मेरे लंड की प्यासी

(Mere Lund Ki Pyasi)

chinesegoods 2005-06-23 Comments

मुझे बड़ी उमर की औरतें बहुत पसंद हैं। अक्सर ऐसी औरतें आसानी से नही मिलतीं। काफ़ी मेहनत से मिलती हैं। यह एक सच्ची घटना है।

मैं पुणे मे पेईंग गेस्ट बनकर एक घर में रहता था। घर के मालिक काफ़ी अच्छे थे लेकिन उनकी पत्नी हमेशा अकेली और उदास रहती थी। उसका नाम मेनका था। जैसा नाम वैसे ही रूप। भगवान ने फ़ुर्सत में उसको बनाया था। बला की ख़ूबसूरती थी उसमें। उमर कोई 40-45 होगी। लेकिन चेहरे से मदमस्त मदमाती नशीली लगती थी जो कि रस से भरी हुई हो और उनके अंग-अंग से रस छलकता था।

उसके पति को उनमें कोई रूचि नहीं थी, ऐसा मुझे अक्सर लगता था। एक दिन मेनका ने मुझे रात के खाने के लिए आमंत्रित किया। मैंने अपने व्यस्त होने का नाटक किया लेकिन उसके आग्रह करने पर मैं मान गया। दूसरे दिन शाम को मैं जल्दी ही ऑफिस से आ गया और मौक़े का इंतज़ार करने लगा।

रात के करीब साढ़े आठ बजे मेनका ने मुझे खाने के लिए आवाज़ दी। मैंने कहा कि 5 मिनट में आता हूँ।

मैंने मेनका के लिए एक प्यारा सा फूलों का गुलद़स्ता खरीदा था जो मैं लेकर उसके पास चल दिया। वहाँ पहुँचते ही मैंने पूछा कि अंकल (मकान मलिक) किधर हैं। इस बात पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। मैं समझ गया कि आज समय मुझ पर मेहरबान है। उन्होंने मुझे डिनर टेबल की तरफ इशारा कर बैठने को कहा और ख़ुद दूसरे कमरे में चली गईं।

डिनर टेबल कई तरह के पकवानों से सज़ा हुआ था। पर दोस्तों मुझे तो कोई और पकवान चाहिए था। थोड़ी देर मे वो एक पारदर्शी नाइट-गाउन पहन कर बाहर आई और मेरे सामने की कुर्सी पर बैठ गई।
उनको देखकर मेरा पप्पू सलामी के लिए अचानक तैयार हो गया। अचानक लण्ड खड़ा होने से मुझे बैठने मे दिक्कत होने लगी। ऐसा देखकर मेनका ने पूछा कि क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं !

और फिर वो मुस्कुराने लगी और मेरे पीछे आकर खड़ी हो गई और मेरे सिर पर हाथ फेरने लगी, ऐसा करने पर मेरी साँसें तेज हो गईं।

सिर पर हाथ फेरते हुए उसने अचानक मेरे कानों को भी छू लिया। उसी समय मैंने उसके नाज़ुक हाथों को पकड़ लिया और उन हाथों को अपने होंठों से चूम लिया। ऐसा करते ही उसकी साँसें तेज़ हो गईं, बिना देरी किए मैं कुर्सी से उठा और उसको अपनी बाहों मे भर लिया।

वो भी मुझसे कस कर चिपक गई और फिर मैंने अपने होंठ उनके नर्म होंठों पर रख दिए। उसने मुझे और मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया। मेरे हाथ उनके कबूतरों की तरफ बढ़ गए जो कि सदियों से किसी चाहने वाले के लिए बेताब थे।

मैंने बिना देर किए, उनको आज़ाद किया और मेरे हाथ उनसे खेलने लगे। उसने भी अपने हाथ मेरे पप्पू की तरफ बढ़ाए। मैंने अपने पैंट की ज़िप खोल दी। ऐसा करते ही मेरा पप्पू उसको सलामी देने को तैयार हो गया क्योंकि मैंने अंडरवीयर नहीं पहन रखी थी।

उसने मेरे पप्पू की सलामी ली और उसको नीचे झुक कर अपने मुँह में ले लिया और ऐसे चूसने लगी जैसे वो जन्मों की प्यासी हो। मैं भी उनके कबूतरों को दाना खिलाने लगा। थोड़ी ही देर में उन्होंने मेरी पैंट नीचे खींच दी और मेरे बदन से पैंट को अलग कर दिया।

अब पप्पू पूरी तरह से आज़ाद होकर उन होंठों का गुलाम हो गया। वह धीरे-धीरे मेरे पप्पू के चमड़े को ऊपर नीचे करने लगी। 5 मिनट में मुझे ऐसा लगा कि मैं किसी ज़न्नत में पहुँच गया हूँ।

मेरा पप्पू उसके मुख का स्वाद ले रहा था, अचानक उसने मुझसे कहा कि बेडरूम में चलो।
मुझे भी यही चाहिए था। वहाँ पहुँचते ही मैंने उसके गाउन को उतार दिया और उसके मख़मली ज़िस्म का दीदार करने लगा।

ऐसा करते देख कर उसने मुझसे कहा कि बुद्धू ऐसे ही देखते रहोगे या मुझे कुछ करोगे भी। आज की रात मैं तुम्हारी हूँ और मुझे प्यासमुक्त करो।

मैंने उसे अपनी बाँहों में उठाकर बेड पर लिटा दिया और फिर दोनों 69 की पोज़ीशन मे आ कर एक दूसरे के जननांगों को चाटने लगे। मैंने मेरी पूरी जीभ उनकी प्यारी सी पप्पी मे घुसा दी जिससे उनक पूरा बद़न सिहर उठा और उसने मेरे पप्पू को अपने मुख से अलग कर दिया और अजीब क़िस्म की आवाज़ें निकालने लगी। इसके बाद मैं और तेज़ी से उसके पप्पी की पूजा करने लगा।

इसी दौरान वो दो बार झड़ गई और मैंने उसका सारा रस पी लिया। फिर भी रस रिस-रिस कर पप्पी से बाहर आ रहा था। वो मुझे ज़ोर-ज़ोर से गालियाँ देने लगी और कहने लगी की मुझे तृप्त कर।

अब समय आ गया था कि मैं उसकी पप्पी का मिलन अपने पप्पू से करवा दूँ। पप्पू को मैंने पप्पी के मुख पर रखने से पहले मेनका के मुख-चोदन का आनंद लिया और फिर पप्पी के मुख पर रख कर धीरे से एक हल्का धक्का दिया ऐसा करने से पप्पू थोड़ा अंदर गया लेकिन पप्पी टाइट थी, इस वजह से मेनका दर्द से चिहुँक उठी।

उसी समय मैंने अपने हाथों से मेनका के कबूतरों को धीरे-धीरे दबाना शुरू किया और पप्पू को भी धक्का देना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे पप्पू पप्पी में समा गया। पूरी तरह से पप्पी में समाने के बाद मेनका ने अपनी चिकनी चूतड़ उपर उठा-उठा कर पप्पी के पप्पू से मिलन की खुशियाँ मनाने लगी।

बीस मिनट तक ऐसा करते रहने के बाद मेरा पप्पू अपनी मलाई निकालने की तैयारी करने लगा तो मैंने मेनका को पूछा की वो पप्पू की मलाई पप्पी को खिलाएगी या खुद खाएगी। उसने कहा कि उनको पप्पू की मलाई खानी है, फिर मैंने मेरे पप्पू को पप्पी से जुदा कर मेनका के मुख में डाल दिया और सारी मलाई उनके मुख में आ गई और उसने सारी मलाई एक ही झटके मे चट कर ली।

काफ़ी देर तक मैं और मेनका नंगे बदन बिस्तर पर लेटे रहे और आधे घंटे बाद बाथरूम में जाकर साथ मे नहाया और उस दौरान भी पप्पू-पप्पी एक बार फिर मिल गए। बाद मे साफ हो कर हमने साथ में खाना खाया और फिर साथ में बेडरूम मे चले गये।

उस रात हमने 5 बार रसपान किया और करवाया। जब तक मैं पुणे में रहा उसको अच्छी सेवा देता रहा। आज भी मैं उसे बहुत याद करता हूँ।

आपकी बेबाक टिप्पणी का स्वागत है। ग़लतियों के लिए माफ़ करेंगे।
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