तीन बेटियों की माँ गैरमर्दों के लंड से चुदी
(Village Xxx Kahani)
विलेज़ Xxx कहानी में मेरे अब्बू चौकीदार थे तो वे रात को मेरी अम्मी को चोद नहीं पाते थे. खेतों पर जाते समय मेरी अम्मी एक अंकल से फंस कर कैसे चुदी?
यह सच्ची विलेज़ Xxx कहानी एक ऐसी औरत की है, जो तीन बच्चों की मां थी.
उसकी शादी 19 साल की उम्र में हो गई थी. वह दूध सी गोरी, मस्त कद-काठी वाली और 5 फुट 9 इंच लंबी आकर्षक शरीर की मालकिन थी.
उसका शौहर गुस्से वाला था और वह एक गांव का दसवीं पास, होमगार्ड की नौकरी करने वाला 25 साल का लड़का था.
उसके पास थोड़ी बहुत खेती भी थी.
शादी के बाद उन्हें तीन लड़कियां हुईं.
इसी वजह से उसका शौहर उससे हर समय झगड़ा करता था.
जीवन ऐसे ही चल रहा था.
फिर जब उस महिला की उम्र 32 साल हुई, तब उसके जीवन में एक बदलाव आया.
यह अच्छा था या बुरा वह आप पढ़ कर खुद ही समझें और मुझे भी बताएं.
हुआ यह कि उसकी सबसे बड़ी लड़की, यानि मैं, तब समझदारी वाली उम्र के आसपास आ गई थी. मेरी बहनें घर पर ही रहती थीं.
मैं और अम्मी खेतों पर अपनी थोड़ी-बहुत फसल देखने जाया करती थीं.
एक दिन जब हम दोनों दोपहर में घर लौट रहे थे, हमें हमारे गांव का एक ट्रैक्टर-ट्रॉली वाला मिला.
वह हमें जानता था इसलिए उसने कहा- भाभी जी, आइए बैठ जाइए. मैं वहीं घर जा रहा हूँ!
वह आदमी ट्रैक्टर से मिट्टी-बालू ढोता था और हर रोज़ इसी समय घर जाता था.
लेकिन आज उसने हमें अपने साथ चलने को कहा.
फिर मेरी अम्मी और मैं ट्रैक्टर पर बैठ गईं.
वह ट्रैक्टर को बहुत धीरे-धीरे चला रहा था.
अम्मी ने पूछा- आप इतनी धीरे क्यों चला रहे हैं?
उसने जवाब दिया- भाभी जी, ज़्यादा तेज़ चलाऊंगा तो आप झटके झेल नहीं पाएंगी!
इस बात पर अम्मी बोलीं- क्यों नहीं झेल पाऊंगी, मैं पहले भी ट्रैक्टर पर कई बार बैठी हूँ!
इस पर वह आदमी हंसते हुए बोला- मेरा ट्रैक्टर वैसा नहीं है, जैसा आपने देखा होगा. इसे चलाने के लिए दम चाहिए, जो सिर्फ़ हमारी कौम की औरतों में होता है. आप जैसी औरतों में वह दम नहीं होता है!
अम्मी ने तपाक से कहा- लगता है आप ट्रैक्टर की बात नहीं कर रहे हैं, आपकी बात कुछ और ही है!
वह बोला- समझदार को इशारा ही काफी है!
अम्मी पहले तो हंस दीं फिर एकदम से चुप हो गईं.
फिर हम दोनों घर पहुंच गईं.
हम लोग अपने रोज़ के काम-काज में लग गए.
कई हफ्तों तक हम उसी ट्रैक्टर से आने-जाने लगे.
फिर पता नहीं अचानक मेरी अम्मी को क्या हुआ, वे एक दिन बातों-बातों में उस आदमी से बोलीं- आपको अपनी कौम की औरतों पर ज़्यादा भरोसा है, लगता है आपका किसी शेरनी से पाला नहीं पड़ा!
वह आदमी बोला- ऐसी कोई औरत बनी ही नहीं, जो मेरे जैसे मर्द को संभाल पाए!
इस बातचीत के दौरान मैंने देखा कि वह मेरी अम्मी को दोपहर में आते समय कभी रबड़ी, कभी मिठाई, कभी फल दिया करता था.
फिर एक दिन उसने कहा- भाभी जी, कोई आपकी नज़रों में ऐसी औरत हो तो बताइए, जो मुझे झेल सके. इसके लिए आप जो कहेंगी, मैं वह कर दूँगा!
अम्मी ने जवाब दिया- सोच लो … आपको पूरी जिंदगी मेरी गुलामी करनी पड़ सकती है, क्योंकि वह शेरनी मैं ही हूँ!
मेरी अम्मी को लगता था कि जैसा मेरे पापा का दम है, वैसा ही इसका भी होगा. जितना बल उनमें है, उतना ही इसमें भी होगा.
उस आदमी ने कहा- मुझे मंज़ूर है. आप जो कहेंगी, वह करूँगा. अगर आपकी बातों में दम है, तो फिर कल आप अपने खेतों पर अकेली आना!
अम्मी बोलीं- अकेली तो नहीं आ सकती और यह मेरी गुड़िया अभी छोटी है, इसे कुछ नहीं पता चलेगा!
उन्हें लगता था कि मैं उनकी बातें कभी समझ नहीं पाऊंगी.
लेकिन आज मैं वह सब याद करती हूँ, तो मुझे पता चलता है कि उन्होंने अपनी जिंदगी में क्या-क्या किया.
मैं यह सब इस सेक्स कहानी में लिख रही हूँ कि कैसे एक औरत मज़ाक मज़ाक में किसी को गुलाम बनाने के चक्कर में ख़ुद गुलाम बन जाती है.
उस आदमी ने कहा- भाभी जी, कल सुबह अपने खेत पर आ जाना, फिर देखते हैं कि आपकी बातों में कितनी सच्चाई है!
अम्मी ने हामी भर दी.
अगले दिन सुबह जब हम दोनों मां-बेटी अपने खेतों में पहुंचे.
तो वह आदमी, जिसका नाम मैंने बदलकर बलजीत रख दिया है, उधर पहले से ही मौजूद था.
वह सिर्फ़ शर्ट और लुंगी में था.
उसके हाथ में एक घास काटने वाला औज़ार था.
वह हमारे पास आया और उसने अम्मी को एक थैली दी … जिसमें रसगुल्ले थे.
अम्मी ने कुछ रसगुल्ले ख़ुद खाए, फिर मुझे देकर बराबर वाले गन्ने के खेत में उसके साथ चली गईं.
मैंने देखा कि यह दोनों कहां जा रहे हैं.
मैं भी उनके पीछे-पीछे चलने लगी.
खेत में अन्दर जाकर बलजीत ने गन्ने काटने शुरू कर दिए और फिर जमीन पर गन्ने की पत्तियां बिछा दी.
इसके बाद वह मेरी अम्मी को किस करने लगा.
उसने अम्मी के दूध दबाने शुरू कर दिए और उनकी कमर में हाथ फेरने लगा, उनके चूतड़ सहलाने लगा.
कुछ ही देर में उसने मेरी अम्मी को पूरी नंगी कर दिया और उनकी चूत को चाटने लगा.
विलेज़ Xxx का खेल ज्यादातर खेतों में ऐसे ही चलता है.
मेरी अम्मी की चूत पर काली झाँटें मुझे साफ दिखाई दे रही थीं और बलजीत किसी कुत्ते की तरह मेरी अम्मी की चुत चाट रहा था.
मेरी अम्मी और बलजीत एक-दूसरे के साथ गन्ने के खेत में मजे ले रहे थे और मैं कुछ दूर पर खड़ी होकर यह सारा नजारा देख रही थी.
फिर बलजीत ने अपनी लुंगी उतार दी.
जब मेरी अम्मी ने उसका लंड देखा, तो वे एकदम से सन्न हो गईं और हैरानी से उसका लंड देखती रह गईं.
उसका लंड बिल्कुल खुला, खतना हुआ था और बहुत मोटा करीब 8 इंच का था.
अम्मी बोलीं- आपका ये इतना बड़ा क्यों है? सबका तो छोटा होता है!
मेरी अम्मी की इस बात पर बलजीत हंस पड़ा और बोला- सबका छोटा नहीं होता, सिर्फ आपके शौहर का छोटा है. अब बताइए आप शेरनी हैं या इसे देखकर डर लग रहा है?
अम्मी बोलीं- आप मुझ जैसी औरतों को कमजोर समझ रहे हैं? आपका और मेरा जो भी होगा, वह सिर्फ एक बार होगा … और उसके बाद आपको मेरा गुलाम बनकर रहना पड़ेगा!
बलजीत मुस्कुराया और बोला- हां मंजूर है! अभी इसे मुँह में ले लो!
अम्मी बोलीं- नहीं, मैं मुँह में नहीं लूँगी … आपको जो करना है, जल्दी करो और दिखाओ कितना दम है!
यह बात सुनकर बलजीत ने अम्मी की टांगें उठा दीं और अपने लंड को उनकी चूत पर लगाकर थूक लगाया और लंड अन्दर डाल दिया.
पहले झटके में लंड फिसल कर ऊपर चला गया.
बलजीत बोला- आपकी तो अभी से फट रही है, चूत लंड लेने के लिए तैयार है या डर के मारे मुँह नहीं खोल रही है?
अम्मी को उसकी इस बात पर गुस्सा आ गया. उन्होंने अपना हाथ उसके लंड पर लगाकर अपनी चूत पर रख कर बोलीं- लो अब दिखाओ दम, डालो!
जैसे ही बलजीत ने झटका दिया, लंड चूत को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया.
मेरी अम्मी एकदम दर्द से ‘आआह फट गई आह …’ चिल्ला पड़ीं.
फिर बलजीत बोला- भाभी जी, अभी भी वक्त है … हार मान लो, नहीं तो आपकी चुत पूरी फट जाएगी!
अम्मी दर्द से कराहती हुई उसे गाली देती हुई बोलीं- चुपचाप अपना काम कर साले मादरचोद!
गाली सुनकर बलजीत को गुस्सा आ गया.
उसने अपना पूरा लंड एक बार में अम्मी की चुत में जड़ तक डाल दिया.
अम्मी ‘आआह ह उईईई … मर गई!’ चीख पड़ीं और बोलीं- आह बलजीत, निकाल लो … आह मुझे नहीं करवाना … मैं हार मानती हूँ!
बलजीत बोला- भाभी जी, अब तो पूरा चला गया!
वह कुछ देर वैसे ही मेरी अम्मी के ऊपर पड़ा रहा.
कोई 5 मिनट बाद अम्मी का दर्द कम हुआ तो वे बलजीत से बोलीं- बलजीत तुम्हें झेलना मुश्किल है … जल्दी से अपना काम निपटाओ और मुझे जाने दो!
अम्मी को लगा कि बलजीत बस 5-10 मिनट में झड़ जाएगा.
पर बलजीत ने एक बार चोदना शुरू किया तो करीब 20 मिनट तक बिना रुके चोदा.
अम्मी की कातर भाव से आवाजें निकलती रहीं- आआह ओई … बलजीत मर गई मैं आह बलजीत आराम से … आह तेज नहीं करो आह आराम से ओह्ह … धीरे-धीरे!
बलजीत ने अम्मी को 40 मिनट तक बिना रुके चोदा और फिर उनकी चूत में ही पानी छोड़ दिया.
जब उसने अपना लंड बाहर निकाला, तब भी उसका लंड खड़ा था.
अम्मी बोलीं- मेरी चूत तीन बार पानी छोड़ चुकी है, तुम बहुत ताकतवर इंसान हो. काश तुम मेरे शौहर होते!
बलजीत हंस रहा था.
फिर अम्मी बोलीं- हां तो अब बताओ, तुम मेरे गुलाम हो?
बलजीत बोला- नहीं, क्योंकि आप शर्त हार गईं, आपने तो बीच में ही मना कर दिया था कि निकाल लो … मुझे नहीं चुदना!
अम्मी बोलीं- चलो, ठीक है … मैं हार गई!
अब अम्मी ने बलजीत के लंड को हाथ में पकड़ा और चूम लिया.
इसके बाद उन दोनों ने कपड़े पहने और खेत से बाहर आ गए.
मैं भी बाहर आ गई.
मैंने देखा कि अम्मी लंगड़ा कर चल रही थीं.
मैंने पूछा- अम्मी आपको क्या हुआ? आप ऐसे क्यों चल रही हैं?
अम्मी ने बलजीत की तरफ देखा, फिर मुस्कुराकर बोलीं- कुछ नहीं बेटा, आज तेरे बलजीत चाचा के ट्रैक्टर पर बैठना भारी पड़ गया!
बलजीत हंस दिया और चला गया.
मैं और अम्मी खेत में काम करने लगी.
फिर दोपहर को घर आई.
आज बलजीत हमें रास्ते में नहीं मिला.
अगले दिन दोपहर में हमें बलजीत मिला और हम उसके ट्रैक्टर पर बैठ गए.
लेकिन आज उसके साथ ट्रैक्टर पर एक और आदमी भी था.
फिर बलजीत ने ट्रैक्टर चलाना शुरू किया और चल पड़ा.
रास्ते में बलजीत ने कहा- भाभी जी और बताएं, ट्रैक्टर की सवारी कैसी लगी आपको?
उसने अम्मी को अपना मोबाइल नंबर एक कागज़ पर लिखकर दे दिया.
अम्मी ने उसे पकड़ लिया.
हम दोनों घर आ गए.
उस जमाने में नोकिया के फोन हुआ करते थे, कीपैड वाले.
घर में अम्मी ने पापा से कहा- आज रात को जब आप ड्यूटी पर जाएं, तो मोबाइल छोड़ जाइएगा. मुझे अपने घर बात करनी है!
पापा ने उनकी बात मान ली.
फिर रात को सोते वक्त अम्मी ने बलजीत को फोन लगाया.
उधर से बलजीत बोला- बोलो मेरी जान, इतनी रात में कैसे याद आ गई?
अम्मी बोली- तुम्हें कोई शर्म-वर्म नहीं है क्या … तुम उस आदमी के सामने कैसी बातें कर रहे थे … बताओ, क्या कहना चाह रहे थे?
बलजीत बोला- मेरी जान, उस आदमी से क्या डरना? वह तो मेरे साथ ही काम करता है. तू बता, तुझे मेरी चुदाई कैसी लगी?
अम्मी बोली- हाय, बहुत अच्छी लगी … क्या तुम अभी मेरे घर पर आ सकते हो?
बलजीत बोला- क्यों नहीं, अभी आ जाता हूँ. कोई है तो नहीं घर पर?
अम्मी बोली- सिर्फ मेरी बेटियां हैं. शौहर अपनी ड्यूटी पर गया है. जल्दी आ जाओ!
बलजीत रात के 11:00 बजे आया.
अम्मी ने शायद पहले ही दरवाजा खोल रखा था.
फिर वे बलजीत को लेकर कमरे में चली गईं और दरवाजा बंद कर लिया.
मैंने उठकर देखा तो दरवाजा बंद मिला.
बस कमरे से ‘आआह आह ओई … बलजीत … ओओह … आआह … आह्ह्ह …’ की आवाजें आ रही थीं.
फिर ‘फट-फट’ की आवाजें आती रहीं.
अम्मी बोल रही थीं- बलजीत, अब तो मैं तुम्हारी गुलाम बन गई हूँ … आह चोदो मुझे … जी भरकर चोदो … चोदो मेरे असली शेर … तुम सच में एक असली मर्द हो आह तुमने तो मुझे अपने लंड का गुलाम बना लिया है!
पता नहीं कब तक उनकी चुदाई चली.
मैं जाकर सो गई.
अगले दिन सुबह अम्मी मुझे खेत पर ले गईं.
दोपहर में हमें फिर से बलजीत मिला और हम ट्रैक्टर पर बैठकर घर आ रहे थे.
अम्मी बोलीं- आज रात को कितने बजे आओगे?
इस पर बलजीत बोला- तू तो रंडी बन गई, मैं अब नहीं आऊंगा!
अम्मी ने बलजीत से कहा- क्यों, क्या हुआ?
बलजीत बोला- अगर मैं आऊंगा तो मेरे साथ एक और आदमी है. दोनों से चुदेगी तो बता, वरना अपने काम से काम रख!
अम्मी कुछ नहीं बोलीं और घर आ गईं.
ऐसे ही कुछ दिन गुजर गए.
एक दिन अम्मी और पापा की लड़ाई हो रही थी.
पापा बोल रहे थे- तुझे तो बस इसी की पड़ी रहती है, मुझे और भी बहुत सारी फिक्र हैं. मैं सारी रात चौकीदारी करता हूँ और दिन में बहुत काम रहते हैं. तू भी अपने काम में मन लगा!
फिर एक दिन अम्मी को रास्ते में बलजीत मिला.
उसने ट्रैक्टर पर बैठने को कहा.
पर अम्मी ने मना कर दिया.
ऐसे ही दिन गुजर रहे थे.
अब हम दोनों दोपहर को हर रोज पैदल आते.
बलजीत भी हमें कुछ नहीं बोलता.
फिर एक दिन अम्मी ने बलजीत को आवाज देकर ट्रैक्टर रुकवाया और बोलीं- क्या हुआ? अब तो आप हमें भूल ही गए!
बलजीत बोला- मैं नहीं भूला, अगर भूल जाता तो कभी भी एक आवाज पर नहीं रुकता!
अम्मी बोलीं- छोड़ो पुरानी बातें … अब बताओ, आज रात को आ रहे हो या नहीं?
बलजीत बोला- अब मैं काम में ज्यादा बिजी हूँ. ऐसा करो, कल अपने खेत पर मिलो!
अम्मी ने हां बोल दिया क्योंकि बलजीत ट्रैक्टर-ट्रॉली से मिट्टी ढोता था.
इसीलिए वह हर दिन हमें आते-जाते एक ही समय पर मिलता था.
अगले दिन दोपहर को बलजीत हमारे खेत पर आ गया.
वह ट्रैक्टर लेकर आया था और उसके साथ एक और आदमी था.
उसने ट्रैक्टर हमारे खेत में खड़ा किया और अपने साथी से बोला- चल आरिफ़ … पहले थोड़ी घास काट ले!
फिर उन दोनों ने घास काटकर ट्रॉली में डाली और अम्मी को ट्रॉली में लेकर चढ़ गया.
अम्मी बोली- मेरी बेटी है सामने!
बलजीत बोला- तो क्या हुआ? यह भी कभी न कभी तो चुदवाएगी ही!
उसने अम्मी के कपड़े निकाल दिए.
फिर अपने भी कपड़े उतारे और नंगा हो गया.
फिर उसने अपना लंड अम्मी के मुँह में देना शुरू किया.
अम्मी मना करने लगीं.
बलजीत बोला- अगर लंड नहीं चूसेगी तो चुदाई भी नहीं होगी!
फिर अम्मी ने लंड मुँह में लिया.
दूसरा आदमी भी अम्मी के पास आ गया और अम्मी की चूत में उंगली करने लगा.
क्योंकि अम्मी ने बलजीत के आगे हार मान ली थी इसलिए अब उसे दो लोगों से चुदना था.
वह आदमी, जिसका नाम हरनाम था … अम्मी की चूत चाटने लगा और अम्मी बलजीत का लंड चूस रही थीं.
ऐसे ही अम्मी हरनाम से अपनी चूत चटवाती हुई, लंड मुँह से निकाल कर बोलीं- बलजीत अब करो वही!
इस पर बलजीत बोला- आज पहले तू हरनाम भाई से चुद ले.
फिर हरनाम ने अपनी लुंगी से लंड निकाला.
मैंने देखा कि वे लोग ज्यादातर लुंगी पहनते थे या कुर्ता-पजामा … और अंडरवियर नहीं पहनते थे.
हरनाम ने अपना लंड अम्मी के मुँह के पास किया तो अम्मी बोलीं- बलजीत, मैं इनका मुँह में नहीं लूँगी!
बलजीत बोला- तेरी मां की चूत रंडी, ज्यादा नाटक मत कर … चुदना हो तो चुद, वरना अपनी बहन चुदा!
अम्मी ने हरनाम का लंड मुँह में लिया और चूसने लगीं.
अब बलजीत अम्मी की चूत चाटने लगा.
फिर अम्मी बलजीत के मुँह में ही एक बार झड़ गईं.
अम्मी बोलीं- अब चोदो न, बहुत दिन हो गए बिना चुदे!
बलजीत ने हरनाम से कहा- हरनाम भाई, आप चोदो पहले … मैं तो इसे कई बार चोद चुका हूँ!
फिर हरनाम ने अम्मी को ट्रॉली का किनारा पकड़ कर झुकने को कहा.
अम्मी नंगी ही झुक गईं.
हरनाम ने अम्मी की चूत पर लंड रखा और एक बार में ही पूरा घुसा दिया.
अम्मी चीख पड़ीं- आआह … ईईई … मर गई … आराम से भाई … आपका तो बहुत बड़ा है!
हरनाम बोला- मेरी जान, हम लोगों का लंड ऐसा ही होता है … एकदम बड़ा और मजबूत … देखना तुम अब रोज चुदोगी हम दोनों से!
बस यह बोलकर उन्होंने मेरी अम्मी की ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी.
अम्मी के मम्मों को नोंचते हुए हरनाम उन्हें तेज तेज चोदने लगा.
अम्मी मजे और दर्द में सिसकारी ले रही थीं- ओओह … आआह … ईईई … चोदो … आराम से पेलो हरनाम … आह फाड़ दो आज … मर गई … मजा आ गया!
इसी तरह हरनाम ने बहुत देर तक चोदने के बाद अम्मी की चूत में अपना पानी निकाल दिया और उसके बाद भी वह अपना लंड पेले हुए अम्मी को चोदता रहा.
अम्मी बोलीं- हरनाम अन्दर क्यों निकाल दिया?
हरनाम उनके दूध मसलते हुए बोला- मेरी जान, तू एक बच्चा तो रख ही सकती है हमारा!
अब वह अपना लंड निकाल कर एक ओर हट गया.
उसके बाद बलजीत अम्मी को चोदने लगा.
हरनाम का वीर्य अम्मी की चूत को पहले ही गीला रखा था इसलिए बलजीत का लंड आराम से चूत में चला गया.
अम्मी ‘आआह … आह्ह्ह … आह्ह्ह …’ करती हुई दोपहर में खेत में ट्रॉली में चुदती रहीं.
अम्मी बोलीं- तुम दोनों असली मर्द हो … आह्ह्ह… चोदो चोदो!
वे झड़ गईं.
बलजीत भी झड़ गया.
फिर हम सब घर की तरफ चल पड़े.
इस तरह से मेरी अम्मी ने विधर्मी लंड वालों से खूब चुदवाया और वे अब मस्त मादक छिनाल औरत हो गई थीं.
आपको मेरी यह सच्ची विलेज़ Xxx कहानी कैसी लगी, प्लीज जरूर बताएं.
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लेखक की पिछली कहानी थी: अनजान बनकर अंधेरे में चूत चुदाई का मजा
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