पड़ोसन भाभी की चुत का भोसड़ा बनाया- 1

(Hot Erotic Bhabhi Kahani)

दीपक xxx 2025-06-05 Comments

हॉट इरोटिक भाभी कहानी में मेरे घर नए किरायेदार आये. भाभी का फिगर एकदम मस्त था. मैं उन्हें पसंद करने लगा था. मैंने उन्हें चोदने के लिए गर्म करना शुरू किया.

दोस्तो, मेरा नाम दीप है. मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ.
मेरी उम्र 36 साल है.
मेरे लंड का साइज 6.5 इंच है और थोड़ा मोटा भी है.

ये हॉट इरोटिक भाभी कहानी मेरी एक साल पहले की है, जिसे मैं आप सबके साथ शेयर करने जा रहा हूँ.

सबसे पहले मैं उन सभी का धन्यवाद करना चाहूँगा, जिन्होंने मेरी पिछली कहानी
दोस्त की चाची को मेरा लंड पसंद आया
को इतना पसंद किया और कमेंट्स के जरिए इतना प्यार दिया.

आज की कहानी में मैं अपनी जिंदगी में भाभी के साथ हुए अनुभव को शेयर करना चाहूँगा.
ये मसालेदार कहानी एक साल पहले उस वक्त की है जब मेरे ऊपर वाले फ्लोर पर एक भाभी रहने आईं.

भाभी का बदला हुआ नाम अलीशा था.
उनकी उम्र 35 साल थी.

भाभी के तीन बच्चे थे.
एक लड़का और दो लड़कियां, जिनकी उम्र अभी कम थी.

भाभी का फिगर एकदम मस्त था.
जब वे ऊपर रहने आईं, तभी से मैं उन्हें पसंद करने लगा था.

भाभी एकदम गोरी थीं.
उनके चूचे 36 इंच के बड़े-बड़े खरबूजों के जैसे हैं. 32 इंच की चिकनी कमर के नीचे 38 इंच की उभरी हुई गांड है, जिसका मैं बेहद दीवाना हूँ.

भाभी की गांड इतनी मस्त है कि अच्छे-अच्छों का लंड खड़ा कर दे.

मुझे लगता था कि भाभी की इस मस्त गांड के कारण उनको डॉगी स्टाइल में चोदने में बड़ा मजा आएगा.

उनकी गांड ऐसी थी कि शायद उनके पति भी उन्हें गोद में उठाकर पेलते होंगे.

मेरा बड़ा मन करता था कि मैं भाभी की गांड चाट लूँ और अपना मोटा सा लंड उनके पिछवाड़े में घुसा दूँ.
लेकिन मेरी इतनी अच्छी किस्मत कहां.

भाभी की शादी कम उम्र में ही हो गई थी इसीलिए उनके बच्चे इतने बड़े हैं.

भाभी के होंठ किसी पॉर्न स्टार के जैसे थे, जो दिखने में एकदम रसीले थे.
देख कर मन करता था कि बस भाभी के होंठ चूस लूँ या उनके होंठों के बीच अपना हथियार रख दूँ ताकि भाभी इसकी सारी मलाई खाकर चट कर जाएं.

मैंने कई बार भाभी को सिल्की नाइटी में देखा था.
जब भी भाभी उठकर बैठती थीं तो उनकी गांड की दरार में नाइटी फंस जाती थी, जिसे वे खींचकर बाहर निकालती थीं तो मुझे न/शा सा छा जाता था.

भाभी के पति का नाम रणवीर था, वे जरूरत से ज्यादा ड्रिंक करते थे और शराब पीने के बाद वे अक्सर भाभी से लड़ते रहते थे.

शायद वे भाभी से इसलिए भी लड़ते होंगे क्योंकि वे भाभी को सही से पेल नहीं पाते होंगे.

एक कारण शायद यह भी रहा होगा कि ऊपर वाले फ्लोर में एक ही कमरे में वे सब रहते थे जिसके कारण भैया-भाभी की चुदाई नहीं हो पाती होगी.

चूंकि उनके बच्चे भी अब काफी बड़े हो चुके थे तो सेक्स के लिए उन्हें एकांत नहीं मिल पाता होगा.

भाभी रणवीर भैया की ड्रिंक करने की आदत से बहुत परेशान रहती थीं.
उन दोनों के बीच होने वाली लड़ाइयों से भी वे काफी तनाव में रहती थीं.

इसी समस्या के समाधान के चक्कर में मुझे भाभी की फूली हुई गुलाबी चूत चाटने का मौका मिल गया.

मैं भाभी के बारे में बहुत सोचता रहता था.
सोचता था कि काश भाभी किसी तरह मुझसे पट जाएं और अपना भोसड़ा मुझे चाटने दें.

लेकिन भाभी शुरू से ही मुझे ज्यादा भाव नहीं देती थीं.
बस औपचारिकता के तौर पर ही बात होती थी.

मैं चाहता था कि उन्हें पता चले कि मैं उन्हें कितना पसंद करता हूँ.
कोई ऐसा दिन नहीं जाता था, जिस दिन मैं भाभी को सोचकर मुठ न मारता हूँ.

भाभी को सोचकर मैं अपनी वाइफ को भी इतना जोर-जोर से चोद देता था कि उसकी चूत में भी दर्द होने लगता था.
लेकिन मैं क्या करता, उधर भाभी को मेरी मुहब्बत का एक तिनका भी नहीं दिखता था.

फिर मैंने सोचा कि क्यों न भाभी को किसी तरह से इम्प्रेस किया जाए.
यह विचार मुझे भा गया.

कुछ दिन बाद मैंने भाभी से हल्की-फुल्की बातचीत शुरू की.
कभी-कभी हल्के-फुल्के मजाक भी करने लगा, उनके कुछ छोटे-मोटे काम भी करने लगा.
जिससे हमारी बातचीत थोड़ी और बढ़ने लगी.

भाभी की हिचकिचाहट को खत्म करने में मुझे तीन महीने लग गए.

तीन महीने बाद मैं भाभी से खुलकर बात करने लगा.
कुछ दिनों बाद मैंने घर में रंग रोगन पुताई का काम शुरू करवाया.
मेरे रूम में पेंट होने के बाद भाभी के रूम की बारी थी.

लेकिन भाभी अकेली कैसे सारा काम करतीं, जैसे सामान इधर-उधर शिफ्ट करना.
उनके बच्चे भी यूनिट टेस्ट के चलते जल्दी स्कूल जाते थे और रणवीर जी भी काम पर निकल जाते थे.

भाभी ज्यादातर अपने कमरे में नाइटी में ही रहती थीं.
उनकी नाइटी इतनी सॉफ्ट कपड़े की होती थी कि अगर पीछे से लिपट जाओ, तो पता ही नहीं चलेगा कि नाइटी पहनी है या नहीं.

इसका पता मुझे तब चला था, जब मैं भाभी के ऊपर वाले कमरे में सामान शिफ्ट करने के लिए उनकी मदद करने गया था.

जैसा कि मैंने बताया कि भाभी के कमरे में व्हाइट-वॉश होने वाला था.
उस वक्त उनके कमरे में कोई नहीं होता था, तो मैं ऊपर जाकर भाभी की मदद करने लगता था.

उस वक्त भाभी की नाइटी में उछलते हुए बूब्स देखकर मेरा लंड भी जोश में आने लगा था.
जैसा कि मैंने बताया था कि भाभी के बूब्स इतने हैवी थे कि न चाहते हुए भी मेरा ध्यान बार-बार वहीं जा रहा था.

उस वक्त भी यही हुआ.

भाभी के चूचे नाइटी में बहुत ज्यादा हिल रहे थे.
तभी भाभी सामान उठाने के लिए झुकीं तो मुझे साफ दिख गया कि भाभी ने नाइटी के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी.
इस वजह से उनके भारी-भरकम चूचे उछल रहे थे.

जब भी भाभी कुछ सामान मिस्त्री को देतीं, उनके चूचे इतने करीब से दिखते कि मेरा लंड का तनाव बढ़ता ही जा रहा था.

उस वक्त मैंने अपने शॉर्ट्स के नीचे अंडरवियर भी नहीं पहना था, जिस वजह से मेरे लंड का उभार मेरे निक्कर के ऊपर से दिखने लग गया था.
मैं उसे बार-बार कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था.

मेरा सारा ध्यान भाभी के चूचों पर था, जिस वजह से ये सब होना लाजमी था.

भाभी कुछ देर बाद झाड़ू लेने के लिए झुकीं.
उनकी नाइटी का गला बड़ा होने की वजह से मुझे उनके चूचों के अच्छे से दर्शन हो गए.
लेकिन तभी भाभी ने मुझे घूरते हुए पकड़ लिया और अपनी नाइटी का गला ठीक कर लिया.

भाभी ने मुझे ऐसे घूरते हुए कई बार पकड़ा.
इसके बाद भाभी की नजर मेरे आगे से उठे हुए निक्कर पर पड़ी.

मेरा लंड खड़ा होने की वजह से निक्कर के ऊपर से लंड का उभार साफ दिख रहा था.
मैं उसे बीच-बीच में नीचे दबाने की कोशिश कर रहा था.

भाभी मुझे लंड सही करते हुए बार-बार नोटिस कर रही थीं.

कुछ देर बाद पलंग की साइड वाली दीवारों पर व्हाइट-वॉश होने के लिए बेड को आगे खिसकाना था.

बेड को आगे खिसकाने के लिए एक तरफ जगह भी काफी कम थी और बेड में सामान होने की वजह से बेड काफी भारी हो गया था.

भाभी और मैं एक साइड से और मिस्त्री दूसरी साइड से खिसका रहे थे.

भाभी और मेरे पास थोड़ी जगह कम थी, इसलिए मैं थोड़ा आगे हो गया था ताकि भाभी अच्छे से खड़ी हो सकें.
इतने भारी बेड को खिसकाते हुए मैं भाभी के ठीक पीछे उनकी मोटी और नर्म गांड के पास आ गया.

जोर से खिसकाने के चक्कर में मेरा खड़ा लंड भाभी की गांड से कुछ ज्यादा ही अच्छे से टच होने लगा था.
उनको मेरे लंड का अहसास होते ही वे सहम गईं और थोड़ा आगे बढ़ गईं.
लेकिन मैंने जानबूझ कर फिर से आगे बढ़कर भाभी की गांड में लंड सटा दिया.

अब भाभी आगे नहीं बढ़ पा रही थीं क्योंकि वहां जगह ही नहीं थी.
तभी बेड भी आगे खिसक गया और भाभी अपनी गांड निकाल कर दूसरी तरफ खड़ी हो गईं.

भाभी के हटते ही मेरा लंड मेरे निक्कर में 90 डिग्री पर खड़ा हो गया था, जिसे भाभी ने बड़े अच्छे से देख लिया.
चूंकि मैं बेड के पीछे ही था, तो भाभी मुझे ही देख रही थीं.

मैंने अपने खड़े लंड को नीचे एडजस्ट किया.
लेकिन लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था और ये सब हॉट इरोटिक भाभी देख रही थीं.

तभी भाभी मजाकिया अंदाज में मुझसे बोलीं- शायद दीदी आपको नीचे याद कर रही हैं!
यह बोलकर भाभी हंसने लगीं.

यकीनन मेरा लंड इतने तनाव में था कि बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था.

तभी मिस्त्री भी लंच के लिए चला गया.
मैं लंड को शांत करने के लिए नीचे वाइफ के पास आ गया और वहां वाइफ को पकड़ कर उसकी जमकर चुदाई करने लगा.

वह उस वक्त हंसती हुई कह रही थी- अरे क्या हुआ? एक मिनट रुको तो!
मगर मैं भाभी के चूचे याद करके अपनी बीवी को पेले जा रहा था.

उसी वक्त मुझे थोड़ा शक हुआ कि मेरे कमरे की खिड़की के पास कोई है.
मैंने पलट कर देखा लेकिन उधर कोई नहीं दिखाई दिया.
शायद ये मेरा वहम था.

इसके बाद अक्सर बातचीत के दौरान भाभी मुझे उनके चूचे देखते वक्त पकड़ लेती थीं.

समय के साथ-साथ मेरी इच्छा भाभी को चोदने की बढ़ती चली गई और मैं भाभी को चोदने के लिए कुछ न कुछ सोचने लगा.
मेरे एक दोस्त ने बताया कि उसने अपनी साली को चोदा था क्योंकि उसका पति काफी शराब पीता था.

शराब छुड़वाने के लिए मेरे दोस्त ने अपनी साली को मध्य प्रदेश के भोपाल के पास किसी कस्बे में एक वैध जी के पास दवाई के बहाने से ले जाकर उसकी चूत फाड़ दी थी.
उसका ये आइडिया मेरे दिमाग में फिट हो गया.

चूंकि रणवीर और भाभी की लड़ाई होती रहती थी तो मैंने एक दिन भाभी को शराब छुड़वाने की दवा के बारे में बताया और कहा कि वहां जाकर दवा लेनी होगी.

अब सवाल ये था कि वहां कैसे जाया जाए क्योंकि वहां का पता सिर्फ मुझे ही था.

मैंने वाइफ को बताया कि मैं भाभी को दवा दिलवा आऊंगा.
बस रणवीर को ये झूठ बोलना था कि भाभी मेरी वाइफ की बहन के यहां जागरण में गई हैं और कल ही वापस आएंगी.

ये बात मैंने और वाइफ ने रणवीर को बता दी ताकि रणवीर को कोई परेशानी न हो.
मैंने भाभी से उनके डॉक्यूमेंट्स कलेक्ट कर लिए ताकि हमें होटल में एंट्री मिल सके.

अगले दिन मैं और भाभी दवा लेने के लिए निकल गए.

कुछ 5-6 घंटों बाद हम उस कस्बे में पहुंच गए.
वहां काफी भीड़ होने की वजह से हमें टोकन अगली तारीख का मिला.

अब सवाल रात गुजारने का था. इसलिए हम दोनों एक होटल में रुकने के लिए निकल आए.

मैं और भाभी एक होटल में पहुंचे.
भाभी बाहर खड़ी हो गई थीं और मैं अन्दर गया और जानबूझकर निराश वाला मुँह बनाकर वापस आ गया.

भाभी ने पूछा- क्या हुआ? ऐसे परेशान क्यों हो?
तो मैंने झूठ बोल दिया कि यहां कोई रूम खाली नहीं है.

ऐसे ही मैं भाभी को 3-4 होटलों में घुमाता रहा और हर जगह कह देता कि कोई रूम नहीं है.
अब किसी न किसी होटल में तो कमरा लेना ही था तो कुछ देर बाद मैं फिर से एक अन्य होटल में गया.

उधर जाकर मैंने होटल में अन्दर जाकर कुछ दरयाफ्त किया और वापस आकर भाभी से कहा- भाभी, इधर रूम तो है लेकिन सिंगल बेड वाला कमरा है … मतलब उसमें एक ही बेड है!
इस पर भाभी बोलीं- एक बेड से क्या होगा? प्लीज, आप 2 बेड वाला रूम पूछ लीजिए!

मैंने कहा- आप साथ चलो और अन्दर बात कर लो. हो सकता है कि आपको देख कर वह कुछ मान जाए.
भाभी अन्दर आ गईं.

होटल के रिसेप्शनिस्ट को मैं पहले ही पैसे देकर पटा चुका था.
जब भाभी ने उससे पूछा तो वह भी यही बोला कि एक ही बेड वाला रूम उपलब्ध है.

मैंने भाभी को समझाया कि और जगह रूम भी नहीं हैं और अगर हमने ये रूम छोड़ दिया तो कहीं और रूम मिलने की गुंजाइश नहीं है.
इस पर भाभी ने कुछ सोचा और लंबी सांस लेकर बोलीं- ठीक है!

उन्होंने यह कहा तो मुझे ऐसा लगा मानो ऊपर वाले ने मेरी सुन ली हो.

आखिरकार मैं औपचारिकतायें पूरी करके रूम में दाखिल हुए.

आपको मेरी इस हॉट इरोटिक भाभी कहानी का अगला भाग, भाभी की मदमस्त चुदाई से भरा हुआ पढ़ने को मिलेगा.
आप प्लीज अपने विचार जरूर भेजें.
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हॉट इरोटिक भाभी कहानी का अगला भाग:

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