घर में हनीमून

(Ghar Me Honeymoon)

दीप 9899 2014-02-21 Comments

मेरा नाम दीप है, मैं एक 25 साल का लड़का हूँ, और चार्टेड एकाउंटेंट हूँ। मुझे घूमना-फिरना दोस्तों के साथ मस्ती करना, अच्छा लगता है। आज मैं आपको अपने जीवन की एक सच्ची और मजेदार घटना बताने जा रहा हूँ।

बात आज से 4 साल पहले की है, जब मैं दिल्ली के साउथ-एक्सटेन्शन में रहता था। मेरे फ्लैट के ऊपर हमारी दूर के एक भैया और भाभी रहते थे।

उनका एक 3 साल का बच्चा भी था। भाभी बहुत ही सुंदर थीं और उम्र भी कोई 26 साल। भैया-भाभी दोनों जॉब करते थे और अपने बेटे को दिन में पास ही अपने दादा-दादी के पास छोड़ जाते थे।

भैया कम पढ़े-लिखे थे पर सरकारी जॉब करते थे और भाभी प्राइवेट जॉब करती थीं। भाभी इतनी सुन्दर थी, कि उन्हें जॉब देने से कोई इंकार नहीं कर सकता था।

उनके साथ उनका एक देवर भी रहता था जिसके कारण शायद भाभी भी दुखी रहती थीं। मन ही मन तो चाहती थीं कि देवर कहीं और चला जाये, पर कह नहीं पाती थीं।

एक दिन भाभी को मुझसे कोई बैंक का काम था। सो वो मेरे घर आईं और मुझसे पूछने लगीं। वो मेरे बिल्कुल बगल में बैठी थीं और बिना चुन्नी के आई थीं।

उनको समझाते-समझाते मेरी नज़र उनके वक्ष पर पड़ गईं गोरे-गोरे और वो बीच की लकीर ने मुझे हिला दिया और मैं आपे से बाहर होने लगा।

तभी भाभी की नज़र मुझ पर पड़ी और वो समझ गई कि मेरी नज़र उनके स्तनों पर है।

भाभी ने कुछ नहीं कहा, पर अपना एक हाथ अपने स्तनों पर रखा और समझने लगीं और फिर चली गईं।

मैं उस दृश्य को याद कर पागल सा हो रहा था और सोच रहा था। क्या पता अगर मैं कोशिश करता तो आज मेरा और भाभी का मिलन हो जाता और मेरी प्यास भी बुझ जाती।

मैं खुद को कोस रहा था कि मैंने कैसे इतना अच्छा मौका खो दिया।

कुछ दिन बाद सुबह भैया आए और मुझे अपने घर की चाभी दे कर बोले- हम सब गाँव जा रहे हैं, घर की देखभाल कर लेना।
मैंने सहमति जताते हुए ‘हाँ’ कह दिया।

अगले दिन शनिवार होने की वजह से मैं घर पर टीवी देख रहा था। करीब दो बजे होंगे। दरवाजे पर घंटी बजी। और मैंने दरवाजा खोला तो भाभी सामने खड़ी थीं।

भाभी ने मुझसे चाभी मांगी, पूछने पर उन्होंने बताया कि उन्हें आज सुबह ऑफिस आना पड़ा। इसलिए वो सुबह ही गाँव से सीधा ऑफिस चली गईं और काम ख़त्म होते ही घर आ गईं और भैया और उनका बेटा गाँव में हैं, वो दो दिन बाद आयेंगे।

भाभी चाभी लेकर चली गईं।

थोड़ी देर बाद भाभी ने मुझे बुलाया और कहा कि उनके सर में दर्द हो रहा है उन्हें डिसप्रिन चाहिए।
मैंने उन्हें घर से डिसप्रिन लाकर दी और उनसे वहीं बातें करने लगा।

भाभी मेरे सामने लेटी हुई थीं और उनके छाती के उभार साफ़ दिख रहे थे। मैं फिर से वासना में खोने लगा, दिल कर रहा था कि बस भाभी के ऊपर चढ़ जाऊँ और चोद डालूँ।

मैं पेशाब करने के बहाने गया और मुठ मारने लगा। वापस आकर मैंने वापस जाना ही ठीक समझा।

मैंने भाभी को कहा तो भाभी ने मुझे थोड़ा और रुकने को कहा।

मैं रुक गया बातों-बातों में भाभी ने बताया कि भाभी अपने देवर से परेशान हैं पर वो उनके घर से जाता ही नहीं।

फिर भाभी ने साथ खाना खाने को कहा तो मैं मान गया। भाभी का सरदर्द भी ठीक हो गया और हमने साथ में खाना खाया।

भाभी ने अपने पीसी में अपने परिवार और कॉलेज की फोटो दिखाईं। भाभी उन फोटो में बहुत ही सुन्दर लग रही थीं।
मैंने भाभी से पूछा- भाभी, आप पर तो बहुत लड़के मरते होंगे कॉलेज में?
भाभी बोलीं- मेरा तो पूरा कॉलेज दीवाना था।
भाभी ने यह भी बताया की उनकी शादी से पहले उनके 3 बॉय-फ्रेंड रह चुके हैं।

मैंने भी फिर हिम्मत करके पूछ लिया, “क्या भाभी आप शादी के समय अक्षतयौवना virgin थीं?”
तो उन्होंने कुछ नहीं कहा।
मैं सब समझ गया भाभी ने बताया कि भैया की सरकारी नौकरी थी इसलिए उनसे शादी हो गई।

फिर भाभी उठीं और बोलीं- मैं चाय बनाकर लाती हूँ।
भाभी उठी तो उनका सूट उनके चूतड़ों की दरार में घुसा हुआ था।
मुझे पता नहीं क्या हुआ, मैंने भाभी को रोका और अपने हाथ से उनका सूट खींचकर ठीक कर दिया।
भाभी हैरान हो गई और खड़ी होकर मुझे घूरने लगीं।

फिर भाभी चली गईं और चाय बनाने लगीं और कुछ नहीं बोलीं। चाय लेकर आई और हम चाय पीने लगे।

चाय पीने के बाद मैं घर जाने लगा, तो भाभी ने कहा- रात का खाना भी साथ खायेंगे?
तो मैंने ‘हाँ’ कर दी। और रात को 9 बजे भाभी के घर गया और हम खाना खाने लगे।
खाना खाने के बाद हम बातें करने लगे फिर मैं सोने चला गया।

फिर भाभी का फ़ोन आया कि उन्हें अकेले डर लग रहा है और मैं उनके घर में सो जाऊँ। मैं उनके घर चला गया और टीवी देखने लगा।

10 बजे होंगे, भाभी मेरे पास आईं और बोलीं कि उन्हें नींद नहीं आ रही है तो हम बातें करने लगे।

उस वक्त भाभी ने नाईटी पहनी हुई थी और उनके चूचे साफ़ दिख रहे थे। मैं फिर से पागल होता जा रहा था।

तभी भाभी उठी और पेशाब करने चली गईं। मैं भी उनके पीछे चला गया, पर भाभी अचानक बाहर आ गईं और मुझे देखकर चौंक गईं और बोलीं- तुम यहाँ क्या कर रहे हो?
मैं हड़बड़ाहट में बोला- मुझे भी जोर से पेशाब आई है।

मैं जल्दी से बाथरूम में घुस गया। वापस आकर हम टीवी देखने लगे और भाभी टीवी देखते देखते वहीं सो गईं।
उन्हें सामने पाकर मैं पागल हुआ जा रहा था। उनका सुंदर गोरा चेहरा, गुलाबी होंठ, गोल-गोल कबूतर, मुझे मानो अपने पास बुला रहे हों।
मैं हिम्मत करके आगे बढ़ा और उनके होंठों को चूम लिया।

मेरी इस हरकत से भाभी उठ गईं। उन्होंने मुझे चांटा मारा। मैंने उन्हें ‘सॉरी’ कहा और वहाँ से जाने लगा।
तब भाभी ने मुझे रोका और कहा- दोबारा मत करना।
शायद भाभी भी यही चाहती थीं पर कह नहीं पा रही थीं।

फिर भाभी वहीं सोफे पर लेट गई और जान बूझकर अपनी नाईटी जाँघों तक ऊपर कर ली।

अब मैं बर्दाश्त करने की हालत में नहीं था। मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और भाभी पर कूद पड़ा।

सीधे ही मैंने भाभी के होंठ चूसने लगा भाभी पूरी ताकत से मुझे हटाने लगीं, पर मैं तो बस उनके होंठों को खाने में लगा था।

फिर मैंने एक हाथ भाभी की चूत पर रख दिया। मैं हैरान था कि भाभी ने पैंटी नहीं पहनी थी और बस हटाने का नाटक कर रही थीं। असल में वो भी मुझसे चुदना चाहती थीं फिर मैं भाभी को गालियाँ देने लगा, “बहन की लौड़ी, रंडी, नाटक कर रही है। जानबूझ कर सब करवाती है और अब नखरे कर रही है। आज तेरी चूत फाड़ दूँगा, इतना चोदूँगा कि चार-चार बच्चे एक साथ निकालेगी।

भाभी बोलीं- ठीक है, पर पहले अन्दर चल, बेड पर करना, यहाँ तकलीफ होती है।

मैंने भाभी को गोद में उठाया और उनके चूचे चूसता हुआ, उन्हें बेडरूम में ले गया और जाते ही बेड पर पटक दिया।
मैंने भाभी से पूछा- मेरा लण्ड चूसेगी?
तो वो बोलीं- नहीं।

वैसे भी मुझे चूसना-चुसवाना पसंद नहीं था इसलिए मैंने पूछा- तेल की बोतल कहाँ है?
भाभी बोलीं- कंडोम नहीं है क्या?
तो मैंने मना कर दिया।
भाभी बोलीं- पहले कंडोम ले आओ।
मैंने कहा- अब टाइम नहीं है, ऐसे ही चोदूँगा।

तो भाभी इंकार करने लगीं। मैंने तेल की बोतल ढूँढी और खूब सारा तेल अपने लण्ड पर मला, और कुछ भाभी की चूत खोल कर ड़ाल दिया और ज़बरदस्ती लण्ड उनकी चूत के मुँह पर रख दिया और झटका मारा।

चूत टाइट थी और मैंने तेल भी कुछ ज्यादा ही डाल दिया था। तेल बाहर निकलकर बहने लगा। मैं अब आउट ऑफ़ कंट्रोल था और पूरी ताकत लगाकर लण्ड अन्दर डालने लगा और भाभी की चीखों को दबाने के लिए उनके मुँह को अपने होंठों से कसकर चूसने लगा और झटके पे झटके मारने लगा।

थोड़ी देर बाद लगा मैं स्वर्ग में हूँ और दुनिया का सबसे बड़ा आनन्द ले रहा हूँ।

चोदते-चोदते 15 मिनट बाद मैंने अपना सारा माल तेज धार के साथ भाभी की चूत में छोड़ दिया।

भाभी की आँखों से आँसू आ रहे थे, पर वो मुस्कुरा भी रही थीं।

मैं थोड़ी देर भाभी के ऊपर वैसे ही लेटा रहा और हम बातें करने लगे।

भाभी ने बताया कि जबसे देवर घर आया है, भैया ने चुदाई नहीं की, इसीलिए वो प्यासी रह गईं।

उस रात हम सोए नहीं, रात भर हनीमून मनाते रहे। उस रात हमने हर तरह से 4 बार चुदाई की।
उस दिन के बाद हमें चुदाई के बहुत कम मौके मिले।
पर एक दिन पता चला कि मेरी चुदाई के कारण भाभी गर्भ से हो गई हैं। उन्होंने यह बात किसी को नहीं बताई और गर्भपात करवा दिया।

अब भैया भाभी अपना फ्लैट बेच कर द्वारका शिफ्ट हो गए पर कुछ महीनों तक हमारी चुदाई वहाँ पर भी चालू रही।

पर अब हम नहीं मिलते हैं। भाभी दूसरी बार गर्भ से हैं, बच्चा होने वाला हैं इसलिए हमने अपनी अय्याशियाँ बंद कर दी हैं।

आप मेरी कहानी पर अपनी राय मुझे मेल जरूर करें।
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