तो शर्म क्यों ?

सबसे पहले अन्तर्वासना को धन्यवाद क्योंकि इसकी वजह से आज बहुत से लोग मुझे जानने लगे हैं जो मेरी कहानी पसंद करतें हैं और अविश्वसनीय रूप से 10-15 पत्र रोज़ आते हैं।

आप सबने मेरी कहानी पसंद की, उसका बहुत-बहुत धन्यवाद।

आज अपनी नई कहानी वाराणसी की दे रहा हूँ।

मुझे वाराणसी से कॉल आई- आप क्या करते हैं?

मैंने कहा- आपने कैसे याद किया और आपको नंबर कैसे मिला?

बोली- मुझे मेरी सहेली ने आपका नंबर दिया है इसलिए आपको कॉल किया है।

मैंने कहा- जब आपको पता ही है तो आप बताएं आपकी क्या खिदमत करूँ?

तो वो बोली- मैं (नाम बदला हुआ) ज़रीना बोल रही हूँ और आपकी मदद चाहती हूँ।

मैं बोला- आप कहाँ से हैं?

वो बोली- मैं तो बनारस की हूँ और वहाँ से इलाहाबाद जा रही हूँ अपने शौहर के घर ! अगर आप बनारस आ जाएं तो भी ठीक, नहीं तो इलाहाबाद आ जायें !

तब मैं बोला- आप मुझे जहाँ कहेंगी, मैं आ जाऊँगा।

तो बोली- अच्छा हो अगर आप इलाहाबाद आयें ! वहाँ बेहतर रहेगा !

मैं बोला- कब?

वह बोली- चार तारीख को आप आयें और रात रूकना होगा।

मैंने हाँ कह दी और उसने मेरा अकाउंट नंबर लेकर एडवांस पैसा डाल दिया।

मैं अभी एक दिन पहले ही इलाहाबाद से आया था और फिर जाना था।

मैं सुबह वाली ट्रेन से 12 बजे इलाहाबाद आकर ज़रीना को फोन लगाया कि मैं स्टेशन पर हूँ और सिटी साइड में प्लेटफ़ोर्म नम्बर एक पर हूँ।

वो बोली- आप वहीं रूकें, मैं आपको ले जाती हूँ !

मैं बोला- आप बताओ, मैं आ जाऊँगा।

बोली- नहीं, आपको मैं ले जाऊँगी !

और फोन बंद हो गया।

20 मिनट बाद फोन आया- आप जिधर से पार्सल जाता है उस गेट पर मिलो, वहाँ मैं अपनी सफ़ेद मारुति में हूँ।

मैं निकला और वहाँ पहुँचा तो सफ़ेद कार खड़ी थी। मैं नजदीक गया तो आवाज आई- आप अलोक हो?

मैं बोला- हाँ !

बोली- मैं ज़रीना ! आप अंदर बैठ जायें !

और मैं बैठ गया। वो मुझे सीधे अपने सुंदर से घर पर ले गई, बोली- आप अंदर चलिए में गेट बंद करती हूँ !

घर अंदर से जबरदस्त था, छोटा लेकिन अच्छा घर ! जिसमें तीन बेडरूम, बैठक और डायनिंग रूम था, रसोई नए ढंग की।

घर पर कोई नहीं था ऐसा लगता था।

कोई रहता नहीं है यहाँ? मैंने पूछ लिया।

बोली- हाँ, यहाँ कोई रहता नहीं है, नया मकान लिया है, हमारे शौहर गल्फ में हैं और साल में एक महीने को आते हैं। जब आते हैं तब अपनी पुराने मकान में ही रहते हैं। यहाँ मैं हर हफ्ते आकर रूक जाती हूँ..

फिर बोली- फ्रेश हो लो !

और मुझे अपने कमरे में ले गई। मैं नहाने लगा। वो कमरे में थी नहीं सो दरवाजा बंद किया नहीं।

इतने में वो कब आ गई, पता चला नहीं बस बिस्तर पर बैठ कर मेरी तरफ देखने लगी।

जब तौलिया लपेट कर बाहर आया, देखा तो मैं झेंप गया।

बोली- अच्छा लगा !

मैं बोला- तुमको क्या अच्छा लगा?

वो शरमा गई, बोली- चलो खाना खा लो !

मैं बोला- अभी तो इच्छा नहीं हो रही।

वो बोली- ठीक है, घंटे बाद खाते हैं। तुम मेरी आज मालिश कर दो।

मैं बोला- चलो !

उसने मुझे तेल की शीशी दी और वहीं बिस्तर पर अपना कुरता और सलवार खोल कर लेट गई और बोली- लगाओ !

मैं बोला- क्या आपने पहले किसो को बुलाया था?

बोली- नहीं !

मैं बोला- इस तरह जल्दी कोई नहीं करती।

बोली- जब करवाना है तो शर्म क्यों ?

मैं चुप होकर काम पर लग गया।

मैं केवल तौलिए में था, वो भी छोटा सा कि पैर उठाया तो लिंग बाहर !

मैंने जोर से उसकी पीठ पर रगड़ा मारा और फिर कंधे और बाजुओं पर।

उसको मजा आ रहा था, बोली- शाबाश !

और फिर मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ फेरा और तेल लगते हुए टाँगों पर गया। उसको अच्छा लग रहा था।

इस बीच वो घूम गई। ज़रीना ने अपने को 40 साल की बताया था लेकिन दिखने से कहीं से भी वो इतनी उम्र की नहीं थी, उसकी छाती भरी हुई और चुचूक भी गुलाबी ! और फिर उसकी पेट पर भी कोई निशान नहीं ! साथ में चूत भी साफ़।

मैंने पूछा- आप शेव करती हैं?

बोली- हाँ !

मैं उसके ऊपर चढ़ कर तेल लगाने लगा और वक्ष पर लगने के बाद तो गर्म हो गई थी। फिर मैंने उसकी चिकनी चूत पर तेल लगा कर उसके अंदर तक तेल से सना हाथ उतार दिया।

वो तो बस घूम गई, बोली- आह ! क्या कर रहे हो?

बोला- मालिश अंदर तक !

और वो मचल कर फिर करवाने लगी। मेरी उंगली अंदर-बाहर हो रही थी। मैं उसका दाना छू कर मजा दे रहा था।

वो गर्म हो चुकी थी, बोली- तुम तड़पाओ मत ! अब अपना बच्चा अन्दर घुसा दो !

फिर क्या था, बस उतार दिया लिंग को उसकी फुद्दी में ! उसको ठीक से रगड़ा और वो अकड़ गई, बोली- यार, अपना पानी छुड़ा कर मुझे छोड़ो !

मैं बोला- बस?

और फिर तेज शॉट मार कर अपना वीर्य उसके ऊपर गिरा दिया और वहीं लेट गया।

शाम 5 बजे हम लोग जगे, उसने खाना गर्म किया, खाना खाया और टीवी देखने लगे।

वो बोली- यार, आज और क्या कर सकते हो?

मैं बोला- तुम क्या चाहती हो?

बोली- मैं आज अपने ढंग से तुमसे खेलना चाहती हूँ !

वो अंदर गई और पता नहीं क्या क्या लाई और मुझे बोली- अब तुम यहाँ लेट जाओ !

मेरे को लिटा कर वो मेरे टट्टों से खेलने लगी, उनको खींच लेती जिससे आह निकल जाये और कभी दांत से काट लेती। फिर उसने जोर से लिंग खीचा फिर बाल !

यार जान निकल गई मेरी, मेरे को दर्द होने लगा।

बोली- कोई बात नहीं ! लेकिन मुझे मजा आया ! यह गोली खा लो और तुम थोड़ा आराम कर लो !

आपको मेरी कहानी कैसी लगी?

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