प्यासी पड़ोसन आंटी का सेक्स की तड़प- 1

(Hot Desi Aunty Sex Kahani)

हॉट देसी आंटी सेक्स कहानी मेरे किराए के कमरे के बगल में ही एक आंटी जॉब में ट्रान्सफर के बाद किराए पर आई. उनसे मेरी दोस्ती हो गयी क्योंकि उस फ्लोर पर हम दोनों ही थे.

नमस्कार दोस्तो, मैं विक्की एक बार फिर से आपका स्वागत करता हूं.

मेरी पिछली कहानी
मां के बाद बेटी की सीलतोड़ चूत चुदाई
को पढ़ने के लिए और उस पर ढेर सारी ईमेल करने के लिए मैं सभी पाठकों को शुक्रिया अदा करना चाहता हूं.

खासकर बहुत सारी पाठिकाओं ने मुझसे मिलने की ख्वाहिश से संपर्क किया.
तो सबसे तो मिल पाना संभव नहीं है … बस जिससे अच्छा लगा, मैं उनसे मिला भी.

दूसरी बात हमारे सभी पाठक गण कहानी पढ़ने के बाद चुदाई की कहानी की महिला पात्र का पता मांगने की कोशिश करते हैं.
तो मैं सभी दोस्तों को बताना चाहता हूं कि मैं किसी भी कीमत पर किसी की भी पहचान या उनके पता फ़ोन आदि के बारे में कुछ भी नहीं बता सकता हूँ.

मैं पुनः कह रहा हूं कि कोई मुझ पर विश्वास करता है तो मैं किसी के विश्वास को नहीं तोड़ सकता हूँ.

जो पाठक मुझसे अभी जुड़े हैं उनके लिए बताना चाहता हूं कि मैं बिहार में रहता हूं.

मैं बिहार के जिस शहर में रहता हूं, उधर एक बड़ा सा भवन बना हुआ है.
उस भवन में बहुत से लोग किराए पर रहते हैं.

यह हॉट देसी आंटी सेक्स कहानी वहीं की है.

उधर एक मैडम भी रहती हैं और अलग से बने हुए कमरों में कुछ लड़के भी रहते हैं.

वहीं मैं एक अकेला एक कमरे में रहता हूं.
मेरे ही फ्लोर पर वे मैडम या आंटी जो भी आपको ठीक लगे, वह कहें … रहती हैं.
उनकी उम्र करीब 50 साल से ऊपर की रही होगी.

उनका फ्लैट दो रूम का था.
वे कहीं किसी सरकारी विभाग में उच्च पद पर नौकरी करती थीं.

आंटी का कुछ ही दिन पहले ट्रांसफर हुआ था.
उनके बच्चे बड़े-बड़े थे.
अंकल भी जॉब करते थे, पर वे किसी दूसरे शहर में रहते थे.

आंटी का स्थाई आवास दूसरे शहर में था.

वे आंटी देखने में ना ज्यादा मोटी थीं, ना ज्यादा पतली … क्योंकि जब सेक्स नहीं होता है, तो खासकर ऐसी औरतें कुछ मोटी होने लगती हैं.

हालांकि आंटी मोटी नहीं थीं.
उस वक्त उनका वजन 55 किलो के आस पास का रहा होगा.
वे अपने आप को मेंटेन करने की कोशिश करती थीं.
उनका कद 5 फुट के आस-पास ही था.

आंटी का नाम रीता था.
उन्होंने चूंकि दो रूम का फ्लैट लिया हुआ था क्योंकि कभी-कभी उनके बच्चे या अंकल मिलने आते थे.

वे लोग एक या दो दिन रुकते थे फिर चले जाते थे.
कभी-कभी आंटी भी अपने शहर चली जाती थीं जब उन्हें दो दिन से अधिक की छुट्टी मिलती थी.

हम दोनों के आवास एक ही फ्लोर पर थे तो धीरे-धीरे मेरी उनसे जान पहचान हो गई.
फिर धीरे-धीरे बातें भी ज्यादा होने लगीं.

आंटी से बातें होने का एक कारण यह भी था कि जब वे अपने ऑफिस से वापस आती थीं तो उनके पास बात करने को कोई नहीं होता था.
फोन पर भी कितना बात करतीं!

मैं उनके बगल में ही रहता था तो वे मुझे टोक दिया करती थीं.

मुझे भी उनसे बातें करने में अच्छा लगता था.
आंटी थोड़ी मॉडर्न ख्याल की थीं.
उनसे बातें करने में अच्छा लगता था.

कभी-कभी वे मेरा खाना भी बना देती थीं.
मैं भी उनका छोटा-मोटा काम कर देता था.

फिर जैसे-जैसे बातें ज्यादा होने लगीं तो मुझे भी उनके साथ बात करना अच्छा लगने लगा.

अब होने यह लगा था कि अक्सर वे मेरे लिए खाना बना देने लगी थीं.
वे कहती थीं कि अकेले का खाना बनाने में मन नहीं लगता है विक्की, मैं तुम्हारा भी खाना बना देती हूं. दो आदमी का खाना बनाने में मन लग जाता है.

उनके ऐसा करने से मेरा खाना बनाने का टाइम बच जाता था.

जब आंटी मेरा खाना बनाने लगी थीं तो मैं भी उनके फ्लैट में चला जाता और उनसे बातें करता रहता था.

बातें करने में कभी-कभी वे दो अर्थ वाली बातें भी करती थीं तो मैं समझ जाता था कि आंटी बिंदास किस्म की हैं.
जैसे वे कभी हंस कर पूछ लेती थीं कि जिंदगी में कभी गंगा स्नान किया है कि नहीं?

मैं उनकी बात को समझ कर शर्मा जाता था.
वे भी समझ जाती थीं.

धीरे-धीरे हम दोनों के बीच यह मजाक और बढ़ने लगा.

फिर एक दिन आंटी ने पूछा- कोई गर्लफ्रेंड है कि नहीं?
मैंने झूठ बोल दिया कि नहीं कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.

उन्होंने कहा- मुझे तो ऐसा नहीं लगता है! अच्छा मुझे नहीं बताना चाहते हो, तो कोई बात नहीं … लेकिन मुझे पूरा विश्वास है तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड जरूर होगी.
मैं भी उनसे बात करते हुए हंस देता.

जब कभी यह होता कि उनको ऑफिस से आने में लेट हो जाता, तो वे सब्जी वगैरह लाने के लिए भी मुझसे कह देतीं और कुछ अपना दूसरा सामान आदि मँगवाने के लिए मुझे पैसे ऑनलाइन भेज देतीं. मैं उनके लिए सामान लाने चला जाता.

इसी तरह हमारे दिन गुजर रहे थे.
अब धीरे-धीरे में रात में भी उनके पास समय बिताने लगा था.

मैं देर रात तक आंटी से बातें करता रहता.
उन्हें भी अच्छा लगता.

धीरे-धीरे मैं उनके प्रति आकर्षित हो गया.
उनको भी मुझसे बातें करना अच्छा लगता था.

अब हम दोनों की संगत सिर्फ बातों तक सीमित नहीं रहती थी. कभी-कभी बातों बातों में ही आंटी मुझे छू भी लेती थीं.

इसी तरह 6 महीने गुजर गए.

उसके बाद तो ऐसा हो गया कि मैं सिर्फ सोने के लिए अपने रूम में आता.
उनका भी मेरे बगैर मन नहीं लगता था.

फिर एक दिन ऐसा हुआ कि वे ऑफिस से आईं.
तो मैंने उनसे उनका हाल समाचार पूछा.

उन्होंने कहा कि आज बहुत थक गई हूं और आज मेरे बदन में बहुत दर्द कर रहा है. मेरे पैर टूट से रहे हैं और काम भी बहुत ज्यादा था तो मेरे सर में भी दर्द कर रहा है.

मैंने कहा- मैं कुछ मदद कर दूं?
तो उन्होंने सकुचाते हुए कहा कि अरे नहीं रहने दो.

मैंने कहा- अरे आप मेरे लिए इतना करती हैं, अब मुझे मौका मिला है तो मुझे भी तो करने दीजिए!
तो उन्होंने कहा- अच्छा जी, ऐसा लगता तो नहीं है कि तुम बहुत कुछ कर ही लोगे!

मैं उनके कहने का मतलब समझ रहा था.
मैं भी उनकी तरफ देखते हुए प्यार से बोला- आप मौका तो दीजिए, मैं बहुत कुछ कर दूंगा.

मेरी बात सुन कर आंटी मुस्कुरा दीं.

फिर मैं अपने कमरे से विक्स ले आया.
वे अपने सोफे पर बैठी हुई थीं.

मैंने उनकी बिना इजाजत के उनके माथे पर विक्स लगाई और माथे की मालिश करने लगा.

उन्हें अच्छा लगने लगा तो वे सर टिका कर आंख बंद करके मेरे हाथों के जादू का अहसास करने लगीं.
मैं अपने साथ में तेल भी लेकर आया था.

जब उन्होंने कहा कि तेरे हाथों में तो बड़ा जादू है. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.
मैंने उन्हें बताया कि मैं तेल भी लाया हूँ.

मैंने जैसे ही यह कहा तो वे एकदम से चौंक गईं.
लेकिन मैंने कहा- अरे आप हड़बड़ाती क्यों हैं. इधर मेरे और आपके अलावा कौन है? आप मेरे लिए इतना कुछ करती हैं, मैं आपकी थोड़ी सी सेवा नहीं कर सकता हूं क्या … आपको थोड़ी सी खुशी नहीं दे सकता हूं?

इस पर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर कहा- विक्की डियर, तुम्हारी इतनी प्यारी बातें मुझे बड़ा सुकून देती हैं, तुमसे बात करके ही इतना सुकून मिलता है कि सारी थकान दूर हो जाती है.
इस पर मैंने कहा- आज आपको थकान है ना, तो मैं आपकी अच्छे से मालिश करूंगा.

उन्होंने कहा कि ऐसी बात नहीं है, मुझे लगा कि तुम सिर्फ बात कर रहे हो कुछ करोगे नहीं!
मैंने कहा- मैं सब कुछ करूंगा .. आपको जब-जब मेरी जरूरत होगी, तब तब मैं आपकी सेवा के लिए हाजिर हूँ. आपके शरीर की भी मालिश करूंगा और आपका ख्याल भी रखूंगा. मैं भी घर से बाहर रहता हूं, यहां पर मेरा कोई नहीं है और आप भी यहां पर अकेली रहती हैं तो आप जैसे मेरा ख्याल रखती हैं, इस तरह मैं भी आपका रखूंगा. आपको कभी भी यहां पर अकेलापन महसूस नहीं होने दूंगा.

उन्होंने कहा- जब तक तुम मेरे आस पास रहते हो, मुझे खुशी रहती है. मुझे अकेलेपन का अहसास नहीं होता है. लेकिन जब तुम चले जाते हो, तब अकेलापन लगता है.
इस पर मैंने कहा- आप चिंता क्यों करती हैं. आपकी इजाजत होगी, तो मैं आपके साथ ही रूक जाया करूंगा, जिससे आपको कभी भी अकेलापन महसूस नहीं होगा और आपके चेहरे पर मुस्कुराहट भी बरकरार रहेगी. इससे मुझे भी खुशी मिलेगी.

इन सब बातों के साथ-साथ मैं आंटी के माथे की मालिश भी कर रहा था और अपना हाथ कभी-कभी उनके चेहरे पर भी ले जा रहा था.
जब मैं अपना हाथ उनके चेहरे पर ले जा रहा था तो कुछ देर के लिए वे मेरा हाथ अपने हाथ से दबा देती थीं.

मैं उनकी सारी बातें धीरे-धीरे समझ रहा था.
मुझे भी आंटी बहुत पसंद आने लगी थीं.

अब मैं भी दो अर्थ वाली बात कर रहा था.
वे भी मेरी बातों का मजा ले रही थीं.

वे बोलीं- तुम थक जाओगे!
तब मैंने कहा- आप इतना खिलाने पिलाती हो मुझे … मैं नहीं थकूंगा.

उन्होंने कहा- वह तो आज ही पता चल जाएगा कि तुम थकते हो कि नहीं!
इस पर मैंने कहा- अगर थक भी गया तो क्या … आपको तो पूर्ण रूप से आनंदित कर ही दूंगा!

इस पर आंटी ने अपना माथा उठाते हुए मेरे चेहरे को देखते हुए कहा- आज लगता है कि मुझे पूरा आनन्द आने वाला है विक्की!

मैंने उनकी आंखों में आंखें डालते हुए कहा- सब कुछ आपकी इजाजत पर निर्भर है, मैं तो आपको आनन्द देने के लिए ही हूं.
हम लोग जैसे एक दूसरे में खोते जा रहे थे.

उसके बाद उन्होंने कहा- क्या तुम सच में मेरा अकेलापन थोड़ी देर के लिए मिटाने के लिए मेरे साथ रात में भी रुकोगे?
मैंने उनके गाल पर हाथ फेरते हुए कहा- अगर आप चाहोगी तो क्यों नहीं रुकूंगा, आपकी खुशी सर आंखों पर!

उन्होंने मेरे दोनों अपने गालों पर रख कर दबा दिए.
मैंने कहा कि आज आपको पता चल जाएगा.

इस तरह से हम दोनों में रजामंदी की बातें एक दूसरे की तरफ से हो गई थीं.
अब आंटी इशारों इशारों में कपड़े उतारने की बात कहने लगी थीं.

शुरुआत कौन करे, यह पेशोपेश अभी भी बना हुआ था.
मैंने सोचा कि अभी ऐसे ही चलने देता हूं.
अभी तो बातें करने में ही मजा आ रहा है.

हालांकि मेरा लंड अब तक खड़ा भी हो गया था और उनके सर का मालिश करने में उन्हें मेरे कड़क लंड का अहसास होने लगा था.

धीरे-धीरे उनको मजा आने लगा.
मैंने आंटी से कहा- आपको कैसा लग रहा है?

उन्होंने कहा- बड़ी राहत महसूस हो रही है. तुम्हारी मालिश मुझे मदहोश कर रही है. तुमने जादू कर दिया है.

मैंने कहा- और कुछ करूं क्या?
उन्होंने कहा- हां सब कुछ करो जो भी करना चाहो, मुझे तुम्हारा साथ बहुत अच्छा लग रहा है.

आंटी सोफे पर बैठी हुई थीं और मैं उनके पीछे से सर में मालिश कर रहा था.

अब धीरे-धीरे मैं उनके दोनों कंधों को दबाने लगा.
वे रिलैक्स होने लगीं.

मैं भी उनको छेड़ना चाहता था लेकिन कैसे शुरू करूं, बस यही बात सोच रहा था.

मैंने कहा- आंटी जी, चलिए अब आपके पैरों की भी मालिश कर देता हूं.
उन्होंने कहा- नहीं रहने दो.

मैंने जिद करते हुए कहा- नहीं चलिए मालिश कर देता हूं, आपके पैरों में भी दर्द है ना!
उन्होंने कहा- दर्द तो पूरे शरीर में है … बहुत जगह है … कहां-कहां की मालिश करोगे?

मैंने कहा- हर जगह की मालिश करूंगा और आपकी इजाजत से ही करूंगा. आपके जिस्म के हर जगह के दर्द को मिटा दूंगा. आज के बाद आपका कोई भी दर्द होगा तो भी मिटाऊंगा. अब से आप जैसे बोलेंगी, वैसे करके मिटाऊंगा … आपको आनंदित कर दूंगा!

इतनी बात कह कर मैं उनके सामने आ गया.
उन्होंने मेरी आंखों में देखा और थोड़ी देर तक देखती ही रहीं.

धीरे-धीरे मैं उनके पास हो गया.
आंटी मुझे बड़ी हसरत भरी नजरों से देख रही थीं.

अब मैं घुटने के बल जमीन पर बैठ गया.
मैंने उनकी दोनों जांघों पर हाथ रख दिए और उनकी आंखों में देखने लगा.
मेरा सर नीचे को था और उनका सर ऊपर … अब वे खुद आगे होकर झुकने लगीं.

हम दोनों का सर ठीक एक दूसरे के सामने आ गया.

इसके बाद मैंने आगे बढ़ कर पहल की … और उन्हें किस कर लिया.
वे जैसे मौन रूप में अपनी सहमति दे रही थीं.
मैं उन्हें किस करता जा रहा था.
हम दोनों के होंठ आपस में मिले हुए थे.

मैं उन्हें पूरा डीप किस करता जा रहा था.

इस चुंबन से ही हम दोनों के विचार खुल कर मिल गए थे और हम दोनों की झिझक खत्म हो गई थी.

मैंने आंटी के सर को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उनके होंठों को चूसने लगा था.
आंटी ने भी अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पर रख दिए थे.

थोड़ी देर बाद ऐसे ही किस करने के बाद हम दोनों अलग हुए.
वे शर्माई जा रही थीं, अन्दर ही अन्दर मंद मंद मुस्कुरा रही थीं.

उनकी आंखों में देखते हुए मैंने अपने अंगूठे से उनके होंठ को सहलाया और फिर उसी अंगूठे को उनके मुँह में देने लगा.
आंटी बड़े प्यार से मेरे अंगूठे को चूसने लगीं.

मैं इसी के साथ साथ अपने दूसरे हाथ से उनकी जांघों को सहलाते हुए टांगों के जोड़ पर आ गया.
उनके कपड़ों के ऊपर से मैं उनकी चुत को सहलाने लगा.

जैसे ही मैंने कपड़ों के ऊपर से उनकी चुत को सहलाया, उनकी मदभरी सिसकारियां कंठ से बाहर निकलने लगीं ‘आह ईई आह विक्की …’
आंटी अपनी आंखें बंद करने लगीं.

मैंने कहा- आप आंखें बंद मत करो, आंखें खोली रखो, बहुत अच्छा लग रहा है!

उन्होंने मेरी बात मान ली.
वे अपनी आंखें खोलकर मेरी आंखों में देखने लगीं.

मैं फिर से एक बार उन्हें किस करने लगा.
इस बार किस थोड़ा लंबा चला.
उन्होंने मेरा हाथ किस करते-करते अपने चूचे पर रख दिया और दबाने के लिए कहने लगीं.

मैं भी कपड़ों के ऊपर से ही उनकी चूची को दबाने लगा और किस करते जा रहा था.
हमारे होंठ आपस में पूर्ण रूप से एक दूसरे के मुँह में समाये हुए थे.
हम दोनों एक दूसरे का आनन्द ले रहे थे.

कभी मेरी जीभ उनके मुँह में चली जाती, तो कभी उनकी जीभ मेरे मुँह में आ जाती.

थोड़ी देर और किस करने के बाद हम दोनों फिर से अलग हुए और एक दूसरे की आंखों में देखे जा रहे थे.

मैंने उनके चेहरे अपने दोनों हाथों से पकड़ा और उनकी आंखों में देखा तो उन्होंने पूछा- क्या यह अच्छा हुआ?

मेरे मन में कोई कंफ्यूजन था ही नहीं कि यह अच्छा हुआ है या बुरा … क्योंकि अब जहां तक हम आगे बढ़ चुके थे, उधर से वापस आना भी संभव नहीं था.

मैं उनके चेहरे पर खुशी देखना चाहता था.
फिर जिस स्थिति में हम लोग पहुंच चुके थे, यहां से वापस जाना तो हम दोनों के लिए एक मूर्खता थी.
खुशी तो छोड़िए आत्मग्लानि से हम दोनों साथ ही न रह पाते.

बस हम दोनों के लिए यही ठीक था कि आज इस पल को इंजॉय कर लेना चाहिए.
यह पल तो अब बस शुरू होने ही वाला था.

हम दोनों के लिए सबसे आसान बात यह थी कि हम लोग जब चाहें, जब तक चाहें … तब एक दूसरे को इंजॉय कर सकते थे.

आने वाले दिनों में यही हुआ भी, वैसे भी मुझे आंटी अच्छी लगती थीं.

अब मैं सोच रहा था कि कैसे हॉट देसी आंटी सेक्स शुरू किया जाए, इनकी चूत में अपना लंड डाल कर इनकी चीखें निकाली जाएं.

वैसे भी मुझे बड़ी उम्र की औरतें चुदाई में ज्यादा पसंद आती हैं क्योंकि वे आपको चुदाई के हर पल में खुद भी इंजॉय करती हैं और आपको भी मजा देती हैं.
ऊपर से शादीशुदा औरतों को चोदने का मजा ही कुछ अलग होता है.

मैंने उनके कंफ्यूजन को दूर करते हुए बोला- अभी तो अच्छे पलों की शुरुआत हुई है. अब से सब कुछ अच्छा ही होगा आंटी जी.

उन्होंने शर्माते हुए कहा कि आंटी जी बोलना बंद करो. मेरा नाम तुम्हें मालूम है न … मुझे तुम नाम से कह कर बुलाओ.
मैंने कहा- हां रीता, सब कुछ अच्छा ही होगा.

मैंने उन्हें किस किया और उनके चूचे को दबा दिया.

हॉट देसी आंटी सेक्स कहानी के अगले अंक में मैं आपको पड़ोसन आंटी की धुआंधार चुदाई की कहानी का मजा लिखूँगा.
आप अपने विचार मुझे जरूर भेजें.
[email protected]

हॉट देसी आंटी सेक्स कहानी का अगला भाग:

What did you think of this story

Comments

Scroll To Top