जिस्मानी रिश्तों की चाह -24
आपी ने अपना हाथ डिल्डो की तरफ बढ़ाया और अपने लेफ्ट हैण्ड की मुट्ठी में उसे थाम लिया और उठा कर अपना राईट हैण्ड की नर्मी से डिल्डो की पूरी लंबाई पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर फेरने लगीं।
हस्तमैथुन, हाथ से लौड़ा हिलाना, मुठ मार कर अपनी वासना शांत करने की कहानियां, लड़कियों के अपनी चूत में उंगली से मजा लेने की स्टोरीज Hand Practice
आपी ने अपना हाथ डिल्डो की तरफ बढ़ाया और अपने लेफ्ट हैण्ड की मुट्ठी में उसे थाम लिया और उठा कर अपना राईट हैण्ड की नर्मी से डिल्डो की पूरी लंबाई पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर फेरने लगीं।
आपी सोफे पर कुछ लेटी.. कुछ बैठी सी हालत में ज़मीन पर पाँव फैलाए.. थोड़ी सी टाँगें खुली हुईं और ठीक टाँगों के दरमियान वाली जगह पर सलवार के ऊपर गुलाबी खूबसूरत हाथ.. आपी बिल्कुल परी लग रही थीं।
मैं भी धड़ल्ले से बोली- वो मैं सम्भाल लूंगी, तुम बेफिक्र रहो! लेकिन उस रात भाभी को चोदने के बाद तुम मुझको आखिरी बार ज़रूर उसी कमरे में चोदोगे, वायदा करो??
मैंने आपी को देखा.. वो बहुत ज्यादा बेचैन नज़र आ रही थीं.. बार-बार अपनी पोजीशन चेंज कर रही थीं, शायद वो अपनी टाँगों के दरमियान वाली जगह को अपने हाथ से रगड़ना चाह रही थीं..
आपी का भी एक हाथ टाँगों के दरमियान और दूसरा उनके एक उभार पर था.. फिर आहिस्तगी से उन्होंने अपनी सलवार से ही अपनी टाँगों के बीच वाली जगह को साफ किया और फिर सीधी बैठीं!
जैसे-जैसे दास्तान आगे बढ़ती जा रही थी आपी की बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी। वो कभी टाँगों को आपस में भींचती थीं तो कभी अपनी दोनों रानों को एक-दूसरे से रगड़ देती थीं..
जब आपी ने देखा तो उनकी ब्रा मेरे बायें हाथ में थी और मैं कप के अन्दर ज़ुबान फेर रहा था। मैंने आपी को देखा लेकिन अब मैं अपनी मंज़िल के बहुत क़रीब था इसलिए अपने हाथ को रोक नहीं सकता था।
मौसा के आने के पहले मौसी नहाने चली गईं.. क्योंकि आज रात को चूत लंड की लड़ाई होने वाली थी। उसके बाद वो पूरी शिद्दत से चुदने के हिसाब से तैयार हुईं और नेट की हल्की और पारदर्शी साड़ी पहनकर मौसा का लंड लेने के लिए तैयार हो गईं।
मैंने अपने हाथ से अपने लण्ड को पकड़ा और आहिस्तगी से सहलाते हुए उठ बैठा और आपी को कहा- मैं आपके दूध बगैर कपड़ों के नंगे देखना चाहता हूँ..
मेरी बड़ी बहन.. मेरी आपी.. अपने राईट हैण्ड से की बोर्ड को कंट्रोल कर रही थीं और लेफ्ट हैण्ड की 2 उंगलियों से उन्होंने अपने लेफ्ट मम्मे के निप्पल को पकड़ रखा था और उसे चुटकी में मसल रही थीं।
एक बार नहाते हुए लिंग पर साबुन लगाते समय मुझे गुदगुदी सी महसूस हुई। मैंने उसे और रगड़ा तो मुझे और अच्छा लगा। मैंने अपने दोस्त से पूछा तो उसने मुझे बताया।
मैं और मेरा दोस्त रिंकू, नई नई जवानी चढ़ी थी तो ज़्यादा बातें तो सेक्स की ही होती थी, किस के चूचे बड़े हैं, किसकी गांड बड़ी है, बस सारा दिन इसी चक्कर में उलझे रहते थे।
मैंने सोचा कि क्या होगा अगर मेरे पास एक लड़का और एक लड़की हो.. तो मैं चोदने के लिए किसे तरजीह दूँगा। फ़ौरन ही मेरे जेहन ने मुझे बता दिया कि मैं 'गे' नहीं हूँ। मैं हमेशा लड़की को चुदाई के लिए तरजीह दूँगा..
उस वक़्त मेरी उम्र 19 साल थी। मैं सेक्स के मामले में बिल्कुल पागल था। चौबीस घंटे मेरे जेहन में सिर्फ़ सेक्स ही भरा रहता था। मैं हर वक़्त सेक्स मैगजीन्स की तलाश में रहता था।
मेरी बुआ बहुत खूबसूरत और सेक्सी हैं, उनके चूतड़ बहुत बड़े और उभरे हुए हैं। एक बार वो हमारे घर आई तो मैंने उन्हें कमरे में अपने बदन से खेलेते देखा। फ़िर उनके घर गया तो बुआ फ़ूफ़ा जी की चुदाई देखी।
अंकल ने भी मुझे खूब ज़ोर से अपने से भींच लिया और मेरी कमर और मेरे चूतड़ों पर अपने भारी हाथ फेरने लगे। मैं पहली बार किसी मर्द के इतना क़रीब उस के बाजुओं में सिमटी हुई झड़ी थी।
मैं ख़यालों में अंकल के सीने लग गई.. उनकी भरी-भरी गुदाज़ छाती के खूब सुर्ख लाल निपल्स को मुँह में लेकर चूसने लगी.. तो अंकल मुझे ज़ोर से अपने से भींचने लगे।
मकान मालिक जॉब दूर लगी तो उनकी नवविवाहिता पत्नी घर में उदास रहती थी। मेरी नजर तो पहले दिन से ही भाभी पर थी। एक दिन मैंने भाभी को बैंगन से चूत चोदते देखा।
राजीव ने अपना लंड कामिनी की गांड में घुसा दिया। कामिनी दर्द से चीखी और अलग होने की कोशिश करने लगी। तब तक मैं कामिनी की चूत को अपने लंड के पास ले आया था और कामिनी को नीचे झुका कर अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
ट्रेन में मिली एक लड़की मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी, जब सब सो गये तो उसने मुझे अपनी बर्थ पर बुला लिया। धीरे धीरे हमारे बदन छू गये और हम दोनों अन्तर्वासना की आग में जलने लगे।