मेरे पड़ोसी की बीवी और साली-2

(Mere Padosi Ki Bivi Aur Sali- Part 2)

This story is part of a series:

मेरी अंगुली बुर में घुस कर आगे पीछे हो रही थी और मेरी बुर से भी हल्का चिपचिपा पदार्थ निकाल कर मुझे थोड़ा शांत कर दिया। मैं वो सीन सोचते सोचते सो गई।

दूसरे दिन वे मुझे बुला कर बोले- रेणुका, आज मेरे पास सो जाना।
मैंने कहा- नहीं, मैं मम्मी के पास सोती हूं।
तभी मम्मी ने कहा- नहीं रेणुका, कल तुम्हारे पैर से मेरे पेट में लग गया था, मेरा आज पेट दर्द है।

मैं समझ गई कि आज मैं चुदी ही चुदी और मम्मी को कहते हुए सुना कि आराम से, पहली बार है।

मैं उनके पास सो गई, किन्तु नींद कहाँ थी, थोड़ी देर बाद मैंने दबी आँखों से देखा कि वो अपने लण्ड पर काफ़ी मात्रा में वैसलीन लगा रहे हैं।
वैसलीन लगा कर मुझसे बोले- सो गई?

मैं कुछ नहीं बोली, दो तीन बार पूछने के बाद वे समझे कि मैं सो गई और उठ कर धीरे से मेरे सारे कपड़े उतार दिए। मैंने सब जानते हुए भी उनका विरोध नहीं किया। उस समय मेरी बुर पर हल्के बाल उगे थे और चूची टमाटर जैसी थी। मैं भी चुदाई का आनन्द लेना चाहती थी।

वो मेरी चूची को अपने मुख में लेकर चुभलाने लगे, मुझे गजब का मजा आ रहा था। धीरे धीरे वे अपने मुख से मेरे सीने को चूमते हुए मेरी बुर की तरफ बढ़ने लगे, मेरी हल्की रोंएदार बुर को वे चूमते हुए बुर के बीचोंबीच अपनी ठुड्डी रगड़ते हुए बुर के ऊपरी भाग को खूब ध्यान से चूस रहे थे।मैं खुद को रोक न पाई और मुख से आह सी.. ओह की आवाज निकल गई।
वे बोले- रेणू!
मैंने कहा- हाँ, यह क्या कर रहे हैं? बस, यह सब मुझे नहीं करना है।

उन्होंने मुझे समझाया- देखो, मैं तुम्हें सेक्स का आनन्द देना चाहता हूँ, आज नहीं तो कल किसी न किसी से चुदोगी, तो मुझसे क्यों नहीं?
मैंने कहा- नहीं, मुझे बच्चा हो गया तो?
वे बोले- पागल, वही तो कह रहा हूँ, बाहर किसी से चुदवाओगी तो वो अपने हिसाब से तुम्हें चोद कर तुम्हारी बुर भी बर्बाद कर देगा और बच्चा भी दे देगा तथा ब्लैकमेल भी करेगा, मैं आराम से चोदते हुए तुम्हारी बुर का भी ध्यान रखूंगा और बच्चा भी नहीं होने दूंगा।
‘मैं बाहर भी किसी के साथ नहीं करूंगी।’

वे बोले- अब सेक्स का थोड़ा मजा लेकर छोड़ दोगी तो हिस्टीरिया की बिमारी से पीड़ित हो जाओगी, फिर जैसे मैं अपनी पत्नी से सेक्स सुख नहीं पा रहा हूं, वैसे तुम भी अपने पति को सुख नहीं दे पाओगी, यही चाहती हो तो ठीक है, नहीं करूंगा।

मैं काफी समझदार थी, मैं समझ गई कि वो ठीक कह रहे हैं, अगर बाहर कोई सम्बन्ध बनाऊँगी तो ज्यादा दिन छुपा नहीं सकती और बदनाम हो जाऊँगी और ये तो घर की मूली हैं, यहीं मजा लेती रहूँ, कोई जानेगा भी नहीं! बाहर स्ट्रिक्ट रहूंगी और मम्मी की भी इच्छा है।

मैंने कहा- दर्द होगा! इतना मोटा लम्बा लण्ड मेरी छोटी सी बुर में कैसे घुसेगा?

वे बोले- तुम चिन्ता मत करो, थोड़ी हिम्मत से काम लेना, शुरू में थोड़ा दर्द होगा और हल्का खून भी आएगा, किन्तु चिन्ता मत करना, उसके बाद धीरे धीरे वो मजा मिलेगा जिसे जीवन भर याद रखोगी।

मैं बोली- इतनी छोटी बुर में कैसे इतना मोटा लण्ड घुसेगा?

वे बोले- देखो, कितनी छोटी बुर से कितना मोटा बच्चा पैदा होता है? एक्चुअली बुर रबड़ की तरह होती है, एक बार लण्ड घुसते समय जब लण्ड अपनी जगह बनाते हुए अन्दर जाता है तो दर्द होता है किन्तु जब बार बार रगड़ने से वो दर्द मजे में बदल जाता है!
‘एक और बात!’
वे बोले- कहो?
मैंने कहा- अभी मैं 18 साल की हूँ, इससे कोई दिक्कत?

वे बोले- अगर लड़की स्वंय सेक्स के लिए तैयार हो तो वो माहवारी शुरू होने के बाद पूरा सेक्स कर सकती है, इससे शरीर की बढ़त भी अच्छी होती है।

अब मैं तैयार थी।

फिर वो धीरे धीरे अपने हाथ को मेरी चूची के ऊपर से शरीर पर नचाते हुए बुर के हल्के रोंए से बुर तक ले जाते और एक अंगुली धीरे से बुर के छोटे से छेद में सरका देते। मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैं चुपचाप आँखें बंद करके अनुभव कर रही थी।

कुछ देर यूं ही करने के बाद बहुत सारा वैसलीन उन्होंने मेरी बुर में लगाई और फिर मेरी कमर को पकड़ कर मुझे उल्टा कर दिया।

मैं घबरा गई, सोचा गांड़ में तो लण्ड नहीं डालेंगे? पर बोली नहीं, सोचा देखती हूँ।

मुझे उलट कर वो धीरे से मेरे ऊपर सवार हुए और मेरी छाटी सी बुर के छेद पर मोटा सा सुपाड़ा लगा कर जोरदार धक्का दिया। मैं चीख पड़ी और उनको वापस धक्का देते हुए कहने लगी- निकालो, बहुत दर्द हो रहा है।

वे बोले- चिन्ता मत करो, सुपाड़ा अन्दर जा चुका है, अभी थोड़ी हिम्मत रखो, असीम आनन्द मिलेगा।

और वैसे ही रूक कर मेरी चूची हल्के हाथ से दबाने लगे। थोड़ी देर में मेरी बुर में थोड़ी गुदगुदाहट हुई, वो समझ गए और फिर एक जोर का झटका दे मारा, अब की बार मैं रो पड़ी और चीखने लगी, शायद मेरी बुर से खून निकलने लगा था।

वे बोले- देखो, अब चिन्ता बिल्कुल मत करो, आधा घुस चुका है, एक बार थोड़ा सा और झेलो, फिर मजा ही मजा!

मैंने भी सोचा कि एक न एक दिन इस दौर से गुजरना ही था तो आज ही सही! इसके बाद मैं भी चुदाई का आनन्द औरों की तरह मम्मी की तरह ले सकूंगी।

तभी उन्होंने एक और जोर का झटका दे मारा, लगा कि अब मैं मरी।

और जैसे उल्टी होने लगी पर वे अब रूके, नहीं तीन चार बार लण्ड वापस खींचकर दनादन दे मारे हर झटके में मेरी जान हलक पर आ जाती पर आठ दस झटकों के बाद मेरी बुर में हल्की गुदगुदाहट होने लगी।

वे बोले- अब कैसा लग रहा है?

मैंने कहा- हल्की गुदगुदी बुर के अन्दर हो रही है।

वे समझ गये और पोजिशन बदलने लगे। अब अपना पूरा लण्ड बाहर निकाल कर कपड़े से पहले अपने लण्ड पर लगे खून को साफ किया फिर मेरी बुर को अच्छी तरह से साफ किया।

मैंने कहा- जलन हो रही है, रहने दीजिए, कल कर लेंगे।

वे बोले- पागल, अब तो तुम्हें चुदाई का असली मजा मिलने जा रहा है, चलो सीधा लेट जाओ।

मैं सीधा लेट गई, वे मेरी दोनों टांगें उठाकर अपने कंधे पर रखकर लण्ड के लाल सुपाड़े को मेरी बुर के छेद पर रख कर एक जोर का झटका दिया उनका लण्ड सीधा मेरी बुर में समाता चला गया।

मैं चीख पड़ी- आई मां… आह रे बाबा…

किन्तु अबकी दर्द बड़ा मीठा था, एक दो धक्के के बाद ही मेरी बुर पक पक की आवाज करने लगी पर मुझे अजीब सा मजा आने लगा, लग रहा था कि बुर के अन्दर खूब गर्म लाहे का डण्डा अन्दर-बाहर हो रहा हो। अनायास ही मेरे मुख से आवाज निकलने लगी- आह! आप सही कह रहे थे, इतना मजा आता है चुदवाने में! मैं नहीं जानती थी, तभी लोग चुदाई के लिए पागल से रहते हैं! चोदो, खूब चोदो!

मेरी बुर के तरल पदार्थ की वजह से उनका लण्ड फच्च फच्च की आवाज के साथ अन्दर-बाहर हो रहा था, वे बोल रहे थे- देखा लण्ड का छोटी बुर का मिलन! देखो कितना मजेदार है।

और इसी के साथ उन्होंने गति बढ़ा दी। अब धकाधक धक्के पे धक्के के साथ फुल स्पीड में चुदाई चालू हो गई मेरी। लण्ड को पूरा बाहर खींचकर फिर अन्दर दे मारते, फच की आवाज के साथ पूरा लण्ड भीतर घुस जाता। अब मुझे पूरा मजा आने लगा। थोड़ी ही देर में मुझे लगा कि मेरी बुर से कुछ निकलने वाला है और तभी मैं उनकी कमर जोर से पकड़ कर आं ..स आ उ..स…स…फ करते हुए झड़ गई।

उन्होंने अपना बदन खूब जोर से मेरी बुर पर चिपका दिया, तभी अपना लण्ड निकाल कर मेरी नाभि के ऊपर रख कर अपना लावा उगल दिया जो कि काफी गरम था और निकलने वाला सफेद पदार्थ काफ़ी सारा था।

मैंने हाथ से थोड़ा लेकर चखा, अजीब सा नमकीन स्वाद था, अच्छा नहीं लगा किन्तु उसकी सुगन्ध बड़ी अच्छी थी।

उसके बाद कई बार उनसे चुदी, कई बार उनके लण्ड का रसपान भी किया लेकिन वे हमेशा यह ध्यान रखते कि मेरी बुर ज्यादा खराब न हो और मैं मां न बनूँ।

और यह भी अनुभव हुआ कि उम्रदराज व्यक्ति के साथ चुदाई का मजा ही कुछ और होता है, वो मजा नये लड़के कभी नहीं दे सकते।

कहानी जारी रहेगी।
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