गर्ल्स हॉस्टल की लड़कियां- 1
(College Girls Fun Story)
कॉलेज गर्ल्स फन स्टोरी में कुछ जवान लड़कियों का ग्रुप एक साथ नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन लेकर हॉस्टल में गयी तो वहां उनकी जवानी को पर लग गए.
आज 12वीं विज्ञान का रिजल्ट निकला था.
सलमा, सोनिया, रोज़ी, हरप्रीत, नादिरा ये सब खुशी के मारे उछल पड़ीं क्योंकि ये सब पढ़ने में ठीक थीं.
और अब वे सब नर्सिंग कॉलेज के एंट्रेंस एग्जाम के लिए एलिजिबल हो गई थीं।
उनका पूरा विश्वास था कि नर्सिंग कॉलेज के लिए उन सब का चयन हो जाएगा।
यह कॉलेज गर्ल्स फन स्टोरी इन्हीं 5 लड़कियों के सेक्स जीवन की है.
हरप्रीत को छोड़कर वे सब अभी तक तो अपने-अपने परिवारों के दबाव में जी रही थीं.
और अब इनको बड़े शहर में पारिवारिक नियंत्रण से मुक्त, उन्मुक्त जीवन जीने का अवसर मिलने वाला था।
पांचों लड़कियों में हरप्रीत बाकी सबसे दो वर्ष बड़ी थी, उसके उन्नत उरोज भी औरों के मुकाबले अधिक बड़े थे।
उसका 34-30-34 का कामुक बदन, गोरा रंग हर लंपट लड़के और हर दिलफेंक मर्द को आकर्षित करता था।
उसके बाद नादिरा बाकी तीन से एक वर्ष बड़ी थी, बूब्स तो उसके भी 34 इंच के थे लेकिन चूतड़ 36 के।
रंग गेहुंआ लेकिन नशीली आँखें किसी भी लड़के का लंड खड़ा कर सकती थीं।
सलमा और रोज़ी दोनों हम उम्र और मध्यम आकार की छातियों वाली थीं, उनका बदन 32-28-34 का था।
सलमा गोरी थी तो रोज़ी सांवली।
लेकिन दोनों नमकीन लगती थीं।
बची सोनिया, जो दूधिया रंग वाली, उम्र में सबसे कम, सबसे नाजुक और सबसे कम मज़े मारने वाली अक्षत नवयौवना थी।
उस का बदन 30-24-32 का था।
सलमा और नादिरा की परेशानियां बाकी तीन से अलग थीं.
वे दोनों तो परिवार वाले मर्दों के शोषण का शिकार थीं।
सेक्स का असली मजा तब आता है जब साथी मनपसंद हो, शरीर और दिमाग दोनों इसके लिए स्वेच्छा से तैयार हों।
उनके साथ जो कुछ घटता था, वह हमेशा मज़ा देने वाला नहीं होता था।
कभी कभी तो उन को अपने आप से घृणा होने लगती थी और कभी शरीर में सुलगी वासना की आग, उनकी इच्छा के विरुद्ध जो कुछ भी उनके साथ होता था, उसी का मजा लेने के लिए विवश कर देती।
पांचो सहेलियां जब इकट्ठा हुईं तो उन के बीच बातचीत का बिंदु यही था कि पांचों मिल कर खूब मस्ती करेंगी।
सलमा बोली- यार, अब आएगा जिंदगी का असली मजा।
नादिरा ने कहा- हां यार, बहुत रह लिए घर वालों के बीच दब कर! बहुत जी लिए घुट घुट कर!
सोनिया, रोज़ी, हरप्रीत, सब सलमा और नादिरा की बातों से सहमत थीं।
उनके दिमाग में भी बहुत सी खुराफातें जन्म ले रही थीं।
हर कोई यह सोच रही थी कि वहां न हम को कोई रोकने वाला होगा टोकने वाला।
जो जी में आयेगा वो करेंगी, जैसे मन में आयेगा वैसे रहेंगी।
आशा के अनुरूप पांचों सहेलियों का, नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन पक्का हो चुका था।
उनके कॉलेज की बिल्डिंग के सामने ही उनका हॉस्टल था।
हॉस्टल में केवल 20 लड़कियों के रहने की व्यवस्था थी, जिसमें 10 सीनियर लड़कियों का बैच था और दस नई लड़कियों का।
हॉस्टल में बीचो-बीच मेस बना हुआ था, उस के दोनों ओर दो दो बड़े कमरे थे, प्रत्येक कमरे में 5-5 लड़कियां रहने वाली थीं।
कमरे में प्रत्येक लड़की को एक पलंग, एक आलमारी और एक टेबल कुर्सी दी हुई थी।
पांचों सहेलियों को उनकी इच्छानुसार एक कमरा आबंटित हो गया।
वॉशरूम पांचों के बीच कॉमन था।
सब लड़कियां हॉस्टल पहुंच कर बहुत खुश थीं।
उनको पता चला कि हॉस्टल में हफ्ते भर के मेनू के हिसाब से, प्रतिदिन सामान्य खाना बनेगा लेकिन हफ्ते में दो बार बड़ा खाना होगा जो विशेष व्यंजन के साथ परोसा जाएगा।
बड़े खाने में एक दिन राजमा बनेगा और दूसरे वाले बड़े खाने में बड़े चने यानि छोले बनेंगे।
दोनों दिन हलवा या खीर जैसी कोई स्वीट डिश भी रहेगी।
सोमवार को ज्वाइनिंग की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद पहली रात तो आलू की सब्जी और गर्मागर्म पूड़ियां खाने को मिलीं।
नियमित भोजन अगली सुबह से शुरू होना था।
मंगलवार की सुबह के नाश्ते में पोहे बने थे और दिन के खाने में दाल, चांवल, सब्जी, रोटी।
सभी लड़कियां खाने की गुणवत्ता से संतुष्ट थीं।
अभी एक हफ्ता ही गुजरा था, एक दिन सीनियर लड़कियों के खाना खा के चले जाने के बाद जूनियर लड़कियों ने हंगामा कर दिया।
उन की शिकायत थी कि सलाद में खीरा भी कम पड़ गया और बैंगन की सब्जी भी।
हल्ला सुन के वार्डन फातिमा आई, लड़कियों की बात सुनकर, फातिमा ने मेस की इंचार्ज राधिका को बुलवाया।
लड़कियों ने उस के सामने अपनी बात रखी.
अब फातिमा ने राधिका की ओर देखा।
राधिका कहने लगी- मैडम जी, मैंने तो खीरा भी पूरा मंगवाया था और बैंगन भी। किसी भी स्थिति में कम पड़ ही नहीं सकता था लेकिन …
फातिमा थोड़ी गुस्से में बोली- क्या लेकिन? साल की शुरुआत में ही तुमने नई लड़कियों का दिमाग खराब कर दिया।
राधिका ने पलट कर जवाब दिया- दिमाग तो मेरा खराब कर दिया इस नए बैच ने … भिंडी की सब्जी बची पड़ी है, प्याज, टमाटर भी बचे हैं।
फातिमा- पर बात तो खीरा और बैंगन की हो रही थी?
राधिका बोली- जी हां, मैं भी यही कह रही हूं. बात खीरा और बैंगन की ही है। इन लड़कियों के जिस्म में पता नहीं कैसी आग भरी है? पहले ही दिन किचन में से ढेर सारे मोटे-मोटे खीरे और लंबे, मोटे बैंगन पार कर दिए इन्होंने।
बोलते बोलते राधिका और सुनते हुए फातिमा के चेहरे पर अर्थपूर्ण मुस्कान आ गई।
उसने कॉलेज गर्ल्स फन की मंशा को समझते हुए राधिका को वापस जाने को कह दिया।
लड़कियों को भी जब लगा कि उनकी पोल खुल रही है तो वे खिसकने लगीं।
फातिमा ने एक डांट लगाई और उनको रुकने को कहा।
लड़कियां आंखें झुकाए, चुपचाप नीचे की ओर देख रही थीं।
अब फातिमा ने लड़कियों को कहना शुरू किया- देखो तुम सब अभी नई-नई आई हो, आते ही इस तरह से माहौल खराब मत करो। मुझे मालूम है खीरा तो खाने के काम में आता है लेकिन बैंगन नहीं। मैं खुद एक जवान औरत हूं, तुम्हारे जैसा ही शरीर और कामवासना मेरे पास भी है इसलिए अब मुझे तुम सब से यह पूछने की जरूरत भी नहीं है कि तुमने चुराए गए खीरा और बैंगन का क्या उपयोग किया है? आज तो मैं छोड़ रही हूं. भविष्य में ऐसी शिकायत मिली तो प्रिंसिपल मैडम के सामने तुम सबको ले जाऊंगी। चलो, अब जाओ तुम सब लोग!
सारी लड़कियां मुंह लटका के अपने-अपने कमरों में लौट गई।
कुछ दिन सामान्य रूप से बीत गए.
आज कॉलेज हॉस्टल का दूसरा शनिवार था, आज इंट्रो डे मनाया जाना था।
उन्हें पता था कि आज सीनियर लड़कियों से आमना-सामना होगा और थोड़ी बहुत रैगिंग यानि खिंचाई तो जरूर होगी।
इन पांचों में सबसे अधिक संकोची और अपेक्षाकृत शरीफ लड़की सोनिया थी जिसने एक हद तक आत्म नियंत्रण किया हुआ था।
सीनियर लड़कियों ने भी यह ताड़ लिया कि बाकी लड़कियां तो चलता पुर्जा दिख रही हैं लेकिन उनमें सोनिया थोड़ी हटकर है.
तो उन्होंने उसी को अपना टारगेट बनाया और थोड़ी बहुत छेड़छाड़ के बाद, बाकी लड़कियों को अपने रूम में जाने के लिए कह दिया।
उसके बाद सोनिया को तंग करने का सिलसिला शुरू हुआ।
सीनियर लड़कियों की गैंग लीडर नीलिमा ने सबसे पहले उससे पूछा- क्या तुम वर्जिन हो?
सोनिया ने कहा- हां।
उसके बाद उससे पूछा- क्या शादी से पहले तुम्हारी चुदने की इच्छा है?
सोनिया ने जवाब दिया- हरगिज नहीं।
नीलिमा ने अपनी सहेलियों की ओर ऐसे देखा, जैसे कह रही हो कि देखो कितनी अजीब बात कर रही है.
सोनिया ने कहा- शारीरिक संबंध शादी के बाद पति के साथ ही उचित होते हैं।
सारी लड़कियां उसकी इस बात पर हंसने लग गईं कि जैसे वह मूर्खतापूर्ण बातें कर रही है.
उसके बाद नीलिमा ने सोनिया से पूछा- क्या तुम वास्तव में इतनी भोली-भाली हो या हमारे सामने एक्टिंग कर रही हो?
सोनिया ने जवाब दिया- मैं बिल्कुल सच कह रही हूं. मुझे एक अच्छी नर्स बनना है और लोगों की सेवा करनी है. मैं यहां पढ़ने, कुछ सीखने आई हूं।
नीलिमा ने कहा- अरे यार, हम सबको भी नर्स ही बनना है. और जब तू यहां आ गई है तो तुझे नर्स बना कर ही रवाना किया जाएगा. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम अपनी जिंदगी को किताबों में कैद करके नीरस बना दें। वैसे भी तुझे पता होना चाहिए कि नर्सों का वास्ता हर तरह के लोगों से पड़ता है। उनकी नाइट ड्यूटी भी लगती है और जो हम जैसी नर्सें होती हैं, वे हर तरीके की सेवा भी करती हैं, बदले में मेवा भी लेती हैं।
सोनिया ने कहा- मैं समझी नहीं?
नीलिमा बोली- समझ जाएगी मेरी बन्नो, तू जरा ज्यादा ही सीधी लगती है. धीरे-धीरे तुझे सब समझ आ जाएगा।
उसके बाद नीलम ने अपने टॉप में से एक स्तन को बाहर निकाला और सोनिया से पूछा- अच्छा बता ये क्या है?
सोनिया ने जवाब दिया- दूध!
नीलिमा हंसने लगी, बोली- लंड लेने की उमर में इसको दूध बता रही है कमीनी? ये मम्मे हैं. लड़कों की एक नज़र हमारे चेहरे पर होती है, दूसरी हमारे बूब्स पर। एक तरह से कुदरत ने मर्दों को आकर्षित करने का ये अचूक हथियार हमको दिया है, इनकी एक झलक पाकर ही मर्द काम कल्पनाओं में खो जाते हैं।
सोनिया को ये बातें थोड़ी अजीब जरूर लग रही थीं लेकिन उसके मन में गुदगुदी भी हो रही थी।
उसकी नैतिकता एवं शराफत को लेकर जो विचारधारा थी, वह हिलने लगी थी।
उसका खुद पर जो आत्मविश्वास था, वह अब डांवाडोल सा होने लगा था।
उसके मन में अब कहीं ना कहीं तथाकथित नैतिकता की जकड़न से, मुक्त होने की भावना अंकुरित हो चुकी थी।
यूं भी कौन सी लड़की ऐसी होगी जो अपनी हमउम्र सहेलियों के बीच होने वाली सेक्सी बातों में मजा नहीं लेती होगी?
नीलिमा ने फिर सोनिया के दोनों उभारों पर हाथ फेरते हुए पूछा- कभी किसी लड़के या मर्द को ये चुसवाये?
तुरंत जवाब मिला- नहीं!
नीलिमा ने फिर छेड़ा- किसी लड़के या मर्द ने इन को दबाया तो होगा?
सोनिया शर्म से लाल हो गई, धीरे से बोली- नहीं।
उसके बाद नीलिमा ने पूछा- किसी सहेली के साथ चूसा चूसी की?
सोनिया ने फिर कहा- ओ बाप रे … बिल्कुल नहीं।
“अच्छा किसी लड़के के साथ चूमाचाटी तो जरूर की होगी?”
सोनिया ने कहा- नहीं, बिल्कुल नहीं।
नीलिमा ने बोला- यदि तू सही बोल रही है तो इसका यह मतलब हुआ कि तू एकदम अनाड़ी है. चल … कोई बात नहीं. रात 10 बजे हमारी स्पेशल कोचिंग क्लास ज्वाइन कर लेना, तुझे एकदम नए अनुभव मिलेंगे।
सोनिया एकाएक बोली- नहीं नहीं, मुझे आप लोगों से कोई कोचिंग नहीं लेनी. आप लोग मुझे बिगाड़ दोगी!
सब लड़कियां फिर हंस पड़ीं।
नीलिमा ने सोनिया का मुंह पकड़ के कहा- तुझे सलाह नहीं दी, निर्देश दिया है।
नीलिमा ने फिर अपने स्वर को थोड़ा नर्म करते हुए कहा- देख सोनिया, हम सब ज़िंदगी के मज़े लेते हैं और हम तेरी भी सारी शर्मो-हया दूर करके तुझे मासूम गुड़िया से अंगारा बनायेंगे, अंगारा। तू रात को आ तो सही, तुझे बहुत मज़ा आएगा।
सोनिया ने कहा- नहीं, मैं नहीं आऊंगी!
इस पर नीलिमा ने कहा- तो फिर तू नतीजों के लिए तैयार रहना।
सोनिया अपनी सहेलियों के बीच में चली आई।
वहां जाकर उसने अपनी सहेलियों को नीलिमा के साथ हुए किस्से को बताया।
इस पर उसकी सारी सहेलियां ठी ठी करके हंसने लगीं।
सोनिया ने कहा- तुम सब बेशर्म लड़कियां हो. मैं तो वहां शर्म के मारे पानी पानी हो रही थी और तुम सब हंस रही हो?
इस पर रोज़ी ने कहा- अरे यार, नीलिमा सीनियर है तो क्या हुआ? आखिर वह भी तो एक लड़की है और उसके साथ जो भी खड़ी थीं, वे सभी लड़कियां ही थीं तो इसमें इतनी शर्मिंदगी महसूस करने की क्या जरूरत है?
अब नादिरा बोली- रही नीलिमा की रात 10:00 बजे वाली कोचिंग की बात तो हमारी सलाह तो यह है कि हमें अपनी सारी लाज शर्म छोड़कर उनकी बात मान लेनी चाहिए, हो सकता है वे केवल हमारी झिझक दूर करना चाहती हों। उसने तुझे आश्वासन भी दिया है कि तुझे बहुत मजा आएगा। यदि तूने सहयोग नहीं किया तो वे लोग जम के रैगिंग लेंगी और उसमें तकलीफ भी होगी, दर्द भी होगा।
हरप्रीत बोली- यदि उनकी बात मान ली तो हो सकता है तेरे बदन की सुप्त वासना तो सुलगे ही, साथ ही हमारी दबी हुई हसरतों को भी पंख लग जाएं! और यह भी हो सकता है कि बजाए सजा के तुझे एक नए मज़े का अनुभव हो।
सलमा बोली- सोनू, तेरी जगह मैं होती तो मुझे तो नीलिमा से बात कर के बहुत मज़ा आता, तू बिना कारण नर्वस हो रही है।
वास्तव में सोनिया के मन में भी वासना का संचार होने लगा था।
उसकी जिज्ञासा भी जाग चुकी थी, वह भी कामवासना के इस नशीले संसार में प्रवेश करना चाह रही थी।
सोनिया तो खुद मन ही मन सहेलियों से इसी तरह की बातों की उम्मीद कर रही थी जिससे ऐसा नहीं लगे कि रात को वह खुद जाने की उतावली में है।
तब सोनिया मुस्कुरा के बोली- तुम सब लोग बेहया और बेशर्म हो लेकिन हो तो मेरी सहेलियां ही, तुम्हारी बात तो मुझे मानना ही पड़ेगी।
सोनिया रात के ठीक 10:00 बजे नीलिमा और उसकी गैंग के सामने आत्मसमर्पण करने पहुंच गई और हिम्मत समेट कर बोली- नीलिमा दी, मैं हाजिर हूं, बताओ मुझे क्या करना है?
नीलिमा ने हंसकर कहा- आ जा मेरी छोटी बहन, तूने दिल खुश कर दिया. पर यहां बड़ी-छोटी बहन वाला रिश्ता नहीं चलेगा. हम सब सहेलियां हैं यार और हॉस्टल के इस अनमोल समय का आनन्द उठाने के लिए एक दूसरे का सहयोग करेंगी। जब तू हम सब का कहना मानेगी तब तुझे अहसास होगा कि किताबों से बाहर भी एक दुनिया है, जिस से तुझे परिचित होना चाहिए।
सोनिया की चिंता थोड़ी दूर हुई, उसने कहा- अच्छा मेरी प्यारी सहेली नीलिमा जी, बताओ मुझे क्या करना है?
नीलिमा ने फिर टोका और कहा- अरे यार सोनू, तू समझ क्यों नहीं रही? तू सिर्फ नीलिमा बोल! हम सब सहेलियां हैं यार, हमारे बीच में इतनी औपचारिकता की जरूरत नहीं है। समझ में आया मेरी सेक्सी डॉल?
सोनिया ने सहमति में सिर हिलाया।
सोनिया ने फिर से कहा- अच्छा नीलिमा, चलो अब आप यह बताओ कि मुझे क्या करना है? मैं पूरी तरह से तैयार हूं।
नीलिमा ने उसको एक टास्क दिया।
टास्क सुनकर सोनिया पहले तो लज्जा से जमीन में गड़ के नानुकुर करने लग गई.
लेकिन फिर सहेलियों के समझाने और उत्साह बढ़ाने पर मान गई।
नीलिमा ने एक लड़की को इशारा किया, पूरा हॉस्टल अंधेरे में डूब गया।
सोनिया ने नीलिमा के कहे अनुसार अपने सारे कपड़े उतारे, घुप्प अंधेरे में वह अपने हाथ में एक मोमबत्ती लेकर पूरी तरह नंगी, नीलिमा के बताए चौराहे की ओर बढ़ने लगी।
उसके मध्यम आकार के स्तन, जिनको अभी तक किसी लड़के या पुरुष के हाथों या होठों का स्पर्श नहीं मिला था, हर कदम पर हिल रहे थे।
उसकी जांघों के जोड़ पर उसकी घनी झांटों की झलक मोमबत्ती की रोशनी में रह रह कर दिखाई दे रही थी।
अगले अंक में देखिए सोनिया द्वारा चौराहे पर मोमबत्ती रखने के बाद में क्या हंगामा होता है?
हॉस्टल वार्डन और इन सहेलियों के बीच क्या घटना क्रम चलता है?
कहानी जारी है, पढ़ते रहिए।
कॉलेज गर्ल्स फन स्टोरी पर आपके सुझाव एवं प्रतिक्रियाएं आमंत्रित हैं.
मेरी आईडी है
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