तेरी याद साथ है-11

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प्रेषक : सोनू चौधरी

मैंने उस वक़्त एक छोटी सी निकर पहनी हुई थी जो कि मेरे जांघों के बहुत ऊपर तक उठा हुआ था। जब रिंकी ने अपने हाथ रखे तो वो आधा मेरे निकर पे और आधा मेरी जांघों पे था। मेरी टांगों पे ढेर सारे बाल थे। रिंकी ने अपनी उँगलियों से थोड़ी सी हरकत करनी शुरू कर दी और मेरे जांघों को धीरे धीरे सहलाने लगी।

मेरी तो मानो मन की मुराद ही पूरी हो रही थी। मैं मन ही मन खुश हो रहा था यह सोच कर कि अब मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। मैं अब सीधा आगे बढ़ सकता था लेन मैंने उसे छेड़ने के लिए अनजान बनते हुए पूछा,”ऐसा क्या देख लिया तुमने जो तुम्हें रात भर नींद नहीं आ रही थी। वैसे मुझे पता है कि तुम असली बात छुपा रही हो, असल में तुम पप्पू का इंतज़ार कर रही थी और …”

रिंकी मेरे मुँह से यह सुनकर थोड़ा शरमा सी गई और मेरे जांघों पर फिर से मारा। मैंने झूठ मूठ ही बचने के लिए उसका हाथ खींचा तो वो मेरे ऊपर गिर पड़ी और उसकी मौसम्मी सी चूचियाँ मेरे हाथों को रगड़ने लगीं। एकदम से नर्म मुलायम चूचियों के स्पर्श से मेरा लंड जो कि पहले से ही अपने रोवाब पे था और भी तन गया।

रिंकी हड़बड़ा कर पीछे हुई और मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी लेकिन उसने न तो अपना हाथ छुड़ाया और न ही मेरे जांघों से अपना हाथ उठाया।

“बच्चू, मैंने कल रात सब देख लिया था…तुम और प्रिया मिलकर जो रासलीला रचा रहे थे वो मेरी आँखों से बच नहीं सका। तुम्हें क्या लगता है…वो सब खेल देख कर मुझे नींद आ जाएगी…वैसे कब से चल रहा है ये…” रिंकी ने मुझे लाजवाब कर दिया और मुझसे पूरी तरह खुलकर बातें करने लगी…

“वो मैं…मम्म…” मेरे मुँह से कोई शब्द ही नहीं निकल रहा था…

“अब शरमाना छोड़ भी दो, हम दोनों एक दूसरे का राज़ जानते हैं तो बेहतर है कि हम एक दोस्त की तरह एक दूसरे से सारी बातें शेयर करें !” रिंकी ने बड़ी सहजता से कह दिया।

मैं बस एक तक उसे देखता रहा और सोचता रहा कि क्या बोलूं…आज मैं रिंकी की बेबाकी से भी हैरान हो गया। दोनों बहनें कमाल की थीं। इतने दिनों से उनके साथ एक ही छत के नीचे रह रहा था लेकिन कभी यह नहीं सोचा था कि वो इतने खुले विचारों की होंगी।

खैर मैं इस बात से खुश था कि मुझे बिना प्रयास के अपनी हर मनोकामना पूरी होती दिख रही है।

मैंने रिंकी के छेड़ते हुए उसकी तरफ थोड़ा झुक कर उसे कहा, “वैसे आज तो बस तुम्हें देखने का मन कर रहा है मेरा ! ह्म्म्म…कितना लकी है मेरा दोस्त जिसे तुम जैसी हसीना मिली।”

मेरी बातों से रिंकी मुस्कुरा उठी…और वापस से मुझे मारने लगी…लेकिन फिर से उसकी आँखों में उदासी छ गई। मैं समझ गया कि वो पप्पू के न आ पाने की वजह से दुखी है।

मैंने आगे बढ़ कर उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और उसकी आँखों में झाँकने लगा। उसकी आँखें आंसुओं से भर चुके थे।

“अरे, इसमें इतना उदास होने वाली कौन सी बात है यार? मैं हूँ न…” इतना कहते हुए मैंने उसकी आँखों पे अपने होंठ रख दिए और दोनों आँखों को चूम लिया।

मेरी इस हरकत से रिंकी जैसे सिहर सी गई। उसने एक लम्बी सांस लेते हुए मेरे दोनों हाथों को पकड़ लिया और अपनी आँखें बंद किये हुए ही उसी अवस्था में बैठी रही। उसके सुर्ख गुलाबी होंठ थरथरा रहे थे। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपने होंठ उसके होंठों पे रख दिए।

हम दोनों के होंठ एक दूसरे के ऊपर बिल्कुल स्थिर थे…न तो मैंने अपने होंठों से कोई हरकत की न ही रिंकी ने। हम दोनों बस एक दूसरे की साँसों की गर्मी को महसूस कर रहे थे।

रिंकी ने अब अपने होंठों को थोड़ी सी हरकत दी और मेरे होंठों से रगड़ने लगी। मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई और मैंने भी अपने होंठों को खोलकर उसके नर्म नाज़ुक अधरों को अपने अधरों में कैद कर लिया और बड़े प्यार से उन्हें चूमने लगा।

मेरे हाथ अपने आप हरकत में आ गए और उसके गालों को छोड़ कर उसकी गर्दन को सहलाने लगे। उसके कन्धों पे मेरे हाथ ऐसे फिसल रहे थे जैसे कोई नर्म मुलायम रेशम हो। मैंने अपनी उंगलियों से उसके गले के चारों तरफ घुमा घुमा कर उसे उत्तेजित करने कीकोशिश की लेकिन वो तो पहले से ही जोश में थी।

रिंकी ने अपने हाथों को मेरी कमर के चारों तरफ कर लिया और मुझे अपने और करीब खींचने लगी। हम दोनों एक दूसरे को चूमते हुए बिल्कुल करीब हो गए। रिंकी के हाथ मेरे पीठ पर घूमने लगे और मुझे अजीब सी फीलिंग होने लगी। मेरी पकड़ और भी मजबूत हो गई।

अब मैंने अपना एक हाथ धीरे से सामने लाकर रिंकी के टॉप के ऊपर से उसके मुलायम अनारों पे रखा। जैसे ही मैंने उसकी चूचियों को पकड़ा…रिंकी ने मेरे होंठों को अपने दांतों से काट लिया…

“हम्मम्मम्म…”…एक हल्की सी सिसकारी के साथ रिंकी ने अपने हाथों से मेरे पीठ को और भी जकड़ लिया।

मैंने अब धीरे धीरे उसकी चूचियों को सहलाना शुरू किया और साथ ही साथ उसके होंठों को भी चूसता रहा। मैंने अपना दूसरा हाथ भी सामने कर दिया और उसकी दोनों चूचियों को पकड़ लिया।

इतनी नर्म और मुलायम चूचियाँ थी कि बस पूछो मत। मेरे दिमाग में प्रिया की चूचियों का ख्याल आ गया। उसकी चूचियाँ इतनी नर्म नहीं थीं। जैसे जैसे मैं रिंकी की चूचियाँ दबा रहा था रिंकी जोश से भरती चली जा रही थी। उसने अपने होंठ मेरे होंठों से छुड़ा लिए और सहसा मेरे सर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे झुका दिया।

ऐसा करने से मेरा सर अब रिंकी के गले और चूचियों के बीच के खाली जगह पे आ गया। रिंकी ने वी शेप का टॉप पहना था जिसकी वजह से उसकी चूचियों की घाटी मेरी आँखों के ठीक सामने नज़र आ रही थी। मैंने देरी न करते हुए अपने गीले होंठ उसकी घाटी के ऊपर रख दिए और एक प्यारा सा चुम्बन किया।

“ईसस…ह्म्म्मम्म…ओ सोनू…हम्म्म्म…” रिंकी के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं।

मैंने अपना काम जारी रखा और अपने दबाव को थोड़ा बढ़ाया। मेरे हाथ अब सख्त हो चुके थे और बेरहमी पे उतर आये थे। साथ ही साथ मेरी जीभ उसकी चूचियों की दरारों को ऊपर से नीचे तक चाट रहे थे।

रिंकी बड़े मज़े से अपनी आँखें बंद किये हुए मेरे सर पर अपना हाथ फेरती रही और मादक सिसकारियाँ निकालती रही।

अब और ज्यादा बर्दाश्त करना मुश्किल था, मैंने रिंकी की चूचियों को छोड़ कर उसे खुद से थोड़ा सा अलग किया और अपने हाथों से उसके टॉप को उठा कर ऊपर करने लगा। जैसे ही मैंने उसकी टॉप को थोड़ा ऊपर उठाया उसकी नाभि नज़र आ गई।

इतनी खूबसूरत नाभि जैसे कि सपाट चिकने पेट के ऊपर एक छोटा सा छेद बना दिया गया हो। मैंने अपनी एक उंगली उसकी नाभि में डाल दी और धीरे से सहला दिया।

रिंकी सिहर गई और उसका कोमल सा पेट थरथराने लगा। उसकी थरथराहट देख कर मुझे यह एहसास होने लगा कि उसे जबर्दस्त सिहरन हो रही है। मैं मुस्कुरा उठा और उसकी आँखों में देखने लगा।

रिंकी की आँखों में एक मौन आमंत्रण था। उसके होंठ तो खामोश थे लेकिन आँखें कह रही थी कि आओ मुझे मसल डालो।

उसके आमंत्रण को मैंने स्वीकार किया और उसके होंठों पे एक बार फिर से अपने होंठ रख दिए। इस बार मैंने अपनी जीभ उसके होंठों पर चलाये और धीरे से उसके मुँह में डाल दी। रिंकी ने मेरी जीभ का स्वागत किया और एक मंझे हुए खिलाड़ी कि तरह मेरी जीभ को अपने होंठों से चूसने लगी।

जीभ के चूसने से मेरा जोश और भी बढ़ गया और मैंने अब उसके टॉप को और भी ऊपर तक उठा दिया। जैसे ही उसका टॉप और ऊपर आया उसकी काली ब्रा ने मेरा ध्यान अपनी ओर खींच लिया। मैंने अपने हाथ उसके ब्रा के ऊपर रख दिए और प्यार से सहला दिया दोनों कबूतरों को !

उधर रिंकी मेरी जीभ चूसने में व्यस्त थी। मैंने अब उसके टॉप को उसके शरीर से अलग कर देना उचित समझा और यह सोच कर मैंने उसकी टॉप को उतरने की कोशिश शुरू कर दी।

अचानक से रिंकी ने अपना मुँह मेरे मुँह से छुड़ाया और मेरे हाथों को रोक दिया।

मैं चौंक कर उसकी तरफ देखने लगा,”क्या हुआ??? अब इसकी क्या जरूरत है, इसे निकाल दो न प्लीज।” मैंने विनती भरे शब्दों में कहा।

“निकाल दूंगी मेरे राजा, लेकिन यहाँ नहीं…अन्दर चलते हैं। यहाँ कोई भी देख सकता है।” रिंकी ने अपनी टॉप को नीचे करते हुए एक नशीली आवाज़ में कहा।

“अरे यार, यहाँ कौन है? वैसे भी हम घर में अकेले हैं। कोई नहीं देखेगा।” मैंने तड़पते हुए कहा और वापस उसकी चूचियों को दबाने लगा।

“अरे तुम्हें तो किसी का ख्याल ही नहीं रहता है, तुम बस अपनी धुन में मस्त रहते हो और यह भी नहीं देखते कि कहीं कोई और तुम्हारे खेल का मज़ा तो नहीं ले रहा। भूल गए कल रात की बात !! वो तो शुक्र है भगवान का, जो मैंने देखा, अगर मम्मी ने या नेहा ने देख लिया होता तो आज तुम्हारी खैर नहीं थी बच्चू।” रिंकी ने मेरे हाथों के ऊपर अपने हाथ रख कर अपनी चूचियों को दबवाते हुए कहा।

“जाओ पहले नीचे का गेट बंद करके आओ और फिर सारी खिड़कियाँ दरवाज़े भी बंद कर देना। मैं अपने बेडरूम में तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ।” रिंकी ने सोफे से उठते हुए कहा और अचानक से मेरे सख्त होकर निकर के अन्दर से झाँक रहे लंड पर हल्की सी चपत लगा कर आँख मार दी।

लंड पर हाथ जाते ही लंड ने ठुनक कर सलामी दी और अकड़ गया। मैंने भी देरी नहीं की, सोफे से उठ गया और अचानक से उसकी एक चूची को जोर से दबा कर नीचे की तरफ गेट बंद करने के लिए भागा।

“उईईइ…शैतान, उखाड़ ही डालोगे क्या?” रिंकी ने चीखते हुए कहा और मुझे जाते हुए देख कर मुस्कुराते हुए अपने कमरे की तरफ चल पड़ी।

पता नहीं मेरे अन्दर इतनी फुर्ती कहाँ से आ गई, मैं पलक झपकते ही गेट बंद करके सीधा ऊपर पहुँच गया और रिंकी के कमरे के दरवाज़े पर पहुँच गया। दरवाज़े से अन्दर देखा तो रिंकी अपने कमरे में रखे बड़े से आईने के सामने खड़ी है और अपने खुद के हाथों से अपनी चूचियों को सहला रही है।

मैं उसे देख कर एकदम मस्त हो गया। मैं दबे पाँव उसके पीछे पहुँच कर रुक गया और अपने हाथ आगे बढ़ा कर उसके टॉप को पीछे से ऊपर करने लगा।

रिंकी का ध्यान मेरी तरफ गया और उसने मुझे देख कर एक मादक सी स्माइल दी लेकिन अपनी चूचियों को वैसे ही सहलाती रही।

मैंने उसकी टॉप को ऊपर करते हुए उसके चिकने और गोरी गोरी कमर पर अपने होंठों से हल्की हल्की पप्पी देने लगा।

मैंने सुना था कि औरतों के बदन के कुछ ऐसे हिस्से होते हैं जहाँ मर्द का ध्यान ज्यादा नहीं जाता और वो जगह अनछुई सी रह जाती है। जब उन जगहों पे उँगलियों से या होंठों से हरकत करो तो उन्हें बहुत मज़ा आता है और यहाँ तक कि चूत झड़ तक जाती है।

खैर, मैं अपने होंठों को उसके कमर से होते हुए ऊपर की तरफ बढ़ने लगा और उसकी पीठ पे भी चूमने लगा।

उसकी मदहोशी का ठिकाना नहीं था। रिंकी से बर्दाश्त नहीं हुआ और वो सीधे मुड़ गई। उसने अपनी चूचियों को छोड़ कर मेरा सर अपने हाथों से थाम लिया और अब मेरे होंठ उसके पेट पे चलने लगे।

मेरी नज़र उसकी नाभि पर गई तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसकी नाभि के अन्दर घुमाने लगा। रिंकी ने मेरे बालों को अपने उँगलियों में पूरा जकड़ लिया था। मैं मज़े से उसकी जवानी का रसपान करने में लगा हुआ था।

मैंने अपने हाथों से उसका टॉप उठा रखा था जिसे मैं बाहर निकल देना चाहता था। मैंने अपने हाथों को थोड़ा सा और ऊपर करके रिंकी को एक इशारा किया। रिंकी काफी समझदार निकली और उसने मेरे हाथों से अपना टॉप छुड़ा कर खुद ही पूरा बाहर निकाल दिया।

अब तक मैं अपने घुटने पर बैठ चुका था ताकि आराम से उसके हुस्न का दीदार कर सकूँ। रिंकी ने अपनी चूचियों को ब्रा में कैद कर रखा था और ब्रा ऐसी थी कि उसकी आधी चूचियाँ बाहर आने को तड़प रही थी।

मैंने अपना हाथ ऊपर की तरफ बढ़ाया और उसकी ब्रा के ऊपर से ही चूचियों को दबाने लगा। रिंकी ने मेरा सर ऊपर की तरफ खींचना शुरू किया जैसे कि वो कुछ इशारा करना चाह रही हो।

मैं उसका इशारा समझ गया और खड़ा होने लगा और अब मेरा सर उसकी चूचियों के बिल्कुल सामने आ गया। मैं एक बार फिर से उसकी चूचियों पे टूट पड़ा। अब मुझे और सब्र नहीं बचा था मैंने जोर जोर से उसकी चूचियाँ दबानी शुरू कर दी…

“उह्ह्ह्ह……आऐईईइ… धीरे सोनू, मार डालोगे क्या…?” रिंकी पूरे उत्तेजना में थी और अपना सर इधर उधर कर रही थी।

मैंने धीरे से अपना एक हाथ पीछे लेजाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और अब मेरे सामने दो आज़ाद कबूतर उछल रहे थे।

मैंने उसकी ब्रा को उसके बाँहों से निकाल कर नीचे फेंक दिया और उसकी नंगी चूचियों को अपने हथेली में पूरा भर लिया।

32 इन्च की रही होगी उसकी उस वक़्त।

मैंने अपना मुँह उसकी नंगी चूची के निप्पल पे रखा और किशमिश के दाने जैसे निप्पल को मुँह में भर लिया।

मुँह में डालते ही रिंकी ने एक जोर कि सिसकारी भरी, “उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़…ह्म्म्मम्म।”

मैंने पूरे जोश में आकर उसकी चूचियों को चूसना शुरू किया मानो आज ही उसका सारा रस निचोड़ कर पी जाऊँगा। एक हाथ उसकी दूसरी चूची पर था। रिंकी ने अपनी उस चूची को जो मेरे मुँह में थी, अपने हाथों से पकड़ लिया और मेरे मुँह में डालने लगी।

रिंकी के मुँह से निरंतर मादक आवाजें निकल रही थीं जो मेरा जोश बढ़ाये जा रही थीं…

मैंने अब चूची बदल ली और दूसरी चूची को मुँह में भरा और उसी तरह से चूसने लगा। पहली चूची मेरे चूसने की वजह से पूरी लाल हो गई थी। उसपर मेरे होंठों के निशाँ साफ़ दिख रहे थे।

मैंने एक परिवर्तन देखा, थोड़ी देर पहले जो चूची मुलायम लग रही थी वो अब कड़ी हो गई थी और फूल गई थी। अब उसकी चूची और भी ज्यादा गोल हो गई थी और निप्पल तो मानो सुपारी की तरह से कठोर हो गए थे।

मैंने उसकी चूची को चूसते हुए अपने दोनों हाथ नीचे किये और स्कर्ट के ऊपर से उसके पिछवाड़े को सहलाने लगा। मेरे हाथ उसके बड़े और गोल गोल पिछवाड़े को धीरे अपनी हथेली में भर कर सहलाने लगा।

मुझे कुछ अजीब सा लगा, मैंने अपने हाथों को और अच्छी तरह से सहला कर देखा तो पाया कि रिंकी ने अन्दर कुछ नहीं पहना है।

मुझे बीती रात की प्रिया की बात याद आ गई और मैं मुस्कुरा उठा।

कहानी जारी रहेगी…

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