बॉस ने नौटंकी करके चूत चुदवाई
उनकी नाइटी ऊपर को चढ़ कर उनकी आधी पैंटी के दर्शन करवा रही थी। अब मुझे खुद पर ज़रा भी कंट्रोल न रहा.. मैं उनकी पैंटी के पास अपनी नाक ले जाकर उनकी चूत की सुगंध को सूंघने लगा।
उनकी नाइटी ऊपर को चढ़ कर उनकी आधी पैंटी के दर्शन करवा रही थी। अब मुझे खुद पर ज़रा भी कंट्रोल न रहा.. मैं उनकी पैंटी के पास अपनी नाक ले जाकर उनकी चूत की सुगंध को सूंघने लगा।
सुशी को अपने लौड़े की चुसाई से उठाया और उसको और रेवा भाभी को एक सांझे आलिंगन में बाँध लिया। मैं दोनों खूबसूरत औरतों का आनन्द ले रहा था.
वो बोली- यार आज मेरी चुदाई नहीं हो पाई है.. मेरी चूत लण्ड मांग रही है.. 'अच्छा आज़ तेरी चूत को लण्ड नहीं मिला.. इसलिए इतना तड़प रही है.. मेरी चूत से तो पूछ.. इसने तो अभी तक लण्ड के दर्शन ही नहीं किए हैं।'
शर्तानुसार मैंने नीता को छूना था लेकिन छूने से आगे बढ़ कर मैंने नीता को पूरी नंगी कर दिया तो शिखा, मधु हैरान हो गई और उनकी अन्तर्वासना उनके चेहरे पर झलक आई।
अंकल ने मेरे चेहरे को अपने हाथों में थाम कर मुझे अपने सीने से लगा लिया, कहने लगे- जान.. मैं तुम्हें किसी तकलीफ़ में नहीं देख सकता.. तुम अब मेरी जान बन गई हो.. मेरी रूह अब तुम्हीं हो..
मैं यह देख कर दंग रह गया कि दीपा ने नीचे कुछ भी नहीं पहना था। तभी दीपा ने अपनी उंगली कामिनी की चूत में कर दी और कामिनी ने भी अपने पैर का अंगूठा दीपा की चूत में कर दिया.
मामा ने मुझे बिस्तर के किनारे खींचा और पीठ के बल लिटा दिया। इस पोजीशन में मेरी गाण्ड उनके लंड के सामने आ गई। मामा ने मेरी गाण्ड पर अपना सुपारा लगाया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।
आंटी बोली- इस तरह जैसे तुम इतना ज़ोर लगा रहे हो, इस से तुम भी जल्दी थक जाओगे और मुझे भी चोट पहुँचती है, तुम्हारा लंड मेरे अंदर जा कर ज़ोर से लगता है, आराम से धीरे धीरे अपने लंड से मुझे रगड़ते हुये सेक्स करो!
अंकल ने भी मुझे खूब ज़ोर से अपने से भींच लिया और मेरी कमर और मेरे चूतड़ों पर अपने भारी हाथ फेरने लगे। मैं पहली बार किसी मर्द के इतना क़रीब उस के बाजुओं में सिमटी हुई झड़ी थी।
मैंने अपनी जीभ से उसकी बुर के दाने को चूसना शुरू किया और साथ ही अपनी एक उंगली उसके चूत में डालने लगा और उसको अपनी उंगली से ही चोदने लगा।
राहुल- हमें भरोसा नहीं है, ब्रा खोल कर दिखाओ। नेहा गुस्से में अपना हाथ पीठ के पीछे डाला और ब्रा खोल कर बिना कोई और कपड़ा निकाले, निकाल कर हमारी ओर फेंक दी।
पड़ोस की एक लड़की मेरे पास पढ़ने आ जाती थी। एक दिन मैं अकेला था तो वो आ गई और बायोलोजी के प्रश्न पूछने लगी। बहाने से उसने मेरा लंड पकड़ लिया।
पीछे से आते ही उसने मेरी गांड को टटोला और जब उसे ये एहसास हुआ कि मैंने पैंटी उतार दी है तो वो जैसे पागल हो गए, उसने मुझे पीछे से पकड़ा और मेरे मम्मे दबाने शुरु कर दिये।
मैंने उनको दीवार के पास खड़ा किया और उनकी एक टांग को टेबल पर रखा.. दूसरी को फर्श पर रहने दिया। इससे उनकी चूत खुल कर सामने दिखने लगी।
अंकल मेरे नंगे मम्मों को देख चुके थे.. उससे पहले अपनी उंगलियों से उसके चूचुकों को भी सहला चुके थे.. अपनी मुठ्ठियों में भर कर उसके मज़े ले चुके थे.. तो अब क्या शरमाना..!
मेरी बिल्डिंग में बिल्कुल मेरे सामने एक विवाहित महिला रहने आई पर मुझे कुछ भी पता नहीं चला. एक दिन वो खुद मेरे घर आई और बात करने लगी. बात कहाँ तक पहुंची...
नीलेश बोला- कैसी लगी मेरी बहन शिखा? मैंने कहा- यार वो तो कमाल ही है। उसकी चुदाई तो बनती है, कुछ नहीं तो कम से कम उसे एक बार नंगी कर के देख, मस्त एकदम!
मुझ पर क्या नशा चढ़ गया था, मैंने भी कामिनी के होंठ चूसने शुरू कर दिए और अपनी उंगली उसकी चूत में घुमानी शुरू कर दी। वो मुझे खींचकर बिस्तर पर ले गई और अगले ही पल हम दोनों नंगी होकर एक दूसरी की चूत चूस रही थी।
मैं ख़यालों में अंकल के सीने लग गई.. उनकी भरी-भरी गुदाज़ छाती के खूब सुर्ख लाल निपल्स को मुँह में लेकर चूसने लगी.. तो अंकल मुझे ज़ोर से अपने से भींचने लगे।
मैं शाम को टहलने जाता था तो पड़ोस की एक आन्टी भी सैर पर आने लगी। उनके मटकते चूतड़ों ने मेरा मन भटका दिया। इस कहानी में पढ़िए कि कैसे मैंने आन्टी की तारीफ़ की तो उन्होंने मेरे लिये अपनी जांघें खोल दी।