नंगी लड़की देखने की जिज्ञासा-2

(Nangi Ladki Dekhne Ki Jigyasa-2)

This story is part of a series:

मैंने भी अपने आपको उसके सामने नंगा होने के लिये हामी भरी और उसे पहले कपड़े उतारने के लिये बोला।
नीलम ने जब अपनी फ्राक उतारी तो फ्राक के नीचे उसने कोई पैंटी नहीं पहनी थी, मैंने नीलम से पूछा- नीलम तुम चड्डी नहीं पहनती हो क्या?
नीलम बोली- पहनती तो हूँ, पर तुम्हारे लिये नहीं पहनी।

‘तो क्या तुम जानती थी कि मैं तुम्हें नंगी देखना चाहता हूँ?’

वो बोली- हाँ… तभी तो जैसे घर के लोग पार्टी में गये, मैं तुम्हारे पास सवाल पूछने के बहाने आ गई, इतना ही नहीं उस दिन भी मैंने चड्डी नहीं पहनी थी जब मैं तख्त पर पाल्थी मार कर बैठ रही थी और तुमने मेरी वो जगह देखी थी, जहाँ से शूशू की जाती है। और मैंने तुम्हारी नजर देख ली थी कि कहाँ पर है। मैं उस दिन का इंतजार करने लगी जब तुम घर पर अकेले हो। और आज मैं मौका पा गई। क्योंकि जिज्ञासा तुम्हारी नहीं मेरी थी किसी लड़के को अपने सामने बिल्कुल नंगा देखने की, इसलिए मैंने इतना सब कुछ किया।

इतना कह कर उसने अपने पूरे कपड़े उतार दिए।

क्या थी उसकी छोटी-छोटी चूची, बिल्कुल नींबू जैसी।
ऐसा लगा कि उसको पकड़ कर उसकी नीबू जैसी चूची को चूस लूँ… और मैं उसको पकड़ कर उसकी चूची को दबाने वाला ही था कि वो झटके से अलग हो गई और बोली- पहले अपने कपड़े उतारो, तुमने भी वादा किया है और तुम्हें भी नंगा होना पड़ेगा।

मैंने भी वादे के अनुसार अपने पूरे कपड़े उतार दिये और उसके सामने नंगा हो गया। उसके बाद नीलम मेरे पास आई और मेरे लण्ड को छूकर बोली- तुम इसको क्या कहते हो?

‘लण्ड…’ मैंने तुरंत ही बोला।
‘अच्छा तो यह तुम्हारा लण्ड है, और यह मेरा लण्ड है…’ उसने बड़ी मासूमियत से कहा।
‘अरे नहीं, इसको बुर कहते हैं।’ मैंने कहा।

‘और इसको क्या कहते हैं?’ मेरी गाण्ड पर थपकी देते हुई बोली।
‘गाण्ड…’
‘और इसको?’ अब उसने अपनी गाण्ड पर हाथ फिराते हुए बोली।
‘गाण्ड!!’
‘क्यों? इसको गाण्ड क्यों कहते हैं?’

मैंने पूछा- क्या मतलब?
तो वो बोली- कि जब तुम्हारा ये लण्ड और मेरी ये बुर है तो फिर हमारी और तुम्हारी गाण्ड का एक नाम क्यों?
मैंने कहा- अरे पगली, ये दोनों एक जैसी है और इन दोनों का आकार अलग-अलग है न इसलिए!!
‘इन दोनों का आकार अलग-अलग क्यों है?’

फिर मैंने उसे समझाया कि जिस प्रकार बिजली से बल्ब जलाने के लिये साकेट और टाप का आकार अलग-अलग होता है उसी प्रकार आदमी और औरत का यह अंग अलग-अलग होता है। और जानती हो, इसको क्या कहते हैं उसकी चूची की घुंडी को दबाते हुए मैंने कहा- इसको चूची कहते हैं।

तुरंत ही एक जोर का थप्पड़ मेरे गाल में लगा, मैंने गाल सहलाते हुए पूछा- मारा क्यों?
तो वो बोली- इसको दबा दिया तो मुझे दर्द हो रहा था।

‘अच्छा तो यह बात है…’ कहकर मैंने उसे अपने बदन से चिपका लिय और धीरे-धीरे से उसके बदन को सहलाने लगा।

अब वो धीरे-धीरे गरम होने लगी और जैसे-जैसे मैं उसके साथ करता वैसे ही वह मेरे साथ करती।
मैंने उसकी पीठ सहलाते-सहलाते उसकी गाण्ड में अपनी उँगली डाल दी। इधर मैंने उसकी गाण्ड में उँगली कि और उधर वि मेरी नकल करते हुए मेरी गाण्ड में उँगली गड़ाने लगी।

थोड़ी देर बात नीलम बोली- शरद, मुझे पेशाब लगा है।

मैंने उसे अपने से अलग करते हुए उससे कहा- जाओ, करके आओ।
‘अरे पागल… इस नंगी हालत में मैं बाहर कैसे जा सकती हूँ?’
‘अरे तो कपड़े पहन लो…’
‘अरे बहुत तेज से लगी है, जब तक़ मैं कपड़े पहनूँगी तब तक तो यहीं निकल जायेगा।
‘तो यहीं कर लो, फिर बाद में साफ कर लिया जायेगा।’

नीलम बैठ कर मूतने लगी, सीटी जैसी आवाज उसके मूत से आ रही थी, जिसकी वजह से मुझसे रहा नहीं गया और पता नहीं मुझे क्या हुआ मेरा हाथ उसकी बुर पर चला गया और मैं उसकी बुर सहलाने लगा, मेरा हाथ उसके पेशाब से गीला हो रहा था पर मेरा गीला हाथ उसकी बुर पर पड़ता तो एक छपाक की आवाज आती…

पता नहीं मुझे क्या हुआ, मैंने उसको खड़ा कर दिया क्योंकि मैं उसको खड़े होकर मूतते देखना चहता था।
जब वो खड़ी हुई तो मैंने अपनी मध्यिका उँगली उसके योनि द्वार पर रखकर अन्दर की तरफ़ धकेलने लगा, जिसके कारण उसकी पेशाब की बूँदें मेरे बदन पर आ रही थी।

उत्तेजना ही तो थी यह कि मेरी जीभ लपलपा कर उसके बुर के मुहाने पर चली गई।कसैला सा स्वाद था…
मैंने उसकी एक टांग उठाकर पास पड़ी कुर्सी पर रख दिया और उसके बुर को चाटने लगा।
नंगी नीलम भी काबू से बाहर हो रही थी, मेरे सर को मजबूती से पकड़ कर अपने बुर को मेरे मुँह से रगड़ रही थी, आह… सी… सी… आह की आवाज उसके मुँह से आ रही थी और अचानक मेरे मुँह में कुछ शायद उसके रज की बूँद आ गिरी।
मैं मुँह हटाना चाह रहा था, पर वो मेरा सर इस प्रकार पकड़े थी कि मैं चाह करके भी अपना मुँह वहाँ से नहीं हटा पाया मैंने उसकी गाण्ड में उँगली डाल दी पर मेरी ये कोशिश भी बेकार गई और उसने अपने रज की एक-एक बूँद मेरे मुँह में भर दी।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

जैसे ही उसकी पकड़ ढीली पड़ी मैंने उसकी बुर कि पुत्ती को पकड़ कर जोर से मसल दिया, वो चीख पड़ी और बोली- यह क्या कर दिया? दर्द हो रहा है।
‘तुम भी तो अपने बुर से मेरा मुख से नहीं हटा रही थी! अपने रस की एक-एक बूँद पिला दी।’

‘अच्छा यह बताओ कि मेरे रस कैसा लगा?’
‘यह तो मैं नहीं बताऊँगा। तुम मेरा लौड़ा चूसो और इसके स्वाद को अपने आप जान नाओ।’
‘अरे इतनी सी बात… ये लो मेरे राजा!’ इतना कहकर नंगी नीलम घुटने के बल बैठ गई और मेरे लोड़े को पकड़ कर आगे की चमड़ी को हटा कर अपने जीभ से उस भाग को चाटने लगी।
वो इस प्रकार उस हिस्से को चाट रही थी जैसे छोटा बच्चा खाना खाने के बाद अपने जीभ से अपने हथेली को चाटता है, ठीक उसी प्रकार से वो मेरे लण्ड को चाट रही थी। फिर उसने मेरी गाण्ड के छेद में अपनी उँगली से सहला कर मेरे लौड़े से अपने मुख को चोद रही थी। उसके इस तरह के मुख चोदन से मुझे लग रहा था कि मैं अब झड़ा कि तब झड़ा।

करीब पंद्रह मिनट के बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया। नीलम ने भी मेरे वीर्य की एक-एक बूँद ठीक उसी प्रकार चूस की जैसा कि मैंने उसके किया था।

जब उसने मेरे लौड़े को छोड़ा तो लौड़ा इस प्रकार दिखाई पड़ रहा था कि जैसे बच्चे की छुन्नी। मेरे लौड़े या यूँ कहें कि छुन्नी को देख कर हँसने लगी और कहने लगी- देख तो शरद मैंने तेरे लौड़े का क्या हाल कर दिया।
मैंने कहा- तू इतन अच्छा चूसती है, इसका तो ये हाल होना ही था। कहाँ से सीखा ये सब?

नंगी नीलम मुझसे बोली- यह बताओ कि तेरे को मजा आया या नहीं?
‘अरे बहुत मजा आया। पर तुम तो बड़ी पक्की खिलाड़ी हो और मुझसे तो कह रही थी कि आदमी का लण्ड देखने की तुम्हारी बहुत जिज्ञासा है?

‘अरे वो तो मैं मजाक कर रही थी। मैंने तो तुम्हारी जिज्ञासा को शान्त करने के लिये ये सब किया था।’

‘वो कैसे?’ मैंने पूछा, तो वो बोली- वैसे तो जब भी कभी मैं अपने सवाल तुमसे पूछती थी, तो तुम मेरी तरफ देखे बिना मेरे सवाल बता देते थे। पर जब मैं उस दिन फ्राक पहन कर आई थी, और गलती से मेरे टांगों की तरफ तुमने देखा और उसी वक्त मुझे तख्त पर बैठने को कहा, उस समय तो में नहीं समझ पाई पर जब मैं घर गई और कपड़े बदलने लगी तभी मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ। मुझे लगा कि मुझे फ्राक पहन कर तुम्हारे पास नहीं आना चाहिये था और उस पर यह कि मैंने पैन्टी भी नहीं पहनी थी।
मैं तुम्हें देखना चाहती थी यदि मैं दूसरे दिन भी फ्राक पहन कर जाऊँ तो तुम्हारा रिएक्शन क्या होगा। लेकिन जब उस दिन भी तुमने मुझे पलंग पर बैठने के लिये कहा तो मैं समझ गई कि तुम क्या चाहते हो। इसलिये मैं उस दिन से इंतजार कर रही थी कि कब तुमको मैं घर में अकेला पाऊँ और तुम्हारी जिज्ञासा को शान्त करूँ।

‘अच्छा एक बात तो बताओ, तुम इतना सब कैसे जानती हो… इस तरह लण्ड चूसना, पहले से तो चुदी हुई हो क्या?’

‘नहीं…’ नीलम बोली- पहले से तो नहीं चुदी हूँ… हाँ पर ये सब मैंने अपने भैया-भाभी की रतिक्रिया के कारण सीखा है।

कहानी जारी रहेगी।

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top