पड़ोसन दीदी-1

Antarvasna 2011-01-11 Comments

दोस्तो, मैं अपनी सच्ची कहानी आपको बता रहा हूँ। मेरा नाम संदीप है, करनाल का रहने वाला, 23 साल का एक कुंवारा लड़का हूँ। वैसे मैं दिल्ली में कोचिंग ले रहा हूँ पर आजकल मैं करनाल में ही हूँ।

आज मैं आप लोगों को अपनी हकीकत कहानी सुनाने जा रहा हूँ, उम्मीद है कि आप लोगों को पसंद आएगी।

मुझे इस साईट के बारे में पहले से ही नहीं पता था, मेरे एक दोस्त ने बताया था इस साईट के बारे में, मैंने तो अनदेखा कर दिया उसकी बात को तो फिर जब मैंने इसे एक दिन पढ़ा तो बस इसका दीवाना हो गया हूँ, मैंने इस पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ी, कुछ सच्ची थी और कुछ झूठी भी और इन कहानियों को पढ़कर न जाने कितनी मुठियाँ मैंने मारी हैं।

तो एक दिन मैंने भी सोचा कि मैं भी इस साईट पर अपनी एक कहानी डालूँ !

बात यूँ शुरू हुई !

हमारे घर के पास एक लड़की रहती है, उसका नाम चारू है, उसे प्यार से मैं कभी-2 डिक्सी भी बुलाता हूँ, वो मुझसे चार साल बड़ी है और उसने मास्टर ऑफ़ कंप्यूटर किया हुआ है। उसके पास मैं कई बार पढ़ने के लिए चला जाया करता था। पहले मैं सिर्फ एक छात्र की तरह ही पढ़ाई करता था, वो कई बार मुझे कहती थी- वाह, क्या लग रहे हो ! आज तो कमाल हो गया।

तो मैं मुस्करा दिया करता था।

हम ऐसे ही पढ़ते रहे बहुत दिनों तक, फिर एक दिन वो एक नया सिम ले आई और उसने मेरे नम्बर पर मैसेज सेंड किया- ‘हैप्पी न्यू इयर !’

मैंने मैसेज सेंड किया- कौन हो तुम?

तो उसने उसने सेंड किया- पहचान लो !

पर मैंने सोचा मेरा कोई दोस्त होगा साला जो तंग कर रहा है, तो मैंने कॉल की तो उसने फ़ोन काट दिया और मैं पागल हो रहा था कि कौन है यह जो बार बार मैसेज कर रहा है?

तो जब मैं उसके पास पढ़ने के लिए गया तो मैंने उससे कहा- पता नहीं कोई मुझे तंग कर रहा है मैसेज सेंड करके और कॉल भी नहीं उठा रहा है।

वो हंसने लगी और बोली- तेरी कोई गर्लफ़्रेंड होगी।

मैं हंसने लगा और बोला- मेरी ऐसी किस्मत कहाँ है?

वो बोली- क्यूँ?

मैंने कहा- कौन करेगी मुझसे दोस्ती?

तो वो बोली- कोई तो कर ही लेगी तेरे साथ !

तो मुझे शक हुआ उस दिन से उस पर कि कुछ तो गड़बड़ है तो मैंने भी एक नया सिम ले लिया और उसके पास मैसेज सेंड किया तो उसने भी उत्तर दिया- कौन हो तुम?

तो मैंने कहा- पहचान लो !

तो उसने वो नम्बर अपने भाई को दे दिया कि पता लगा यह नम्बर किसका है, मेरे पास मैसेज आ रहे हैं।

तो उसने मुझे कॉल की और हम दोनों की बहुत लड़ाई हुई फ़ोन पर तो मैंने आखिर उसे बता ही दिया अपने बारे में।

तो वो कहने लगी- क्या यार, तू था, पहले बोल देता कि तू था !

और जब मैं चारू के पास पढ़ने के लिए गया तो उसने मुझसे कहा- तू बहुत शरारती हो गया है।

तो मैंने कहा- क्यूँ? मैंने क्या किया दीदी?

तो उसने कहा- मुझे दीदी न बोला कर आगे से, और तूने मुझसे बताया क्यूँ नहीं कि तुम मैसेज कर रहे हो।

तो मैंने कहा- आपने भी तो नहीं बताया था !

इतना कहते ही वो हंसने लगी और उस दिन हमारे बीच फिर थोड़ी सी सेक्सी बातें हुई, गर्लफ़्रेंड क्यूँ नहीं है, कैसी लड़की पसंद है, तो मैंने कहा- आप जैसी, तो वो हँसते हँसते एकदम चुप हो गई और मुझे देखने लगी।

मैं तो डर ही गया, मैंने मन ही कहा- आज तो तू गया बेटा, यह अब कही घर न बता दे।

मुझे डर लग रहा था बहुत, फिर वो वह से उठ कर चली गई और 10 मिनट बाद आई, बोली- तो कर ले मेरे जैसे लड़की को प्रपोज़ !

और हंस कर चली गई दूसरे कमरे में।

और मैं भी घर आ गया तो मैंने उसके पास एक मैसेज सेंड किया उस दिन और उसने भी, फिर 1 महीने बाद मैंने उसे मैसेज में कह दिया- आई लव यू।

तो उसने कहा- संदीप, आई लव यू।

मैं हैरान रह गया और मैं उसी दिन उसके घर गया और वो मुझे देख के थोड़ी हंसी पहले और उसके पास बैठकर मैं पढ़ने लगा।

फ़िर मैंने उसकी टांगों पर हाथ रख दिया और सहलाने लगा।

वो कुछ न बोली। इतने में उसकी माँ आ गई और मैंने हाथ हटा लिया और पढ़ने लगा।

फिर एक दिन उसके घर कोई न था, उसने मुझे कॉल की और बोली- आ जाओ आज ही घर पर कोई नहीं है।

मैं 5 मिनट बाद ही उसके घर गया, जाकर बेड पर बैठ गया और वो मेरे सामने बैठ गई और बोली- मुझे शर्म आ रही है संदीप कि पहले तुम मेरे स्टुडेंट थे और अब !

तो मैंने कहा- अब क्या?

वो बोली- बहुत फर्क है अब !

क्या लग रही थी वो ! मेरा तो लंड खड़ा हो गया था उसे देख कर, उसने काले रंग का सलवार-सूट डाला हुआ था उस दिन और उसके होंटों को देख कर मुझसे तो रहा नहीं जा रहा था तो मैंने उसे कहा- मुझे आपके पास बैठना है।

वो आई मेरे पास और फिर मैंने उसका हाथ पकड़ लिया।

वो कहने लगी- अंदर वाले रूम में चलते हैं।

वहाँ एक छोटा सा बेड था तो मैंने उसे वहाँ बिठा दिया और उसके सामने बैठ कर उसे चूमने लगा।

वो भी मेरा साथ दे रही थी।

मैं उसे चूमता हुआ उसके गोल गोल टमाटर जैसे चूचों तक पहुँचा और उन्हें दबाने लगा, वो मेरी कमर को सहलाने लगी।

फिर मैंने उसका कमीज-सलवार उतार दिया। चारू ने काले रंग की ब्रा-पैंटी पहन रखी थी। उसका जिस्म फूलों की तरह महक रहा था !

‘क्या देख रहे हो?’ उसने कहा।

‘आप इतनी सुन्दर हैं कि कोई भी आपको देखता ही रह जाएगा !’

और सबसे ज्यादा अच्छे उसके होंठ है जो मुझे मदमस्त कर देते हैं।

मैं भूखे शेर की तरह टूट पड़ा !

मैं उसकी गोल-मटोल चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा। वो मुझसे लिपट गई।

मुझे लगा कि मुझसे भी ज्यादा लोग गर्म हैं इस दुनिया में, जो जिस्म की आग में तप रहे हैं !

मैंने धीरे से उसके कान को काट लिया, उसके मुँह से उफ्फ्फ्फफ्फ़ की आवाज़ आई। वो मुझसे सांप की भांति लिपट गई।

मैंने उसके होंट चूसना शुरु कर दिए और एक हाथ से कोमल सी चूची मसलने लगा। वो मेरा पूरा पूरा साथ दे रही थी। उसका हाथ मेरी पीठ को सहला रहा था। वो जिस्म की आग से तप रही थी। उसने मुझे अपनी ओर खींचा जैसे कह रही हो- मेरे जिस्म में समा जाओ !

मैंने उसके जिस्म को ऐसे चाटना शुरु किया जैसे वो कोई लॉलीपॉप हो !

फिर थोड़ी देर बाद घंटी बजी और हम दोनों डर गए कि आज तो मर गए, हमें लगा कि उसके मम्मी-पापा आ गये हैं, उसने अपने कपड़े पहने और बाल ठीक किये, मुझे कहा- अपनी किताब खोल कर बैठ !

मैंने वैसा ही किया। वो दरवाजे पर गई।

जब दरवाजा खुला तो मेरे सामने मेरी मम्मी थी। मैं तो सच में डर ही गया कि कहीं मम्मी को शक तो नहीं हो गया और चारू के चेहरे पर भी उदासी छा गई।

शेष कहानी अगले भाग में।
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