पुष्पा का पुष्प

यह कहानी एक जवान लड़की की है जिसके पिता का फूलों का बगीचा था. एक फूल वाली के फूल से हुस्न की ये लंडमोहक दास्तान पढ़कर आप अपने अंतर्मन और अंतर्वासना को सुगंधित करने पर मजबूर हो जायेंगे।

पुष्पा का पुष्प-4

कुछ क्षणों पहले हाथ भी नहीं लगाने दे रही थी। अभी मस्ती में सराबोर है। मैं और उत्साहित होकर थूथन घुसा घुसाकर उसके गड्ढे को कुरेदता हूँ। उसके मुँह से कुछ अटपटी ऍं ऑं की सी आवाजें आ रही है। साथी अगर स्वरयुक्त हो तो क्या बात है ! उसकी कमर की हरकत बढ़ती जा […]

पुष्पा का पुष्प-3

पुष्पा का पुष्प। पैंटी के नीचे ढका हुआ... सुरक्षित, कोमल, सुगंधित, रसभरा... दो हिस्सों में फटी मांसल स्पंज, जिसके बीच की फाँक को मैं कंधों से उसकी जांघों को फैलाकर चौड़ा करता हूँ!

पुष्पा का पुष्प-2

On 2009-10-09 Category: जवान लड़की Tags: रोमांस

उसकी पनीली आँखों में, जिनमें एक अजब-सा मर्म को छूता भाव उमड़ रहा था। शर्म से लाल गालों पर झूलती लट, बालों के बीच सफेद मांग ! खाली। मेरे भीतर कुछ उमड़ आया। उस तमाम निर्भयता और तेजी के पीछे एक अदद औरत उमड़ रही थी, वह औरत जो खुद उसे तीर से भेदने वाले […]

पुष्पा का पुष्प-1

On 2009-10-08 Category: जवान लड़की Tags: रोमांस

मैंने उसके नितम्बों को बाँहों में घेरा और कमर के नीचे उस स्थान पर जहाँ भीतर जांघों का संधिस्थल था उसमें मुँह घुसाकर जोर से चूम लिया।

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