भाभी जी की दो कचौड़ियां- 1

(Nude Bhabhi Hot Kahani)

न्यूड भाभी हॉट कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी जवान पड़ोसन को सिर्फ पैंटी में देखा. वो नीचे वाले फ्लैट में नये आये थे। मैं उसको चोदने के सपने देखने लगा.

दोस्तो, अन्तर्वासना सेक्स स्टोरी साइट पर आप सभी का स्वागत है।

मैं आपका सचिन भोपाल से हूं।

मेरी पिछली कहानी थी: ब्यूटी पार्लर में मसाज और चुदाई

आज मैं आपको अपने साथ हुआ एक अन्य वाकया बताने जा रहा हूं।
उम्मीद है आपको इस कामुक न्यूड भाभी हॉट कहानी में मजा आएगा।

तो हुआ यूं कि पिछले साल फरवरी महीने में एक फैमिली हमारी बिल्डिंग में रहने के लिए आई।
जिस फ्लैट में वह फैमिली रहने के लिए आई थी वह ग्राउंड फ्लोर का है और ठीक उसके ऊपर मेरा फ्लैट है।

उस फैमिली में हस्बैंड दिनेश (34) वाइफ मोहिनी (28) और उनका एक 2 साल का बेटा था।

जब भी मैं उस भाभी को देखता तो उसे देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था।
मेरे मन में उसे चोदने की इच्छा जागृत होने लगती।

उसका पति किसी कंपनी में काम करता था जो सुबह 9:30 बजे निकलता और रात को 10:00 बजे लौटकर आता था।

अब मैं आपको बता दूं कि मेरी जॉब मार्केटिंग की है और जो मार्केट मुझे मिला हुआ है काम करने के लिए मैं उसी मार्केट में रहता था।
तो मैं आराम से 11:00 बजे अपने मार्केट में निकल जाता था काम करने के लिए।

कुछ दिन मेरे यूं ही सोचते-सोचते निकल गए कि भाभी से बात कैसे बात करूं मगर कुछ सूझ नहीं रहा था।

फिर मार्च का महीना आ गया।

यह 2 मार्च की बात है जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता।

लगभग 10:00 बज रहे होंगे। उसका बच्चा हमारी बिल्डिंग की बाउंड्री के अंदर और फ्लैट के बाहर खेल रहा था और मैं उसे खेलते हुए अपनी बालकनी से देख रहा था।

वह खेलते खेलते अचानक गिर गया और वह रोने लगा।

मैं तुरंत अपने रूम से बाहर सीढ़ियों से उतरता हुआ उस बच्चे के पास पहुंचा और देखा तो उसे घुटने में चोट लग गई थी और खून निकल रहा था।

अब वह जोर-जोर से रो रहा था।

मैं उस बच्चे को उठाकर उनके गेट पर पहुंचा।
गेट खुला होने के कारण मैं उसे लेकर उनके घर में दाखिल हुआ ही था कि उसकी मां बाथरूम से निकलकर बाहर आई।

उसे देख कुछ सेकेंड के लिए तो मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई।
मैं देख कर एकदम मूर्तवत तरीके से खड़ा हो गया। मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था कि यह क्या हो रहा है मेरी आंखों के सामने।

वो ऊपर से पूरी नंगी थी। न्यूड भाभी के गीले बाल उसकी चूचियों पर पड़े थे और जब वह चलती हुई आ रही थी तो दोनों दूध उछल रहे थे।
हम दोनों आमने सामने थे।

वो मुझे पथराई हुई आंखों से देख रही थी और अगले ही पल पलट कर बाथरूम में वापस भाग गई।
शायद वह उस टाइम बाथरूम में नहा रही होगी।

उसके चूचों को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कामदेव ने उसके दूधों के भीतर फूली हुई कचौरी भर दी हो।

फिर मैंने ध्यान से उस नजारे को सोचा तो याद आया कि उसने सिर्फ अपने बदन पर स्काई ब्लू कलर की पैंटी पहन रखी थी।
वह भी पूरी भीगी हुई थी।

पैंटी भीगी हुई होने के कारण उसकी चूत से चिपकी हुई थी।

दोस्तो, उस टकराव में 5 सेकंड तक मैं उसे और वह मुझे देखती रही फिर वह तेजी से मुड़ी और अपनी गांड हिलाते हुए बाथरूम में जाकर गेट बंद कर लिया और एक मिनट बाद वापस निकल कर आई।

उसने पेटीकोट को अपने बूब्स के ऊपर बांध लिया था।
भाभी- क्या हुआ मेरे बच्चे को? और इतना खून क्यों निकल रहा है इसे घुटने से?

मैं- यह बाहर खेल रहा था। खेलते-खेलते गिर गया। मैं ऊपर बालकनी में बैठा था। जब रोने की आवाज सुनी तो मैं नीचे आया और देखा तो इसको चोट लग गई थी। मगर आप ज्यादा चिंता मत कीजिए, गिरने के कारण इसका घुटना छिल गया है, ज्यादा चोट नहीं आई है।

भाभी अपने बच्चे को चुप करवाने लगी तो मैं वहां से सीधा अपने रूम में आया और मेरे पास रखी हुई बेंडेड उठाकर वापस उनके रूम में गया।
वह अभी भी अपने पेटीकोट को सीने से बांधे हुए थी और बच्चे को चुप करवाने की कोशिश कर रही थी।

मैं- यह लीजिए भाभी जी, यह बेंडेड मुन्ने को लगा दीजिए ताकि उसका खून आना बंद हो जाए।
भाभी- आप ही लगा दीजिए क्योंकि मेरे हाथ पानी में भीगे हुए हैं और भीगे हुए हाथ जब उसकी चोट में लगेंगे तो उसको जलन होगी।
मैं- हां, यह भी आप सही कह रही हो। मैं ही लगा देता हूं।

भाभी- यदि आपको जल्दी ना हो तो कुछ देर आप मेरे बच्चे के साथ बैठ जाइए जब तक मैं नहा कर वापस आती हूं?

मेरे कुछ कहने के पहले ही वह उठकर किचन में गई।
मैं पीछे से उसके बदन को देख रहा था।

उसका बदन और पेटीकोट भीगा होने के कारण उसका पेटीकोट उसकी गांड से चिपका हुआ था। उसकी गांड की शेप और कटाव अलग ही दिख रहा था।
जिसे देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया।

फ्रिज में से कैडबरी की चॉकलेट निकाल कर जब वह मुड़कर वापस आने को हुई तो उसका पेटीकोट आगे से उसके दूधों से चिपका हुआ था और नीचे कमर में भी चिपका हुआ था।

उस समय मेरी हालत ऐसी हो रही थी जैसे किसी ने मुझे बहुत ही ठंडे रूम में बैठा दिया हो।
मैं अपनी सांसों को कंट्रोल करते हुए उसकी गर्दन के नीचे का फिगर देख रहा था।

वह अपने बेटे को कैडबरी देते हुए नीचे झुकी और बोली- बेटा तुम ये चॉकलेट खाओ और अंकल के साथ खेलो, जब तक मैं नहा कर वापस आती हूं।

उसकी नजर मेरे लंड पर पड़ी।

मैं अपना होशोहवास खोए हुए बस उसी के बदन को ही निहार रहा था। मेरी निगाहें और उसकी निगाहें आपस में टकराईं तो उसे अहसास हो गया कि मैं क्या देख रहा हूं और वह किस हालत में मेरे सामने खड़ी है।

वह तेज तेज कदमों से चलकर बाथरूम के अंदर गई और मुझे देखते हुए उसने बाथरूम का दरवाजा बंद किया और नहाने लगी। उसके नहाने की आवाज से ऐसा लग रहा था कि वह शावर के नीचे खड़ी होकर नहा रही है।

फिर मैंने बच्चे के हाथ से चॉकलेट लेकर उसे खोल कर दे दी और वह चुप होकर खाने लगा।

कुछ देर बाद जब मुझे बाथरूम के अंदर से आवाज आई और ऐसा लगा कि कोई मुझे आवाज दे रहा है।

मैंने ध्यान से सुना तो पता चला बाथरूम के अंदर से आवाज आ रही है और भाभी मुझसे कुछ कह रही है।
मैं- हां जी, बोलिए?

भाभी- वो … जी … वो अगर आपको बुरा ना लगे तो प्लीज मेरे बेडरूम में मेरे कपड़े रखे हुए हैं, उन्हें लाकर मुझे दे देंगे क्या? मैं जल्दी-जल्दी में लाना भूल गई।
मैं- ठीक है, ला देता हूं।

जब मैं उसके बेडरूम में गया तो देखा उसके पलंग पर रेड कलर का गाउन रखा हुआ था।

मैंने उसको हाथों में उठाया तो उसके अंदर रखी हुई रेड कलर की मैचिंग की गई ब्रा और पैंटी नीचे गिर गई।

एक पल तो मेरे मन में ख्याल आया कि गाउन छोड़ दूं और उसे उसकी ब्रा और पेंटी दे दूं।
फिर मन में दूसरा ख्याल आया कि भाभी मेरे बारे में क्या सोचेगी?

मैंने वह ब्रा और पैंटी नहीं उठायी, सिर्फ गाउन ले जाकर बाहर से बाथरूम का दरवाजा खटखटाया तो भाभी ने धीरे से गेट खोल कर अपना हाथ बाहर कर दिया और मैंने उनके हाथ में वह रेड गाउन दे दिया।

मैं बोला- इसके अंदर दो कपड़े और थे जो कि उठाते समय नीचे गिर गए तो मैंने उनको उठाया नहीं, सिर्फ यही लेकर आया हूं। आप इसी से काम चला लीजिएगा।

उसने कुछ नहीं बोला और गेट लगा दिया।
फिर मैं वापस उसके बच्चे के पास आकर बैठ गया।

कुछ देर बाद बाथरूम का दरवाजा खोलने की आवाज आई तो मेरी नजर अनायास ही उस दरवाजे पर जाकर टिक गई।

जब भाभी बाहर निकली तो उसने रेड कलर का गाउन पहना हुआ था।
सिर पर बालों में टॉवल बंधा हुआ था जो आम स्त्रियां अपने बाल सुखाने के लिए बांधती हैं।

उसके गाउन से बाहर निकलने की कोशिश करती हुई उसकी कचौरियों के समान चूचियों के निप्पल साफ दिख रहे थे।

वह बहुत शर्मा रही थी। उसे देखकर मेरी हालत खराब होने लगी तो मैं खड़ा हो गया।

नीचे ही नीचे उसकी नजर मेरे लंड पर टिक गई जो कि खड़ा हो गया था।
मैं- अब मुझे चलना चाहिए, मुझे काम पर जाने में लेट हो रहा है।

यह कहते हुए मैंने अपना नंबर एक कागज पर लिखते हुए बोला- यह मेरा नंबर है, अगर कोई दिक्कत हो तो मुझे फोन लगा लीजिएगा। मैं पास ही के मार्केट में काम करता हूं।

मैंने अपना नंबर वहां रखी हुई टेबल पर रख दिया।
वह कुछ नहीं बोली और मैं निकलकर आ बाहर आ गया।

फिर अपने रूम में जाकर मैंने अपना बैग उठाया और लगभग 11:15 पर बाइक स्टार्ट करके मार्केट निकल गया।

दोस्तो, मार्केट में आने के बाद भी मुझे काम करने में कहीं मन नहीं लग रहा था।

वैसे भी जिसको सामने इतना सुंदर नजारा दिखाई दिया हो, वह भी अचानक … जिसकी उसे उम्मीद ना हो तो उसका मन भला किसी और काम में कैसे लग सकता है उसकी आंखों में तो वहीं नजारा दिखाई देगा जो अब मेरी आंखों से हट ही नहीं रहा था।

मैंने जैसे-तैसे अपना काम खत्म किया और अपने रूम की ओर निकल पड़ा।

निकलते हुए मैं सोच रहा था कि आज शायद फिर से भाभी से मुलाकात हो जाएगी लेकिन मेरी उम्मीदों के विपरीत जब मैं उसके रुम के पास से निकला तो देखा उसका दरवाजा बंद है।

मैं उम्मीद कर रहा था उसका फोन शायद मेरे फोन पर आए मगर वह कॉल भी नहीं आया।

अगले दिन मैं अपनी बालकनी पर खड़ा हुआ धूप सेंक रहा था।

जब मेरी नजर नीचे पड़ी तो देखा एक लड़की जिम सूट पहने हुए बाहर बैठ कर योगा कर रही है।
मगर मुझे अभी तक उसकी सूरत दिखाई नहीं दे रही थी।

कुछ देर तक मैं कोशिश करता रहा कि उसकी सूरत मुझे दिख जाए लेकिन मेरे कोशिश करने के बाद भी मुझे उसका चेहरा नहीं दिखा।
फिर कुछ देर बाद जब उस लड़की ने सूर्य नमस्कार किया तब जाकर मुझे उसकी सूरत दिखाई थी।

मैं सूरत देखकर चौंक गया।
मुझे यकीन नहीं हुआ कि यह वही भाभी है जिसको मैंने कल देखा था।

उसने अपना फिगर बहुत ही मेंटेन करके रखा था। उसने ऊपर स्पोर्ट्स ब्रा पहनी थी जो ब्लैक कलर की बहुत ही टाइट ब्रा थी, और बहुत ही टाइट लैगी पहनी हुई थी।

जब भाभी ने सूर्य नमस्कार करने के लिए अपना चेहरा ऊपर की ओर उठाया तो उसकी नज़र मेरी नज़र से टकराई और वह हड़बड़ा कर बैठ गई और जल्दी से उठ कर अपने रूम में भाग गई।

मुझे कुछ समझ नहीं आया कि यह मुझे देखकर क्यों भाग गई। मुझे इस तरह देखकर उसका यूं भाग जाना मुझे अपनी बेइज्जती जैसा लगा।
मगर मैं हैरान था कि ऐसा भी क्या देख लिया उसने?

मैंने मन ही मन सोचा कि मैंने इसकी इतनी हेल्प की और थैंक्यू बोलना तो दूर की बात रही … मुझे देख कर भाग गई ये!

फिर मैंने टाइम देखा तो 10:30 बज चुके थे।
मैं अंदर आकर मार्केट के लिए तैयार हुआ और अपनी बाइक उठाकर मार्केट निकल गया।

शाम को जब मैं वापस आया तो मेरी बाइक की आवाज़ सुनकर वह बाहर आई और मुझे देखने लगी।
लगा जैसे मुझसे बात करने के लिए खड़ी हो।

मैंने उसकी नजरों में देखा और अपनी नजर घुमा ली वहां से निकलते हुए।

मैं उसे इग्नोर करते हुए जब उसके बाजू से निकल रहा था तो मुझे लगा वह मुझसे कुछ कहना चाह रही है मगर उसके मुंह से शायद आवाज नहीं निकल पा रही है।

फिर मैं अपनी सीढ़ियां चढ़ते हुए अपने रूम पर पहुंच गया।

उसी रात को 8:00 बजे जब मैं खाना खा चुका था तो किसी काम से बालकनी में आया।
मैंने नीचे देखा तो भाभी बाहर गैलरी में टहल रही थी।

हालांकि उस दिन की घटना के बाद मेरा मन उसे चोदने को कर रहा था किंतु सोच नहीं पा रहा था कि बात कैसे आगे बढ़ाई जाए।

तो जब मैंने भाभी को नीचे गैलरी में टहलते हुए देखा तो मैंने सोचा क्यों ना मैं भी नीचे जाकर टहलूं?

मेरे मन में ख्याल आया कि अगर भाभी को मुझसे कुछ बात करनी है तो मुझसे बात कर लेगी, नहीं तो कुछ देर टहलते टहलते मैं ही भाभी से बात करने की कोशिश करूंगा।

यह सोचकर मैं नीचे आया।

जब मैं नीचे आया टहलने के लिए तो भाभी मुझे देख कर फिर से अंदर चली गई।
मैंने मन ही मन सोचा कि यह तो सेल्फ रिस्पेक्ट वाली बात हो गई।

फिर मैं भी गुस्से में अपने रूम में आया और दरवाजा बंद करके सिगरेट की डिब्बी से एक सिगरेट निकाली और पीने लगा।
कुछ देर बाद में मैं सो गया।

अगली सुबह हुई लेकिन मैंने बालकनी में जाना उचित नहीं समझा और तैयार होकर टाइम से पहले मार्केट निकल गया।

काम खत्म होने के बाद मैं अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने निकल गया।

फिर रात को 10:00 बजे जब मैं अपने फ्लैट के पास पहुंचा तो मेरी बाइक की आवाज सुनकर उसका पति गेट खोलकर बाहर आया।

जब मैं उसके पास पहुंचा तो उसने मुझे रोकते हुए बोला- भाई साहब आपका बहुत-बहुत धन्यवाद … उस दिन आपने मेरे बच्चे को सम्भाला।

मैं- भाई साहब, इसमें धन्यवाद की कोई आवश्यकता नहीं है। एक पड़ोसी अपने पड़ोसी के काम नहीं आएगा तो कौन आएगा?
भाभी का पति- वैसे भाई साहब आपका नाम क्या है? और क्या आप अकेले ही रहते हैं?

उनसे मैंने कहा- भाई साहब, मेरा नाम सचिन है।

इसी बीच मैंने देखा कि भाभी जाली वाले गेट से झांककर हम दोनों की बातें पीछे खड़ी होकर सुन रही थी।

मुझे भाभी ने अपनी ओर देखते हुए देख लिया और हमारी आंखें एक सेकेंड के लिए टकराईं तो मैंने नजर हटाते हुए कहा- हां भाई साहब मैं अकेला ही रहता हूं।

भाभी का पति- मेरा नाम दिनेश है। चलिए आज हमारे यहां पर खाना खा लीजिए।

मैंने फिर नजर बचाते हुए भाभी की ओर देखा और फिर भाई साहब के सामने हाथ जोड़कर कहा- थैंक यू भाई साहब, मगर मैं खाना अपने दोस्त के यहां से खाकर आया हूं।

दिनेश- तो अंदर चल कर चाय पी लीजिए.

फिर नजरें बचाकर मैंने भाभी को देखा और फिर हाथ जोड़कर बोला- भाई साहब, फिर कभी चाय पी लेंगे।
मैंने उसके पति को छुपाकर कर इशारा किया कि मैंने ड्रिंक किया हुआ है।

वह मुस्कुरा कर बोला- कोई दिक्कत नहीं, हम फिर कभी चाय पी लेंगे।
फिर वो मेरे पीछे पीछे मेरे रूम तक आया।

मैं बोला- भाई साहब, चाय के लिए धन्यवाद मगर मेरे दोस्तों ने जबरदस्ती एक पेग पिला दिया और मैंने सुना है कि ड्रिंक करने के बाद अगर कोई चाय पीता है तो उल्टी हो जाती है। वैसे आपसे एक विनती है कि आप भाभीजी को भी मत बताइए कि मैंने ड्रिंक की हुई है नहीं तो वह मेरे बारे में पता नहीं क्या सोचेंगीं।

दिनेश मुस्कुराते हुए बोला- नहीं भाई साहब, मैं किसी को नहीं बताऊंगा, गुड नाइट।
मैं- शुभरात्रि दिनेश जी।

दोस्तो, चूंकि मैं थोड़ा ड्रिंक किया हुआ था और खाना खाकर आया हुआ था तो सीधा पलंग पर जाकर सो गया।
पलंग पर गिरते ही मेरी आंख लग गई।

आपको यह न्यूड भाभी हॉट कहानी कैसी लगी आप मुझे अपने ईमेल के जरिए जरूर बताना। आप लोगों की प्रतिक्रियाओँ का इंतजार रहेगा।
मेरा ईमेल आईडी है- [email protected]

न्यूड भाभी हॉट कहानी का अगला भाग: भाभी जी की दो कचौड़ियां- 2

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top