बहन का लौड़ा -10
(Bahan Ka Lauda- 10)
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अभी तक आपने पढ़ा..
राधे- मीरा प्लीज़ चीखना मत.. पहले मेरी पूरी बात सुन लो.. मैं लड़की नहीं लड़का हूँ प्लीज़ प्लीज़.. मैं मुँह से हाथ हटा रहा हूँ ज़ोर से बोलने से पहले अपने पापा के बारे में सोच लेना.. उनको ये सदमा बर्दास्त नहीं होगा.. डॉक्टर ने कहा था वो मर भी सकते हैं।
मीरा को राधे की बात समझ आ गई… उसने गर्दन हिला कर ‘हाँ’ में इशारा किया तब जाकर राधे ने हाथ हटाया।
मीरा एकदम नंगी एक लड़के के साथ बैठी हुई थी और अभी कुछ देर पहले अपने जिस्म को वो उस लड़के से चुसवा रही थी। इस अहसास से वो सिहर गई.. उसने जल्दी से कंबल अपने ऊपर डाला और रोने लगी।
राधे- मीरा प्लीज़ रो मत.. प्लीज़.. आई एम सॉरी.. प्लीज़ मेरी बात तो सुनो प्लीज़..।
मीरा- चुप रहो.. तुम बहुत गंदे हो.. मुझे और मेरे पापा को धोखा दिया है.. हमारे पैसे ले लिए.. मेरी इज़्ज़त खराब कर दी..राधे- अरे प्लीज़ चुप हो जाओ.. मैंने क्या किया है.. तुम ऐसी बात मत करो.. मेरी पूरी बात सुनो.. तुम्हारी इज़्ज़त वैसी की वैसी है मैंने क्या किया है?
अब आगे..
मीरा ने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा- शर्म करो.. एक लड़की को नंगा कर दिया.. उसके पूरे जिस्म पर अपने होंठ घुमा दिए और कहते हो ‘क्या किया है?’
राधे- देखो मीरा मैं ऐसा करना नहीं चाहता था। तुम ठंडे दिमाग़ से सोचो तुमने मुझे ऐसा करने पर मजबूर कर दिया। अब मैं जवान हूँ लड़की ऐसा मौका देगी तो मेरा मन तो मचलेगा ही ना..
मीरा- चुप रहो.. मैंने अपनी दीदी समझ कर ये सब करने दिया.. मगर तुम तो लड़के हो और देखो अब भी बेशर्मों की तरह नंगे बैठे हो.. अपने ‘उस’ को तो ढक लो..
मीरा बात के साथ-साथ लगातर लौड़े को देख रही थी। हाँ अभी उसका कड़कपन कुछ कम हो गया था.. मगर अब भी उसमें जान थी.. वो हल्की झाँटों के पास एक डंडा जैसा लग रहा था।
राधे ने अपने लौड़े को सहलाया और होंठों पर जीभ फेरते हुए कहा- देखो मीरा तुम्हारी इच्छा आज पूरी कर लो.. लौड़ा ऐसा होता है प्लीज़.. बुरा मत मानो.. तुम आज के जमाने की मॉर्डन लड़की हो.. जो हुआ उसे भूल जाओ.. माना मैंने पैसे के लालच में तुम्हें धोखा दिया है मगर मेरा इरादा उस समय भी गलत नहीं था.. अब भी नहीं है.. सुबह होते ही मैं चुपचाप चला जाऊँगा। तुम अपने कपड़े पहन लो.. मैं ऐसा लड़का नहीं हूँ जो किसी लड़की की जिंदगी बर्बाद कर दे.. हाँ जाने से पहले मेरी बात जरूर बता कर जाऊँगा ताकि तुम समझ सको कि ऐसा करना मेरी मजबूरी थी।
मीरा- ओ हैलो.. माना कि मैं इस जमाने की लड़की हूँ.. मगर अपनी मान-मर्यादा जानती हूँ और ऐसी क्या मजबूरी थी जो तुम्हें ऐसा करना पड़ा? ये जानना जरूर चाहूँगी।
राधे ने अपनी दु:ख भरी कहानी सुनाना शुरू की। अब राधे ने भी लौड़े पर कंबल डाल लिया था.. वो बस बोल रहा था और मीरा सुन रही थी।
दोस्तों राधे को अपनी कहानी सुनाने दो.. चलो हम ज़रा नीरज का हाल जान लेते हैं.. वो इस वक़्त कहाँ है और क्या कर रहा है।
सॉरी आपको गुस्सा आ रहा होगा कि ऐसे मौके पर मैं कहाँ कहानी को दूसरी जगह ले जा रही हूँ.. मगर मेरा स्टाइल आप जानते ही हो.. अब मीरा चुदेगी या नहीं.. ये आकर बताऊँगी.. चलो नीरज को देख लेते हैं।
नीरज वापस चला गया था और अपनी मंडली वालों को कह दिया कि राधे कुछ दिनों बाद आएगा.. अब जब तक वो नहीं आता.. उसका यहाँ क्या काम है.. तो वो भी कहीं और काम ढूँढने जा रहा है।
यह बोल कर उसने एक झोपड़पट्टी में अलग जगह ले ली। अभी वो एक कोठे पर बैठा शराब पी रहा था।
शीला- अरे मेरे राजा शराब ही पीता रहेगा या कुछ करेगा भी.. तेरा दोस्त कहाँ है?
नीरज- हट साली.. पीने दे.. आज यहाँ मैं तुझे चोदने नहीं आया हूँ। अब मैं लखपति बन गया हूँ.. तुझसे एक काम है वो कराने आया हूँ.. तू बता यहाँ कोई कच्ची कली आई है क्या? और उसका दाम क्या होगा? साला बहुत मन हो रहा है.. कोई कच्ची चूत मारने का.. साली वो मीरा को देख कर लौड़ा बेकाबू हो गया है.. साला राधे तो उसको चोद कर मज़ा ले लेगा.. मेरा भी कुछ करवा दे ना..
शीला- मेरे राजा यहाँ नई लड़कियाँ जब आती हैं तो उनकी बोली लगती है.. तुम जानते नहीं ये मुंबई है.. बड़े-बड़े पैसे वाले बूढ़े ठरकी यहाँ आते हैं सालों को कच्ची चूतों का शौक है.. एक रात के लिए लाखों देते हैं तुम दे पाओगे?
नीरज- अबे साली.. मैंने कहा ना.. अब मैं कंगला नहीं हूँ.. लखपति बन गया हूँ.. दे दूँगा मैं.. तू बस बता कोई नई लड़की आई है क्या?
शीला- अरे राजा कहाँ हाथ मारा है.. बता तो मुझे?
नीरज ने नशे की झोंक में उसे सारी बात बता दी तो शीला यह सुनकर खुश हो गई।
शीला- देख राजा यहाँ की लड़की का ख्वाब जाने दे.. एक रात के लिए मिलेगी और लाख रुपये गए चूत में.. ये काम बड़े पैसे वालों का है.. तू एक काम कर बाहर किसी छोटी लड़की को फँसा उस पर थोड़ा खर्चा कर.. उसके बाद उसकी चूत और गाण्ड का महूरत कर.. वो भी जब तक तेरा मन ना भरे.. तब तक.. सही कहती हूँ एक लाख से कम खर्चा होगा और तू रोज उसको चोद सकेगा।
नीरज- साली तेरी बात में दम तो है.. यहाँ तो रात भर के लिए लड़की मिलेगी.. और वो तो रोज मुझे मिलेगी.. मगर मुझे ऐसी लड़की कहाँ मिलेगी?
शीला- अरे राजा ये सपनों का शहर है.. यहाँ रोज हजारों कमसिन लड़कियाँ अपने सपने लेकर आती हैं। तू किसी फिल्म स्टूडियो के बाहर तलाश कर या फिर किसी स्कूल के बाहर तलाश कर.. वहाँ भी कमसिन लड़कियाँ होती हैं.. उनको किसी तरह पटा ले.. बस तेरा काम बन जाएगा।
नीरज- मगर कैसे और कहाँ.. कुछ तो आइडिया दे।
शीला ने उसको आराम से आइडिया समझाया कि करना क्या है और कैसे करना है। उसकी बातें सुनकर नीरज की आँखों में चमक आ गई।
नीरज- साली तू कमाल की है.. अच्छा आइडिया दिया.. कल ही काम पर लग जाऊँगा.. चल अब मेरे लौड़े को चूस कर ठंडा कर दे..
शीला- राजा बस चुसवाएगा.. क्या मुझे चोदेगा नहीं..
नीरज- नहीं.. अब तो ये लौड़ा कुँवारी चूत में ही जाएगा.. आजा चल चूस कर ठंडा कर दे।
शीला ने नीरज का लौड़ा पैन्ट से बाहर निकाल लिया.. जो सोया हुआ था।
शीला उस पर जीभ फेरने लगी।
थोड़ी देर तक शीला कभी जीभ से लौड़े को चाटती.. तो कभी उसको मुँह में लेकर चूसती.. लौड़ा अपने आकार में आने लगा और 5 मिनट में वो तनकर 7″ का हो गया.. मोटा भी ठीक-ठाक था.. शीला बड़े प्यार से लौड़े को चूसने लगी।
नीरज- आह्ह.. चूस साली.. आह्ह.. कुछ दिन तू और चूस ले उसके बाद तो किसी कमसिन के होंठों से ही आह्ह.. चुसवाऊँगा.. आह.. साली एक तो वो नीतू रंडी मिली आह्ह.. जो चूत चटवा कर लात मार दी.. आह दूसरी मीरा आ.. जिसको बस देख ही पाया.. आह्ह.. साला राधे.. उसको बड़ा तड़पा कर चोदेगा.. आह्ह.. चूस आह्ह.. चूस आह्ह…
शीला ने होंठ भींच लिए और ज़ोर-ज़ोर से मुँह हिलाने लगी.. फच फच की आवाज़ कमरे में गूंजने लगी।
नीरज- आह्ह.. ज़ोर से कर माँ की लौड़ी.. आईई.. आह्ह.. मेरा निकलने वाला है आह्ह.. आह्ह..
नीरज अकड़ने लगा.. उसका लौड़ा फूलने लगा और कुछ देर बाद उसके लौड़े ने पानी की धार शीला के मुँह में मारनी शुरू कर दी। शीला का तो काम यही था.. पूरा पानी गटक गई और जीभ से लौड़े को चाट-चाट कर साफ कर दिया।
दोस्तो, उम्मीद है कि आप को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी.. मैं कहानी के अगले भाग में आपका इन्तजार करूँगी.. पढ़ना न भूलिएगा.. और हाँ आपके पत्रों का भी बेसब्री से इन्तजार है।
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