चूत जवां जब होती है- 3

(Chut Jwan Jab hoti hai-3)

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‘हाँ, अंकल, मैं जल्दी ही उठती हूँ न, वो मोर्निंग वाक की आदत है! अपने लिए चाय बनाई तो सोचा कि आपको भी पिला दूँ… यहाँ आकर देखा तो आप अपनी सुबह वाली कसरत कर रहे थे! हा… हा… हा!’ कहकर वो हंसने लगी।
‘कसरत? कौन सी कसरत? मैं तो अभी बिस्तर से नीचे भी नहीं उतरा!’ मैंने पूछा।
वो फिर हंसने लगी और बोली कि ‘वो देखो ना, आपके पेट के नीचे क्या खड़ा है!’

‘अच्छा, इसकी बात कर रही हो! तुम लोग भी तो रात को कसरत कर रहीं थीं, मुझे आवाजें सुनाई दे रहीं थीं तुम्हारी… वो आह.. या या.. हाँ भाभी और जल्दी जल्दी चाटो… बहुत मज़ा आ रहा है… बस मैं आने ही वाली हूँ एक मिनट में… पूरी जीभ अन्दर तक घुसा कर चाटो मेरी चूत… यह सब तुम्ही कह रहीं थीं न कल रात को?’ मैंने भी तपाक से जवाब दिया।

मेरा जवाब सुनकर उसके गाल शर्म से लाल पड़ गए और वो झट से भाग खड़ी हुई।
मैंने आराम से चाय खत्म की और फ्रेश होने चला गया, नहा कर लौटा तो सुबह की धूप कमरे में आ रही थी, नया अख़बार भी बिस्तर पर कोई रख गया था।
मैं अख़बार के पन्ने पलटता हुआ यूं ही सरसरी निगाह से उस दिन के समाचार देखने लगा, तभी आरती चाय का दूसरा प्याला और नाश्ता लेकर आ गई।

वो नहा ली थी और ताजे खिले गुलाब की तरह एकदम फ्रेश लग रही थी।
जैसे ही उसने चाय नाश्ता टेबल पर रखा मैंने उसे अपनी बाहों में ले लिया और उसके रसीले होंठों को चूसने लगा और उसके नितम्ब मुट्ठी में भर भर के उन्हें थपकी देने लगा।
आरती ने भी अपनी बाहों का हार मेरे गले में पहना दिया और मेरे चुम्बन का जवाब अपने होठों से देने लगी।

तभी मैंने गाउन के ऊपर से ही उसकी चूत मसलना शुरू कर दिया।
‘आः आह… छोड़ो ना… आप तो सुबह सुबह शुरू हो गए… छोड़ भी दो अब वत्सला आ जायेगी!’ वो बोली।
‘आ जाने दो उसे, तुम लोग रात भर से मस्ती कर रही हो नंगी होकर! मैंने देखा था खिड़की में से. अब मुझे भी थोड़ी मस्ती कर लेने दो!’ मैं बोला।
‘हाँ, वो छज्जे वाली खिड़की मैंने जानबूझ कर खुली छोड़ी थी क्योंकि मैं जानती थी कि हम लोगों की आवाजें सुनकर आप जरूर आओगे ताका झांकी करने!’ वो बोली।

‘अच्छा, तो मुझे दिखाने के लिए सब कुछ प्लान कर रखा था पहले से? इसका मतलब तुम मुझे वत्सला की नंगी जवानी दिखाना चाह रही थीं?’ मैं बोला।
‘अरे, उसकी जवानी देख के तो आप खुद फ़िदा हो चुके हो. वत्सला ने मुझे बताया था की आप कैसे बस स्टैंड पर उसकी पीठ सहला रहे थे और बार बार उसकी ब्रा के स्ट्रेप्स और हुक टटोल रहे थे।’ आरती मेरा गाल मसलते हुए बोली।

‘वो पढ़ाई में बहुत होशियार है न, अच्छे नंबर लाने की शाबासी दे रहा था उसे!’ मैंने बात बनाई।
‘रहने दो मैं सब समझती हूँ! और अभी सुबह सुबह आप उसे अपना मूसल सा लण्ड दिखा रहे थे वो?’
‘तो वत्सला ने सब कुछ बता दिया तुझे… अरे वो तो सुबह खड़ा हो गया था न सो उसे ऐसे ही सहला रहा था, इतने में वो चाय लेकर आ गई।’ मैंने सफाई दी।

‘तो वत्सला में आपका कोई इंटरेस्ट नहीं है न फिर?’ आरती ने मुझसे मुस्कुराकर पूछा।
उसका सवाल सुनकर एक पल के लिए मैं अचकचा गया कि अब क्या जवाब दूं, जबकि मैं वत्सला की चूत मारने के लिए तो कब से मरा जा रहा था क्योंकि उस जैसी शानदार लड़की मैंने जिंदगी में पहले कभी नहीं चोदी थी, चोदी क्या कभी देखी तक नहीं थी।

‘मेरी गुड़िया रानी, मेरे लिए तो तू ही काफी है. तेरे सामने तो वो कुछ भी नहीं!’ मैंने जानबूझ कर झूठ बोला।
‘अच्छा? चलो फिर जाने दो! मैं तो सोच रही थी कि अगर आपका दिल उस पर आ गया हो तो मैं कोई चक्कर चलाऊँ।’ आरती मेरी आँखों में आँखें डाल कर बोली।

मेरा दिमाग फिर लड़खड़ा गया कि अब क्या बोलूँ!
तभी मेरे दिमाग की बत्ती जली कि उधर वत्सला खुद लण्ड लेने के लिए मचल रही है और आरती उसे प्रॉमिस भी कर चुकी है कि वो आज रात उसकी चूत को लण्ड दिलवा देगी। अब यहाँ लण्ड तो मैं ही दे सकता हूँ वत्सला की चूत को… इतना सोच के मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ गया और मैं बहुत ही संभल कर आरती से बात बनाई- अच्छा ठीक है अगर तुम कहती हो तो वत्सला की भी ले लूंगा…’ मैं बुझे मन से बोला।

मेरी बात सुन कर आरती ने मुझे हैरत से देखा, शायद उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैं वत्सला जैसी शानदार, जगमग करती हुई, कान्वेंट एजुकेटिड, हाई प्रोफाइल, कुंवारी, अनचुदी लड़की को चोदने में मैं आनाकानी कर रहा हूँ।
मित्रो, इतना तो तय था कि वत्सला की चूत मुझे आज ही रात को मिलने वाली थी. परन्तु मैं अपने पत्ते अपने हिसाब से खेल रहा था। चूत लण्ड का मुकाबला तो जैसा हुआ वो आप सब को बताऊँगा ही लेकिन अभी फिलहाल मुझे यह देखना था कि मेरे इंकार करने के बाद आरती कैसे प्रतिक्रिया करती है।

‘अरे, मैं कुछ नहीं कह रही, मैं तो बस आपका मन टटोल रही थी कि अगर आपका दिल वत्सला पर आ गया हो तो…?’ आरती ने बात को अधूरा छोड़ा और मेरी आँखों में झाँकने लगी।
मैंने उसे अपनी ओर खींच लिया और मैं उसका निचला होंठ अपने होठों में लेकर चूसने लगा।
मेरे लण्ड ने तुरंत रियेक्ट किया और वो तन गया, मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर लण्ड को शॉर्ट्स से बाहर निकाल कर आजाद कर दिया और आरती के मम्मे दबाने लगा।

‘आरती… इसे चूस दो न कुछ देर!’ मैं बेताबी से बोला और अपना लण्ड आरती को पकड़ा दिया।
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‘धत्त, मैं नहीं चूसती सुबह सुबह! अभी हम लोगों को मंदिर जाना है पूजा करने!’ आरती मेरा लण्ड दबाते हुए बोली।
‘गुड़िया रानी, सिर्फ पांच मिनट चूस दे न प्लीज… देख यह कैसे मचल रहा है तेरी मुट्ठी में!’ मैंने उसका गाल चूमते हुए कहा।
‘अरे कहा न सुबह सुबह नहीं, अच्छा, एक बात गौर से सुनो!’ आरती फुसफुसाती हुई बोली।

‘आज वत्सला का बर्थ डे है, आज शाम को वो पूरे अट्ठारह साल की हो जायेगी। अभी मैंने उसकी चूत क्लीन शेव करके उसे नहाने भेजा है, वो आती ही होगी, फिर हम लोग मंदिर जायेंगे पूजा करने और फिर रात को कुछ न कुछ सेलिब्रेट करेंगे।’

हाँ, आप वत्सला को कुछ मत बताना कि उसका बर्थ डे है आज क्योंकि उसे याद नहीं है, उसे सरप्राइज देना है शाम को!’ उसने मुझे बताया।

वत्सला की झांटें बनाने वाली और उसके बर्थ डे वाली बात सुनकर मेरे लण्ड ने एक जोरदार ठुमका लगाया और मेरा सुपाड़ा फूल कर कुप्पा हो गया।
आरती ने मेरे लण्ड की उछाल को गौर से देखा और फिर मुस्कुरा दी, शायद उसका तीर निशाने पे लगा था- क्यों बड़े पापा, देखा ना, वत्सला की चिकनी चूत की बात सुनकर आपका लण्ड कैसे बेकाबू होकर जम्प कर रहा है… अब क्या इरादा है आपका? आपके लण्ड ने तो आपकी चुगली कर ही दी!’
आरती हँसते हुए बोली और मेरा कठोर लण्ड फिर से अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया।

मैंने भी अब ज्यादा नाटक करना ठीक नहीं समझा और आरती को कस कर अपने से चिपटा लिया- हाँ, मेरी जान, चोदूंगा तेरी ननद रानी को और साथ में तुझे भी!
मैंने आरती की चूत साड़ी के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा।
‘तो फिर ठीक है बड़े पापा… रात होने दो. लेकिन एक बात बता दूँ, वत्सला सेक्स के मामले में एकदम भूखी शेरनी है… हालांकि अभी तक वो असली लण्ड से तो नहीं चुदी है लेकिन मुझे अपना लेस्बियन अनुभव है कि जब वो अपने पे आती है तो एकदम जंगली बिल्ली जैसे बिहेव करती है जब तक वो ठीक से झड़ न जाये!’ वो बोली।

‘तू चिंता मत कर… तेरी ननद रानी को उसकी जिंदगी का यह मेरा पहला लण्ड हमेशा याद रहेगा।’ मैं पूरे आत्मविश्वास से बोला।
‘और फिर मेरा क्या होगा बड़े पापा?’ आरती बड़ी मासूमियत से बोली।
‘अरे पगली… पहला नम्बर तो तेरा ही रहेगा ना फिर मैं तुम दोनों ननद-भाभी के बीच सैंडविच बन जाऊँगा… फिर तू जैसे कहेगी, वैसा ही होगा।’ मैंने आरती की सिर पर प्यार से हाथ फिराया।

मेरी बात सुनकर आरती ने अपने होठों पर जीभ फिराई और गीले होंठों से मेरा गाल चूम लिया।

थोड़ी देर बाद वत्सला और आरती दोनों मंदिर जाने के लिए निकलीं।

नहाई धोई वत्सला गजब की उजली उजली सुंदर दिख रही थी, उसने झक सफ़ेद रंग की सलवार और हल्के पीले रंग का कुर्ता पहना हुआ था, दुपट्टा भी था पर गले से लिपटा हुआ, पता नहीं किस डिजाइन की ब्रा पहन रखी थी कि उसके मम्मे बड़े ही शानदार ढंग से उन्नत नज़र आ रहे थे और उसकी क्लीवेज का नजारा भी हो रहा था।
उसके बदन से उठती हुई परफ्यूम की सुगन्ध दूर से ही महक रही थी।

तभी मुझे याद आया कि आरती ने इसकी चूत अभी अभी शेव की है, उसकी चिकनी चूत के बारे में सोचते ही मेरी नज़र उसकी जाँघों के बीच बरबस ही चली गई और दिल से इक आह निकल गई। वत्सला ने भी मुझे नज़र भर कर देखा और एक दिल फरेब मुस्कान मुझे देकर निहाल कर दिया और अपने कान में ऊँगली घुसाते हुए चली गई।

मैं पीछे से उसके कुर्ते से झांकते ब्रा के स्ट्रेप्स और उसके मटकते हुए कूल्हों को देखता रह गया जिन पर उसकी चोटी बार बार क्रम से थपकी दे रही थी।

वे दोनों मंदिर से करीब एक घंटे में लौट आईं।
आरती ने लौट कर मुझे बताया कि उसने वत्सला से बात कर ली है और वो बड़ी मुश्किल से मानी है आपसे चुदने के लिए!
‘क्यों… मुझसे चुदवाने में क्यों नखरे कर रही है वो?’ मैंने पूछा।
‘बड़े पापा, सुबह उसने आपका खड़ा लण्ड देख लिया था न सो बोल रही थी कि आपका बहुत लण्ड बहुत लम्बा और मोटा है उसकी चूत फट जायेगी… इसलिये पहले तो उसने साफ़ मना कर दिया कि वो आपसे नहीं चुदेगी!’ आरती ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी।
‘अच्छा फिर, फिर कैसे मानी वो?’ मैंने जोर देकर पूछा।

‘फिर मैंने उसे समझाया कि लण्ड कितना भी मोटा लम्बा हो कोई चूत कभी नहीं फटती। फिर मैंने उससे कहा कि तू तो पहले से ही अपनी चूत में ऊँगली, पेन्सिल घुसाती रहती है इसलिये लण्ड भी ले जायेगी आराम से… लेकिन वो बहुत डर रही थी तब भी नहीं मानी।’ आरती बोली।
‘अच्छा फिर क्या हुआ…?’
‘फिर मैंने उसे बता ही दिया कि आपके इसी हलब्बी लण्ड ने मेरी कच्ची उमर में ही मेरी सील पैक चूत को चोद डाला था आम के पेड़ पर! मैंने वत्सला को अपनी पहली चुदाई का पूरा किस्सा बताया; तब जाके उसकी हिम्मत बंधी और वो आपसे चुदने को डरते डरते राजी हुई है।’

(जिन पाठकों ने आरती की कुंवारी चूत की सील तोड़ चुदाई नहीं पढ़ी है, वे ‘लण्ड न माने रीत’ के सभी भाग पढ़ कर मज़ा लें।)

‘वाह.. मेरी गुड़िया रानी, ग्रेट है तू… आखिर मेरे लण्ड के लिए नई चूत का जुगाड़ फिट कर ही दिया तूने!’ मैंने कहा और आरती को बाहों में भर कर चूम लिया।
‘हाँ बड़े पापा, वो वत्सला खुद असली लण्ड से चुदने को बेकरार है लेकिन बोलती थी कोई पतले, छोटे लण्ड वाला लड़का हो तो ज्यादा अच्छा है। लेकिन बड़े पापा, आप तो पहली बार पूरी ताकत से एक बार में ही अपना लण्ड पेल देना उसकी चूत में… उसके रोने चीखने की फिकर मत करना… फिर उसे कस के रगड़ रगड़ के बेरहमी से ही चोदना ताकि उसे अपनी पहली चुदाई जिंदगी भर याद रहे… बिल्कुल जंगली बिल्ली है वो सेक्स में… आप देखना, एक बार लण्ड लीलने के बाद कैसे बेशर्मी से चुदवाती है फिर!’ आरती बोली।

‘अरे तू देखना आज रात को, पहले तेरी चूत लूँगा फिर मेरा लण्ड तेरी ननद रानी चूत में जा के हैप्पी बर्थडे बोलेगा उसे!’ मैंने कहा और हंसने लगा।
आरती भी हंसी और बोली- रात के खाने के बाद मैं बुलाने आऊँगी सब तैयारी कर के!
और वो अपने काम में लग गई।

कहानी जारी है!
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