वे मेरे सिर को अपनी चूत में दबाने लगीं.

मैं भी उनकी चूत को अपने होंठों में दबाकर चूसने लगा.
बीच बीच में मैं उनके दाने को भी अपने होंठों के बीच लेकर जोर से चूसता था.

तब भाभी पूरी तरह मचल जातीं- आआह ईईई … चूसो मेरी इस कमीनी चूत को … ये निगोड़ी मुझे सोने भी नहीं देती … आज इसे खा जाओ मेरी जान!

मैं अपनी जीभ को नुकीली करके भाभी की चूत में जितना अन्दर जा सकती थी, उतना डाल देता और जीभ को चूत के अन्दर ही हिलाने लगता.
जिससे भाभी को चुदास चढ़ जाती और वे अपनी गांड हिलाने लगतीं.

भाभी की चूत को चूसते हुए कुछ ही मिनट हुए होंगे कि भाभी एकाएक अकड़ने लगीं और ‘ऊऊऊंऊं मां अआ मर गई आह …’ कहती हुई वे मेरे मुँह में झड़ने लगीं.

मैंने उनकी चूत का सारा रस चाट लिया, एक बूँद भी नहीं गिरने दी.
उनका नमकीन रस चाटने में बहुत अच्छा लगा.

जब भाभी पूरी तरह झड़ गईं, तो सुस्त पड़ने लगीं.
मैं उनकी चूत से हटा और उनके होंठों पर चूमते हुए उनके बगल में लेट गया, उन्हें सहलाने लगा.

जब उन्हें थोड़ा आराम मिला, तो अब उन्होंने बागडोर अपने हाथों में ले ली और मेरी चड्डी उतार कर मुझे नंगा कर दिया.

जैसे ही उन्होंने मेरी चड्डी उतारी, मेरा लंड उनकी ठोड़ी से जा टकराया और उनके मुँह को छू गया.

भाभी ने मेरे लंड को छुआ और बोलीं- वाओ! बहुत मस्त लंड है … क्यों इतने दिनों तक तड़पाया मुझे? आज मैं तुम्हें पूरा खा जाऊंगी!

भाभी ने मेरे लंड के टोपे पर पहले जीभ की नोक हल्की-हल्की सी घुमाई और उसेक बाद जीभ से लंड के सुपारे को चाटने लगीं.

दोस्तो, मैं उस पल को बयां नहीं कर सकता कि मैं किस जन्नत की सैर कर रहा था!
ऐसा लग रहा था मानो मैं सातवें आसमान में सैर कर रहा हूँ.

फिर भाभी ने मेरे लंड को ऊपर से लेकर नीचे तक जीभ से चाटा और धीरे-धीरे अपने मुँह में लेने की कोशिश करने लगीं.

लेकिन भाभी के मुँह में लंड ठीक से नहीं जा पा रहा था, तो जितना हो सका … उतना मुँह में लेकर चूसने लगीं.

बीच-बीच में वे पूरे लंड को चाटतीं और मेरी गोटियों को भी मुँह भरकर चूसतीं-चाटतीं.
जब भी भाभी मुँह में लंड लेतीं, मैं उनके बाल पकड़ कर उनके मुँह को चोदने लगता.

वे मेरी गांड थामकर पूरा लंड लेने की कोशिश करतीं और उनके मुँह से ‘गों गों’ की आवाज़ निकलती.

बीच-बीच में मैं अपना लंड उनके मुँह से निकाल कर उनके गालों पर मारने लगता.

अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए थे.
मैं भाभी की चूत चूस रहा था और भाभी मेरे लंड से खेल रही थीं.

अब भाभी की चूत फिर से तैयार हो गई थी.
भाभी मुझसे मिननतें करने लगीं- प्लीज़, मेरी चूत में अपना ये मूसल जैसा लंड डाल दो … मैं अब और बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूँ … मुझे लंड चाहिए … अब जल्दी से डालो … मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ … बाद में चूस लेना मेरी चूत को!

मैंने उनकी जरूरत और वक्त की नजाकत को समझा, उन्हें बेड पर लिटा दिया, उनकी गांड के नीचे दो तकिए रख दिए जिससे उनकी चूत ऊपर की तरफ उभर आई.

अब मैंने अपने लंड पर कंडोम चढ़ाया और भाभी की चूत पर पहले हल्का-सा रगड़ा.

फिर भाभी की चूत के छेद पर सैट करके एक धक्का लगाया, जिससे मेरे लंड का सुपारा उनकी चूत में फंस गया.
भाभी हल्की-सी कराह उठीं- आहह्ह!

मैंने फिर से एक जोरदार धक्का मारा, जिससे मेरा लंड आधा घुस गया.

चूंकि भाभी की चूत काफी समय से नहीं चुदी थी, तो वह थोड़ी टाइट हो गई थी.
मेरे लंड के घुसते ही भाभी चीख पड़ीं- ईईईई मर गई आह …

उनकी चीख सुनकर मेरे अन्दर और जोश आ गया.

मैंने लंड को हल्का-सा बाहर खींचकर एक और जोरदार धक्का मारा, जिससे मेरा पूरा लंड भाभी की चूत में समा गया.

भाभी की और जोरदार चीख निकल पड़ी- आआह आह … मर गई आह!

उनकी आंखों से आंसू आ गए.
मैंने अपने आपको रोका और उनके होंठों को चूमने लगा, साथ ही उनकी चूचियों को चूसने लगा.

इससे भाभी को दर्द में थोड़ा आराम मिल गया.
कुछ मिनट बाद ही भाभी ने अपनी गांड को ऊपर-नीचे हिलाकर मुझे इसका इशारा दे दिया.

भाभी की गांड के हिलने की वजह से मैं समझ गया कि अब भाभी को चोदना शुरू करना चाहिए.

मैंने भाभी की एक टांग को अपने कंधे पर रखा और दूसरी को बिस्तर पर ही रहने दिया, फिर धीरे-धीरे धक्के मारने लगा.

भाभी को हल्का दर्द के साथ मज़ा भी आ रहा था.
वे ‘आह … आह …’ जैसी आवाज़ें निकाल रही थीं.

फिर मैंने भाभी की दोनों टांगों को अपने कंधों पर रखा और उनके दोनों हाथों को क्रॉस में एक हाथ से पकड़ लिया.
दूसरे हाथ से उनकी चूचियों को सहलाते हुए कभी तेज़-तेज़ तो कभी धीरे-धीरे उनकी चूत में लंड पेलने लगा.

भाभी भी इस चुदाई का आनन्द लेने लगीं और ‘आहह आहह्ह्ह और तेज़ चोदो मेरी जान!’ जैसी आवाज़ें निकालने लगीं.
कुछ पल बाद मैंने पोज़ीशन बदली और भाभी को बिना लंड निकाले अपने ऊपर ले लिया.

मैंने कहा- चलो भाभी, अब तुम्हारी बारी है!
भाभी ने मेरे दोनों हाथों को अपनी कमर से हटाकर अपनी चूचियों पर रख दिया और अपने हाथों को मेरे सीने पर रखकर मेरे लंड पर कूदने लगीं.

मैं तो जैसे जन्नत की सैर कर रहा था.

कुछ मिनट बाद मैंने भाभी की कमर पकड़ कर नीचे से ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी, जिससे कमरे में ‘तप्प प्प्पा! ताप-ताप-ताप! की आवाज़ें और भाभी की चीखें ‘आआह … आआ आह …’ गूंजने लगीं.

कुछ देर इस पोज़ीशन में चोदने के बाद मैंने भाभी से कहा- घोड़ी बन जाओ.
भाभी तुरंत घोड़ी बन गईं.

उनकी गांड की गोलाई देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उनकी गांड पर 8-10 तमाचे जड़ दिए ‘चट्ट चट्ट.’
भाभी ‘आह्ह्ह आहह …’ करने लगीं.

अब मैंने भाभी की चूत में पीछे से लंड सैट किया और उनकी गांड की गोलाइयों को पकड़ कर एक ही झटके में लंड उनकी चूत में डाल दिया.
भाभी का दो बार पानी निकल चुका था, जिससे उनकी चूत चिकनी हो गई थी और लंड आसानी से अन्दर-बाहर होने लगा.

मैंने भाभी के लंबे बालों को एक हाथ से पकड़ा और उनकी चूत में लंड पेलने लगा.
भाभी भी अपनी चूत को आगे-पीछे करके मुझसे चुदने लगीं और बोलने लगीं- हां मेरे राजा … आह ऐसे ही तेज़-तेज़ चोदो मुझे आज … मेरी चूत का भर्ता बना दो … साली बहुत तंग करती है मुझे … आहहह आआह ईई … स्स्स्स्स् … हां ऐसे ही चोदो मेरे राजा!’

मैंने भाभी को चोदते हुए उनकी गांड पर तमाचे मार-मार कर उसे लाल कर दिया.

लगभग 20 मिनट की इस ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मेरा निकलने वाला था.
मैंने भाभी को सीधा लिटाया और उनकी चूत में एक ही झटके में लंड पेल दिया.

भाभी ‘स्स्स्स्स्सी ईईईई!’ करके रह गईं.

मैं भाभी को दे दनादन चोदने लगा और उनकी चूत के दाने को रगड़ने लगा.
जिससे भाभी जल्दी ही झड़ गईं.

उनके झड़ने के बाद कुछ तेज धक्के लगाने से मेरा भी निकलने वाला था.
मैंने भाभी से कहा- मेरा आने वाला है!

भाभी बोलीं- मेरे मुँह में झड़ना … मुझे तुम्हारे लंड के रस का स्वाद चखना है!
मैंने झट से अपना लंड भाभी की चूत से निकाला और कंडोम हटा कर लंड उनके मुँह में दे दिया.

भाभी ने जीभ मेरे लंड के टोपे पर घुमाई और मेरे लंड ने उनके मुँह में उलटी शुरू कर दी.
ढेर सारा गाढ़ा वीर्य उनके मुँह में चला गया.

भाभी ने मेरे वीर्य की एक-एक बूंद पी ली और चाट-चाट कर पूरे लंड को साफ कर दिया.

फिर वे मेरे सीने पर सिर रखकर लेट गईं और मेरे लंड से खेलते हुए इस धमाकेदार चुदाई के लिए धन्यवाद कहने लगीं.

मैं कभी उनकी पीठ सहलाता, कभी उनकी चूचियां दबाता, कभी उनकी चूत सहलाता, तो कभी उनकी गांड पर तमाचे मारता.

इस तरह मेरी और तनु भाभी की पहली चुदाई हुई.

उम्मीद है कि आप लोगों को यह सेक्स कहानी पसंद आई होगी.
आप अपनी राय मुझे बताएं, जिससे मैं अपनी और तनु भाभी की आगे की चुदाई की कहानी आप सब तक पहुंचा सकूँ.

Hindi Antarvasana Chudai कहानी पर आप अपनी राय मुझे ईमेल पर भेज सकते हैं.
धन्यवाद.
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