आज दिल खोल कर चुदूँगी- 10
(Aaj dil Khol Kar Chudungi- Part 10)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left आज दिल खोल कर चुदूँगी- 9
-
keyboard_arrow_right आज दिल खोल कर चुदूँगी -11
-
View all stories in series
अब तक आपने पढ़ा..
इधर नवीन सुनील को झड़ता देख मेरी चूत में लण्ड चोदने की रफ्तार तेज करके मेरी चुदाई करते हुए छह-सात जोरदार धक्के लगाकर मुझे अपनी बाँहों से जकड़ कर मेरी चूत में भी पिचकारी छोड़ कर झड़ने लगा।
मैं सिसियाकर प्रश्न वाचक निगाहों से नवीन को झड़ते देखने लगी। नवीन समझ गया कि मैं प्यासी हूँ और सर झुकाकर मेरे पीठ पर वजन रख कर हाँफने लगा।
उधर नवीन की वाइफ भी जोरदार चुदाई से मस्त होकर आँखें बंद करके सुनील के सीने से चिपक कर लंबी-लंबी साँसें ले रही थी।
वे दोनों एक-दूसरे की बाँहों में ऐसे बेसुध होकर चिपके रहे, जैसे किसी से कोई शिकायत ही ना हो।
इधर मैं प्यासी ही रह गई।
अब आगे..
मुझे नवीन के लण्ड से चूत हटाने का मन तो नहीं कर रहा था.. पर उससे पहले ही नवीन का लण्ड मुरझा कर चूत से बाहर निकल गया और उधर भी तूफान आकर चला गया था। नवीन की वाइफ और सुनील कभी भी बाहर आ सकते थे। इसलिए वहाँ से हटना जरूरी था। मैं नवीन के साथ बाहर चली आई।
नवीन ने कहा- नेहा जी सॉरी.. मैं ज्यादा उत्तेजित हो गया था.. इसलिए जल्दी झड़ गया।
मैं बोली- कोई बात नहीं।
तभी मेरे मोबाईल पर सुनील का मैसेज आया कि नेहा जी अगर आप लोगों का काम हो गया हो.. तो आप और नवीन बाहर निकलो।
मैंने नवीन को यह बात बताई, नवीन मेरे साथ बाहर आ गया और हम लोग लिफ्ट पकड़ कर नीचे चले आए।
करीब दस मिनट बाद सुनील भी नीचे आ गए। मैंने नवीन को नमस्ते की.. तभी सुनील बोला- क्यों नवीन भाई.. कैसा रहा नेहा का साथ.. मजा आया?
नवीन बोला- नेहा का साथ हो तो मजा ना आए.. यह हो ही नहीं सकता।
फिर हम लोग ऑटो पकड़ कर जहाँ रूके थे.. वहाँ अपने रूम पर आ गए।
अब रात के साढ़े दस का समय हो रहा था, आकाश कमरे में सोया हुआ था।
सुनील हाल समाचार करके.. सुबह आने को बोल चला गया, मैं बाथरूम जाकर फ्रेश होकर नाईटी पहन कर बाहर आई और पति के साथ खाना खाकर बिस्तर पर आराम करने लगी।
पर मेरी चूत अब भी पानी छोड़ रही थी और मुझे चुदाई की चाहत हो रही थी। मैं अपना एक पैर पति की जांघ पर चढ़ा कर अपनी बुर को कमर पर दाबने लगी।
तभी पति मुस्कुराकर बोले- मेरी जान.. बहुत प्यासी लग रही हो.. क्या बात है?
मैं नवीन और सुनील के घर पर हुई चुदाई की सारी बातें बताने लगी। चुदाई की बात और मेरी चूत प्यासी रह गई सुन पति जोश में आकर मेरे चूचियाँ कसकर दबाते हुए मेरे होंठों को मुँह में ले कर चूसते हुए एक हाथ से मेरी बुर कस कर मसल कर मेरे ऊपर चढ़ गए।
बुर मसलते हुऐ पति की एक उंगली मेरी बुर में चली गई।
एक तो मेरी बुर पानी छोड़ रही थी, दूसरे मैं पैन्टी भी नहीं पहने हुई थी.. क्योंकि मैं जब बाथरूम गई थी तभी ब्रा-पैन्टी उतार आई थी।
फिर पति ने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ कर बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया। मैं पति का सर पकड़ कर अपने तने हुए चूचों पर उनका मुँह रख कर बोली- सैयां जी.. मेरी चूचियाँ चूसो।
मेरे पति तने हुए दोनों मम्मों को दबाते हुए मुँह में भर कर मेरे निप्पल को खींच-खींच कर चूसते हुए बोले- कई दिन हो गए.. तेरी चूत मारे हुए.. आज तेरी चूत की सारी गर्मी और अकड़न दूर कर दूँगा।
वो बड़े ज़ोर-जोर से दोनों चूचों को भींचते हुए मेरे गले और होंठ और चूचियां चूसने लगे।
मैं सिसकारी लेकर बोली- आह रे.. ऊहहआह.. सीई आह सीईईई सी आह.. अब मुझसे नहीं रहा जाता.. मेरे राजा.. मेरी चूत चोदकर मेरा सारा रस निकाल दो..
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
तभी पति ने मेरी चूची छोड़कर जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार कर अपना लम्बा और मोटा लण्ड मेरे होंठों पर लगा कर बोले- मेरी जान.. बुर पेलवाने से पहले अपने प्यारे लण्ड को चाट तो लो।
मैं पति के लण्ड को हाथों से पकड़ कर बड़े प्यार से सुपारे को मुँह में लेकर चूसने लगी।
मैं आप लोगों को यह बता दूँ कि मेरे पति के लण्ड पर चमड़ी नहीं है, लण्ड की चमड़ी कटी हुई है।
मैंने प्यार से जीभ को लण्ड के चारों तरफ फिराते हुए.. चाट-चाट कर मोटे सुपारे को लाल कर डाला।
मैं समूचे लण्ड को गले तक लेकर चूसे जा रही थी।
मेरी इस तरह की चुसाई से पति मस्त होकर ‘आहें’ निकालने लगे और लण्ड चूसने के दौरान पति चूतड़ और मेरी बुर भी मसक रहे थे।
मैं पहले से ही प्यासी थी, एक तो पति के द्वारा चूतड़ और चूत सहलाने से मेरी चुदास अब पूरी तरह सवार हो चुकी थी और अब मैं मस्ती में मचलते हुए लण्ड चूसे जा रही थी।
तभी पति बोले- बस करो मेरी जान.. नहीं तो मेरा माल तेरे मुँह में ही निकल जाएगा।
मैं भी लण्ड पीना छोड़ कर बोली- हाँ मेरे सैयां.. बस अब जल्दी से चोद दो.. अब मैं इतनी गर्म हो गई कि मुझसे अब रहा नहीं जाता आआह… सीईईई सीआह.. ऊऊऊँ.. इइइसीसी.. बस राजा.. अब देर ना करो.. मेरे सईयां..
इतना सुनते ही पति ने मेरी बुर को अपनी गदोरी में भरते हुए कसकर भींच दिया और मेरी बुर ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया।
एक तो मेरी बुर पहले से ही पनिया हुई थी और बुर दबाने से मेरा बदन कांपने लगा। मैं ‘आहें’ भरते हुए सिसियाने लगी और चुदाई की प्यास से व्याकुल होकर मैं पलटकर घोड़ी बनकर हिनहिनाते हुए लण्ड को बुर के मुँह पर लगा के.. बुर की फांकों को लण्ड के सुपारे से फैला कर चूतड़ों को पीछे को कर दिया।
‘फक्क..’ की आवाज के साथ सुपारा मेरी बुर में घुसता चला गया।
तभी पति ने बचा खुचा हुआ लण्ड भी सटाक से मार कर अन्दर कर दिया।
अब पति तेज़-तेज़ कमर हिलाते हुए मेरी ताबड़तोड़ चुदाई करने लगे। मैं कमर और चूतड़ हिला-हिला कर लण्ड बुर में पेलवाते जा रही थी।
मैं मस्त हो कर बोलने लगी- आह्ह.. और चोदो.. मेरे राजा.. पेलो मेरी बुर.. फाड़ दो.. मेरी चूत.. हाय सीई हाय रे आहहह सी… और ज़ोर से मारो धक्का.. चोदो साली को.. बहुत प्यासी थी.. आहहह.. चोदते रहो
पति मेरी चूचियाँ जोर से मसलते हुए बोलने लगे- ले खा साली.. मेरे लण्ड को छिनाल साली.. खा मेरे लण्ड को..
‘हाँ मेरे जानू, मेरी चूत छिनाल हो गई है। पेलो साली को.. आहहह.. गइइई.. मेरे राजा.. मैं गइई.. आह सी..’
अकड़ते हुए मैं झड़ने लगी और मुझे झड़ता हुआ पाकर पति मेरी बुर पर ताबड़तोड़ धक्कों की बौछार करते हुए चोदते जा रहे थे।
मेरी चूत से ‘फच.. फचा.. फच..’ की आवाजें आने लगी थीं।
लण्ड भी ‘सक.. सक..’ करके अन्दर- बाहर करते हुए पति मेरी बुर में लण्ड जड़ तक ठोक कर झड़ते हुए बोले- ले.. मैं भी गया.. तेरी चूत में… ले साली अपनी चूत में.. मेरे वीर्य को.. आह.. ले.. मैं झड़ रहा हूँ.. ततत..तेरी चूत में..
वे झड़ कर हाँफने लगे और हम दोनों एक मस्त चुदाई के बाद आराम से एक दूसरे को बाहों में लेकर सो गए।
उम्मीद है आपको मेरी चूत की चुदाई पसन्द आई होगी.. आप सभी को कितना मजा आया.. यह तो मुझे आपके ईमेल पढ़ने के बाद ही मालूम होगा। प्लीज़ मुझे ईमेल जरूर कीजिएगा दोस्तो.. फिर मुलाक़ात होगी।
[email protected]
What did you think of this story
Comments