लेडी डेंटिस्ट की प्यासी जवानी- 6
(Hot Lady Bedroom Story)
हॉट लेडी बेडरूम स्टोरी में मेरी पड़ोसन के बुलाने पर रात को मैं उसके घर गया. उद्देश्य था चुदाई करना. मैंने उसके जिस्म को छूते हुए उसकी तारीफ़ की तो वह शर्माने लगी.
प्रिय पाठको
अब तक की कहानी
जवान लड़के से तन की आग बुझवाई
में आपने डा. गुंजन की सत्य कथा पढ़ी जो मुझसे मिलने के पहले तक की थी.
अब मेरी और गुंजन की कहानी को आगे बढ़ाते हैं.
जैसा कि मैं आपको बता चुका था कि गुंजन ने मुझे मैसेज भेज कर ग्रीन सिग्नल दे दिया था कि आ जाओ.
और मैं उस रात साढ़े ग्यारह बजे उसके फ़्लैट में दाखिल हो जाता हूं और गुंजन मुझे सामने वाले सोफे पर सिर झुकाए बैठी हुई मिलती है.
अब आगे हॉट लेडी बेडरूम स्टोरी:
“थैंक्स गुंजन बेटा, तुमने मेरी बात रख ली.” मैंने उसके बगल में सोफे पर बैठते हुए बोला और उसका हाथ अपने हाथों में ले लिया.
उसने शरमाते हुए अपना हाथ खींचने का प्रयास किया पर मैं पकड़े रहा.
“गुंजन, तुम सच में बहुत सुन्दर हो. तन से भी और मन से भी!” मैंने उसका हाथ सहलाते हुए कहा.
“रहने दीजिये आप ये बातें. झूठी तारीफ़ मत कीजिये मेरी!”
“सच में गुंजन, मैं झूठ नहीं बोलता. तुम वाकई बेहद हसीन हो. ये तो मेरी किस्मत से ही तुम मेरे पड़ोस में रहने चलीं आईं.” मैंने कहा.
“ह्म्म्म …” उसके मुंह से निकला.
“अच्छा मेरे और पास आओ न एक बार चूम तो लूं अपनी गुंजन डार्लिंग को!” मैंने कहा और उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचा.
“धत्त … मुझे शर्म आती है आप छोड़ो मुझे!” वो बोली और अपने दूसरे हाथ की कोहनी से अपना चेहरा छिपा लिया.
“मेरी जान, अब मान भी जाओ न. हमारे मिलन की पहली रात है ये!” मैंने कहा और उसके एकदम पास खिसक के उसका गाल चूम लिया.
तो वो थोड़ा कसमसाई पर बोली कुछ नहीं.
अब मैं गुंजन से और लिपटने लगा और वो सकुचाती शर्माती से खुद को बचाने की कोशिश करती रही.
फिर मैंने उसके गले में हाथ डाल कर उसे अपने से चिपटा लिया और उसे किस करता हुआ उसका निचला होंठ चूसने लगा और बायां दूध साड़ी के ऊपर से ही सहलाने लगा; साथ में उसके कान की लौ चूमने लगा.
वो एकदम से सिहर उठी और उसके जिस्म में कम्पन सा उठा.
“अंकल जी वेलकम, मैं अपनी बांहों का हार आपके गले में पहना कर अपनी जिंदगी में आपका स्वागत करती हूं.” वो बोली और उसने अपनी दोनों बांहें मेरे गले में पहना दीं और मेरे सीने से लग गयी.
मैंने भी उसे चूम लिया और कुछ क्षणों तक हम एक दूजे के दिलों की धकधक सुनते रहे.
उसके विशाल स्तन मेरे सीने में जैसे समा जाना चाहते थे.
“थैंक्स गुंजन डार्लिंग, ये मेरा सौभाग्य है कि तुम्हारा प्यार मुझे मिल रहा है.” मैंने कहा और उसे कसके अपने से चिपटा लिया.
“गुंजन बेटा, एक बात बताओ तुम इस पुनीत से कैसे लव मैरिज कर बैठीं जब कि वो तुम्हारे पांव की धूल बराबर भी नहीं है और न ही वो तुम्हें सेक्स में संतुष्ट कर सकता है.” मैंने उसकी ब्रा में हाथ घुसा कर पूछा.
“अंकल जी, आप नाम भी मत लो उस नाकारा नपुंसक का मेरे सामने. मेरे तो सारे अरमान मिट्टी में मिला दिए इस इंसान ने!” वो दुखी होकर बोली.
“वो किसी औरत के काम का है ही नहीं और न ही उसके पास ढंग का कुछ है.” उसने ग़मगीन स्वर में फिर कहा.
“गुंजन मैं कभी कभी सोचता हूं कि अगर तुमने इससे शादी करने से पहले एक बार सेक्स कर लिया होता तो इसकी परफोर्मेंस तुम्हारी समझ आ जाती. फिर शायद तुम इससे कभी शादी नहीं करतीं.” मैं गुंजन का बायां स्तन ब्रा के भीतर ही मसलते हुए बोला.
“अब क्या बताऊं अंकल जी, ये हिजड़ा बोलता था कि शादी से पहले मैं तुझे टच भी नहीं करूंगा, अगर हमारी शादी नहीं हुई तो तुम्हारी जिंदगी ख़राब हो जायेगी. और मैं उसकी बातों में आ गयी, हरामी कहीं का!” गुंजन थोड़े गुस्से में बोली.
“हां, गुंजन, मुझे भी ये चूतिया लगता है देखने में तो!” मैंने कहा और गुंजन की साड़ी में हाथ डाल कर उसकी दायीं जांघ सहलाने लगा.
कितनी चिकनी कितनी मुलायम गर्म सी जांघें थी इसकी, मेरे लंड में तनाव आने लगा था.
“हां अंकल जी ये बहुत ही वाहियात आदमी है, मैं तो इससे ज्यादा बात भी नहीं करती. बस निभाये जा रही हूं किसी तरह अपने बच्चों का मुंह देख के!”
वो बोली और उसे रोना आ गया.
उसने मेरा हाथ अपनी जांघ पर से हटा दिया और रोने लगी.
“बस बेटा, रोते नहीं हैं. अब सब कुछ ठीक हो जाएगा.” मैंने उसके आंसू पौंछते हुए ढांढस बंधाया तो वो मेरे कंधे से आ लगी और मैं उसका सिर सहलाते हुए किसी बच्ची की तरह उसे पुचकारने लगा.
चार पांच मिनट रोने के बाद वो सामान्य हो गयी और फिर उठ कर वाशरूम चली गयी और अपना मुंह धोकर वापिस आ के मुझसे सट कर बैठ गयी.
“अंकल जी आप मुझे ऐसे ही हमेशा प्यार करते रहोगे न?” उसने मेरा हाथ पकड़ कर बड़ी मासूमियत से मुझसे पूछा.
“हां मेरी जान गुंजन, मैं झूठ नहीं बोलता मैं हमेशा तुझे ऐसे ही प्यार करता रहूंगा.” मैं बोला और उसके दोनों मम्में कस के दबोच लिए.
“उफ्फ अंकल जी, इत्ती जोर से नहीं … दुखते हैं. अच्छा बेडरूम में चलो यहां सोफे पर नहीं!” वो बोली.
हॉट लेडी बेडरूम में चुदाई के लिए लालायित हो रही थी.
फिर मैंने गुंजन को अपनी गोद में उठा लिया और भीतर बेडरूम में लेजाकर बेड पर धीरे से लिटा दिया और उसके बाजू में लेट कर उसे किस करने लगा.
वो भी पूरी आत्मीयता के साथ मेरा साथ देने लगी, मेरे होंठ चूसने लगी.
वह अपनी जीभ मेरी जीभ से लड़ाने लगी और अपना पैर मेरे पैरों पर रख कर रगड़ने लगी.
“अंकल जी उठो … पहले ऐ सी तो ऑन कर दो, ये नया ऐ सी इसने आपके लिए कल ही लगवाया है.” वो बोली और हंसने लगी.
“अभी लो मेरी बुलबुल, जैसी तुम्हारी इच्छा!” मैंने कहा और ऐ सी ऑन कर दिया.
फिर मैंने गुंजन की साड़ी सामने से खींच ली और गाँठ खोल कर पेटीकोट का नाड़ा भी खींच दिया जिससे उसकी गांठ खुल गयी फिर पेटीकोट नीचे खिसका कर उसकी पैंटी को ही ऊपर से सहलाने लगा, गुंजन की चूत की दरार की लम्बाई में अपनी बीच की उंगली फिराने लगा.
इससे वो उत्तेजित हो गयी और उसने मेरे सिर के बाल अपनी मुट्ठी में भर लिए और मुझे चूम लिया.
फिर मैंने उसके ब्लाउज को खोल दिया और ब्रा को ऊपर खिसका कर उसका दायां स्तन अपने मुंह में भर लिया और बाएं वाले से खेलने लगा.
बहुत मस्त दूध थे गुंजन के … 34 या 36 के रहे होंगे.
अब उसका ब्लाउज, पेटीकोट और साड़ी खुली पड़ी थी उसके बदन पर जिन्हें सिर्फ अलग करना बाकी था.
“गुंजन थोड़ा उठो बेटा, ये साड़ी निकाल दूं तेरी!” मैंने कहा.
“ये लो अंकल जी उतार डालो और जल्दी आ जाओ.” वो बेसब्री से बोली.
शायद उसकी चूत तब हाय तौबा मचाने लगी थी, फिर वो उठ कर बैठ गयी और अपनी साड़ी निकाल दी साथ ही ब्लाउज भी उतार कर फेंक दिया.
फिर मैंने साड़ी कमर के नीचे से पेटीकोट के साथ निकाल कर नीचे फेंक दी.
अब वो सिर्फ ब्रा पैंटी में मेरे सामने थी.
क्या गजब का हुस्न दिया था ऊपर वाले ने गुंजन को.
साढ़े पांच फीट का मस्त बदन, गोरा गुलाबी रंग, चिकना जिस्म तेज रोशनी में दमक रहा था, ब्रा में कैद उसके विशाल मम्में जैसे आजाद होने को फड़फड़ा रहे थे और उसकी पैंटी जो सामने से उभरी हुई लग रही थी लगता था जैसे उसमें भीतर कोई फूली हुई कचौरी छुपी हो.
मैंने बरबस ही उसकी पैंटी को चूम लिया और उसकी चूत की मादक गंध मेरे भीतर तक समा गयी.
इसके बाद मैंने भी अपनी शर्ट, बनियान, पैंट, शॉर्ट्स सब उतार डाला और पूरा नंगा हो गया और गुंजन के बगल में लेट कर अपना लंड उसकी चिकनी जाँघों पर रगड़ने लगा जिससे वो एकदम तमतमा कर खड़ा हो गया, जैसे खुशी के मारे फूल कर कुप्पा हो गया.
फिर मैं गुंजन से लिपट गया और वो भी करवट ले के मेरे नंगे सीने से आ लगी.
फिर मैंने उसकी पीठ पर हाथ लेजाकर ब्रा का हुक खोल दिया, उसकी ब्रा के स्ट्रेप्स उछल कर अलग हो गए और फिर मैंने उसकी ब्रा भी उसके जिस्म से अलग कर दी.
उसकी बगलों के घने बालों से मादक गंध उठ रही थी.
मैंने उसकी कांख में मुंह छुपा लिया और गहरी सांस लेने लगा.
जिससे उसे गुदगुदी सी हुई और वो हँसती हुई मुझसे लिपट गयी, उसके
अनावृत स्तन मेरी छाती में समाने लगे.
आह … कितना सुखद अहसास था वो. उधर उसने मेरा खड़ा लंड अपनी जाँघों के बीच दबा लिया था.
हमारे होंठ आपस में जुड़ गए और मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में धकेल दी जिसे वो चूसने लगी.
इधर मैंने उसकी पैंटी में हाथ घुसा दिया और उसकी चिकनी चूत की फांकों को सहलाने लगा.
बेहद नर्म, गर्म और मुलायम चूत के गर्म होंठ भीतरी रस के बहाव से चिपचिपे से हो उठे थे.
मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी, वो थोड़ी कुनमुनाई और मेरी जीभ जल्दी जल्दी चूसने लगी.
फिर मैंने अपनी दूसरी उंगली भी चूत में घुसा दी और उसे अन्दर बाहर करने लगा.
गुंजन की रिसती हुई गीली चूत से मेरी उंगलियां सराबोर हो गयीं, मैंने दोनों उँगलियों को चूत के भीतर गोल गोल घुमाया तो और रस छलक उठा जिससे मेरी हथेली तक गीली हो गयी.
इतने फोरप्ले में ही वो अधीर हो गयी और चुदवाने को मुझे अपने ऊपर खींचने लगी और कसमसा कसमसा कर कामुक आहें कराहें उसके मुंह से निकलने लगीं.
“अंकल जी अच्छा हटो!” वो अचानक बोली और उठ कर नीचे फर्श पर बैठ गयी और मुझे आगे आने को कहा तो मैं बेड पर पैर लटका कर बैठ गया.
फिर गुंजन ने मेरा लंड पकड़ लिया और उसे दो चार बार मुठिया कर छोड़ दिया फिर उसे चाटने लगी, फिर फोरस्किन नीचे खिसका कर सुपाड़े पर जीभ फिराने लगी और फिर उसने गप्प से लंड को मुंह में घुसा लिया और चूसने, चचोरने लगी.
डॉक्टर साहिबा इतने सलीके से तहजीब से और नफासत से और मनोयोग से मेरा लंड चूस रहीं थीं कि मैं तो बस निहाल हो गया.
जैसा कि हम पोर्न फिल्म्स में देखते हैं कि ये विदेशी छोरियां कैसे मग्न होकर लंड चाटती चूसतीं हैं, ठीक वैसे ही अंदाज से गुंजन रानी मेरी आंखों में देखती हुई मुस्कुरा मुस्कुरा कर मेरा लंड चाट रही थी और मुठिया मुठिया कर उसे चूसे जा रही थी.
मेरी धर्मपत्नी ने तो कभी मेरा लंड चूसा ही नहीं था और न ही उसने कभी अपनी चूत मुझे चाटने दी, वह कहा करती थी कि ऐसे करने से उसे पाप का भागी बनना पड़ेगा.
ये दकियानूसी पत्नियां भी पाप पुण्य के चक्कर में यौन सुख भी अच्छे से नहीं ले पातीं.
मुख मैथुन का पहला सुख तो मुझे अपनी बहू सोनम ने दिया था और अब दूसरी बार ये डॉक्टर साहिबा मुझ पर इस तरह मेहरबान हो रहीं थी.
जैसा कि इन्होंने मुझे अपनी कहानी में बताया था कि ये पहले भी ये अपने दो प्रेमियों का लंड चूस चुकीं थीं और अब अपना वही कौशल, वही स्किल मेरे लंड पर लुटा रहीं थीं जिससे मैं झड़ने के करीब पहुँच रहा था.
मैं भरसक न झड़ने का प्रयास करते हुए अपने मन को कहीं और ले जाता पर गुंजन लंड चूस चूस कर मुझे इतना मज़ा दे रही थी कि मुझसे और ज्यादा खुद पर कण्ट्रोल रख पाना संभव नहीं रह गया था.
“गुंजन … बहू रानी, मेरा बस निकलने ही वाला है, हटो … छोड़ो मेरा लंड जल्दी से!” मैं व्यग्रता से बोला.
“नहीं अंकल जी, आप आ जाओ … मेरे मुंह में ही झड़ जाओ.” गुंजन मेरा लंड मुंह से बाहर निकाल कर बोली और फिर झट से लंड को पुनः मुंह में घुसा लिया और फिर से चूसने लगीं.
मेरे लिये अब खुद को रोक पाना असंभव था सो मैंने गुंजन का सिर पकड़ लिया और उसका मुंह अपने लंड पर झुका कर स्पीड से उसका मुंह चोदने लगा, उसकी नाक से गूं गूं की सी आवाज निकलने लगी और पंद्रह बीस धक्के लगाने के बाद मेरे लंड से रस की पिचकारी छूट गयी और रह रह कर रस निकलने लगा जिसे डॉक्टर साहिबा बड़े मनोयोग से पीतीं चलीं गयीं.
जब मैं पूरा झड़ गया तो उन्होंने लंड को बाहर निकाल कर दबा कर आखिरी बूंदें भी निचोड़ कर अपने जीभ पर रख लीं और मुंह में घुमा कर निगल लिया और चटखारा लेते हुए अपनी साफ सुथरी जीभ निकाल कर मुझे दिखा दी और हंस दी.
“अंकल जी अभी आई मैं!” वो बोली और वाशरूम में जाकर मुंह धोकर जल्दी वापिस आ गयी.
“अंकल जी, अब आ जाओ! मैंने एक बार आपका निकाल दिया है सो अब आप खूब देर तक प्यार कर सकोगे मुझे!” वो मुस्कुरा का बोली.
फिर मैंने उसका हाथ पकड़ कर बेड पर खींच लिया और …
दोस्तो, मुझे उम्मीद है कि यह हॉट लेडी बेडरूम स्टोरी आपकी वासना को खूब भड़का रही होगी.
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