कोठे की कुतिया-2

(Kothe Ki Kutiya-2)

This story is part of a series:

अगल बगल में सभी लड़कियाँ अपने हाथों में लंड पकड़े हुए थीं और उनको मसल रही थीं। मोनी को एक मोटे से सेठ ने अपनी गोद में बठा रखा था। सेठ ने १००० रूपये पिंटू की तरफ बढ़ा दिए। पिंटू ने मोनी को आंख मार कर लौड़ा चूसने का इशारा किया। मोनी जमीन पर बैठ गई और उसने सेठ का ४ इंच लम्बा लौड़ा मुँह में ले लिया और उसे लोलीपोप की तरह चूसने लगी।

नेताजी मेरी चूत में अपनी उँगलियाँ आगे पीछे कर रहे थे तभी एक एक ग्राहक मेरी तरफ आया और १०-१० के नोट मेरे ऊपर फेंकने लगा। पिंटू पीछे से आकर मेरी चुचियों की घुन्डियाँ गोल गोल घुमाने लगा और नेताजी ने मुझे अपनी दोनों टांगों पर बिठा लिया और मेरी चूत के होंठ सहलाने लगे। उनका लंड मेरी चूत से छू रहा था। मेरी चूत की खुजली बहुत बढ़ गई थी और मन कर रहा था कि चूत में लंड घुसे और मैं चुदाई का मस्त मज़ा लूं। नेताजी मेरी चूत की मसलाई जोरों से कर रहे थे। ग्राहक ने पूरी १० के नोट की गड्डी मुझ पर लुटा दी। उसके बाद एक मुस्टंडे ने उसे वहां से हटा दिया।

१० मिनट वाली घंटी बज गई। नेताजी को मिलाकर पांच लोगों ने १००० रु. बढ़ा दिए। अब वो लोंडी को १० मिनट और मसल सकते थे। २ रंडियों के ग्राहक झड़ चुके थे वो दोनों उठ गई और फिर काउंटर पर जाकर खड़ी हो गई। ७ में से ३ लडकियाँ लौड़ा चूस रही थीं। नेताजी ने अपनी जेब से १००० की गड्डी निकाली और एक नोट पिंटू की तरफ बढ़ा दिया। पिंटू ने मेरा एक संतरा जोरों से मसलते हुआ कहा चल अब जरा साहब का लौड़ा चूस।

मैं मरती क्या न करती। मुझे अब नेताजी के पैरों में बैठकर उनका लौड़ा मुँह में लेना पड़ा। लौड़ा पूरा वीर्य से गीला हो रहा था। मुँह में लौड़ा घुसते ही एक कसेला सा स्वाद मुझे लगा। दो तीन बार लौड़ा चूसने से मुझे मस्ती आने लगी और मैं मस्त होकर नेताजी का लौड़ा चूसने लगी। नेताजी मेरे चूतड़ों को कस कस कर दबा रहे थे और कह रहे थे,”रंडी तू तो बड़ा मस्त लौड़ा चूसती है चल जरा मेरा सुपाड़ा चाट ! अगर मुझे खुश कर देगी तो कुतिया, मैं तुझे हिरोइन बनवा दूंगा !”

अब मैंने नेताजी का सुपाड़ा चाटना और चूसना शुरू कर दिया था। नेताजी ने मेरे ऊपर दो-तीन १०००-१००० के नोट लुटा दिए। तभी वहां मौसी के साथ ४-५ पुलिस वाले आ गए। सभी सादी वर्दी में थे मौसी बोली- कोई घबराए नहीं, सब कुछ २-३ मिनट के लिए है।

एक पुलिस वाले ने मेरे बाल खींचे और मुझे धक्का दिया और बोला,”साली रंडी हट इधर से हट !”

मैं पीठ के बल गिरी और एक पुलिस वाले ने नेताजी को १०-१२ थप्पड़ मार दिए। फिर बोला,”कलुआ ! साले हमें धोखा देता है साला बैंक लूटता है… हरामी कहीं के ! तुझे अभी थाने में चलकर बताता हूँ कि पुलिस को परेशान करने का मतलब क्या होता है ?”

पुलिस नेताजी को धक्के मार कर ले गई। उनका इंसपेक्टर मौसी से बोला,”मौसी, आपकी मदद से हम इसे पकड़ने में सफल रहे, धन्यवाद।”

मौसी कुटिल मुस्कराहट से बोली,”हजूर हम तो आपके सेवक हैं !”

उनके जाने के बाद मौसी बोली,”भाई, सभी मस्ती करो, डरने की बात कोई नहीं। कुते के पास जो नोटों की गड्डियाँ थी उस पर जिस बैंक की मोहर थी वो कल ही लूटी गई थी। मैं समझ गई थी कि साले बैंक लूट कर आये हैं। यह साला कलुआ बदमाश था २०,००० का इनाम है इस पर हरामी पर। नेता बनता है साला भडुआ !”

हम सभी रंडियों के ग्राहक हमें छोड़कर भाग गए थे। हम सभी रंडियाँ एक बार फिर साइड में जाकर खड़ी हो गईं। रोकी ने हमें पतले कपड़े की चड्डियाँ पहना दी थी और हमारे गले में मालाएं डाल दी थीं। नाचने वाली लड़कियों की चड्डियाँ मुस्टंडों ने उतार दी थीं। वो अब वो फर्श पर लेटकर अपनी चूत कभी फैला रही थीं कभी छुपा रही थीं। ग्राहकों की भीड़ दुबारा बढ़ गई थी हम लोगों की बोली दुबारा लग गई थी। इस बार मेरे हिस्से में एक मरियल सा ५५ साल का बुड्ढा आया था जिसने मुझे मसलने के लिए १५०० रुपए लगाए थे।

बुड्ढे ने मेरी माला के फूल मसल दिए और अपने दोनों हाथों में मेरे स्तनों को पकड़ कर उन्हें धीरे धीरे दबाने लगा। मैंने बुड्ढे के पैंट के बटन खोल दिए और उसकी चड्डी नीचे कर दी। बुड्ढे का पतला लंड खड़ा हुआ था जो मुश्किल से ४ इंच का होगा। मुझे उसे पकड़ने में ऐसा लग रहा था जैसे कि कोई बड़ी मूंगफली अपने हाथों में दबी है । धीरे धीर मैं बुड्ढे की मूंगफली मसलने लगी। बुड्ढा मेरी चूचियाँ मसले जा रहा था। मेरी तरफ देखकर खी-खी करते हुआ बुड्ढा बोला,”तेरी चूचियाँ बिलकुल मेरी बहू की तरह चिकनी हैं !”

मैं हैरान थी मैं बोली,”क्यों ? तू अपनी बहू को भी चोदता है क्या?”

बुड्ढा खी-खी करते हुआ बोला,”चोदी तो नहीं है, लेकिन जब भी मुन्ने को दूध पिलाती है तो उसकी चूचियाँ छुपकर देखता हूँ ! बिल्कुल तेरी जैसी चिकनी हैं !”

मैं हैरान थी कि ऐसे भी लोग होते हैं। मैंने उसके लौड़े को मसलते हुआ पूछा,”और ताऊ क्या देखा है?”

बुढ़ऊ फुसफुसाया,”बाथरूम में २-३ बार नंगे नहाते हुए भी देखा है, एक बार जब मेरा लड़का १०-१२ दिन के लिए बाहर गया हुआ था तो बाथरूम में उसे चूत में मोमबत्ती डालते हुए भी देखा था। साली को चोदने का मन तो करता है लेकिन शराफत भी तो कोई चीज़ है।”

मौसी उधर से निकली और बुड्ढे की तरफ देखती हुई बोली।”चचा दूध ही मसलते रहोगे या कुछ और भी करोगे? थोड़ा इसकी सुरंग में ऊँगली करो, मज़ा आ जायेगा।”

ताऊ की उँगलियाँ अब मेरा चूत के होटों पर फिसल रही थीं। एक मिनट बाद ही ताऊ ने अपना पानी छोड़ दिया जिसकी धार मेरे हाथ और पेट पर जाकर गिरी। ताऊ के १० मिनट पूरे होने वाले थे। पिंटू बोला,”ताऊ टाइम हो गया है, और देर तक कुतिया को मसलना है तो १००० रु निकालो !”

ताउ मुझे हटा कर अपनी पैन्ट ऊपर चढ़ाते हुए बोला,”और पैसे नहीं हैं, वो राजू की अम्मा बटुआ भूल गई थी, उसमें से २००० रूपये निकाल लाया था ! सिर्फ २०० रु बचे हैं। साली कुतिया बहुत मजा दे रही है। तू मौसी से बोल २०० रूपये में लौड़ा चुसवाने दे बाकी बाद में दे दूंगा !”

पिंटू बोला,”नो पैसा, नो मजा ! अब जाओ फिर बाद में आना लाइन में और लगे हैं !”

रंडियों की मसलाई जोरों पर थी। दो रंडियों की चूत में लौड़ा भी घुसा हुआ था उनके कस्टमर उनको सबके सामने चोद रहे थे। मोनी के सेठ ने एक ५० की गड्डी पिंटू की तरफ बढ़ा दी और बोला,”साली की चूत चोदनी है !”

पिंटू ने एक कंडोम का पैकेट उसकी तरफ बढ़ा दिया और बोला,”ले सेठ १५ मिनट में कुतिया को निपटा दियो, वरना ५००० और देने पड़ेंगे !”

सेठ ने अपना लौड़ा मोनी की चूत में फिट कर दिया और उसकी चुदाई शुरू कर दी। मोनी सहित तीन रंडियाँ डांस हाल में चुद रही थीं। ३ की मसलाई सोफों पर हो रही थी। मैं काउंटर पर नंगी खड़ी थी। इतनी देर तक हाल में नंगी खड़ी होने से मेरी शर्म बिलकुल ख़त्म हो गई थी। मैं अपने को रंडी मान चुकी थी मेरा मन लौड़ा खाने को कर रहा था। पिंटू ने मेरे मेरे चून्चों पर एक जोर का हाथ मारा और बोला,”अभी २० मिनट और हैं, एक ग्राहक को और निपटाना है !”

मौसी वहीं घूम रही थीं। उन्होंने आकर एक केला मुझे पकड़ा दिया और बोली,”हल्के-हल्के अपनी चूत पर फिरा और अपने मुँह से इशारे कर ! इस बार तेरा दाम २००० रु से ऊपर लगना चाहिए, समझी ! वरना एक और कुत्ता तेरे ऊपर चढ़वाना पड़ेगा !”

तभी आशा नाम की एक और रंडी काउंटर पर आकर खड़ी हो गई थी। हम दोनों केला अपनी चूत पर फिराने लगी और ग्राहकों की तरफ देखकर चुम्मी फेंकने लगी। मैं अब अपने को मौसी की लोंडी मान चुकी थी। मेरे अन्दर उनकी बात टालने की हिम्मत नहीं थी। सामने लड़कियों की चूत में लौड़े घुसे हुए थे। मेरी चूत बहुत जोरों से खुजिया रही थी, मन कर रहा था कि अबकी बार मैं भी चुदूं। नाचने वाली लडकियाँ बार बार अपनी चूत में मोमबत्ती डाल रही थी। मौसी मुस्करा रही थी और रोकी से कह रही थीं,”सभी रंडियाँ बिक चुकी हैं १-२ को छोड़कर। भोंसड़ी वालियों के भी रेट आज ५०० से उपर लग रहे हैं !”

तभी दो ग्राहक हमारी तरफ आए। मौसी उन्हें लेकर आई थी। मौसी मुझसे बोली,”यह छोटा खलील और उसके चेले हैं, पूरे पूना का अन्डरवर्ड देखते हैं। तुम दोनों की चुदाई और मसलाई दोनों करेंगे। १२ हज़ार दे चुके है। चूत चुदवा और जम के मज़ा ले। ऐसा मज़ा दुबारा नहीं मिलेगा।”

मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए पिंटू बोला,”तेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है न ? जा अभी यह मिटा देंगे। कुतिया चल जा चुद और मस्तिया !”

छोटा खलील और उसके साथी के साथ हम दोनों सोफों की तरफ बढ़ गईं। दो सोफे पास पास खाली नहीं थे। पिंटू ने एक ग्राहक को उठाकर दूसरी साइड में बिठा दिया। खलील और उसका साथी पहले भी कोठे पर आ चुके थे। दोनों ने पैन्ट खोल कर अपने लौड़े हम दोनों के हाथ में पकड़ा दिए। थोड़ा मसलने पर खलील का लौड़ा ८ इंच लम्बा हो गया। खलील का लंड अच्छा मोटा था। खलील और उसके चेले ने अच्छे पैसे दिए थे इसलिए उन पर कोई रोक नहीं थी। वो हमारी चूत भी बजा सकते थे। खलील मेरी चूत रगड़ते हुआ बोला,”हम पी कम्पनी के गुंडे हैं अब तक ५६ आदमियों को निपटा चुके हैं। कुतिया तू नई आई लगती है तेरी चूत तो बड़ी माल है बिलकुल घरेलू नई बहू की तरह है। मेरी बीबी भी जब नई थी तो उसकी भी ऐसी ही मस्त थी, साली के अब तो ६ बच्चे हो गए हैं, घुसाने में मजा ही नहीं आता। आज मुझे कुछ काम है इसलिए आज तो तेरी चूत का स्वाद चख लेता हूँ कल आकर पूरी रात बजाता हूँ। इतनी हसीं चूत तो बॉम्बे की फाइव स्टार कॉल गर्ल्स की भी नहीं होती है। ऐसी चूत रोज़ रोज़ थोड़े ही मिलती है तुझे चोदने में तो रंडी मज़ा आ जायेगा।”

खलील में काफी ताकत थी वो जोर जोर से मेरे दूध और निप्पल्स मसल रहा था और चूत में ऊँगली कर रहा था उसका लौड़ा बिलकुल लोहे की रोड की तरह तन गया था। मुझे लौड़ा उमेठने में मज़ा आ रहा था और खलील के लंड से मस्तिया रही थी। मैंने खलील के होटों पर अपने होठ रख दिए और चूसने लगी थी। उसने मेरी गांड पर चुटकी काटी और बोला,”ले जरा लंड राज को चूस !”

मैं घोड़ी बन कर खलील का लंड चूसने लगी। उसने अपनी एक ऊँगली मेरी गांड में डाल दी और आगे पीछे करने लगा। साथ ही साथ बुदबुदा रहा था,”कुतिया तेरी गांड तो लगता है अभी तक मारी ही नहीं गई, बिलकुल ताजा माल है।”

थोड़ी देर बाद उसने मुझे हटा दिया और सोफे से मुझे गोद में उठाया और फिर सोफे पर पटक दिया और मेरी दोनों टांगें चौड़ी कर मेरे चूत के मुँह पर अपना लंड रख दिया और मेरी दोनों चूचियाँ कस कस के मसलते हुए अपना लंड एक झटके में मेरी चूत में डाल दिया। मैं जोर से चिल्ला उठी उई…,”मर गई … मर गई मर गई … छोड़ साले कुत्ते ! चूत फट गई, बाहर निकाल ! बहुत दर्द हो रहा है !”

शायद उसे इसमें मज़ा आया। उसने मेरी चूत और जोर जोर से फाड़नी जारी रखी। मेरी बगल में आशा भी चुद रही थी। हाल में २० -२५ बाहर के लोग शो देख रहे थे। वो रंडियों का ब्लू डांस कम हमारी चुदाई देखने का आनंद ज्यादा ले रहे थे। ३-४ धक्कों के बाद मुझे चुदने का मज़ा आने लगा। अभी खलील ने १०-१२ धक्के ही मारे थे कि आवाज़ आई,”मैं हूँ डॉन… मैं हूँ डॉन…”

खलील का फ़ोन बजा था। वो एकदम से घबरा उठा और फ़ोन उठा कर घिघयाते हुए बोला,”जी साहब जी साहब अभी आता हूँ साहब …”

उसने और उसके चेल ने अपने लंड बाहर खींच लिए बोला,”गुरु क्या बात है?

खलील बोला,”पी साहब का फ़ोन था अभी चलना है एक को निपटाना है !”

खलील का लंड बिल्कुल डाउन हो गया था, शायद पी साहब का डर बोल रहा था। वो दोनों तेजी से बाहर निकल गए मेरी चूत में वो एक आग लगा गया था।

खलील और उसके चेले चले गए थे शो ख़त्म हो गया था। उनके जाने के बाद एक मुस्टंडा परदे के पीछे से आया और हमें मौसी के कमरे में ले गया। मौसी दारू पी रही थी, मौसी बोली,”अरे बड़ी जल्दी बाहर आ गईं? क्या हुआ चुदी नहीं क्या?”

सीमा बोली,”साले लंड छुला कर भाग गए, उनके साहब का फ़ोन आ गया था !”

मौसी बोली,”तुम दोनों नंगी बहुत सुंदर लग रही हो ! थोड़ा ऊपर वाले हाल में मटक लो। २-४ रंडियाँ बच रही हैं वो भी उठ जाएँगी। यह लो पतली लाल साड़ी पहन ले, इसमें से जब तेरी चूचियाँ चमकेंगी तो ढेर नोट गिरेंगे तेरे ऊपर !”

मौसी एक मुस्टंडे की तरफ इशारा कर के फिर बोली,”अरे कालू, जरा इन दोनों को ऊपर नचा !”

मेरी गांड पर चुटकी काटते हुऐ मौसी बोली,”जा ! जरा मस्त होकर मटक। बड़ा मज़ा आएगा !”

कालू मुस्टंडा हम दोनों को ऊपर ले गया। आशा बोली,”डर नहीं, जैसे मैं करुँ वैसे कर ! कमर और स्तन मटका। बड़ा मज़ा आएगा और रुकियो नहीं, वर्ना साले मुस्टंडे गांड के अंदर सिगरेट बुझा देते हैं।”

मैं सोच चुकी थी कि अब रंडी बनने में ही भलाई है। तीन चार रंडियाँ वहां पर पहले से ही मटक रही थीं। धीर धीरे मैं भी अपने चूतड़ और चूचियाँ हिलाने लगी कभी नीचे झुककर कभी साड़ी का पल्लू गिरा कर मैं ग्राहकों को अपने दूधों के दर्शन करा रही थी। मेरे ऊपर कुछ नोट १०-१० के गिरे। मैं अब जोर जोर से अपने चूतड़ हिला रही थी। मेरा पल्लू नीचे गिर गया था मेरी नंगी चूचियाँ अब जोरों से हिल रही थीं। वहां खड़े सभी ग्राहक मेरे पर नोट फ़ेंक रहे थे। एक मुस्टंडे ने पीछे से आकर मेरी चूचियाँ मसली और गोद में उठाकर जाँघों तक मेरी साड़ी उठा दी और ग्राहकों के मुँह के सामने मेरी चूत खोल के रख दी। मेरी चूत का दीदार अब सामने खड़े ५- ६ ग्राहक कर रहे थे। उन्होंने मेरे ऊपर १०-१२ नोट फेंक दिए। थोड़ी देर में गाने चलने बंद हो गए। सभी रंडियाँ धंधे पर लग चुकी थीं। नाचने वाली ३-४ रंडियाँ कोने में जाकर बैठ गईं। मुझे पता चल गया था कि यहाँ सब लड़कियाँ मौसी की कुतिया हैं इस से ज्यादा कुछ नहीं। मौसी हाल में आयीं और बोली,”पिंटू, मोनी और इसे मेरे कमरे में पहुंचा ! बाकी बची हुई नाचने वालियों को धंधे पर लगा दे !”

अगले भाग की प्रतीक्षा करें !

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