लिंग बिंधवा कर बाली पहनी

अपने ढेरों पाठकों को भी सादर नमन जिन्होंने मेरी कहानियों को अत्यंत सराहा एवं उन्होंने अपने अनुभव बताए, साथ में मुझे अपने तरीके बताये। मैं सबका शुक्रगुज़ार हूँ।

आज गुरूजी की कृपा से आप लोगों को अपनी नई कहानी देने जा रहा हूँ।

हो सकता है कि बहुत लोगों को इस पर विश्वास न हो, लेकिन यह एक सच्ची घटना है और इस बात का मैं आप लोगों को यकीन दिलाता हूँ।

आप सब जानते हैं कि मैं पैसे लेकर अपनी सेवाएं देता हूँ। पिछले माह मई में मुझे मेरे एक ग्राहक ने फोन कर मुझे डलहौजी बुलाया था और उसने मुझे पैसे पहले ही भेज दिए कि मैं अपनी सुविधा के अनुसार वहाँ आ जाऊँ।

उन्होंने मुझे कहा कि इस बार वो ज्यादा पैसे दे रहीं हैं लेकिन मुझे एक नई चीज उनके साथ करनी होगी, उन्होंने मुझे कहा कि कम से कम मुझे 15 दिन उनके साथ रहना होगा उस फन के लिए समय देना होगा।

मैंने बोला- मैडम आप पहले भी मुझे बुला चुकीं हैं, अबकी बार आप क्या चाहतीं हैं?

उन्होंने कहा- इस बार वो मेरे ऊपर कुछ करने की सोच रहीं हैं, उसके लिए मुझे तैयार रहना होगा।

मैंने थोड़ा सोचा और बोला- आप क्या करना चाहतीं हैं?

बोलीं- मैं इस बार आपके लिंग में ऊपरी हिस्से में बाली डाल कर सेक्स करना चाह रहीं हूँ, अगर आप तैयार हों तो मैं आपको भरपूर पैसे दूँगी।

मैं बोला- आपको पिएर्सिंग (piercing) कराना है मेरे लिंग में?

मैडम बोली- हाँ।

मैं बोला- यह क्या बात है? मेरे लण्ड को नुक्सान हो जाएगा। बाद में कहीं सेक्स करने के काबिल न रहा तो?

उसने कहा- मैं आपकी तबियत का पूरा ख्याल रखूंगी और आपका ऑपरेशन एक डॉक्टर करेगा। अगर आप तैयार हों तो बताइये?

मैं बोला- मुझे सोचने का समय दीजिये।

और फिर मैंने तीन-चार दिन इन्टरनेट पर ढूँढा कि यह क्या चीज है। उसको पढ़ा, देखा फिर मैडम को फोन लगाया।

मैं बोला- आप कितना पैसा दोगी?

वो बोलीं- तुम अगर लिंग में बाली पहन लोगे तो वह तो तुम्हारी होगी ही साथ में रोज़ का मैं पांच हज़ार और जिस दिन सेक्स करोगे उस दिन का पैसा एक्स्ट्रा होगा।

मैं बोला- आपने इतना पैसा मेरे ऊपर खर्च करने की बात कहाँ से सोची?

वे बोलीं- तुम आओ तो आगे बात करेंगे।

मैंने बोला- ठीक है, मैं आता हूँ।

और फिर मैं शिमला, फिर वहाँ से टैक्सी से डलहौजी पहुँच गया। उनका वहाँ पर बहुत बड़ा गेस्ट हाउस था। मुझे वो खुद लेने आयीं थी।

मैडम का नाम उर्मिला था। उर्मिला जी कोई 38 से 40 वर्ष की, शादीशुदा लेकिन बाद में तलाकशुदा महिला थीं। और अब अकेले रहतीं हैं। खुद की दो कंपनियाँ हैं।

मैं जब गया तो उन्होंने मुझे रुकने की जगह दी और कहा- आराम कर लो, फिर बात करते हैं।

शाम को मैं उनसे मिला। मैंने उनसे पूछा- अब बताइए कि आपने यह कैसे सोचा?

इस पर वे बोलीं- वो एक बार ऑस्ट्रेलिया गई थीं, वहाँ पर एक लड़के को बुलाया था। उसके लिंग में पिएर्सिंग थी और उसके साथ सेक्स करने में मुझे बहुत मजा आया था। मैं कहती हूँ तुम भी अपने लण्ड में छल्ला डलवा लो और सेक्स करो।

मैं बोला- मैं करवा लूँगा लेकिन मुझे अपने डॉक्टर से मिलवाइए।

उसने एक डॉक्टर को बुलवाया और सारी बात पूछी कि अगर कोई लड़का अपने लिंग में पिएर्सिंग करवाता है तो सेक्स पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।

डॉक्टर बोला- अगर ठीक से किया जाये तो कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हाँ, उसको जितने दिन घाव भर नहीं जाता तब तक सावधानी से सफाई करनी होगी और हमेशा साफ़ रखना होगा।

मैं बोला- चलो आप मेरा कर दो।

फिर क्या था, उसने मुझे लोकल एनेस्थीसिया दिया और फिर मेरे लिंग में जहाँ से मूत्र निकलता है, उसमें से एक पाइप अंदर डाल कर, उसको सुपाड़े के पास सटा दिया।

फिर एक सुई लेकर उसको उसी पाइप में डाल कर सुपारे के निचले हिस्से में घुसा दिया।

थोड़ा दर्द हुआ और अगले ही पल वह सुई सुपाड़े के निचले भाग से बाहर आ गई, खून निकल रहा था लेकिन ज्यादा नहीं।

उसने जल्दी से रुई लगा दी फिर ऊपर से एक चांदी की पतली लेकिन कान में डालने वाली तार से, तीन गुना मोटा तार उसी सुई के पीछे से अन्दर सरका दिया। और वह तार सुई में होता हुआ बाहर आ गया।

मैं दर्द से बिलबिला उठा।

लेकिन डॉक्टर ने दवा दे कर मुझे लेटा दिया और फिर उस पर मलहम लगा कर कहा- जितना खुला रखोगे उतनी जल्दी ठीक होगा और रोज़ साफ़ करो नहीं तो मवाद आ जायेगा।

दो दिन तो डॉक्टर खुद आया फिर मैं ही दिन में दो बार साफ़ कर लेता। पाँच दिन में ही घाव भरने लगा और दर्द नहीं रहा।

मैं दिन भर नंगा अपने कमरे में रहता था। जब कोई आता था तो मैं अपना लुंगी पहन लेता।

सात दिन बाद डॉक्टर ने देखा और कहा कि मेरा घाव भर चुका है और मैं अपने कपड़े आराम से पहन सकता हूँ और दवा तीन दिन और खा कर बंद कर दूँ।

तेज़ दवाएँ थीं जिनकी वजह से मेरा लिंग का घाव भर गया था। उसकी सफाई बड़ी कड़ी थी क्योंकि खून और मवाद के कारण वह चाँदी का मोटा तार चिपक जाता था। काफी मुश्किल से निकल पाता था।

लेकिन अब मैं बिल्कुल स्वस्थ था। उर्मिला मेरे साथ तीन-चार घंट जरूर रहती थी।

जब दस दिन हो गए और मैं भी लगने लगा कि मेरा लिंग सेक्स करने को तैयार है, तो मैंने उर्मिला को बताया कि मैं तैयार हो गया हूँ।

उसने कहा- ठीक है।

फिर क्या था। उर्मिला ने शाम के समय आकर मेरे को नंगा कर दिया और खुद भी नंगी हो गई और मेरे लिंग को छुआ। उसको करंट सा लगा, फिर उसने मेरे लिंग में पड़े चाँदी के तार को निकल कर एक सोने की मोटी बाली डाल दी। बाली आराम से अंदर चली गई।

फिर वो मेरे लिंग को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और साथ में बाली को भी नचाती जाती थी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जैसे मैं जन्नत में हूँ। उस बाली के अंदर घूमने से मुझे एकदम अलग गुदगुदी लग रही थी।

बार-बार हाथ से लिंग पकड़ लेता था। कुछ ही देर में लिंग बहुत कड़ा हो गया और उसने वीर्य उगलना शुरू कर दिया और उसके मुँह में दस दिन का वीर्य उगल दिया, उर्मिला उसको गटक गई।

उसको मजा आ रहा था। मेरा माल पीने के बाद वो बोली- आलोक, अब तुम मेरा पानी साफ़ कर दो !

और मुझे लेटा कर अपनी चूत को मेरे मुँह पर रख कर मेरे मुँह पर बैठ गई। मैं उसकी चूत में अपनी जबान डाल कर चाटने लगा क्योंकि उसने अपनी चूत को खोल कर मेरे मुँह से लगा दिया था, इस वजह से मेरी जुबान, उसका भगनासा चूस रही थी और वो मजा ले रही थी।

उसका पानी निकल कर सीधे मेरे मुँह में आ गया। मुझे रुकने तक का समय नहीं मिल पा रहा था। वह थक गई थी सो उतर कर लेट गई, मैं भी थक गया था, मुँह दर्द होने लगा था, दोनों एक घंटे के लिए सो गये।

जब जगे तो खाना खाया फिर अपने कमरे में चला गया।

करीब दस बजे रात को उर्मिला मेरे कमरे में आई और बोली- चोदन क्रिया हो जाये? यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

तो मैं फिर तैयार हो गया। मैं नंगा ही लेटा था। उसके कपड़े उतार कर उसको लेटा दिया और फिर उसकी बुर की अच्छी तरह से चटाई की, उंगली की।

वह उसमें मस्त हो कर बोली- आलोक, अब अपना लण्ड मेरी बुर में डाल दो।

मैंने धीरे से डाल दिया। मेरे लिंग में पड़ी बाली मुझे तो खुशी दे ही रही थी, उसको भी पागल कर रही थी क्योंकि वह तार उसके भगनासे को रगड़ रहा था। जिससे उसको गुदगुदी ज्यादा हो रही थी।

वह इतनी झड़ी कि अपना पानी गिरा कर मेरे लिंग को जकड़ लिया कि मुझे मेहनत करनी पड़ रही थी उसके अंदर अपना पानी गिराने में।

जल्दी ही मैंने अपना वीर्य गिरा दिया और थक कर उसके ऊपर ही लेट गया तकरीबन आधे घंटे हम लोग वैसे ही पड़े रहे। फिर उर्मिला उठी और कपड़े पहन कर अपने कमरे चली गई और मैं अपने कमरे में सो गया।

यही क्रम लगातार तीन दिन चला और मुझे मजा बहुत आया। मैं वहाँ से पन्द्रह दिन बाद लौटा।

उर्मिला का फोन आता रहता है, बोलती है कि मुझे जल्दी ही दोबारा आना होगा।

मैं अभी दूसरे काम में व्यस्त हूँ, उसको अगस्त में डेट फिक्स करने को बोल दिया है।

आप सभी पाठकों को मेरी कहानी कैसी लगी, जरूर बताएँ।

आपका अपना आलोक

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top