कामसूत्र में दिलचस्पी-1

(Kama Sutra Me Dilchaspi-1)

This story is part of a series:

मेरा नाम जतिन है, मैं केरल का रहने वाला हूँ और मैं अभी नागपुर में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में पिछले 4 सालों से जॉब कर रहा हूँ। मेरी उम्र पच्चीस साल है।
मैं दिखने में साधारण, 6 फीट लम्बा और शानदार कद काठी का इंसान हूँ। अपने लंड का आकार मैं लिखना नहीं चाहता क्योंकि मैं जानता हूँ कि आकार का इतना महत्व नहीं होता। वैसे बस इतना कह सकता हूँ कि कुशलता उम्मीद से कई ज्यादा है।

अन्तर्वासना की खोज मैंने अभी हाल ही में की है, वैसे यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं होगा कि अन्तर्वा सना जैसे वेबसाइट की तलाश मुझे हमेशा से थी जिसमें मैं अपनी कला के बारे में लोगों से शेयर कर सकूँ।
दोस्तों पिछले तीन सालों से मैंने जो खोज कामसूत्र के रूप में की है आज मेरा जीवन उसी का एक निचोड़ बन कर रह गया है। यह मेरी एक ऐसी दिलचस्पी है जिसके बारे में न ही मेरा कोई दोस्त जानता है और न ही कोई कंपनी में काम करने वाला साथी।

आज मैं आप सबके सामने अपने जीवन की एक ऐसी वास्तविक कहानी बताने जा रहा हूँ जिसकी वजह से मैं इस राह पर निकल पड़ा।

बात तब की है जब मैं देहरादून में अपनी डिग्री पूरी कर रहा था। हॉस्टल तो मैंने केवल तीन महीनों में ही छोड़ दिया था क्योंकि वहां पर आजादी नहीं थी। मैं एक घर में पेयिंग गेस्ट की तरह रहने लगा। मकान मालिक बैंक में काम करते थे और तक़रीबन 32 साल की उनकी उम्र थी।

उनकी शादी नई नई हुई थी और भाभी की अगर मैं जितनी भी तारीफ करूँ वो कम है। किसी ने सच ही कहा है, पहाड़ी लडकियों में जो कशिश होती है वो शायद ही कहीं और मिल पायेगी। दूध सा गोरा बदन, पतली सी कमर, तना हुआ सीना और उम्र लगभग 25 साल।

उनकी शादी को दो साल ही हुए थे। घर में उनकी सास भी रहती थी पर वो घर में कम और हरिद्वार के एक आश्रम में बच्चों के साथ समय बिताना ज्यादा पसंद करती थी। कभी कभी महीने में एक या दो बार बेटे और बहू से मिलने आ जाया करती थी। भैया भी बहुत मिलनसार स्वाभाव के थे इसलिए हम लोगों में काफी खुलकर बातें होती थी पर मैं भाभी से कभी भी बात नहीं करता था।

भाभी का नाम शीतल था। हम लोगों की आँखें तक़रीबन रोज टकराती थी पर मेरे गले में आवाज़ दबकर रह जाती थी। मैं रोज भाभी से बात करने की सोचता था पर जब भी हिम्मत करके कदम आगे बदने की सोचता, तभी डर के मारे मुझे पसीने आने लगते थे।

भाभी घर के सारे काम खुद करती थी और हमेशा सूट या टॉप पहन कर रहती थी जिसमें उनका जिस्म और भी क़यामत लगता था। एक बात जरूर है कि उनको मन ही मन में यह शक जरूर था कि मैं उनको छुप छुप कर देखता रहता था, चाहती तो वो भी थी कि मैं आकर उनसे बातें करूँ पर मेरे अन्दर हिम्मत कहाँ थी उस वक़्त।

मैं रोज भाभी का ध्यान करके रात को अपने लैपटॉप में ब्लू फिल्म देखता था और मुठ मार मार कर सो जाता था। इसी तरह करीब तीन महीने बीत गए। अब मैं भैया से ज्यादा खुल गया था। उनको मेरी हर हरकतों के बारे में पता था। कई बार भैया ने मुझसे खुद ब्लू फिल्म के क्लिप्स लिए थे।

एक दिन की बात है जब मैं भैया के साथ सुबह सैर पर जा रहा था तो उन्होंने पूछा- तू शीतल से बात क्यों नहीं करता, वो घर पर अकेली रहती है, इसी बहाने तुम लोगों का हंसी मजाक में समय भी कट जायेगा।

मैंने इसका कोई जवाब नहीं दिया, भैया ने भी यह सवाल उस दिन दुबारा मुझसे नहीं पूछा।

अगले दिन फिर यही सवाल उन्होंने मेरे सामने खड़ा कर दिया तो मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उनसे कहा- भैया, मैं आपको कैसे बताऊँ कि मैं जिस जगह से आया हूँ, वहाँ ऐसी लड़कियाँ नहीं रहती, वहाँ की लड़कियाँ सांवली होती हैं और उनमें एक अलग कशिश होती है। भाभी एक ऐसी अप्सरा है जिसके सामने जाने से ही मेरी हिम्मत जवाब दे देती है। उनकी खूबसूरती ही मेरा डर है। मैंने आज तक कभी इतनी खूबसूरत लड़की नहीं देखी और आप मुझे उनसे बात करने को कह रहे है, यह मेरे बस की बात नहीं है।

मेरी बात सुनकर भैया जोर जोर से हंस पड़े और उन्होंने कहा- आज तू घर चल, तेरे डर को दूर भगाता हूँ।

घर पहुँचते ही उन्होंने भाभी को आवाज लगाई और मेरे बारे में सब बता दिया। भाभी मेरे सामने जोर जोर से हंसने लगी और फिर बोली- मैं क्या कोई चुड़ैल लगती हूँ तुम्हें जो तुम्हें खा जाऊँगी?

यह पहली बार था जब उन्होंने मुझसे कुछ कहा था। आज भी मैं उस हंसी को नहीं भुला सकता जो उनके प्यारे से होठों पर थी उस वक़्त।

उस दिन से मेरा डर भी कम हो गया और मैं भाभी से बातें करने लगा। जैसे तैसे दिन बीतने लगे। तभी भैया डेपुटी मैनेजर बन गए। उनको दो महीनों की ट्रेनिंग के लिए मुंबई जाना था। जाते जाते उन्होंने मुझसे कहा- अपनी भाभी का ख्याल रखना और अगर घर में कुछ जरूरत का सामान लाना हो तो ले आना।

वो अपनी गाड़ी की चाभी भी मुझे देकर चले गए।

उस दिन मैं उनकी गाड़ी से उनको स्टेशन छोड़ने गया और रात को घर पर आया तो भाभी ने कहा- आज खाना इधर ही खा लेना।

मैंने भी हाँ कर दी।

मैं नहा धोकर सीधा भाभी के कमरे में गया, भाभी रसोई में कुछ काम कर रही थी। उन्होंने मुझे देखते की कहा- तुन बैठकर टीवी देखो, तब तक मैं खाना लगाती हूँ।

हम लोगों ने साथ खाना खाया। उस वक़्त मेरा ध्यान टीवी पर कम और भाभी पर ज्यादा था जिसको भाभी ने पहचान लिया था।

खाना ख़त्म होने पर भाभी ने कहा- आज कुछ देर बातें करते हैं, तुम्हारे भैया भी अब है नहीं तो नींद जल्दी आयेगी नहीं।

मुझे क्या था, मैं तो चाहता भी यही था। हम लोग साथ बैठ कर बातें कर रहे थे कि तभी भाभी ने मुझसे पूछा- अभी तक कोई गर्लफ्रेंड बनाई या नहीं?

मैंने कहा- वो तो मेरे नसीब में ही नहीं है।

उसके बाद भाभी ने जो कहा वो मेरे दिमाग तक को हिला बैठा। उन्होंने बोला- इसका मतलब अभी तक केवल पिक्चर देखकर ही काम चला रहे हो।

शर्म के मारे मेरी हालत पतली हो गई।

भाभी ने बताया कि भैया ने उन्हें मेरे बारे में सब बता रखा है और मेरी दी हुई पिक्चर दोनों ने कई बार साथ में ही देखी है। मेरे होंठ तो जैसे सूख गए थे। गला भी सूख चुका था।

तभी भाभी उठी और मेरे पास आकर बैठ गई जो सूट भाभी ने पहना था, वो बिना बाजू का था और उनकी बाँहों की सुन्दर से महक मुझे मदहोश कर रही थी।

आप लोगों को बता दूँ कि मुझे लड़कियों की बाहें बहुत पसंद है।

भाभी ने मेरे सर पर हाथ रखा और कहा- मुझसे छुपाने की या डरने की कोई जरूरत नहीं है, मुझे अपना दोस्त समझो। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि जब मैं कॉलेज जाता था तो वो मेरे कमरे में जाकर मेरे बिस्तर को अक्सर देखती थी और मेरे मुठ मारने की वजह से मेरी चादर पे जो धब्बे लगे हुए रहते थे उनको उन्होंने अक्सर देखा है।

अब तो मेरी हालत और भी ज्यादा ख़राब हो गई थी। एक तो उनके प्यारे से हाथ, वो प्यारी से बाँहों की महक और उनकी खूबसूरत काया ! मेरे लिंग महादेव ने अपनी छलांग लगा दी थी, मैंने भाभी को कस कर गले से लगा लिया और उनसे कहा- भाभी, मैं तो आपसे पहले दिन से ही प्यार करने लगा था पर हिम्मत कभी जुटा नहीं पाया।

हैरानी की बात तो यह थी कि भाभी ने भी प्यार से मुझे गले लगा लिया और कहा- जतिन, आज अपने प्यार के सपने को पूरा कर लो। मुझे जैसे ही उनकी हाँ मिली, मैंने भाभी के होटों को बड़े प्यार से चूमा जिसमें मुझे उनकर पूरा साथ मिला। पता ही नहीं चला कि यह प्यारा चुम्बन कितना लंबा चला होगा।

अचानक भाभी थोड़ा सा हिली और मैं फिर से होश में लौटा, भाभी ने कहा- जतिन अभी से होश गुम मत कर बैठो, अभी तो बस शुरुआत हुई है।

मैंने भाभी को अपनी गोद में उठा लिया और उनको चूमते हुए सीधा बेडरूम में ले गया। वहाँ मैं भाभी के बगल में लेट गया और मेरा हाथ उनके वक्ष पर चला गया। भाभी में जोश देखने लायक था। मैंने उनकी बाँहों पर खूब चुम्बन किए।

मेरी इस हरकत से भाभी पागल सी हो गई और उन्होंने कस के मेरे लंड को पकड़ लिया।

बस इतना हुआ ही था कि मैंने भाभी से कहा- भाभी, जल्दी से मुझे अन्दर डालने दो।

भाभी ने मना नहीं किया और मैं केवल कुछ ही धक्कों में समाप्त हो गया।

कहानी जारी रहेगी।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top