मेरा गुप्त जीवन -25
मैं निर्मला संग नदी के घाट पर नंगी औरतों को देखने गया, झाड़ी के पीछे छिप कर हम चुदाई करने लगे साथ ही घाट पर देखा तो एक नई दुल्हन अपना ब्लाऊज उतार रही थी..
खुले स्थान पर जैसे छत पर, समुद्र तट या बाग बगीचे में चुदाई की कहानियाँ
Khuli jagah par jaise garden, beech, road side, chhat par chudai ki kahaniyan
Stroies about sex fucking in the garden, at the beech, or on the roof
मैं निर्मला संग नदी के घाट पर नंगी औरतों को देखने गया, झाड़ी के पीछे छिप कर हम चुदाई करने लगे साथ ही घाट पर देखा तो एक नई दुल्हन अपना ब्लाऊज उतार रही थी..
मेरे पति बिजनेस मैन हैं, हमारे पास सब कुछ है, मेरे पति के अपने स्टाफ़ की लड़कियों से शारीरिक सम्बन्ध है, मैंने इस बारे में बात की तो कहने लगे- ज़िन्दगी बहुत छोटी है और हमें इसे एन्जॉय करना चाहिए..
चम्पा नई नौकरानी निर्मला को लाई, मेरे काम पर लगाने से पहले ही उसने उसको सब समझा दिया था.. कॉलेज जाने के दस दिन थे, इन दस दिनों में मैंने पूरी चुदाई की., निर्मला ने पानी गांड चुदाई की बातें भी बताई !
मैं माँ की चूचियाँ मसल रहा था, माँ मेरे लौड़े को सहला कर मुठ मार रही थी… जब मैंने मां से कहा कि मेरा निकलने वाला है तो मां ने मेरा सुपारा अपने मुख में भर लिया
कम्मो, एक जवान विधवा, मेरी नौकरानी थी, उसने मुझे चुदाई करना सिखाया... मुझको चोदना काफी हद तक आ चुका था और मेरा मुझ पर कंट्रोल भी अब पूरा हो चुका था। मेरा लंड भी 6-7 इंच का हो गया था और उसकी मोटाई भी काफी बढ़ गई थी। एक दिन मैं घोड़ों के अस्तबल गया तो वहाँ के रखवाले ने मुझे घोड़ी हरी करने का नजारा देखने बुलाया तो कम्मो के कहने पर मैं घोड़े घोड़ी की चुदाई देखने गया… उसके बाद क्या हुआ… कहानी पढ़ कर मज़ा लें...
हमारा पारिवारिक काम धोबी का था, मैं माँ के साथ नदी किनारे कपड़े धोने जाते थे... माँ देखने में बहुत सुंदर है, इस कारण गाँव के लोगों की नजर भी उसके ऊपर रहती होगी, ऐसा मैं समझता हूँ। जब माँ कपड़े को नदी के किनारे धोने के लिये बैठती थी, तब वो अपनी साड़ी और पेटिकोट को घुटनों तक ऊपर उठा लेती थी... खुद कहानी पढ़ कर मज़ा लीजिए...
मेरे फ़ोन पर एक एस एम एस आया- हाऊ आर यू? मैं दिव्या हूँ.. आपकी एक दोस्त है रीना.. मैं उसकी सहेली हूँ.. मैं आपसे दोस्ती करना चाहती हूँ.. आप मुझे दोस्ती करोगे?
मुझे लगा कि चलो दोस्ती ही सही..
फिर हम लोग रोज बात करने लगे। धीरे-धीरे उसके मैसेज से लगने लगा था कि वो मुझसे प्यार करने लगी थी..
कहानी पढ़ कर देखिए कि वो कैसे चुदी!
मैं मौसी के घर रह रहा था.. एक रात मौसी मुझे मौसा जी समझ कर मुझसे चुद गई, अब वो पूरी तरह से तैयार थीं मुझसे चुदाने को... एक दिन मौसाजी और उनकी बेटी को बाहर जाना था, तो घर में मैं और मौसी दोनों अकेले थे... उस रात मैंने मौसी को अपनी दुलहन बना कर सुहागरात मनाई... कहानी में पढ़िए कि क्या हुआ…
मैं मामा जी के घर था, मामा की मीनू मामा का खाना लेकर जा रही थी कि मामी ने मुझे कहा- तुम मीनू के साथ खेतों में खाना देने चले जाओ! मीनू का पैर रास्ते में मेड़ से फिसल गया और उसे मोच आ गई, घुटने मे दर्द बताने लगी, मैंने उसकी सलवार घुटने से ऊपर कर दी, मैं उसका घुटना सहलाने लगा, उसका घुटना बहुत ही सैक्सी था। मैंने एक बार उसका गोरा चेहरा देखा जो बिल्कुल लाल हो चुका था… कहानी पढ़ कर मजा लीजिए खेतों में कुंवारी चूत की चुदाई का…
हम दो जुड़वाँ बहनें हैं, खुशबू मुझसे सिर्फ 2 मिनट बड़ी है, हम दोनों की शक्ल, सूरत, जिस्म के आकार बिल्कुल एक से हैं। खुशबू की शादी उसके प्रेमी से ही हुई जिसे मैं भी चाहती थी... जीजू की कामुक निगाहें मैं पहचानती थी और अपनी अन्तर्वासना वश मैं उन्हें शरारतें करने से नहीं रोकती थी... कहानी पढ़ कर जानिये कि जीजू की इन्हीं शरारतों ने क्या गुल खिलाये...
बुआ जी के घर में पार्टी में मेरी मुलाक़ात उनकी बेटी की सहेली से हुई... वो इतनी सेक्सी दिख रही थी कि दिल में आया कि यहीं लिटा कर इसकी चूत चोद दूँ.. पार्टी के बाद हम पकड़म पकड़ाई खेलने लगे तो जब भी मैं उसे पकड़ने लगता तो वो बोलती- हम आपके हैं कौन! आखिर मैंने उसे पकड़ ही लिया और कहा- अब बताता हूँ कि मैं हूँ कौन...
यह कहानी नहीं है.. मेरे जीवन की एक सच्ची घटना है.. जिसको मैंने कहानी के रूप में पिरो कर आप सभी के सामने पेश करने की कोशिश की है.. यह कुछ वक्त पुरानी बात है.. मुझे एक प्रोजेक्ट के लिए न्यूयॉर्क जाना पड़ा, यह मेरी पहली विदेश यात्रा थी। मैं प्लेन में अन्दर पहुँच गई और अपनी सीट पर बैठ गई। मुझे खिड़की के पास वाली सीट मिली थी..थोड़ी देर में मेरी बाजू वाली सीट वाला मेरा सहयात्री भी आ गया। वह मेरी ही उम्र का एक लड़का था।
चाची की उम्र 26 साल थी.. जब चाचा ने दुनिया को छोड़ दिया.. मैं उस समय 18 साल का हुआ ही था.. जब ये सब हुआ। मैं अक्सर घर पर ही रहता था.. तो कभी-कभार उन्हें छू लेता था.. कभी हाथ पकड़ना.. कभी उनके चूचों को छू लेना.. मगर वो कभी ग़लत नहीं समझती थीं। चाची को छुप-छुप कर नहाते हुए देखना.. यह मेरी रोज की कहानी थी। मैं उनके नाम की मुठ्ठ.. दिन में पता नहीं कितनी बार ही मार लिया करता था।
तृषा- नक्श.. यह क्या कर रहे हो? सब क्या सोचेंगे? मैं- यही कि हम दोनों एक-दूसरे के प्यार में पागल हैं और एक-दूसरे के बिना एक पल भी नहीं रह सकते। तृषा ने वैन में आ गई पर मुझसे दूर बैठ गई। 'मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता।' मैं- क्या..? तुम्हें इस तरह अपने साथ लाना या मेरा तुम्हें हद से ज्यादा प्यार करना?
मेरे ऑफिस में एक नई लड़की नेहा आई तो हमारी दोस्ती हो गई, बात होने लगी, फोन नम्बर लिया-दिया, फोन पर बातें हुई. एक दिन मैंने उसे मूवी चलने के लिए कहा तो वो तैयार हो गई... सिनेमा हाल में मैंने उसका हाथ पकड़ा तो उसने कुछ नहीं कहा तो मेरा हौंसला बढ़ गया और हम चूची दबाने से होते हुए चूमा चाटी तक पहुँच गए.. एक दिन मैंने उसे अपने कमरे में बुलाया तो...
उसके रेत से सने हुए जिस्म को धोते हुए हर उस जगह को भी चूमता जा रहा था। फिर उसके कूल्हों को चूमता हुआ मैंने उसके पीछे के रास्ते में अपनी ऊँगली फंसा दी। मेरी इस हरकत से वो चिहुंक कर बैठ गई और मुझे लिटा कर मेरे लिंग को अपने हाथों से सहलाते हुए मेरे जिस्म को जोर-जोर से चूमने लग गई।
मैं अपने दोस्त के साथ अमृतसर घूमने गया तो शाम को वाघा बॉर्डर भी गए, वापिसी में देर हो गई थी, सर्दी बहुत थी, ऑटो में एक आंटी भी हमारे साथ थी, उसे ठंड लग रही थी तो मैंने अपनी शाल उसे भी उढ़ा दी, हमारे बदना आपस में सट गए... आगे क्या हुआ, इस कहानी में पढ़िए...
एक यात्रा के दौरान मुझे बस में एक महिला के बगल की सीट मिली, रात होने लगी थी, मेरी झपकी लग गई तो मेरे लन्ड के आस पास हरकत से मेरी नीन्द खुली, देखा कि साथ बैठी महिला मेरी जिप खोलने की कोशिश कर रही थी…मेरा बैग मेरी जांघों पर था…
मेरा नाम अमरीक सिंह पंजाब के एक गाँव में रहता हूँ, उम्र है 22 साल और बी ए पास हूँ, गोरा चिट्टा तंदरुस्त बांका जवान हूँ, अपनी खेती बाड़ी है। एक दिन पिताजी ने बताया के हमारे चाचाजी जो इंग्लैंड में बस गए थे वो आ रहे हैं और साथ में उनकी नई बीवी भी आ रही है। तो कहानी पढ़ कर आप जान पायेंगे कि क्या हुआ इंग्लैण्ड वाली चाची के साथ...
मेरी प्रेमिका तृषा की मम्मी ने हमें सम्भोग करते देखा तो मेरा उनके घर जाना, उसका घर से निकलना बन्द हो गया। मैं तृषा से मिलने को तड़प रहा था… मैं मिला उससे… तन बदन से मिला… कुछ दिन बाद उसके मम्मी डैडी हमारे घर आए… तृषा भी मुझे मिली… इस कहानी में पढ़िए…