प्रशंसिका ने दिल खोल कर चूत चुदवाई

मेरे पास मेरी एक महिला प्रशंसक का मेल कई बार आ चुका था, लेकिन मैं उसको जवाब नहीं दे पा रहा था।
पर पिछले महीने मुझे ऑफिस के काम से दिल्ली जाना था।
ट्रेन में मेरी साईड बर्थ थी और मेरे ऊपर वाली बर्थ किसी रचना के नाम थी।
संयोग की बात यह हुई कि यह ट्रेन वाली रचना वही प्रशंसिका निकली, यह बात हम दोनों को ट्रेन में चैटिंग करते करते पता चली।
इसके आगे क्या हुआ, इस कहानी में पढ़िए…

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रचना ने भाभी की गांड के अन्दर क्रीम लगा दी और मेरे लंड में भी क्रीम लगा दी। भाभी की मस्ती बढ़ती ही जा रही थी, वो अपनी उँगली को अपने चूत के अन्दर बाहर कर रही थी।

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रचना की भाभी काफी गोरी चिट्टी थी, लाल साड़ी में लो कट ब्लाउज में बड़ी ही सुन्दर लग रही थी। ॠचा भाभी की आँखें बड़ी-बड़ी, नाक तोते की चोंच जैसे नुकीली थी उसकी।

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इन दिनों में उसके चूत इतनी बार चुद चुकी थी कि जोर से धक्का देने का कोई फ़ायदा नहीं रहा, आसानी से चूत ने गपक लिया और अब चूत और लंड की थाप सुनाई दे रही थी और दोनों के मुँह से आह-ओह आह-ओह की आवाज आ रही थी।

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धीरे-धीरे उसकी साड़ी को ऊपर करते हुए उसकी मोटी जांघों के बीच आ गया, जैसे-जैसे मैं उसकी योनि के पास जो अभी भी साड़ी से छिपी हुई थी, पहुँच रहा था, रचना की तड़प बढ़ती जा रही थी और उसकी सिसकारी तेज होती जा रही थी।

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मेरी नींद सुबह नौ बजे खुली, मैं अंगड़ाई लेते हुए उठा, रचना सो रही थी, उसका दूध जैसा जिस्म सूरज की छन कर आती हुई रोशनी में और भी चमकदार लग रहा था। अनायास ही मेरे हाथ उसके चूतड़ को सहलाने लगे।

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वो मुझे गाली देने लगी थी अपनी चूत को मेरे मुंह से रगड़ने लगी, उसकी चूत की प्यास कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी, वो चिल्ला रही थी- ले भोसड़ी के, मेरी चूत चाट ! ले मादरचोद… चाट भोसड़ी के चाट…

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हम दोनों वहीं सो गये। सुबह लगभग आठ के आस-पास नींद खुली, देखा तो रचना अभी भी सो रही थी। मैंने उसे जगाया तो वो कुनमुनाते सी उठी। सबसे पहले हम दोनों ने मिलकर कमरा साफ किया। इतने देर हम दोनों ने एक दूसरे से कोई बात नहीं की। बाहर बारिश भी रूक गई थी […]

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मैंने पलंग से गद्दे उठाकर जमीन पर बिछाया और रचना को सहारा देकर उस गद्दे पर पट लेटा दिया। शराब के नशे में ही रचना बोली- जानू जिस तरह से तुमने प्यार से मेरी चूत चोदी थी, उसी प्यार से मेरी गांड का भी ध्यान रखना।

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वो पलंग पर पट लेट गई और अपने दोनो हाथों से गांड को फैला दी और बोली- राजा, मैं तेरी कुतिया और तुम मेरे कुत्ते हो। आओ मेरे कुत्ते अपनी कुतिया की गांड चाटो और फिर ये कुतिया तुम्हें और मजा देगी।

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रचना ने मुझे ऐसे जकड़ा था कि मेरा हाथ उसके चूतड़ों पर ही था। उसके इस तरह मेरे जिस्म को सहलाने से मेरे रोम-रोम में मस्ती छा गई। मेरा हाथ उसकी गांड को सहला रहा था।

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उसकी चूत चूमने मात्र से ही उसने अपनी टांगों को फैला दिया, अब उसकी चूत बिल्कुल स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी, दोनों फांकों को खोलते हुए उसकी गुलाबी चूत के अन्दर मैंने अपनी जीभ डाल दी।

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रचना ने मुझे लौड़ा पकड़ कर मुतवाया और फ़िर अपनी चूत के होंठ मुझसे खुलवा कर मूता। इसके बाद मैंने उसको लिटा कर इतने प्यार से उसकी चूत की सील तोड़ी कि उसे दर्द नहीं हुआ।

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उसे देख कर तो मेरी आँखें फटी की फटी ही रह गई, वो बिल्कुल नंगी थी। चूचे तो उसके खरबूजे के आकार के, चूतड़ तरबूज के आकार के, पेट बाहर निकला हुआ, चूत अन्दर की तरफ बालों के जंगलों के बीच घुसी हुई थी।

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मैंने उसकी जांघ पर हाथ रखा और उसके गाल को चूमते हुए बोला- क्या तुम मुझे अपनी चूत दिखाओगी? 'लेकिन मैं ट्रेन में अपनी चूत तुम्हें कैसे दिखा सकती हूँ?'

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