आज दिल खोल कर चुदूँगी- 15
(Aaj dil Khol Kar Chudungi- Part 15)
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अब तक आपने पढ़ा..
सुबह तक मेरे शरीर में मानो जान ही नहीं रह गई थी, मैं बिस्तर पर वैसे ही बेहोशी की हालत में नंगी पड़ी थी।
शायद रिची या चार्ली में से किसी ने सुनील को फोन करके बोल दिया था। सुनील आया मुझे बाथरूम ले जाकर फ्रेश करवाया, अब मुझमें हल्की सी जान आई।
मैं बोली- सुनील मेरे कपड़े फट गए हैं।
तभी रिची की आवाज सुनाई दी- रानी हम लोग ऐसे ही चोदते हैं इसीलिए मैंने तुम्हारे लिए कपड़े ले लिए थे।
फिर सुनील ने मुझे कपड़े पहनाए और चाय पीकर निकल लिए।
अब आगे..
सुनील मुझे होटल से लेकर सीधे कमरे पर पहुँचे और मैं सीधे जा कर बिस्तर पर लेट गई। रात भर उन दोनों ने मेरी जमकर चूत का मर्दन और चुदाई करके शरीर के पोर-पोर को दुखा कर रख दिया था।
मेरी चूत को और मुझे.. आराम की सख्त जरूरत थी।
जब मैं कमरे पर पहुँची.. उस वक्त मेरे पति नहीं थे.. शायद बाहर नाश्ता करने गए हुए थे। सुनील मेरे पास ही बिस्तर पर बैठ कर बोले- थक गई हो रानी.. कल सालों ने जमकर चूत मारी है क्या?
मैंने कहा- सालों ने चूत ही नहीं.. पिछवाड़ा.. मुँह.. यानि हर छेद को जम कर मारा है.. और आप भी तो भूखे दरिन्दों के बीच छोड़ कर चले गए थे।
सुनील सिर्फ मुस्कुरा दिए।
मैं बोली- आप को हँसी आ रही है.. वो तो मुझे पता है कैसे मैंने झेला है।
तभी कमरे में पति आ गए.. आते ही वे बोले- अरे आ गए आप लोग.. मैं जरा नीचे चला गया था।
सुनील बोला- आकाश जी आज आप मेरे साथ चलो.. शाम तक आ जायेंगे.. और आज नेहा को आराम करने दो.. वो काफी थक गई है। आकाश ने सहमति में सर हिलाया।
‘नेहा जी.. मैं जाते वक्त नीचे दुकान से खाना नाश्ता भेजता जाऊँगा.. और भी कोई काम जो जरूरत का होगा.. सब कमरे में ही आ जाएगा। आपको कहीं जाना नहीं है.. आप बस आराम कीजिएगा।’
कुछ देर बाद सुनील और पति चले गए उनके जाने के बाद वही लड़का.. जिसने मुझे चोदा था.. आया और ‘नमस्ते’ कह कर बोला- नाश्ता लाया हूँ.. आप खा लीजिए..
मैंने उसे अपने पास बैठाया और बोली- विनय.. मेरे बदन में बहुत दर्द है.. तुम दोपहर में गरम तेल से मेरी मालिश कर देना।
विनय बोला- जी मैडम..
और वो चला गया।
मैं नाश्ता करके सोने लगी। मेरी नींद तब खुली.. जब किसी ने जगाया।
‘अरे विनय.. तुम आ गए..?’
‘जी मेम..’
मैं बोली- तेल लाए हो?
‘जी.. गरम करके लाया हूँ।’
‘ठीक है.. फिर अब तो तुम जल्दी से मेरे सारे कपड़े निकाल दो.. और अच्छी तरह से तेल से मालिश कर दो।
विनय ने तुरन्त ही मेरे सारे कपड़े निकाल कर मुझे पूरी तरह नंगी कर दिया, मैं भी पेट के बल लेटकर चूतड़ उठा कर मालिश के लिए तैयार हो गई।
विनय रात की मेरी चुदाई के निशान को देखकर बोला- मेम.. यह सब निशान कैसे हैं?
मैं बस विनय को देखकर मुस्कुरा दी।
‘विनय.. तुम बस मेरी मालिश कर दो.. मेरी बदन टूट रहा है.. मेरी चूचियाँ.. चूत और गाण्ड की सब की मालिश कर तू.. फ्री होकर आया है ना..?’
वह बोला- जी.. मैं यहाँ आया हूँ.. ये किसी को नहीं पता।
‘वेरी गुड विनय.. तू मेरी रात की थकान मिटा दे।’
विनय मेरे चूतड़ों से होते हुए कमर.. पीठ तक तेल टपका कर आहिस्ते-आहिस्ते से मेरे जिस्म की मालिश करते हुए मेरे चूतड़ों तक.. और कभी-कभी मेरी चूत पर भी हाथ फेर देता।
‘विनय.. तुम भी अपने कपड़े उतार दो.. नहीं तो तेल लग जाएगा।’
विनय भी मादरजात नंगा होकर मेरे ऊपर सवार होकर मेरी मालिश करने लगा।
मालिश के दौरान विनय का मोटा लण्ड मेरे जिस्म पर छू कर सरक जाता था। विनय ने मेरी गाण्ड की मालिश शुरू करते हुए मेरे चूतड़ों को निचोड़ते हुए मेरी चूत को भी मुठ्ठी में भरकर दबाकर मेरे जिस्म की मालिश करते हुए अपने लण्ड को भी मस्ती करा रहा था।
मैंने भी मालिश कराते हुए पलट कर विनय का हाथ पकड़ कर अपनी छाती पर रखवा लिया साथ ही उसका दूसरा हाथ चूत पर रख लिया।
अब मैं विनय से बोली- अब यहाँ की भी मालिश करो न।
विनय अपने हाथ से मेरी चूत की गहराई को नापते हुए मेरे जिस्म को राहत प्रदान करने लगा। तभी विनय मेरी चूची को मसलते हुए अपने लण्ड से मेरी चूत की फाकों को रगड़ने लगा। मेरे बुरी तरह थके होने के बावजूद मेरी चूत फड़कने लगी।
फिर वो धीरे से अपनी एक उंगली मेरी चूत में घुसा कर चूत की फांकों की मालिश करते हुए बोला- लग रहा है मेम.. चूत बहुत ज्यादा चोदी गई है।
मैंने विनय का कोई जबाब नहीं दिया।
विनय मेरे नंगी चूचियों को मसलते हुए मेरे जिस्म की उतेजना बढ़ाने लगा। पर मेरे जिस्म में इतनी ताकत नहीं बची थी कि मैं विनय का साथ दे सकूँ, मैं लेटे हुए ही विनय के मालिश के तरीके का आनन्द ले रही थी।
विनय भी उत्तेजना में गरम हो चुका था, उसकी साँसें ऊपर-नीचे हो रही थीं।
वो दुबारा मेरी चूत के मुँह पर लण्ड लगा कर रगड़ने लगा और उसने मेरी चूचियों को मुँह में ले लिया। उसकी जोरदार चुसाई से और लण्ड की रगड़ाई से मेरी बुर पानी छोड़ने लगी।
विनय बोला- मेम आप कहें.. तो चूत मार लूँ।
मैं बोली- नहीं विनय.. अभी तुम जैसे कर रहे हो.. वैसे ही करो.. अभी मेरी चूत दुख रही है।
मैं विनय के बिल्कुल नंगे जिस्म के नीचे थी।
विनय पूरे जिस्म की मालिश और बुर के साथ छेडकानी करते हुए मुझे यौनानंद दे रहा था।
फिर 69 की पोजीशन में आकर उसने अपने लण्ड को मेरे मुँह में दे दिया और अपने मुँह से मेरी चूत को धीरे-धीरे चाटने लगा। मैं उसके मोटे लण्ड को जीभ से चाटते हुए हिलाने लगी।
फिर विनय कुछ देर बाद दुबारा मेरे जिस्म की मालिश के दौरान लण्ड का सुपारा बुर में पेलकर मेरे जिस्म की मालिश करने लगा, वो धीरे-धीरे लण्ड आगे-पीछे कर रहा था।
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कुछ ही धक्कों के बाद विनय उत्तेजना में होकर तेज गति से मुझे चोदने लगा। मुझे भी मजा आने लगा.. मैं झड़ गई तभी वो भी अपने लण्ड का सारा पानी मेरे पेट, चूत और चूचियों पर डाल कर मेरे जिस्म को पकड़ कर लम्बी-लम्बी साँसें लेने लगा।
फिर विनय ने धीरे से अपने लंड का सुपारा चूत में घुसा दिया और अपने जिस्म से मेरे जिस्म पर पड़े वीर्य को रगड़ते हुए चूमता रहा।
थकान के बाद फिर थकान चढ़ती जा रही थी पर मेरी चूत की चुदास कम होने का नाम नहीं ले रही थी।
कहानी जारी है।
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