तीन कलियां ९९९
रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे, होस्टल सुनसान सा हो गया था, मैं बैठ के कुछ पढ़ रही थी तो पड़ोस के रूम में रहनेवाली रिमी आयी। मीता भी सोयी नहीं थी। रिमी सुन्दर थी और बातें बहुत अच्छी अच्छी करती थी। मैने उसे देखके चोंक गयी क्योंकि वो सिर्फ़ एक हाफ़ पैंट और […]