किरायेदार-1

This story is part of a series:

मेरा नाम राकेश है, 4 साल पहले मैंने एम बी ए किया था। अभी हाल मैं ही मैंने एक नई कम्पनी कल्याण में ज्वाइन की। मेरी उम्र 27 साल, और मैं औरंगाबाद का रहने वाला हूँ।

मैंने कम्पनी से 5 किलोमीटर दूर एक कमरा किराए पर ले लिया। मकान मालिक मुंबई में सरकारी बाबू हैं। मेरी मकान मालकिन सपना एक साधारण काली सी 35 साल की घरेलू महिला हैं। उसके दो बच्चे 8 और 10 साल के हैं। सपना की चूचियाँ बड़ी बड़ी और मोटी घरेलू औरतों जैसी हैं। मेरा कमरा पहली मंजिल पर है। मैं सितम्बर में इस किराए के मकान में आ गया था और पहले दिन 11 बजे घर पहुँचा था।

मुझे देखकर सपना मुस्कराई और बोली- नमस्ते राकेश जी, आओ, आपको घर दिखा देती हूँ।

नीचे सपना और उसका परिवार रहता है, नीचे साथ में ही एक कमरा है, सपना ने बताया कि इसमें 24 साल की रजनी नाम की लड़की किराए पर रहती है, वो कल्याण में एक होटल में फ़ूड मैनेजर है, सुबह 8 बजे जाती है और रात को 7 बजे आती है।

उसके बाद हम लोग ऊपर आ गए। मेरे कमरे के सामने थोड़ी दूरी पर एक कमरे और किचन का सेट था जिसमें एक पति-पत्नी रहते हैं।

पति का नाम अरुण और पत्नी का सुरेखा है। सुरेखा बाहर निकल कर आई और उसने मुझे नमस्ते की। सुरेखा की उम्र 22-24 साल लग रही थी। सुरेखा दिखने में मुझे बहुत सुंदर लगी। मेरा और अरुण का बाथरूम एक ही है और हम दोनों के कमरों के बीच खाली जगह है। बाथरूम के बाहर एक नल लगा हुआ है। पहली मंजिल पूरी ऊपर से ढकी है। नीचे और ऊपर जाने की सीढियाँ है। उन पर दरवाज़ा लगा है। दरवाजे बंद करने के बाद ऊपर का हिस्सा पूरा अलग सा हो जाता है। छत पर कुछ नहीं है।

इसके बाद हम नीचे आ गए, सपना मेरे लिए चाय बना लाई, उसने मुझसे ढेर सी बातें की जैसे कि मुझे पहले से जानती हो।

रात को नींद अच्छी आई, सुबह 8 बजे जब नींद खुली तो सामने सुरेखा कपड़े धो रही थी। उसकी चूचियाँ ब्लाउज़ से बाहर निकल रही थीं।सुबह के कुनमुनाते हुए लंड को हवा मिल गई और वो आसमान छूने की कोशिश करने लगा।

मैंने लंड पजामे से बाहर निकाल लिया और छुप कर लोड़ा सहलाते हुए सुरेखा की चूचियों को निहारने लगा। मन कर रहा था कि बाहर निकल कर चूचियां पकड़ लूं।

कपड़े धोते धोते सुरेखा की साड़ी का पल्लू गिर गया था। नीचे वो ब्रा नहीं पहने थीं उनके ब्लाउज से दोनों उरोज बाहर निकलने को आतुर हो रहे थे। मेरा लोड़ा हुंकार भर रहा था। सुरेखा कपड़े धोने के बाद उठी और उसने अपनी साड़ी उतार दी गीले ब्लाउज से भूरी भूरी निप्पल पूरी दिख रही थीं, मेरे लोड़े मैं आग लगी हुई थी। सुरेखा झुककर साड़ी धोने लगी ढीले ब्लाउज़ के अंदर से उसकी चूचियां आगे पीछे हिल रही थीं।

साड़ी धोने के बाद उसने अपना ब्लाउज उतार दिया उसकी नंगी चूचियां खुलकर बाहर आ गईं, पूरी दिख गईं थी, ग़ज़ब की सुंदर और कसी हुई गोरी गोरी संतरियां थी, उसकी नुकीली भूरी निप्पल मेरे लंड को परेशान कर रही थीं।

झुककर वो ब्लाउज धोने लगी, नंगी हिलती चूचियाँ मेरे लंड को परेशान कर रही थीं।

मैं कल ही आया था शायद वो इस धोखे में थी कि घर में कोई आदमी नहीं है। उसकी हिलती नंगी चूचियों ने मेरे लंड को हरा दिया और उसने हार मानते हुए पानी छोड़ना शुरू कर दिया।

तभी सीढ़ी के दरवाजे पर खट खट की आवाज़ आई।

सपना भाभी थीं।

सुरेखा बोली- दीदी, मैं तो नहा रही हूँ।

सपना बोली- राकेश जी उठ गए क्या?

यह सुनते ही सुरेखा ने अपनी चूचियां हाथों से ढक लीं, इसके बाद अपने बदन पर तौलिया डाल लिया और सीढ़ी का दरवाज़ा खोल कर दौड़ती हुई बाथरूम में घुस गई।

मेरे लंड ने अब पानी छोड़ दिया था। मैंने पजामा ऊपर चढ़ा लिया।

मेरा पहला दिन था, मैं कमरे मैं बैठ गया। तभी खट खट हुई, सामने सपना जी थीं, बोलीं- रात को नींद अच्छी आई होगी?

मैंने कहा- हाँ ! नींद तो अच्छी आई।

सपना बोलीं- आपका बाथरूम सामने वाला है, अभी उसमें सुरेखा नहा रही है। बहुत अच्छी औरत है।

भाभी ने बताया कि सुरेखा का पति बहुत गंदा रहता है और दारू पीकर कभी कभी सुरेखा को पीट भी देता है। सुरेखा की उम्र 24 साल है और उसके पति की 35 साल ! दोनों ने 3 साल पहले घर से भाग कर शादी की थी, सुरेखा के अपने घर से अब कोई सम्बन्ध नहीं हैं। दोनों के कोई बच्चा भी नहीं है। सुरेखा को रोज़ 2-2 घंटे पीटता था, नीचे तक सुरेखा के पिटने और रोने की आवाज़ आती थी, एक दिन इन्होंने डांटा तब हरामी थोड़ा सा सुधरा।

सपना बिंदास होकर बात कर रही थीं।

थोड़ी देर बाद सुरेखा 3 कप चाय बना कर ले आई, मैंने सुरेखा से नमस्ते की, सुरेखा बोली- अरुण तो आज 6 से 2 बजे की शिफ्ट में हैं शाम को बजे आएँगे।

मैं सुरेखा को ऊपर से नीचे तक निहार रहा था। कुछ दारुबाज निकम्मों की किस्मत बहुत अच्छी होती है, दारु के मज़े भी लेते हैं और सुंदर बीवी को भी जैसे चाहें, वैसे भोगते हैं। सुरेखा गज़ब की माल थी, तराशा हुआ बदन था सुरेखा का, ब्लाउज़ में सुंदर चूचियाँ छुपी हुई थीं। सुबह का याद करके मेरा लंड हिनहिनाया लेकिन मैंने उसे चुप करा दिया।

सुरेखा चुपचाप चाय पी रही थी, मुझे ऐसा लगा जैसे कि वो मुझे प्यार भरी नज़रों से घूर रही हो।

चाय खत्म करने के बाद सपना बोली- आप 12 बजे से पहले जब चाहें तब आ जाइएगा। उसके बाद आना हो तो पहले बता देना।

मैंने कहा- ठीक है दीदी !

सपना बोली- आप आप मुझे दीदी की जगह भाभी कहा करना।

आँख मारते हुए सपना बोली- भाभी का मज़ा अलग ही है।

उसके बाद सपना नीचे चली गई।

मैं थोड़ी देर बाद नहाने चला गया बाथरूम बहुत छोटा था अंदर टॉयलेट सीट लगी हुई थी। बल्ब ओन करना चाह तो वो भी ओन नहीं हुआ अंदर बहुत अँधेरा था किसी तरह मैंने नहाने का मन बनाया बनियान उतार कर टांगने जा रहा था तो वहां मुझे एक लाल रंग की पैंटी दिखी शायद सुरेखा की थी। सुबह जब सुरेखा नहाई होगी तब छोड़ गई होगी। पैंटी देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया था।

तभी दरवाजे पर हलका सा धक्का पड़ा, मैंने दरवाज़े से झाँका तो सुरेखा खड़ी थी, शरमाते हुए बोली- मेरी वो होगी अंदर, दे दीजिए न ! मैंने पीछे हटते हुए मुस्करा कर कहा- यह लीजिए।

मैंने पैंटी सुरेखा को दे दी।

सुरेखा जाते जाते बोली- पहनना भूल गई थी !

उसकी इस बात ने मेरे लंड में आग लगा दी और मुझे मुठ मारनी पड़ी। मैं जब नहा कर आया तो सुरेखा मेरे लिए नाश्ता ले आई।

मैं बोला- भाभी, इस की क्या जरूरत?

सुरेखा बोली- आप ले लीजिए, आज पहला दिन है।

सुरेखा बोली- आप मेरे पेइंग गेस्ट बन जाइये न, रमेश जी 2000 रुपए देते थे आप भी 2000 रुपए दे देना।

मैंने हामी भर दी।

उसके बाद मेरा सामान आ गया, सपना भाभी की मदद से मैंने अपना सामान कमरे में लगा लिया।

सपना से बातों बातों में मुझे पता चला कि बाथरूम की लाइट ख़राब है और 500 रुपए सही करने में लगेंगे।सपना मुझसे बोली- बाथरूम तो बहुत छोटा है, आप खुले में बाहर नहा लिया करिए। अरुण तो खुले मैं नहा कर जाते ही हैं। सुरेखा भी सुबह जल्दी उठती है और 6 बजे से पहले ही खुले में नहा लेती है, ऊपर से बंद है कौन देख रहा है। आज तो कपड़े धो रही थी और आप भी उठ गए थे इसलिए बाथरूम में नहाने चली गई।

रात को सुरेखा के पति अरुण से मेरी मुलाकात हो गई, उसके मुँह से देसी दारु की बदबू आ रही थी। अरुण सामान्य से पतला दुबला एक साधारण सा आदमी था।

मैं रात को 10 बजे सोने चला गया, सोने से पहले मैंने सुबह 5 बजे का अलार्म भर दिया, सुबह सुरेखा को नहाते हुए जो देखना था।

सुबह 4 बजे ही मेरी नींद खुल गई बार बार दरवाजे की झिर्री से मैं सुरेखा के घर की तरफ देख रहा था। सामने कमरे मैं अरुण जाने की तैयारी कर रहे थे, 4:30 बजे वो निकल गए। सुरेखा मैक्सी पहन कर नीचे उन्हें छोड़ने गई और वापस अपने कमरे में चली गई।

बार-बार मैं सुरेखा के दरवाज़े की तरफ देख रहा था। 5:00 बजे के करीब सुरेखा बाहर निकल कर छुटपुट काम करने लगी, मेरी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी कि कब वो नहाए और मैं उसकी चूचियों के दर्शन करूँ।

आखिर वो घड़ी आ गई 5:30 बजे वो नहाने आ गई, उसने बाहर का नल खोल लिया और बाल्टी नीचे रख दी। उसके बाद वो मेरे कमरे की तरफ बढ़ी। मेरी समझ में नहीं आया पर मैं वापस आकर पलंग पर बैठ गया।

सुरेखा ने बाहर से मेरे कमरे की सांकल लगा दी थी और वापस चली गई, मैं दुबारा उठकर बाहर झाँकने लगा।

नीचे और ऊपर जाने का दरवाज़ा बंद था और मेरा दरवाज़ा बाहर से उसने बंद कर दिया था। अब वो आराम से नहा सकती थी।

अगले मिनट उसने अपनी मैक्सी उतार दी। सुरेखा के बदन पर अब सिर्फ एक लाल पैंटी थी। उसने एक जोर की अंगड़ाई ली।

वाह ! क्या नंगा हसीन बदन था ! तनी हुई चूचियाँ और उन पर सजी हुई भूरी निप्पल, सेक्सी नाभि के नीचे का प्रदेश और गरम गरम जांघें ! सुरेखा की कमसिन जवानी ने मेरे लंड में तो आग लगा दी।

सुरेखा झुककर अपनी मैक्सी धोने लगी, उसकी हिलती नंगी चूचियों ने मुझे पजामा उतारने पर मजबूर कर दिया, मैंने अपना पजामा उतार दिया और अपना 7 इंची लंड हाथ में पकड़ लिया।

मैक्सी धोने के बाद सुरेखा ने उसे आगे बढ़कर डोरी पर डाल दिया, डोरी मेरे दरवाज़े के आगे ही थी, उसका हसीन नंगा बदन मैक्सी डालते समय मेरे से थोड़ी दूर पर ही था, मन कर रहा था जाकर साली को जकड़ लूँ।

कहानी जारी रहेगी।

[email protected]

What did you think of this story??

Click the links to read more stories from the category पड़ोसी or similar stories about

You may also like these sex stories

Download a PDF Copy of this Story

किरायेदार-1

Comments

Scroll To Top