बीवी की सहेली की चुदाई- 4

(Desi Teen Girl Hot Story)

देसी टीन गर्ल हॉट स्टोरी में बीवी की सहेली ने उसकी भतीजी के स्कूल की घटना बताई तो मुझे लगा कि अब उस कमसिन लड़की की कुंवारी बुर में मेरा लंड घुस ही जाएगा.

कहानी के तीसरे भाग
बीवी की सहेली को दोस्त से चुदवाया
में आपने पढ़ा कि मैंने अपनी बीवी की चुदाक्कड़ सहेली को अपने दोस्त के साथ उसके कमरे में मिलकर चोदा.

अब आगे देसी टीन गर्ल हॉट स्टोरी:

अगले दिन सुबह मैं देर से उठा।
मैं बिस्तर से सीधा उठकर बाहर आ गया।

बाहर आकर देखा तो आरती की मम्मी और भाभी मेरी पत्नी के पास बैठी थीं।
मुझे देखते ही मेरी पत्नी बोली, “आप आइए तो! आपसे कुछ बात करनी है!”

मैंने आरती की मम्मी और भाभी को नमस्ते किया।
आरती की मम्मी मेरी पत्नी से बोलीं, “अभी रहने दीजिए, आप बाद में बात कर लेना।”

मैं बिना कुछ बोले वापस कमरे में आ गया।
थोड़ी देर बाद मेरी पत्नी मेरे पास आई और बोली, “वो लोग चले गए, पर आपको एक काम करना होगा।”

मैंने अपनी पत्नी से पूछा कि क्या काम है।
वो मुझे आरती की आधी-अधूरी बात बताते हुए बोली, “आपको उसके स्कूल जाकर उसके प्रिंसिपल से बात करनी होगी।”
मैंने अपनी पत्नी से कहा, “ठीक है, मैं टाइम निकालकर चला जाऊँगा।”

मेरी पत्नी बोली, “टाइम निकालकर नहीं! आपको अभी जाना होगा!”
मैंने जानबूझकर गंभीर होते हुए कहा, “अरे, अभी मुझे ऑफिस भी जाना है! फ्री टाइम में चला जाऊँगा।”

मेरी पत्नी बोली, “नहीं! आप अभी तैयार हो जाओ और आरती को उसकी चाची के घर से लेकर उसके स्कूल जाओ!”
मैंने कहा, “इतनी भी क्या जल्दी है! आरती ने उस लड़के से किस ही तो की है!”

मेरी पत्नी थोड़ा झिझकते हुए पूरी बात बताने लगी, “नहीं, ये मामला सिर्फ किस का नहीं है! वो लड़का आरती की स्कर्ट में हाथ डालकर उसकी मसल भी रहा था, और आरती उससे अपने बूब्स भी चुसवा रही थी।”

मेरी पत्नी के मुँह से ये बात सुनकर मैंने अपने लंड को मसलते हुए कहा, “अरे, तो इसमें गलत क्या हुआ! आरती जवान है, वो जिससे चाहे अपने बूब्स चुसवाए या अपनी चूत मसलवाए, हमें क्या लेना-देना!”
मेरी पत्नी नाराजगी से बोली, “ठीक है, मैं आरती की मम्मी को बोल देती हूँ कि आप नहीं जाओगे!”

मैंने उठकर अपने शॉर्ट्स नीचे खिसकाए और थोड़ा सख्त लंड हवा में लहराते हुए, मजाक करते हुए अपनी पत्नी से कहा, “यार, कितनी मखमली चूत होगी आरती की! उस लड़के ने तो मजा ही ले लिया होगा!”
मेरी पत्नी नाराज होते हुए बोली, “कुछ शर्म करो! वो आपसे आधी उम्र की है और आपको भैया बोलती है!”

मैंने लंड को हिलाते हुए उसके होंठों से सटाकर कहा, “अरे जानेमन, मैं कौन-सा आरती को चोदने जा रहा हूँ! मुझे तो उसकी बात सुनकर शादी से पहले की हमारी याद आ गई।”
मैंने आगे कहा, “कैसे तुम भी अपनी चूत को चिकनी करके रखती थी, और कैसे हर टाइम मेरा लंड लेने के लिए तड़फती थी!”

मेरी पत्नी लंड को पकड़कर उसे चूमते हुए बोली, “मैं तो अब भी इसके लिए अपनी चूत हमेशा चिकनी करके रखती हूँ, और अब भी इसे हमेशा अंदर लेने के लिए तड़फती हूँ!”

वो आगे बोली, “आपका लंड है ही इतना मस्त कि मेरा बस चले तो मैं इसे हमेशा अपने अंदर रखूँ!”
मैंने मेरी पत्नी के गालों पर लंड रगड़ते हुए कहा, “चल आ जा, एक राउंड लगाते हैं!”

मेरी पत्नी जानती थी कि एक राउंड का मतलब एक घंटा होगा।
इसलिए वो बोली, “नहीं! पहले आप आरती का काम करके आओ, फिर आप जो मर्जी कर लेना!”

मेरी पत्नी के मुँह से मुझे ऐसा सुनाई दिया जैसे वो कह रही हो, “जाओ पहले आरती की चूत मारकर आओ, तब तुम्हें मेरी चूत मिलेगी!”
मैंने शरारत से कहा, “ठीक है, पर इसकी घी से स्पेशल वाली मालिश तो कर दो!”

मेरी पत्नी उठकर बोली, “देसी घी की मालिश तो कल ही की थी! आप रुको, मैं सरसों का तेल में लहसुन गर्म करके लाती हूँ!”

फिर वो हँसते हुए बोली, “उससे आपके लंड की सारी नाड़ियाँ खुल जाएँगी, और ये अच्छे से काम करेगा!”

मैं आपको बता दूँ, मेरी पत्नी मेरे लंड की बहुत अच्छे से मसाज करती थी।

वो किचन में तेल लेने चली गई।
मैं लंड को हिलाते हुए आरती को याद करके सोचने लगा, “देख आरती, मेरी पत्नी खुद तेरे लिए मेरे लंड की मसाज करके भेज रही है!”

मैंने सोचा, “ताकि मेरा लंड तेरी नन्ही सी चूत में अच्छे से काम करे!”

तब तक मेरी पत्नी आ गई।
उसने मुझे बेड पर तौलिया बिछाकर लिटा दिया और तेल की कटोरी पास में रखकर अपनी नाइटी उठाकर मेरे मुँह पर बैठ गई।
मेरी पत्नी की खुशबूदार चूत मेरी नाक के पास थी।

मैं अपनी पत्नी के मखमली चूतड़ पकड़कर उसकी चूत चाटने लगा।
मेरी पत्नी अपने कोमल हाथों से मेरे लंड और गोलियों पर बहुत सारा तेल चुपड़कर उसकी मसाज करने लगी।

मेरी पत्नी की एक खासियत थी कि जब भी चुदाई के लिए टाइम नहीं होता था और उसे मेरे लंड की मसाज करनी होती थी, तो वो अपनी चूत मेरे मुँह पर रख देती थी।

वो मस्ती से मेरे मुँह पर अपनी गांड मटकाते हुए तब तक मेरे लंड की मसाज करती थी, जब तक तेल या देसी घी की पूरी कटोरी मेरे लंड और बॉल्स में समा न जाए, और उसकी चूत पानी छोड़कर मेरे मुँह को पूरा भिगो न दे।

वो लगभग पंद्रह मिनट तक मेरे लंड की रगड़-रगड़कर मालिश करती रही, और मैं उसकी चूत चाटता रहा।
वो मेरे मुँह पर झड़ गई। उसके झड़ने के बाद मैंने उसे अपने ऊपर से उठाया और लंड को हाथ में लेकर उससे कहा, “यार, देखो ना इसकी हालत! कैसे फटने को तैयार है! चलो ना, थोड़ी देर की बात है, डालने दो ना!”

मेरी पत्नी मुस्कुराते हुए बोली, “जानू, देखो मैं तो झड़ गई! इसको तड़फने दो ना! जितना ये तड़फेगा, शाम को आकर उतना ही गदर मचाएगा! और आपको तो पता है, जब ये पूरा जंगली होकर मेरे हर छेद में गदर मचाता है, तो मुझे कितना मजा आता है! अब पहले आप जाओ और आरती का काम करके आओ!”

मैंने जानबूझकर झल्लाते हुए कहा, “क्या आरती-आरती लगा रखी है! साला, उसके चक्कर में मेरा लंड प्यासा रह गया! अब उसका नाम मत लेना, नहीं तो उसकी चूत में ये डालकर उसकी फाड़ दूँगा!”
मेरी पत्नी बोली, “जानू, क्यों गुस्सा हो रहे हो! मुझे पता है, ये लंड सिर्फ मेरा है! आप कितना भी बोल लो, आप किसी को प्यार करना तो दूर, किसी को गलत नजर से देख भी नहीं सकते!”

मेरी पत्नी का मुझ पर विश्वास देखकर मैं चुपचाप बाथरूम में घुस गया और नहाकर आ गया।

नाश्ता करने के बाद मेरी पत्नी बोली, “आप आरती को भी साथ ले जाना, और प्रिंसिपल से बात करके कल से ही उसको स्कूल जाने का बोल देना।”
मैंने कहा, “ठीक है, मैं सब सही कर दूँगा।”

फिर मैं कार से सीधा भाभी के घर आ गया।
मैंने डोरबेल बजाई तो भाभी ने दरवाजा खोला।

भाभी ने मुझे देखते ही लपककर दरवाजा बंद किया और मेरा हाथ पकड़कर बोली, “देवर जी, चिंकी-मिंकी स्कूल जा चुकी हैं, और आरती स्कूल ड्रेस पहनकर तैयार होकर कमरे में बैठी है!”

मैंने भाभी से कहा, “अब उसको स्कूल लेकर जाऊँ या कुछ और प्लान है?”

भाभी मेरा हाथ पकड़कर मुझे दूसरे कमरे में ले गईं और बोलीं, “देवर जी, मैंने आरती को बातों-बातों में काफी उकसाया था कि अब वो जवान हो चुकी है। उसके भी अरमान होंगे कि कोई उसे बाहों में लेकर प्यार करे।”
मैंने पूछा, “तो आरती क्या बोली?”

भाभी ने बताया, “वो मुझसे काफी खुल चुकी है। एक दोस्त की तरह आरती मुझसे बोल रही थी कि बिना कुछ किए ही इतना सब हो गया। अगर कुछ कर लेती, तो मम्मी ने मुझे मार ही देना था!”

फिर भाभी बताने लगीं कि उन्होंने आरती को समझाया है कि ऐसे स्कूल के लड़कों के चक्कर में तो बदनामी ही मिलेगी। अगर वो चाहे, तो अपने अरमान किसी जानने वाले या बड़ी उम्र के मर्द के साथ पूरे कर सकती है क्योंकि इसमें बदनामी का डर भी नहीं रहता और बड़ी उम्र का मर्द प्यार भी बहुत तरीके से करता है।

मैंने भाभी को चूमते हुए कहा, “वाह, क्या बात है मेरी जान! लगता है तूने उसको बिल्कुल तैयार कर दिया है!”
भाभी लंबी साँस लेते हुए बोली, “बस देवर जी, मैंने तो उसे समझाया था! अब आप ही करो जो करना है!”

मैंने भाभी की बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहा, “बस मेरी रानी, इतना ही काफी है! अब मेरा कमाल देखना, कैसे मैं उसे अपनी रंडी बनाता हूँ!”
भाभी हँसते हुए बोली, “देवर जी, वो बहुत कोमल है! बस ध्यान रखना कि उसको कुछ हो न जाए!”

फिर भाभी मेरी जींस के ऊपर से मेरा लंड सहलाते हुए बोली, “और उसकी चूत का उद्घाटन करते टाइम मुझे मत भूल जाना! मैं आरती की चूत में अपने हाथ से आपका लंड डलवाकर उसकी सील खुलवाना चाहती हूँ!”
मैंने कहा, “ठीक है मेरी जान! मैं प्रॉमिस करता हूँ, तू ही उसकी चूत की फांकें मेरे लंड के लिए खोलेगी!”
भाभी हँसते हुए बोली, “ठीक है, फिर चलो, लग जाओ अपने काम में!”

फिर मैं और भाभी जाकर हॉल में बैठ गए और इधर-उधर की बातें करने लगे।

थोड़ी देर बाद भाभी ने आरती को आवाज दी।

आरती कमरे से आकर भाभी के पास सिर झुकाकर खड़ी हो गई।

स्कूल ड्रेस में आरती गजब लग रही थी।
उसने सफेद शर्ट पहन रखी थी, जिसमें उसके गोल-गोल बड़े आम जैसे नुकीले बूब्स ब्रा में कसे हुए थे।
उसकी दोनों चूचियों के बीच टाई लटक रही थी।
आरती ने अपने लंबे बाल पीछे गर्दन के पास से बाँध रखे थे।

आरती मेरे सामने गर्दन झुकाए खड़ी थी।
उसके लाल, सुर्ख, रसीले होंठ हल्के काँप रहे थे जैसे वो कुछ कहना चाह रही हो।

आरती की पतली कमर में स्कूल की बेल्ट लगी थी और उसने नीचे भूरे रंग की स्कर्ट पहन रखी थी, जो मुश्किल से उसकी आधी जाँघों तक थी।
उसकी दूध जैसी गोरी टाँगें पूरी नंगी थीं।

आरती का मासूम सा चेहरा बड़ा ही प्यारा लग रहा था।
उसके चेहरे से नई-नई चढ़ी जवानी का नूर टपक रहा था।

मैं आरती को ऊपर से नीचे तक बिना पलकें झपकाए देखे जा रहा था।

तभी भाभी ने कहा, “आरती, भैया के पास बैठो और उन्हें पूरी बात बताओ कि क्या हुआ था! फिर तुम्हारे भैया तुम्हारे स्कूल जाकर प्रिंसिपल से बात करके सब मैटर सुलटा देंगे!”

आरती ने सिर उठाकर मुझे देखा तो हमारी नजरें मिलीं।
मैंने देखा, आरती की आँखें लाल हो रखी थीं, जैसे वो बहुत रोई हो।

मैंने कहा, “आरती, आओ ना! खड़ी क्यों हो? बैठो ना!”
आरती चुपचाप मेरी बगल में बैठ गई।

मैंने उसका कोमल और गुलाब से भी हल्का हाथ पकड़कर अपने हाथों में लेते हुए कहा, “आरती, तुम घबराओ मत! मैं सब ठीक कर दूँगा। मुझे भाभी ने सब बता दिया है, पर मैं एक बार तुम्हारे मुँह से पूरी बात सुनना चाहता हूँ!”

तभी भाभी बोली, “हाँ आरती, अब तुम बिल्कुल भी डरो मत! देवर जी सब ठीक कर देंगे! और हाँ, ये जो भी पूछना चाह रहे हैं, तुम इन्हें सब सच बता दो! बिल्कुल भी शर्माओ मत, ये अपने ही हैं!”

फिर मैंने आरती की ठुड्डी को हाथ से उठाकर उसका चेहरा ऊपर किया और कहा, “आरती, मुझे पता है, तुम्हारी कोई गलती नहीं! जवानी में ये सब होता है। बस तुम मुझे शुरू से लेकर सब बात बता दो! फिर मैं उस लड़के को स्कूल से निकलवाकर ही दम लूँगा!”

आरती बोली, “वो भैया, मेरी कोई गलती नहीं! बस वो कई दिन से मेरे पीछे पड़ा हुआ था। उस दिन जब मैं बाथरूम गई, तो वो भी मेरे पीछे आ गया।”

मैंने पूछा, “आरती, तुम बाथरूम में क्या करने गई थी?”
आरती बोली, “भैया, मुझे सूसू लगी थी।”

मैंने कहा, “ओह, तो साफ-साफ बोलो, मूतने गई थी!”
आरती भाभी की तरफ देखते हुए सिर्फ इतना बोली, “जी भैया, वही।”

तभी भाभी तपाक से बोली, “आरती, शर्माओ मत! तुम्हारे भैया जो भी पूछ रहे हैं, खुलकर बताओ!”
आरती बोली, “जी चाची, मैं मूतने गई थी। तभी वो मेरे पीछे आ गया।”

भाभी मुझसे बोली, “देवर जी, आप आरती से बात करो, तब तक मैं यहीं पड़ोस में जाकर आती हूँ।”

मैंने कहा, “ठीक है भाभी! पहले मैं ये समझ लूँ कि कहीं आरती की कोई गलती तो नहीं है। फिर हम इसके प्रिंसिपल से मिल लेंगे।”

भाभी आरती को ये बोलकर कि दरवाजा बंद कर लो, मुझे थोड़ा टाइम लगेगा, बाहर निकल गईं।

आरती दरवाजा बंद करके मेरे पास आकर बैठ गई।

मैंने आरती का हाथ छूते हुए कहा, “अच्छा आरती, फिर क्या हुआ?”
आरती बोली, “भैया, वो बाथरूम में घुसते ही मुझसे बोला, ‘आरती, मुझे अपने दूध दिखा, नहीं तो सारे स्कूल में शोर मचा दूँगा कि तूने मुझे यहाँ बुलाया है!’”

मैंने आरती के पास सरकते हुए उससे सटकर कहा, “आरती, इन्हें दूध नहीं, चूचियाँ बोलते हैं! तुम भी चूचियाँ ही बोलो!”

आरती बोली, “जी भैया, वो मेरी चूचियाँ देखने की जिद करने लगा। मैं क्या करती, मजबूरी में मैंने दिखा दी।”

मैंने आरती की नंगी जाँघ पर हाथ फेरते हुए, उसकी चूचियों को ध्यान से देखते हुए कहा, “आरती, उसकी भी क्या गलती! तुम्हारी चूचियाँ हैं ही इतनी सुंदर, जैसे पके हुए आम हों! इन्हें तो पता नहीं कितने लोग चूसना चाहते होंगे!”

फिर मैंने उसकी एक जाँघ को मुठ्ठी से भींचकर अपने से सटाते हुए कहा, “फिर बताओ क्या हुआ!”

आरती बोली, “जी भैया, फिर वो मेरी चूचियों को चूसने की जिद करने लगा और बोला, अगर एक बार मैं उसे अपनी चूचियाँ चुसवा दूँ, तो वो मुझे फिर कभी परेशान नहीं करेगा।”

मैंने उसकी आँखों में देखकर कहा, “फिर बताओ, तुमने क्या किया!”
आरती बोली, “जी भैया, मैं क्या करती! मैंने उसे चूसने दिया।”

मैंने थोड़े गुस्से से कहा, “फिर बता क्या हुआ!”
आरती बोली, “जी भैया, फिर बस कुछ नहीं।”

मैंने अपनी बात पर जोर देकर कहा, “सच बोल, आगे क्या हुआ!”

आरती सहमते हुए बोली, “जी भैया, उसने मेरी एक चूची चूसते हुए अपना हाथ मेरी स्कर्ट में डाल दिया और मेरी सूसू वाली जगह को मसलने लगा।”

मैंने कहा, “सूसू वाली कौन-सी जगह?”
आरती अनजान बनते हुए कुछ नहीं बोली।

मैंने आरती से कहा, “आरती, बोलो उसने क्या किया!”
वो शरमाते हुए बोली, “भैया, वो हथेली से मेरी उसको मसलने लगा।”

मैंने उसकी आँखों में देखकर जोर से कहा, “चूत को!”

मेरे मुँह से चूत शब्द सुनकर देसी टीन गर्ल हॉट आरती का गोरा चेहरा लाल हो गया, उसने शर्म से सिर झुका लिया।

मैंने कहा, “बोलो आरती कि वो तुम्हारी चूत को मसलने लगा था!”
आरती बोली, “जी भैया, वो मेरी चूत को मसलने लगा था।”

मैंने कहा, “सच बोलो आरती, जब वो तुम्हारे आम चूस रहा था और एक हाथ से तुम्हारी चूत मसल रहा था, तो तुम्हें कैसा लग रहा था?”

आरती मेरी बात सुनकर झटके से उठकर शरमाते हुए अंदर कमरे में भाग गई।
मैं भी उठकर उसके पीछे-पीछे अंदर चला गया।
अंदर जाकर वो बेड पर मुँह छुपाकर उलटी लेटी हुई थी।

आगे की कहानी की प्रतीक्षा कीजिये.

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