कविता की गालियों भरी चूत चुदाई
कॉलेज के दिनों में याहू चैट पर मुझे एक शादीशुदा युवती मिली, बातें हुई और एक दिन मॉल में मिले, घूमे फ़िरे। कुछ दिन बाद उसने मुझे अपने घर बुलाया
हिंदी सेक्सी स्टोरीज जानबूझ कर अंग प्रदर्शन नंगी चूची, नंगी बुर, शरीर दिखा कर उत्तेजित करने व सेक्स के लिए लुभाने की कहानियाँ
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कॉलेज के दिनों में याहू चैट पर मुझे एक शादीशुदा युवती मिली, बातें हुई और एक दिन मॉल में मिले, घूमे फ़िरे। कुछ दिन बाद उसने मुझे अपने घर बुलाया
मैं ट्यूशन पढ़ने मारवाड़ी मास्टर के घर जाता था, उसकी बीवी काफ़ी युवा थी, सेक्सी थी। एक दिन वो बाथरूम से सिर्फ़ पेटिकोट चूचियों पे बान्धे निकली। उसकी गोरी टाँगें…
मैं महिलाओं की पोशाक सिलता हूँ. एक दिन एक युवती मेरे पास कुछ कपड़े सिलवाने आई. उसके पास नाप के कपड़े नहीं थे तो मैं उसे अन्दर वाले कमरे में ले गया नाप के लिए...
मैं निर्मला संग नदी के घाट पर नंगी औरतों को देखने गया, झाड़ी के पीछे छिप कर हम चुदाई करने लगे साथ ही घाट पर देखा तो एक नई दुल्हन अपना ब्लाऊज उतार रही थी..
निशी आन्टी जानबूझ कर मुझे अपना बदन दिखा रही थी कि उन्होंने मुझे उनकी ब्रा का हुक बन्द करने बुलाया। फ़िर मन्जू आन्टी से फ़ोन पर बातें और अडल्ट चुटकुले शुरु हुए।
मैं एक दुकान से सिगरेट लेता हूँ, उस दुकान को एक आन्टी सम्भालती हैं। एक दिन आन्टी ने अपना फ़ोन नम्बर देकर बात करने को कहा। उसने प्यार की बात की तो मैंने चूत की बात कर दी…
मैं मां के सोते हुए उसके पेटिकोट में झांक रहा था, माँ जाग गई और मेरी लालसा को जानकर यह कहते हुए कि 'चल मैं ही दिखा देती हूँ' वो अपने कपड़े उतारने लगी।
पड़ोसन युवती से मैंने अपने दिल की इच्छा बताई, वो मान गई और नंगी हो गई लेकिन उसने नौकर को बुला कर अपना बदन चटवाया। अगले दिन वो मेरे घर अपना वादा पूरा करने आई
रात को छत पर मैंने माँ की मिन्नतें की चूत दिखाने के लिए, वो ना मानी और तभी बारिश शुरु हो गई… नीचे आकर मैंने माँ को फ़िर से कहा लेकिन वो मेरी मुठ मारने लगी।
मेरे पड़ोस में एक परिवार आया उनमें एक नवयौवना भी थी. पहली ही रात मुझे खिड़की से उसके हसीं बदन के दीदार हो गए, वो नाईट लोशन लगा रही थी.. मैंने उनसे दोस्ती बनाई
मेरी एक गर्लफ्रेंड गर्ल्स हॉस्टल में रहती थी, मैं हॉस्टल के किस्से बड़ी दिलचस्पी लेकर सुनता था। उन्हीं में से एक किस्से को आपको पेश कर रहा हूँ, मज़े लीजिये।
मुझे उम्मीद थी कि रात को सोते समय माँ मुझे काफी कुछ करने दे सकती है, मज़ा दे सकती है. जब हम छत पर सोने गए तो माँ भी मेरे पास ही आकर लेट गई थी लेकिन...
शाम होते-होते हम अपने घर पहुंच चुके थे। कपड़ों के गठर को ईस्तरी करने वाले कमरे में रखने के बाद, हमने हाथ-मुंह धोये और फिर माँ ने कहा कि बेटा चल कुछ खा-पी ले। भूख तो वैसे मुझे कुछ खास लगी नहीं थी (दिमाग में ज़ब सेक्स का भूत सवार हो तो भूख तो वैसे […]
हमने काफी दिन से ग्रुप सेक्स नहीं किया था तो मैंने अपनी बीवी से पूछा कि किसी नए लंड से चुदना है? तो उसने अपने चचेरे भाई का नाम लिया.. हमने उसे बुला लिया..
मैं अपनी मौसी के घर गया तो मौसी-मौसा दोनों काम पर जाते थे और उनका बेटा स्कूल... मौसी की बेटी शिल्पा जो मेरे से एक साल बड़ी थी, हम दोनों घर में अकेले रहते थे... एक दिन शॉपिंग के बाद शाम को मौसी का बेटा ट्यूशन चला गया और शिल्पा नहाने गई, वो तौलिया लपेट कर बाहर आई तो मैं सिर्फ चड्डी में बाथ रूम में नहाने के लिए तैयार था.. उसे देख कर मेरा बदन गर्म हो गया...
माँ ने मेरा हाथ अपनी चूचियों पर रख लिया…फिर पता नहीं क्या सोच कर वो बोली- ठीक है, मैं सोती हूँ यहीं पर…
उत्तेजना वश मैं माँ की चूचियों पर हाथ फ़िराने लगा और मेरा दूसरा हाथ अपने लण्ड पर था।
माँ जाग गई और मेरे खड़े लण्ड को हाथ में ले कर हिलाने लगी और मीठी डाँट पिलाने लगी। माँ लगातार मेरे खड़े लण्ड के बारे में बात कर रही थी।
माँ कपड़े को नदी के किनारे नहाने लगी… माँ के दांतों से उसका पेटिकोट छुट गया और सीधे सरसराते हुए नीचे गिर गया और उसका पूरा का पूरा नंगा बदन एक पल के लिये मेरी आंखों के सामने दिखने लगा।
बाद में खाना खाने के बाद माँ पूछने लगी कि उसे नंगी देख कर मुझे कैसा लगा… फ़िर उसने मेरा हाथ अपनी चूचियों पर रख लिया…
खुद कहानी पढ़ कर मज़ा लीजिए...
मैं दिल्ली में भूखा प्यासा थका हारा एक घर के बाहर दीवार के पास बैठ गया और सो गया... आँख खुली तो देखा मेरे इर्द-गिर्द चार-पाँच लड़कियाँ खड़ी मुझे झकझोर रही थी।
जब माँ कपड़े को नदी के किनारे धोने के लिये बैठती थी, तब वो अपनी साड़ी और पेटिकोट को घुटनों तक ऊपर उठा लेती थी... एक दिन हम दोनों ने कपड़े धो लिये और सारा काम निपटा कर नहाने लगे… माँ के दांतों से उसका पेटिकोट छुट गया और सीधे सरसराते हुए नीचे गिर गया और उसका पूरा का पूरा नंगा बदन एक पल के लिये मेरी आंखों के सामने दिखने लगा। खुद कहानी पढ़ कर मज़ा लीजिए...
हमारा काम धोबी का था, माँ देखने में बहुत सुंदर है, जब माँ कपड़े को नदी के किनारे धोने के लिये बैठती थी, तब वो अपनी साड़ी और पेटिकोट को घुटनों तक ऊपर उठा लेती थी... घर में भी कपड़े इस्तरी करते वक्त माँ अपना पेटिकोट ऊपर उठा कर पसीना पौंछती तो मुझे उसकी नंगी जांघों के बीच का नज़ारा देखने को मिल जाता… खुद कहानी पढ़ कर मज़ा लीजिए...