तलाकशुदा की कामवासना और सेक्स का सुख- 5

(Hot Sexy Girl Story)

रमित 2025-10-12 Comments

हॉट सेक्सी गर्ल स्टोरी में एक तलाकशुदा लड़की अपनी सहेली के पति की और आकर्षित है. वे दोनों सेक्स का मजा लेना चाह रहे थे. आज की रात उनकी पहली चुदाई की रात होने वाली है.

फ्रेंड्स, मैं जाह्नवी एक बार पुनः आपके सामने हाजिर हूँ.

मेरी इस सेक्स कहानी के पिछले भाग
सहेली के पति के साथ रोमांस
में आपने अब तक पढ़ा था कि मैं अपनी सहेली यामिनी के पति रमित के साथ शराब की चुसकियाँ लेती हुई इन मादक पलों का मजा ले रही थी.

अब आगे हॉट सेक्सी गर्ल स्टोरी:

तभी मेरे और रमित के डांस की एक बार फिर से फरमाइश होने लगी.

मैं उन्हें मना करने लगी तो तभी मेरी कलीग निकिता ने आकर मुझे और रमित को ड्रिंक पकड़ा दिया.

वह बोली- ये ड्रिंक हमारे आज के ख़ास मेहमान रमित साहब के लिए … चियर्स … और एक और डांस परफॉरमेंस तो बनता है!

तभी रमित मेरे करीब आया, उसने मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे अपने करीब खींचा और बोला.

‘हम मेहमान नहीं रौनक-ए-महफ़िल हैं हज़ूर.
मुद्दतों याद रखोगे कि ज़िंदगी में आया था कोई.

रमित के मुँह से शेर सुन कर मैं अवाक थी.
पर महफ़िल में उसकी बोली लाइन्स पर तालियां बज रही थीं.

तभी डीजे वाले ने सांग प्ले किया.

‘ये रातें नई, पुरानी
आते, आते जाते, कहती है कोई कहानी.’

मैं एक बार फिर से रमित की बांहों में थिरक रही थी.
इस रूमानियत भरे माहौल मैं में एक बार फिर से रमित के प्यार के अहसास में खोयी थी.

मेरी आंखें बंद थीं और पाँव गाने की धुन पर थिरक रहे थे.

‘आ रहा है देखो कोई …
जा रहा है देखो कोई!
सब के दिल हैं, जागे जागे
सब की आंखें, खोई खोई
खामोशी करती है बातें.’

मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे इस गाने की एक एक लाइन मेरे अहसासों के लिए लिखी हो.

रमित पर भी पार्टी के माहौल का न/शा छा चुका था, वह भी मेरी कमर के गिर्द अपनी बांहें डाले थिरक रहा था.
उसकी उंगलियां मेरी पीठ को छू रही थीं, उसके इस स्पर्श से में मदहोश हो रही थी.

उसके हाथ मेरी पीठ को सहला रहे थे और मैं नीचे अपनी दोनों टांगों के बीच गीलापन महसूस कर रही थी.
मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी.

तभी गाना खत्म हुआ तो हम लोग अपने होश में आए.

फिर हम डिनर करके पार्टी से निकल गए.

जब हम वहां से निकले तो मौसम कुछ खराब था, बादल आए हुए थे.

मेरे हिसाब से मौसम खराब नहीं, बहुत रोमांटिक हो रहा था.
मुझे आज ऐसे लग रहा था जैसे सारी कायनात आज मुझे रमित मिलवाने में लगी हुई थी.

हम दोनों घर की तरफ वापिस चल पड़े, पर रास्ते में बहुत तेज़ बारिश शुरू हो गयी.

बारिश इतनी तेज़ थी कि ड्राइव करना बहुत मुश्किल हो रहा था.
रमित ने थोड़ा चिंतित होते हुए कहा- अब क्या करें, रास्ता भी नहीं दिखाई पड़ रहा.
पर मुझे तो जैसे किसी और चीज़ का होश ही नहीं था, मैं तो बस रमित में खोयी थी.

मैंने जैसे नींद से जागते हुए कहा- मेरा फ्लैट जिस सोसाइटी में है, वह यहां से काफी नज़दीक है. हम आज वहां स्टे कर सकते हैं, सुबह घर चले जाएंगे.

रमित ने कहा- हां यही ठीक रहेगा. सड़क पर पानी भर रहा है. अगर कहीं गाड़ी बंद पड़ गयी, तो मुश्किल में फंस सकते हैं.

रमित ने गाड़ी मेरे फ्लैट की तरफ ले ली.

सोसाइटी में पहुंच कर गाड़ी पार्किंग में पार्क की और फ्लैट में आ गए.

रमित ने अपना ब्लेजर उतार कर लिविंग रूम में सोफे पर ही फेंक दिया और अपनी टाई की नॉट ढीली करके सोफे पर पसर गया.

एक निगाह फ्लैट पर डाली और बोला- जाह्नवी, तुम्हारा फ्लैट वाकयी में बहुत खूबसूरत है. इसका इंटीरियर बहुत खूबसूरत है, तुम्हारी आर्टटिस्टिक पर्सनालिटी को रिप्रेजेंट करता है!

मैं उसके इस कथन के जवाब में हल्के से मुस्करा दी.

रमित बोला- हम यहां आ तो गए, पर नाईट वेअर्स नहीं हैं … और सुबह क्या इन्हीं कपड़ों में वापिस जाएंगे?

मैं मुस्करायी और मैंने रमित से कहा- टेंशन मत लो … तुम्हें याद है लास्ट टाइम जब हम तीनों यहां आए थे, पर अंकल के फ़ोन की वजह से तुम्हें उसी रात दिल्ली जाना पड़ा था, तो मैं और यामिनी कुछ कपड़े यहीं रख गए थे कि नेक्स्ट वीकेंड पर तीनों एक साथ आएंगे. उनमें तुम्हारे कपड़े भी हैं.

रमित मुस्कराया और अपने शूज खोल कर आराम से बैठ गया.

मैं उसे स्लीपर लाकर उसके सामने रखने के लिए थोड़ा सा झुकी तो उसे मेरे गहरे गले के ब्लाउज में से मेरे बूब्स के दर्शन हो गए.

उसकी नज़र मुझ पर ही टिकी थी.
रमित को यूं दूध देखता देख मेरी नजरें खुद भी लजा कर झुक गईं.

रमित बोला- तुम चेंज कर लो!

मैं बालकनी का दरवाज़ा खोलती हुई बोली- थोड़ी देर मौसम का आनन्द लेते हैं न!

मैं बालकनी की रेलिंग पर अपनी कोहनियां टिका कर खड़ी हो गई और बारिश को देख रही थी.
तभी रमित भी वहां आ गया.

हम दोनों बारिश का आनन्द लेने लगे.

रमित बोला- जाह्नवी, अपने बारे में या अपने रिलेशनशिप के बारे बताओ न … आखिर तुम दोनों क्यों सेपरेट हो गए! तुम जैसी औरत को कोई कैसे छोड़ सकता है … बदकिस्मत ही होगा वह. तुम इतनी टैलंटेड हो, खूबसूरत हो और हॉट हो … बताओ जाह्नवी ऐसा क्या हुआ कि ईवान तुम्हें छोड़ कर चला गया?

मैं बोली- यार, तुमने ईवान को गोवा में देखा ही था … और क्या बताऊं तुम्हें?

‘क्या करोगे सुन कर दास्तान मेरी?
रूठी रातों का कटा हुआ अनकहा हूँ मैं…’

इसके बाद रमित ने कुछ नहीं पूछा.
मैं भी खामोश सी दूर काले बादलों में कुछ तलाश करने की कोशिश कर रही थी.

रमित टकटकी लगाए मुझे ही देख रहा था.
उसकी नजरें मेरी फिगर पर फिसल रही थीं.

शायद उस पर रात की खुमारी का असर हो रहा था … या मेरी सेक्सी देह का न/शा.

मुझे उसकी आंखों में कुछ बदलता सा लगा, तभी हवा के साथ बारिश की फुहार मेरी आंचल को भिगो गयी.

मैंने पीछे को हटते हुए अपनी साड़ी के आंचल को झाड़ा और अपने चेहरे पर बिखर आए बालों को बांधने लगी.
तो रमित ने आगे बढ़ कर मेरी कलाई को पकड़ लिया.

वह शायराना अंदाज में बोला.
‘मत बांधो इन ज़ुल्फो को
हवाएं नाराज हो जाएंगी!’

रमित के स्पर्श से मेरा सारा शरीर झनझना गया, जैसे करंट सा दौड़ गया हो.

मेरी नजरें हया खुद ब खुद ही झुक गईं.
रमित ने ठुड्डी से पकड़ कर मेरा चेहरा ऊपर किया और बोला- यकीनन! तुम्हारी मंजिल नहीं हूं मैं … मगर सफर में जब भी पुकारोगे, साथ पाओगे … मुझे!

उसने मेरी पलकों पर अपने तपते होंठ रखे.
उसकी इस पहल पर मैं कटी बेल सी उससे लिपट गयी.

उसने भी हॉट सेक्सी गर्ल को अपनी बांहों में भर लिया.
मैंने अपनी बांहें उसकी पीठ पर कस दीं.

काफी देर हम दोनों के दूसरे से यूं ही लिपटे खड़े रहे.

उसके हाथ मेरी अधनंगी पीठ को सहला रहे थे.
मेरे अन्दर बहुत कुछ पिघल रहा था.

मैंने रमित की शर्ट को अपनी मुट्ठियों में भींच लिया था और अपना चेहरा रमित के सीने में छुपा लिया था.

मैंने अपना चेहरा ऊपर उठाया और बोली- रमित, मैं जानती हूँ कि तुम यामिनी से बेपनाह मोहब्बत करते हो और यामिनी तुमसे … क्या इसमें से थोड़ा सा प्यार मुझे मिल सकता है? यकीन मानो इससे ज्यादा की मेरी कोई इच्छा नहीं है!

रमित ने हवा से उड़ कर चेहरे पर आते हुए बाल मेरे चेहरे से हटाए और उन्हें मेरे कान के पीछे कर दिए.
फिर अचानक से मुझे अपनी बांहों के घेरे में ले लिया और झुक कर मेरी गर्दन के पास अपने तपते होंठ रख दिए.

जैसे ही उसके तपते गर्म होंठ मेरे कंधे और गर्दन से छुए, मेरे सारे शरीर में सिरहन सी दौड़ गयी.
उसके हाथ मेरी पीठ को सहलाने लगे.
उसके होंठों ने मेरे कंधे से सरकते हुए गर्दन पर चलते हुए आकर मेरे कान के निचले भाग को चूम लिया.

मेरे मुँह से आह की आवाज़ आयी पर रमित के होंठ नहीं रुके.
उसने मेरे एक गाल पर चुम्बन किया, फिर ऊपर उठ कर मेरी बंद हुई दोनों पलकों पर बारी बारी से चुम्बन लिया.

उसने कहा- जाह्नवी, तुम्हारी आंखें बहुत सुन्दर हैं … बड़ी बड़ी कजरारी गहरी काली आंखों में तो मैं तो क्या … विश्वामित्र भी डूब जाएं.
यह कह कर उसने मेरे दाईं तरफ के होंठ के ऊपर तिल ऊपर चूम लिया.

‘ये तुम्हारा तिल तो तपस्वियों की तपस्या भंग कर दे!’

फिर रमित ने मेरे ऊपर वाले होंठ पर चुम्बन लिया और कहा- जाह्नवी, जानती हो, तुम्हारे होंठ कितने खूबसूरत हैं और रस से भरे हैं … इनका रस पीने के लिए तो खुद इंद्र भगवान अपने लोक से नीचे उतर आएं.

उसने मेरे निचले होंठ को अपने होंठों में ले लिया और मस्ती से चूसने लगा.
मैं भी उसके ऊपरी होंठ को चूसने लगी.

मैं इस लिप-किस में उसका पूरा साथ देर रही थी.
रमित मेरे होंठों पर झुक कर कभी ऊपर वाला होंठ चूसता, कभी नीचे वाला होंठ चूसता.

मेरे हाथ की उंगलियां उसके बालों में चल रही थीं और मेरी आंखें बंद थीं.
मैं इस चुंबन का पूरा लुत्फ़ ले रही थी.

एक लम्बे स्मूच के बाद हम अलग हुए.
रमित से आंखें मिला की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी.
मेरी नजरें खुद ब खुद झुक गयी थीं.

रमित ने ठुड्डी से पकड़ के मेरा चेहरा ऊपर किया और बोला- जाह्नवी उफ़ … तुम्हारी ये फिगर तुम्हारा ये बदन देख कर ऐसा लगता है जैसे तुम सिर्फ औरत नहीं … बल्कि कामदेवी हो!

उसके मुँह से ये सुनते ही मैंने अपनी बांहें रमित के इर्द गिर्द लपेट दीं और उसके सीने से जा लगी.

रमित ने भी मुझे कस कर अपने साथ चिपका लिया.
रमित के बदन के स्पर्श और उसके बदन से उठती भीनी भीनी खुशबू मुझे पागल कर रही थी.

मैं मदहोश थी, मेरा शरीर अपने बस में नहीं था.
मेरे हाथ रमित की पीठ पर चल रहे थे.

रमित के होंठ फिर से मेरे कंधे पर आ लगे.

रमित बोला- आई लव यू जाह्नवी!
मैंने भी बोला- आई लव यू टू!

वह बोला- क्या सच में?
मैंने कहा- हां, मैं तो पता नहीं कब से तुम्हारे लिए बावरी हो गयी हूँ!

रमित बोला- ऐसे नहीं, अपने खास अंदाज़ में बोल कर दिखाओ?
मैंने उसकी तरफ देखा.

‘अरे वही … जिस अंदाज़ में तुम आज शाम से बातें कर रही हो … अरे बाबा अपने शायरी वाले अंदाज़ से बोलो न एक बार!’
मैंने शर्माते हुए कहा- रमित तुम भी न …
और नजरें झुका कर उसके सीने से लग गयी.

वह मुझे फिर से अपनी बांहों में बांधे खड़ा था.
मैं सोच रही थी कि ये समां यहीं रुक जाए, ये पल कभी बीते ही न!

तभी रमित बोला- जाह्नवी, प्लीज एक बार फिर से बोलो न अपने उसी अंदाज़ से?

‘मेरे इश्क़ और उनके दीदार की
कभी रुत भी आएगी इक़रार की …
मैं कह दूंगी जब अपने जज़्बात सब …
घड़ी वह ग़ज़ब होगी इज़हार की!’

रमित बोला- वाह यार … तुम हर सिचुएशन पर कुछ न कुछ कह देती हो. सच में तुम कमाल हो!
उसने मेरे होंठों पर हल्का सा चुम्बन किया, फिर बोला- क्या रात भर यहीं खड़ा करके रोमांस करने का इरादा है?

मैं उससे दूर हुई.
पता नहीं क्यों उस टाइम दुनिया भर की हया मेरी आंखों में समायी थी.
मेरी नजरें अब भी झुकी हुई थीं.

मैंने कहा- बेडरूम में वार्डरोब में तुम्हारे कपड़ों वाला बैग रखा है. अगर तुम चेंज करना चाहो तो चेंज कर लो!
मैं वहां से जाने लगी तो रमित ने मेरा हाथ पकड़ कर फिर से मुझे अपने सीने से लगा लिया.

हवा से उड़ कर बाल अभी भी मेरे चहरे पर आ रहे थे.
उन बालों को हटाते हुए उसने मेरे होंठों को फिर से चूमा.

उसने कहा- कसम से जाह्नवी, मैं आज तुम्हारा दीवाना हो गया हूँ. मैं तो आह … खा ही जाऊंगा तुम्हारे इन होंठों को!
मैं यह सुन कर शर्मा गयी!

मैं रमित से छूट कर बेडरूम में भाग आयी.
मैं ड्रेसिंग टेबल के आईने में खुद को देख रही थी.

रमित के प्यार का इसरार साफ़ साफ़ मेरी आंखों में देखा जा सकता था.

मेरी सांसें तेज़ी से चल रही थीं, दिल की धड़कनें बेकाबू हो रही थीं.

मेरी आंखों में एक अजीब सी खुमारी छा रही थी.
मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मेरा बदन आग की भट्टी में तप रहा हो!

तभी रमित ने पीछे से आकर मुझे अपनी बांहों में ले लिया, उसके हाथ मेरे पेट पर थे.

उसके होंठ मेरे कंधों को चूमते हुए मेरी पीठ पर चल रहे थे, मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगी थीं.

उसकी गर्म सांसें मेरे रोम रोम को महका रही थीं.
उसके हाथ मेरे पेट से सरकते हुए मेरे ब्लाउज के ऊपर से मेरी गोलाइयों को नाप रहे थे.

अब मेरा बदन मेरे बस में नहीं था.
मेरी सांसें ऊपर नीचे हो रही थीं. धड़कनें मेरी किसी इंजन की तरह धक् धक् करती हुई भाग सी रही थीं.

रमित मेरी नंगी पीठ को बेहताशा चूम रहा था.
मैं आंखें बंद किए उसके हर चुम्बन पर आहें भर रही थी.

उसके हाथ मेरे बूब्स को सहला रहे थे, जिस वजह से मेरे निप्पल टाइट हो गए थे.

रमित की उंगलियों का स्पर्श मुझे बता रहा था कि उसे भी मेरे निप्पलों का कड़ापन ब्लाउज के ऊपर से महसूस हो रहा है.

वह मेरे निप्पलों को सहलाने लगा.
मेरे मुँह से आह की आवाज़ आयी.

मैं नीचे अपनी पैंटी में गीलापन महसूस कर रही थी.
मेरी पैंटी मेरे कामरस से भीग रही थी.

तभी रमित ने मेरे ब्लाउज के हुक खोलने शुरू कर दिए.
रमित ने जैसे ही हुक खोले, वह मेरे ब्लाउज को मेरे कंधे से सरकाने लगा.

उसके हाथ मेरा ब्लाउज सरका रहे थे और उसके होंठ मेरी पीठ और कंधों पर अपना काम कर रहे थे.

तभी उसने मेरी साड़ी की प्लेट्स को पेटोकट से बाहर निकाल दिया, मेरी साड़ी फर्श पर फ़ैल चुकी थी, पर पल्लू अभी कंधे पर होने की वजह से मेरी साड़ी ने मेरे वक्ष स्थल को थोड़ा छिपा रखा था.

तभी रमित ने मेरा पल्लू कंधे सरका दिया और मेरी साड़ी मेरे बदन से अलग होकर फर्श पर बिखर चुकी थी.

मेरे उठे हुए नितम्ब रमित के अग्रभाग को छू रहे थे. मुझे उसके पैंट के अन्दर आए उभार का पूरा अहसास हो रहा था.

रमित के हाथ मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे बूब्स पर फिसलने लगे.

मैंने नीले रंग की और लाल रंग के किनारी वाली ब्रा पहनी थी जो बहुत ही सेक्सी लग रही थी.

तभी उसके एक हाथ की उंगलियां मेरे दाएं बूब्स के ऊपर तिल को छूने लगीं.

वह मेरे कान को चूमने लगा.
उसने मेरे कान के निचले भाग को अपने होंठों में दबा लिया और चूसने लगा.

मेरी कामुक सिसकारियों की आवाज़ तेज़ हो गयी.
तभी मैं रमित की तरफ घूम गयी.

जैसे ही घूमी, मेरे होंठ रमित के होंठों से जा टकराए.
मैं रमित का ऊपर वाला होंठ चूसने लगी और रमित मेरा निचला होंठ.

रमित के हाथ मेरी पीठ से सरकते हुए मेरे नितंबों पर सरकने लगे.
तभी उसकी उंगलियों ने एक और शरारत की.

मेरे पेटीकोट का नाड़ा उसकी उंगलियों में आ चुका था.
उसने झटके से नाड़े की गांठ ढीली कर दी और मेरा पेटीकोट आंख झपकते ही मेरी टांगों से सरकता हुआ फर्श पर आ गिरा.

रमित ने मेरे नितंबों यानि मेरे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों की मुट्ठियों में भींच लिया.
मेरे मुँह से ज़ोर की आह की आवाज़ आयी.

मैंने अपनी आंखें खोलीं, तो शर्म से झुक गईं क्योंकि मैं अब रमित की बांहों में एक तरह से नंगी थी.
मेरी ब्रा और मेरी पैंटी नाम मात्र के लिए ही मेरे अंगों को छिपा रही थीं.

मेरी नजरें झुकी हुई थीं और मेरे होंठ लरज कर कांप रहे थे.

रमित ने एक बार फिर मेरी ठुड्डी को पकड़ कर मेरा चेहरा ऊपर किया और मेरी दोनों आंखों को बारी बारी से चूम लिया.

तभी मेरे होंठ खुले और मैंने कांपती हुई आवाज़ में कहा- रमित, आज मुझे अपने में समा कर मुझे पूरा कर दो … मेरा ये अधूरापन पूरा कर दो!
रमित ने मुझे अपनी बांहों में उठा लिया.

दोस्तो, मजा आया न … बस अब वही बाकी रह गया है जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार था.

आपके कमेंट्स मुझे लगातार गर्म कर रहे हैं. प्लीज यूं ही मेरा साथ देते रहें.
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