पंख निकल आये

यह कहानी रति की है जो एक आधुनिक जमाने की सिंगल मॉम की कड़ी निगरानी में बड़ी हुई है. जमाना लाख पहरे क्यूं न लगा ले मगर रति की जवानी के पंख कभी न कभी तो निकलने ही थे. आखिरकार पंख निकल ही आये.

पंख निकल आये-2

रति की चिकनी जंघाएँ देख कर रोहित की प्यास बढ़ चली। स्कर्ट के नीचे वह लगभग नग्न ही थी। जी-स्ट्रिंग उसकी नन्ही पिंकी को ढकने का असफल प्रयास कर रही थी।

पंख निकल आये-1

रोहित ने हाथ ऊपर सरका कर रति की अम्बियों को नीचे से तौला, नई-नई पनपी अम्बियों में कोई लटकन नहीं था, केवल कामुक लचक थी। रोहित आगे-पीछे होकर अम्बियों की लचक तोलता रहा।

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