कामना की कामवासना

कई बार काम की वासना इतनी बढ़ जाती है कि उसे बस एक चिंगारी भी मिल जाए तो वह धधकने लगती है. उसको शांत करने के लिए फिर क्या कुछ नहीं करना पड़ जाता, चाहे घर का कोई भी सदस्य मिल जाए.

कामना की कामवासना -4

मेरे खुले मुख को देख कर ससुरजी मुस्करा पड़े और उन्होंने बड़े ही आराम से अपने लिंग को उसके अंदर धकेल दिया तथा आहिस्ता आहिस्ता धक्के देकर अंदर बाहर करने लगे। मुख-मैथुन की क्रिया करते हुए लगभग पांच मिनट ही हुए थे जब मुझे उनके लिंग में से नमकीन पूर्व-रस निकलने का स्वाद आया तब […]

कामना की कामवासना -3

फिर ससुरजी ने मुझे सहारा देकर बिस्तर पर बिठा दिया और मेरी नाइटी को ऊपर कर के मेरे शरीर से अलग कर दी तथा मेरी टांगों से मेरी पैंटी भी उतर कर मुझे पूर्ण नग्न कर दिया।

कामना की कामवासना -2

ससुरजी जब मेरे कमरे की लाईट बंद करके अपने कमरे में सोने के लिए जाने लगे तब मैंने उन्हें कहा– पापाजी, रात में मुझे बाथरूम में जाने एवं पैंटी उतरवाने के लिए आपकी ज़रूरत पड़ सकती है इसलिए आप मेरे कमरे में मेरे साथ वाले बिस्तर पर ही सो जाइए।

कामना की कामवासना -1

ससुरजी के मुख से मेरी योनि में से खून का रिसाव की बात सुनते ही मेरा माथा ठनका और मैं समझ गई कि मुझे मासिक-धर्म आ गया था और वह गीलापन उसी के कारण था।

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