किरायेदार भाभी-2

(Kirayedar Bhabhi- Part 2)

राज ठाकरे 2010-08-21 Comments

This story is part of a series:

भाभी बोली- ठीक है, नहीं बोलूंगी!! अब जाओ और मुझे पढ़ने दो, रात को नौ बजे आना, मैं तुम्हें तुम्हारी किताब वापस कर दूंगी!
और मैं उनके यहाँ से चला आया।

रात को खाना खाने के बाद ठीक 9 बजे मैं भाभी के यहाँ फिर से गया!
भाभी अभी कुछ ज्यादा ही सज-संवर के मेरी ही राह देख रही थी!

मैंने भाभी से अपनी किताब मांगी तो भाभी बोली- हाँ देती हुँ लेकिन यह किताब हिंदी में है और मुझे कुछ शब्द समझ में नहीं आये, वो सब आपको बताने होंगे, तब ही मैं किताब वापस करुँगी!

मैं भी यही चाह रहा था कि कैसे भी करके भाभी के साथ सेक्स की बातें करूँ जिससे मुझे उनको चोदने का रास्ता मिल ही जायेगा।

मैं बोला- ठीक है! पूछिए जो पूछना है, वैसे भी आज भैया नहीं है, जब आपको पूछने में शर्म नहीं तो मुझे बताने में क्या शर्म!

भाभी पहला सवाल पूछते हुए बोली- इसमें वीर्य लिखा है, वो क्या है?
मैं बोला- भाभी, यह मर्द का पानी है जिससे बच्चे पैदा होते हैं!

भाभी ने दूसरा सवाल पूछा- ये चूचियाँ क्या हैं?
मैं बोला- चूचियाँ जो आपके पास हैं!
भाभी बोली- कौन सी चूचियाँ मेरे पास है?
मैं बोला- जो आपके गर्दन के नीचे और पेट के ऊपर हैं!

भाभी बोली- मैं समझी नहीं? आप हाथ लगा कर बता सकते हो!

मैं इसी मौके की फ़िराक में था कि कब भाभी नासमझी वाली बात करे और इस बहाने से मुझे भाभी को छूने का मौका मिले क्योंकि अभी तक मेरा लंड ये सब बातें करते करते पूरा खड़ा हो गया था!

भाभी ने अपनी साड़ी का पल्लू अपने कंधे से नीचे कर दिया जिससे उनके दोनों उरोज ब्लाउज के अन्दर से बड़े ही कठोर दिख रहे थे, शायद उनकी ब्रा तंगहोने की वजह से उनकी चूचियाँ ब्लाउज के ऊपर से निकलने की कोशिश कर रही थी, दोनों चूचों के बीच में पूरी खाई नजर आ रही थी!

भाभी के स्तन देखते ही मेरा ध्यान उनकी चूचियों पर टिक गया। उतने में भाभी ने चुटकी बजाई और बोली- वो मिस्टर आप जल्दी बताइये, नहीं तो आपकी किताब आज मिलने वाली नहीं!

मैं अन्दर ही अन्दर खुश हो गया कि आज तो भाभी की चूत मिल ही गई समझ लो!
मैं एक पल की भी देरी न करते हुए उठा और उनके पीठ के पीछे से दोनों चूचे अपने हाथों में लेकर उनके गर्दन को चूम कर बोला- इनको चूचियाँ बोलते हैं भाभी!

और मैं वहाँ से उठ गया।

सही में देखा जाये तो भाभी ही मुझे जानबूझ कर खुद की चुदाई करने के लिए उकसा रही थी।

भाभी भी उठ कर खड़ी हो गई और अपना ब्लाउज खोलने लगी लेकिन ब्लाउज के हूक पीछे होने के कारण उनसे ब्लाउज खुल नहीं रहा था!

मैं बोला- भाभी आप यह क्या कर रही हैं? आप ब्लाउज क्यों निकाल रही हैं?
भाभी बोली- मुझे आपसे एक और सवाल पूछना है जिसके लिए मुझे अपना ब्लाउज खोलना पड़ेगा! आप जरा इसे खोल दीजिये मेरा हाथ नहीं पहुँच रहा है!

मैं भी यही चाहता था, मैंने उनके ब्लाउज के सभी हूक खोल दिए और उनका ब्लाउज उतार दिया। अब उनकी चूचियों पर सिर्फ काली ब्रा बची हुई थी।

भाभी बोली- अरे ब्रा को क्यों छोड़ा? उसके भी हूक खोल दो!

मैंने एक पल की भी देरी न करते हुए उनकी ब्रा के हूक खोल दिए। अब तक मेरा लंड मेरे बरमुडे के ऊपर से पूरा कसा दिख रहा था। ब्रा का हूक खोलते समय मैंने अपना लंड भाभी के गांड से चिपका कर रखा था और धीरे धीरे लंड से गांड को धक्के भी मार रहा था!

भाभी को यह महसूस हो रहा था लेकिन वो जानबूझ कर कुछ भी बोल नहीं रही थी!

भाभी ने अपनी ब्रा अपने हाथों से अलग कर दी और मेरा हाथ पकड़कर अपने निप्पल को पकड़वा दिया और पूछने लगी- इसको क्या बोलते?

मैं बोला- भाभी इसे चुचक बोलते हैं!
और मैंने चुचक को अपने उँगलियों से मरोड़कर छोड़ दिया।
भाभी बोली- प्लीज ऐसे ही करते रहो ना! अच्छा लगता है!

बस और क्या मेरी तमन्ना अब पूरी होने वाली थी!मैं भाभी के पीछे खड़ा हो गया और उनकी चूचियाँ और चुचक दबाने लगा, साथ-साथ में गर्दन को भी चूम रहा था।

भाभी पूरी तरह से गर्म हो गई थी उन्होंने अपने ही हाथों से अपनी साड़ी उतार दी और पेटीकोट का नाड़ा भी छोड़ दिया और अपने पैरों को ऊपर उठा कर पेटीकोट को एक तरफ़ फेंक दिया।

अब मेरा हाथ उनकी चूचियों को मसलता हुआ बीच-बीच में उनकी चूत पर भी आ रहा था, उँगलियों से उनकी चूत की खाई को रगड़ रहा था!

पीछे से लंड महाराज गांड की खाई में जगह बनाने की कोशिश कर रहे थे।

भाभी पूरी तरह से वासना में लिप्त हो चुकी थी, उन्होंने अपना हाथ पीछे लेकर मेरे लंड को मरोड़ना शुरु कर दिया था, उनकी सांसें बढ़ गई थी!

अगले ही पल मैंने उनको अपनी तरफ घुमा दिया और उनकी चूचियों को दबाते हुए चुचक अपने मुँह में भर कर चूसना शुरु कर दिया। वो भी मेरा बरमूडा उतारने की कोशिश करने लगी।

वो मेरे होठों को छूने के लिए बेताब हो रही थी तो मैंने अपने हाथों से उसकी गर्दन को पकड़ के होठों को जम कर चूमने लगा। वो भी अपनी जीभ मेरे मुँह में डालने लगी।

अब तक हम दोनों भी पूरी तरह से चुदाई के लिए तैयार हो गए थे।

15 मिनट के बाद मैंने भाभी को पलंग पर लिटा दिया और अपना बरमूडा और चड्डी उतार कर अपने लंड को उनके मुँह के पास पहुँचा दिया।

भाभी ने तुरंत उसे पकड़ कर अपने मुँह में भर लिया और मेरे 6′ लम्बे और 2′ मोटे लंड को चूसने लगी। मैं भी भाभी के मुँह के अन्दर आगे-पीछे कर रहा था और साथ में उनकी चूचियों और चूत पर हाथ घुमा रहा था।

अब थोड़े देर के लिए मैंने भाभी को रोका और उनकी चड्डी उतार दी।
वाह… क्या चूत थी भाभी की! एकदम कोमल सी, जैसे अभी तक सील ही नहीं टूटी हो।

लेकिन बड़ी लम्बी लम्बी झांटे थी! मैंने अपनी एक ऊँगली उनकी चूत के द्वार पर रख दी और उसे अन्दर डाल दिया।चूत पूरी तरह से गीली होने के कारण ऊँगली जाने में कोई तकलीफ नहीं हुई पर भाभी बड़ा मजा आया।

भाभी बोली- ऊँगलियाँ क्यों अपना लंड महाराज डालो ना! अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है!

मैंने अपने ऊँगली की स्पीड बढ़ा दी जिससे भाभी पूरी तरह से चुदाई का आनंद ले रही थी और अपनी गांड को उठा-उठा कर उँगलियों से अपनी चूत को चुदा रही थी और दोनों हाथों से अपनी चूचियाँ दबा रही थी।

अब मेरा लंड भी चूत में जाने के लिए बेक़रार हो रहा था, मैंने अपनी ऊँगली निकाल ली और पलंग पर चढ़ कर भाभी के दोनों पैरों को अपने कंधे पर ले लिया और पूरे शरीर को उनके शरीर पर डाल दिया। जिससे मेरे हाथ उनकी चूचियों पर और होंठ उनको होठों पर आ रहे थे।

मैंने अपने लंड को उनकी चूत के मुँह पर रखा और एक जोरदार झटका मारते हुए पूरा लंड चूत में घुसेड़ दिया।

भाभी के मुँह से एक जोरदार आवाज निकली- वोह्ह माँ… फट गई… दर्द हो रहा है!

अब मैं धीरे-धीरे अपना लंड चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था! भाभी भी बड़े प्यार से सेक्स का आनंद ले रही! थोड़ी ही देर बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी तो उसके साथ साथ भाभी की सिसकारियाँ भी तेज हो गई- प्लीज जोर से चोदो मुझे.. मेरा पति निकम्मा है साला…प्यास बुझा दो मेरी.. प्लीज ऐसे ही हर शनिवार और रविवार को चोदत रहना!

मैं अब पूरे जोश में लंड को भाभी के चूत में ठोक रहा था! करीब 20 मिनट के बाद भाभी और मैं दोनों झड़ गए, मेरा पूरा वीर्य भाभी की चूत में चला गया और करीब 5 मिनट तक हम ऐसे ही लेटे रहे!

उस रात मैंने भाभी को 2 बार और चोदा!

अगले दिन मैंने भाभी की झांटे भी साफ कर दी और चूत चाटकर भाभी का पानी पिया और रात भर भाभी को तीन बार चोदा!

ऐसा करीब 6 महीने तक चला, भाभी गर्भवती हो गई थी! मैंने मेरे दोस्तों को भी भाभी को पटाने के लिए बोला और मेरे तीन दोस्तों ने भी रेखा भाभी की जम कर चुदाई की!

कभी कभी तो मैं और मेरा चचेरा भाई दोनों भी रात-रात भाभी को चोदते थे।
लेकिन कुछ दिनों बाद भैया को भाभी की चुदाई के बारे पता चल गया और वो हमारा गाँव छोड़ कर दूसरे गाँव चले गए!

मैं दोपहर को उस गाँव में जाकर भी भाभी को चोदता रहा और कुछ ही दिन बाद उसी गाँव के लोगों ने भी भाभी की चुदाई की।

रेखा भाभी की वासना इतनी बढ़ गई थी कि वो अब अपने पति का भी लिहाज नहीं करती थी जिसकी वजह से उनमें आये दिन झगड़े होते थे!

एक दिन तो ऐसा आ गया कि भैया अपनी ड्यूटी छोड़ कर अपनी लड़की को और छोटे लड़के को लेकर अपने गाँव चले गए और भाभी अपने मायके चली गई।

लेकिन वहाँ पर भी वो रह नहीं पाई और आखिर वासना की वजह से सेक्स का धंधा करने लगी।
और आखिर में ही भाभी की वासना शांत हुई!

आपका प्यारा… राजेश वानखेड़े
[email protected]

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