प्यासी भाभी के साथ जोश भरे सेक्स का मजा- 2

(Dirty Bhabhi Oral Sex Story)

आरुष दूबे 2021-06-22 Comments

एक डर्टी भाभी ने मेरे साथ ओरल सेक्स कैसे गंदे तरीके से किया, इस कहानी में पढ़ें. एक खूबसूरत मासूम चेहरे के पीछे वो एक जंगली औरत थी.

नमस्कार मित्रो, मैं आरुष दुबे फिर से अपनी सेक्स कहानी का तीसरा भाग लेकर हाजिर हूँ.
पिछले भाग
चुदासी भाभी ने मुझे मूत पिलाया शराब में
में आपने पढ़ा कि एक घंटे से हो रहे जबरदस्त ओरल सेक्स की वजह से फिर से मैं झड़ गया था और लंड का पूरा माल मैंने भाभी के मुँह में छोड़ दिया था.

वो डर्टी भाभी भी पूरी तरह से लंडरस पी गई थीं. जो माल होंठों पर और लंड पर लगा रह गया था, भाभी उसे भी पूरी तरह से जीभ से चट कर गईं.
झड़ जाने के बाद भी दवाई के असर से अभी भी मेरे लंड के तनाव में कोई कमी नहीं आई थी.

इस जबरदस्त फोरप्ले के कारण अब लंड महाराज में भी दर्द होने लगा था.
और फिर भाभी जी तो थीं ही कमाल की अप्सरा … अगर उनका चेहरे और मासूमियत की तुलना करूं तो बॉलीवुड अभिनेत्री कियारा आडवाणी से काफी मिलती है.

लेकिन उस खूबसूरत मासूम चेहरे के पीछे एक जंगली औरत थी, जो 3 घंटे से मुझे अपनी वासना के लिए दर्द पर दर्द दिए जा रही थी.

अब जब मैं चरमानंद प्राप्त कर चुका था. इसके बाद भी लंड महाराज कठोर अवस्था में थे.
मेरी उसी हालत में भाभी ने मेरे पूरे बदन की बर्फ से सिकाई की जिससे मुझे थोड़ी ठंडक मिली.

भाभी के द्वारा दिए गए घावों पर आराम भी महसूस हुआ.

अब मेरी बारी आ गई थी लेकिन भाभी ने मुझे काटने से और सेक्स करने से मना कर दिया.

डर्टी भाभी- आरुष, मैं चाहती हूँ कि तुम एक बार और ओरल सेक्स करो … प्लीज मुझे काटना मत और सेक्स भी मत करना. मुझे एक बार और बिना सेक्स के ऑर्गेज्म महसूस करना है.
मैं- ठीक है भाभी जी, जैसा आप कहो.

मेरा अभी भी इतना मन हो रहा था कि साली को सीधा लंड चुत में डाल कर चोद दूँ … लेकिन मैं ऐसा कर नहीं सकता था.

अब मेरे लिए टास्क ये था कि तीसरी बार भाभी को बिना चोदे ऑर्गेज्म करवाना था.

सबसे पहले फिर से मैंने भाभी को किस करना शुरू किया. दस मिनट तक पूरी तरह जंगली किस करने के बाद भाभी को गले पर और कान की लौ पर किस किया.
फिर किस करते करते बूब्स चूसने शुरू किये. ये सब मैं बहुत जोर जोर से कर रहा था ताकि भाभी जी जल्दी गर्म हो जाएं और मुझे लंड डालने के लिए खुद ही बोल दें.

मैं भाभी के 34 साइज के मम्मों को बहुत जोर से और पूरी ताकत के साथ चूस और चाट रहा था. एक को चूसता तो दूसरे बूब को पूरे जोर से हाथों में लेकर आटे की तरह मसल रहा था.

फिर 15 मिनट तक बूब्स चूसने के बाद में नीचे नाभि पर आ गया. फिर नाभि में जीभ डाल कर दस मिनट तक चूसा.

जब मैं भाभी की नाभि को चूस रहा था, तो भाभी का पेट बहुत मस्ती से ऊपर नीचे हो रहा था.
ये नजारा देखने लायक था.

भाभी का पेट इतना खूबसूरत तरीके से ऊपर नीचे हो रहा था कि मेरे दिमाग में खुराफाती आईडिया आ गया. मैंने भी उन्हें तड़पाने का सोचा.

मैंने सोचा सीधे चुत पर ना जाते हुए भाभी को भी थोड़ा तड़पाया जाए जैसे मेरे खड़े लंड को भाभी जी ने अब तक तड़पाया है.

फिर से मैंने भाभी के दोनों मम्मों को मसलना और चूसना शुरू कर दिया.
थोड़ी देर बाद मुझे उनकी काँख से आती हुई पसीने की महक आई. मैं भाभी की दोनों कांखों को सूंघा और नाक से रगड़ा.

भाभी जी मस्त हो गईं.

फिर मैंने दुबारा से भाभी के मम्मों को चाटना शुरू कर दिया.
भाभी- उफ्फ यसस्स आरुष सो नाइस हह अहह बेबी ..

भाभी कामुक सिसकारियां लेने लगीं. मुझे भी भाभी जी के आर्म्स की खुशबू ने मदहोश कर दिया था.

दस मिनट तक बारी बारी मैंने भाभी के दोनों आर्म्स को चूसा और चाटा. फिर मैंने भाभी जी को पेट के बल उल्टा लेटा दिया और बालों के नीचे उनकी नंगी पीठ पर किस करने लगा, चूमने चाटने लगा. कमर की चमड़ी को मुँह में लेकर चूसने लगा.

भाभी बहुत गर्म हो चुकी थीं और वो ये जान चुकी थीं कि मैं भी उन्हें तड़पाने के लिए जानबूझ कर ऐसा कर रहा हूँ.

भाभी भी जोर जोर से मादक सिसकारियां ले रही थीं- ओह्ह यस्स हहह … मजा आ रहा है … और करो.

अब बारी थी 36 साइज की पहाड़ की तरह उठी हुई गांड की. पहले मैंने पूरी गांड पर भरपूर चुम्बन दिए, फिर गांड की मोटी चमड़ी को मुँह में लेकर चूसा.

उनके चूतड़ों को चूसने के बाद उन्हें फैला दिया और भाभी की गांड के छेद को सूंघा.

भाभी को लगा कि अब मेरी जीभ गांड के छेद को चाटेगी … लेकिन मैं वहां ना जाकर नीचे पैरों के तलवे पर आ गया.

वहां चाटने के बाद पैरों की उंगलियों को मुँह में भर कर चूसा.

इससे भाभी जी और ज्यादा तड़पने लगीं- आरुष, तुम तो आज मुझे पागल ही कर दोगे … सच में मैं तुम्हारी फैन हो गयी हूँ. मेरे बिना कहे तुम्हें मेरी ख्वाहिशों का पता चल जाता है … यू आर सो नाईस.

मैं दोनों पैरों की उंगलियों को चाटने के बाद भाभी के पैरों को चाटने लगा, फिर घुटनों के पीछे वाले जोड़ को चाटने लगा.
इसके बाद भाभी की मखमली संगमरमर के जैसी एकदम सफेद जांघों को चाटते हुए मैं फिर से भाभी की गांड के छेद पर आ गया.

अब अपनी जीभ टेड़ी करके छेद के आस पास जीभ अन्दर करने लगा.

भाभी भी सिसकारियां और तेज हो गईं- ओह्ह ओह्ह यस्स ओह्ह!
वे जोर जोर से चिल्लाने लगी थीं कि पूरे घर में उनकी आवाज गूंज रही थी.

इससे मुझे भी जोश चढ़ गया और मैंने भी जीभ को जितना अन्दर हो सकता था, उतना अन्दर डाल कर गांड चाटने लगा.
मैं अपनी उंगलियों को भाभी की चुत की फांकों पर फिरने लगा.

भाभी- अहह ओह्ह … आरुष उंगलियां नहीं … ओनली टंग यूज़ करो.

दस मिनट तक गांड चाटने के बाद मैंने भाभी जी को सीधा करके जैसे ही चुत पर जीभ लगाई, डर्टी भाभी मेरा सर अपनी चुत में घुसेड़ने लगीं.
मैंने जीभ को अन्दर नहीं डाला … सिर्फ चुत के दाने को चूस रहा था.

भाभी और जोर जोर से चिल्लाते हुए अपना सर पटकने लगीं. पटकती भी क्यों नहीं … मुझे ये सब करते करते करीबन चालीस मिनट हो गए थे.

फिर मैंने जैसे ही धीरे से जीभ की नोक को चुत के अन्दर डाला, वैसे ही भाभी ने पूरे जोर से मेरे सिर को पकड़ कर चुत में दबा लिया और बहुत जोर से चिल्लाते हुए झड़ने लगीं.
उनकी जकड़ इतनी कसी हुई थी कि मुझे सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी थी.

लेकिन वो झड़ते टाइम इतनी जोर से चिल्लाई थीं कि आस पास के फ्लैटों में भी उनकी आवाज पहुंच गयी होगी- आह यस्स … आई एम कमिंग … ओह्ह ओह्ह आह उऊऊ हम्म्म्म!

करीब पांच मिनट तक भाभीजी रुक रुक कर झड़ती रहीं.
उनकी चुत के पानी ने मेरे पूरे मुँह को गीला कर दिया था.
शायद ही कोई औरत इतना झड़ती हो, जितना कि वह झड़ती थीं.

पांच मिनट जब भाभी की पकड़ कमजोर हुई तो मैंने अपना मुँह चुत से बाहर निकाला, भाभी की नमकीन चुत और उस पानी को पूरी तरह चाट कर साफ कर दिया.

भाभी जी- आरुष, जल्दी से पैग उठाओ.

मैंने जैसे ही पैग उठाया, भाभी जी ने तुरंत उसमें चुतामृत निकाल दिया और बर्फ डाल कर फटाफट मुझे एक सांस में खींचने को बोलीं.

जैसे ही मैंने एक सांस में पैग खींचा, भाभी जी ने दूसरे पैग में दारू डाल दी और फिर से गिलास में चुतामृत निकाल दिया.
बाकी बची पेशाब को जाकर बॉथरूम में कर आईं. कमरे में आकर भाभी अपने लिए पैग बनाने लगीं.

भाभी जी- आरुष तुम सच में बहुत अच्छे हो … तुम्हारी सर्विस मुझे बहुत पसंद आई.
मैं- भाभी जी आपकी सर्विसिंग तो 3 बार हो गई, लेकिन जो गोली खिला के आपने इसका जो हाल किया है, उसका क्या … पिछले दो घंटे से लंड खड़ा है, अब तो ये दर्द भी कर रहा है.

भाभी जी- दर्द देने के लिए तो तुम्हें बुलाया है आरुष … मेरी कुछ ख्वाहिश है, जो मैं तुम्हारे साथ पूरा करना चाहती हूँ.
मैं- मतलब अभी और भी दर्द देना बाकी है?

भाभी जी- हां एक आखिरी दर्द … जो तुम्हें तुम्हारी पूरी ज़िंदगी में नहीं मिलेगा.
मैं- ऐसा क्या है उस दर्द में?
भाभी जी- सरप्राइज है तुम्हारे लिए सजा और मेरे लिए मजा!

मैं उनकी तरफ हैरानी से देखने लगा.

भाभी हह ह हह करके हंसने लगीं- चलो दो बजे गए हैं, पहले खाना खा लो और दो घंटे आराम करना है. फिर 4 बजे से लेकर कल शाम तक सेक्स और सिर्फ सेक्स ही करना है.
मैं- भाभी जी बर्दाश्त नहीं हो रहा … सिर्फ एक बार लंड चुत के अन्दर डाल कर चुदाई कर लेने दो.

डर्टी भाभी- नहीं आरुष, अगर मुझे नार्मल सेक्स करना होता … तो मैं किसी से भी कर लेती. तुम जैसे स्पेशलिस्ट को क्यों बुलाती!
मैं- ठीक है भाभी जी, जैसी आपकी इच्छा.

फिर ऐसे ही हम दोनों नंगे रह कर खाना खाया और आकर बेड पर लेट गए.
नींद तो मुझे लंड महाराज आने नहीं दे रहे थे. फिर भी हम एक दूसरे से चिपक कर लेटे रहे.

जब मुझे लगा कि भाभी जी को नींद लग गयी है तो मैंने भी नींद का बहाना करते हुए उनकी चुत से अपने लंड को सटा दिया और आगे पीछे होकर धीरे धीरे अन्दर डालने की कोशिश करने लगा.
लेकिन भाभी जी को चुत पर मेरे लंड का स्पर्श हुआ, तो वो पीछे को खिसक गईं– आरुष, प्लीज डोन्ट डू दिस.

मैंने भाभी की बात का कोई जवाब नहीं दिया और नींद में होने का बहाना करके सोता रहा.
पर भाभी जी मेरे खड़े लंड को चुत में घुसाने का प्रयास करते देख कर समझ गई थीं कि मैं नींद का नाटक कर रहा हूँ.

फिर भाभी जी खड़ी हुईं और अलमारी से सेलो टेप निकाल कर अपनी चुत को पूरी तरह से कवर करके सो गईं.

वो सोते हुईं बोलीं- आरुष प्लीज सो जाओ … तुम्हें और तुम्हारे हथियार को आज रात भर जागना है.
भाभी इतना कह कर सो गईं.

जैसे तैसे मैंने भी आंखें बंद कर लीं और सो गया. इस तरह से हम दोनों ने दो घंटे निकाल दिए.

करीब चार बजे भाभी जी उठीं और एक बोटल व्हिस्की की और निकाल लाईं.

मैं ये तमाशा देख कर हैरान था कि ये डर्टी भाभी कितनी बड़ी पियक्कड़ है.
हालांकि मुझे भी ऐसे कई मौके पड़े थे, मैंने रुक रुक कर आठ से दस पैग दारू पीकर अपने क्लाइंट्स को भरपूर चुदाई का सुख दिया था.

मगर आज इन भाभी के साथ मुझे एक अजीब सा लग रहा था.
पर मैं ये सब नजारा देखता रहा.

दोस्तो, इस सेक्स कहानी में आगे डर्टी भाभी की क्या फैंटेसी थी, जो वो मुझसे पूरी करना चाह रही थीं. इस सबका खुलासा मैं अगले भाग में लिखूंगा.
आपको बस मेरी सेक्स कहानी के मेल लिखना है, जिससे मुझे आत्मिक शांति मिलती है.
[email protected]

डर्टी भाभी की कहानी जारी है.

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