चूत जवां जब होती है- 6

(Chut Jwan Jab hoti hai-6)

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आरती के हाथ में एक कटोरी थी जिसमें शहद भरा हुआ था। उसने अपनी एक ऊँगली शहद में डुबोई और ऊँगली वत्सला के मुंह में घुसा दी। वत्सला ने झट से उसे चाट लिया।
फिर आरती ने खूब सारा शहद मेरे सुपारे पर चुपड़ दिया और सुपारा चमड़ी से ढक कर सारे लण्ड पर शहद लगा दिया। फिर लण्ड के अगले सिरे को शहद की कटोरी में डुबा कर वत्सला से चाटने को बोला।

इस बार वत्सला ने कुछ हिम्मत की और डरते डरते अपनी जीभ मेरे लण्ड से छुआ दी, फिर दुबारा थोड़ा और शहद चाट लिया।
मैंने भी लण्ड को आगे की तरफ कर दिया और वत्सला रुक रुक कर लण्ड पर अपनी जीभ लगा लगा कर चाटने लगी।

फिर आरती ने मेरे लण्ड की चमड़ी पीछे खींच कर सुपारा निकाल दिया और लण्ड को वत्सला के हाथ में पकड़ा दिया… ‘हां… शाबाश मेरी ननद रानी… अब जल्दी से लेले इसे मुंह में… अभी आगे भी बहुत काम पड़ा है।’ आरती ने उसे समझाया।
अबकी बार वत्सला ने डरते डरते अपना मुंह खोल ही दिया और मैंने उसका सिर पकड़ कर सुपारे को धीरे से उसके मुंह में धकेल दिया और बहुत ही हौले हौले दो तीन बार लण्ड को उसके मुंह में अन्दर बाहर किया।
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वत्सला की जीभ और होंठ मेरे लण्ड पर कस गए और धीरे धीरे कुल्फी की तरह उसे चचोरने लगी फिर उसने एक बार जोर लगा के लण्ड से एक चुस्की ली और मैं निहाल हो गया।
वो सेक्स वाली गोली का असर अब अपने पूरे शवाब पर था ऊपर से इस वत्सला के मदमस्त यौवन का नशा… मेरा लण्ड लकड़ी के बेलन की तरह कठोर हो चुका था…

मैंने लण्ड को वत्सला के मुंह से बाहर निकाल एक बार फिर से उसे शहद की कटोरी में डुबकी लगवाई और दुबारा उसे वत्सला के मुंह के हवाले कर दिया।
इस बार बत्सला ने कुछ जल्दी ही लण्ड को अपने मुंह में लपक लिया और पहले से बेहतर ढंग से, पूर मनोयोग से, दिल लगा कर चूसने लगी।

‘Happy Birthday to you Vatsala… Happy Birthday to you my darling!’ आरती ने ताली बजाते हुए उसे बर्थडे विश किया।

वत्सला ने यह सुनकर अचकचा कर मेरे लण्ड से मुंह हटा लिया लेकिन उसे एक हाथ से पकड़े रही, उसकी लार और शहद का मिश्रण उसके होठों से बहता हुआ उसके गले और फिर उसके बूब्स की घाटी में बह निकला।

‘अरे हाँ भाभी… याद आया, आज तो मेरा जन्म दिन है. लेकिन ये क्या भाभी… कोई बर्थडे को ऐसे विश करता है? केक तो मंगाया नहीं और इससे मुंह मीठा करवा दिया मेरा?’ वत्सला आरती से शिकायत करने लगी।

‘अरे मेरी बन्नो रानी… ऐसा जन्मदिन किसी का नहीं मना होगा आज तक… अब तू लण्ड से मुंह मीठा कर और अभी तेरी चुदाई यात्रा का शुभारम्भ अंकल जी अपने लण्ड से करेंगे… अब तू पूरे अट्ठारह की हो गई है न अभी अभी!’ आरती ने उसकी उसके गाल पर चिकोटी काटते हुए कहा।

‘Happy Birthday to you Vatsala, my darling baby…’ मैंने भी लण्ड को उसके मुंह में फिर से घुसाते हुए उसे विश किया।
उसने लण्ड को मुंह में लिए लिए ही मेरी ओर देख के आँखों से ही मेरी बर्थडे विश जा जवाब दिया और हल्के से मुस्कुराई भी।

‘बड़े पापा… अब छोड़ो बेचारी को, थोड़ी सांस तो लेने दो उसे!’ आरती बोली और मुझे पकड़ कर बिस्तर पर गिरा लिया और खुद मेरे बगल में लेट कर अपनी टाँगें चौड़ी कर ली और अपनी चूत खुजाने लगी।

मेरे लिए इशारा काफी था, मैं भी आरती की जाँघों के बीच बैठ कर झुक गया और अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा दी और लप लप करके चाटने लगा।
उसकी चूत से रस की नदिया सी बह निकली।
मैंने ज्यादा देर नहीं की और लण्ड को उसके छेद पर सेट करके एक बार में ही पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में पहना दिया।

‘आह…धीरे से करो न बड़े पापा… ऐसे कोई करता है क्या… जान ही निकाल दी मेरी!’ आरती तुनक कर बोली।

लेकिन मैंने उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और फुल स्पीड से उसकी चूत चोदता रहा। मुझे पता था कि गोली की वजह से मैं देर से डिस्चार्ज होऊँगा पर मैं चाहता था कि एक बार जल्दी से जल्दी आरती की चूत में झड़ जाऊँ और फिर वत्सला की चूत देखने और प्यार करने के बाद उसे चोदूँ।

आरती को तो मैं वैसे भी कई बार चोद चुका था, मेरी असली मंजिल तो आज वत्सला की चूत ही थी, अतः मैं पूरी बेरहमी से उसे फचाफाच चोदे जा रहा था।
आठ दस मिनट की चुदाई के बाद वो अकड़ गई और मेरी कमर को अपने पैरों से बांध लिया। लेकिन मेरा अभी बाकी था और मैं जी तोड़ कोशिश कर रहा था कि जल्दी से जल्दी झड़ के अलग हटूं!

आरती के भोसड़े से अब फच फच की आवाजें आने लगीं थीं और मेरी लगातार चुदाई से वो फिर से झड़ने के करीब पहुँच रही थी… फिर उसने अपने घुटने ऊपर तक मोड़ कर जांघे फैला दीं जिससे उसकी बुर का नजारा खुल कर सामने आ गया और फिर वो वत्सला से बोली- वत्सला इधर आकर मेरी चूत की तरफ देख!
आरती ने अपनी चूत चुदवाते हुए उससे कहा।

वत्सला झट से आरती के पास पालथी मार के बैठ गई और अपनी भाभी की चूत में मेरे लण्ड का अन्दर बाहर होना उत्सुकता से देखने लगी।
आरती अब दुबारा कमर उठा उठा कर झटके देने लगी थी; मैं भी सीधा होकर अपने घुटनों पर बैठ गया जिससे वत्सला को सब कुछ खुल कर अच्छे से दिख सके और लण्ड को पूरा पीछे तक खींच खींच कर फिर उसकी चूत में डुबो डुबो कर उसकी चूत चोदने लगा।
वत्सला बड़े चाव और आश्चर्य से यह लाइव चुदाई देख रही थी…
‘भाभी आपको दर्द नहीं होता इतना मोटा लम्बा अपने भीतर तक लेते हुए?’ वत्सला ने बड़ी मासूमियत से पूछा।

‘बन्नो चूत को दर्द और पीड़ा तो सिर्फ एक ही बार होती है जब इसकी सील टूटती है या यह पहली बार लण्ड लेती है… उसके बाद तो… वो कहते हैं न कि पहले न जाती है कील चूत में फिर बन जाती है झील चूत में… अरे चूत हाईवे बन जाती है चुद चुद कर… सब को एडजस्ट कर लेती है चाहे छोटी कार हो या 16 पहिये वाला ट्रक धड़धड़ाता घुस जाये कोई इसका बाल भी बांका नहीं कर सकता… बस इतना समझ ले कि लण्ड जितना लम्बा और मोटा होगा चूत में उतना ही भरा भरा लगेगा और ज्यादा मज़ा आएगा और सबसे बड़ी क्वालिटी लण्ड अधिक से अधिक देर तक चोदता रहे चाहे छोटा ही क्यों न हो… इसलिये तू डर मत और अपने पहले लण्ड के मज़े ले!’
आरती ने उसे ज्ञान दिया।

‘बड़े पापा… मैं तो गई… अब बस भी करो!’ आरती बोली और जल्दी जल्दी अपनी कमर उठा उठा कर झड़ने लगी।
मैं भी अब झड़ने की कगार पर था… ‘आरती, मैं भी झड़ने वाला हूं… चूत में ही आ जाऊँ?’ मैंने कहा।
‘नहीं बड़े पापा… मेरी चूत में नहीं, बाहर झड़ कर वत्सला को दिखाओ कि लण्ड कैसे झड़ता है।’ वो हांफते हुए बोली।

तब मैंने लण्ड को आरती की चूत से बाहर खींच लिया और वत्सला का हाथ पकड़ कर उसकी मुट्ठी में अपना लिसलिसा लण्ड पकड़ा दिया और उसे मुठियाने लगा।
कुछ देर ऐसा करने के बाद मैंने अपना हाथ हटा लिया और वत्सला से बोला कि वो मेरी मुठ मारे जल्दी जल्दी!

पहले तो वो झिझकी लेकिन आरती के कहने पर जल्दी जल्दी मेरी मुठ मारने लगी।
लगभग दो तीन मिनट बाद ही मेरे लण्ड की नसें फूलने लगीं और लण्ड से वीर्य की पिचकारी छूट पड़ी।
वीर्य की पहले बौछार आरती के ऊपर से होती हुई उसके बालों और मुंह पर जा गिरी… वत्सला का कोमल हाथ अभी भी मेरी मुठ मार रहा था…
दूसरी पिचकारी आरती के बूब्स और पेट पर गिरती चली गई… और मेरे गाढ़े वीर्य की एक लकीर आरती के पूरे जिस्म पर बन गई।
वत्सला का हाथ भी मेरे रस से सराबोर हो चुका था जिसे उसने बड़ी अनिच्छा से देखा और फिर आरती की जांघों पर पोंछ दिया।
आरती की टाँगें अभी भी खुली हुयीं थी और उसकी काली चूत का मुंह हल्के हल्के कम्पन करते हुए खुल और बंद हो रहा था जैसे किसी चीज का इंतजार हो उसे!

फिर वो उठ बैठी और अपने बालों को लपेट कर जूड़ा बना लिया और बेड पर नंगी ही बैठ गई और वत्सला को खींच कर लिटा दिया।
वो भी अपनी भाभी की गोद में सिर रख कर लेट गई और मेरी तरफ देखने लगी. उसने अपने बूब्स अपने हथेलियों से ढक लिए थे और दोनों पैरों को आपस में चिपटा कर सीधी लेटी थी।

उसके बदन पर मात्र एक पैंटी ही शेष थी जो उसकी चूत की रखवाली कर रही थी।
‘बड़े पापा.. हो जाओ शुरू! अब मेरी प्यारी ननद रानी को लड़की से औरत बना दो, खिला दो इस कली को!’ आरती ने मुझसे कहा।

मित्रो अपने कमेंट्स मुझे नीचे लिखे मेल एड्रेस पर जरूर लिख भेजिए ताकि मैं इस कथा को आप सबकी रूचि के अनुसार और रोचक लिख सकूँ।
कहानी जारी है!
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