मैं पानी पानी होकर चुद गयी
( Cousin Behan Chod Kahani)
कजिन बेहन चोद कहानी में मैं जवान हो चुकी थी और सेक्स की चाहत मेरे दिन में जाग चुकी थी. मैं ननिहाल गयी तो वहन मामा के बेटे के साथ खेत के ट्यूबवेल पर नहाने लगी.
दोस्तो,
मैं अर्णव
मेरी पिछली कहानी थी: जिस्म से रूह तक का सफर
आज एक बार फिर आप सबके बीच एक नयी कहानी लेकर आया हूँ।
यह कहानी मेरी एक महिला मित्र की है, जो आप सभी की तरह अन्तर्वासना की एक नियमित पाठिका है।
हमारी आपस में काफी बातें हुईं और उन्होंने अपनी पहली चुदाई की दास्ताँ मुझसे साझा की।
उनकी स्वीकृति से ही मुझे इस कहानी को लिखने की प्रेरणा मिली है।
इस कजिन बेहन चोद कहानी में उनकी गोपनीयता बनाए रखने के लिए मैंने बहुत ही साधारण से बदलाव किए हैं।
आशा करता हूँ कि आप सभी को यह कहानी जरूर पसंद आएगी।
अब आगे की कजिन बेहन चोद कहानी उनके ही शब्दों में:
यह कहानी सुनें.
मेरा नाम कीर्ति शर्मा है और मैं जयपुर की रहने वाली हूँ।
मेरी उम्र अभी 32 साल है और मेरा फिगर 34-30-36 का है।
मेरे परिवार में मेरे अलावा मम्मी, पापा और दो छोटे भाई-बहन हैं।
बात उस समय की है जब मेरी उम्र महज 18 वर्ष थी।
मैंने बस जवानी की दहलीज पर कदम रखा था।
हाल ही में मैंने अपनी बारहवीं के एग्जाम दिए थे और परीक्षा के परिणाम आने में अभी थोड़ा समय था।
कुछ दिनों में मेरे छोटे भाई-बहन के एग्जाम भी खत्म हो गए।
तो हम सभी ने कुछ दिनों के लिए नाना-नानी के घर जाकर छुट्टियाँ बिताने का प्लान बनाया।
वैसे तो बचपन में हम हर साल अपने ननिहाल जाकर रहते थे, पर पिछले 2-3 सालों में पढ़ाई-लिखाई के चलते वहाँ नहीं जा पाए थे।
इस बार मैं वहाँ जाने के लिए बहुत ज्यादा उत्साहित थी क्योंकि हम वहाँ खूब घूमते-फिरते और मजे करते थे।
और पिछले कुछ सालों में मुझे ऐसा कोई मौका नहीं मिल पाया था जिसमें मैं खुलकर जी सकूँ।
हम सभी ने अपनी-अपनी जरूरतों के हिसाब से चीजें पैक कीं और दो दिन बाद अपने नाना-नानी के घर पहुँच गए।
मेरे ननिहाल में सभी एक संयुक्त परिवार में रहते थे, जिनमें मेरे नाना-नानी, दो मामा-मामी और उनके तीन बच्चे थे।
सभी मिलजुलकर एक साथ रहते थे।
मेरे बड़े मामा का बेटा निखिल मुझसे उम्र में 2 साल बड़ा था।
बचपन से ही मेरी उससे अच्छी बनती थी और हम एक साथ काफी समय बिताते थे।
हम अक्सर गाँव के बाहर खेतों में घूमने जाते, जहाँ उनका फार्महाउस, ट्यूबवेल और बहुत बड़ा बगीचा था, जिसमें हर तरह के पेड़-पौधे लगे हुए थे।
हमारा ज्यादातर समय वहीं बीतता था और हम मिलकर खूब मस्ती करते थे और देर शाम तक घर वापस आते थे।
यह हमारा रोज का था, इसलिए सबकी नजरों में बहुत ही आम बात थी।
मेरी जवानी उफान पर थी और सेक्स के लिए मेरी उत्सुकता दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी।
पर मैं अभी तक किसी के इतने करीब नहीं आ पाई थी कि अपनी इस जिज्ञासा को मिटा सकूँ।
मेरी काफी सारी सहेलियों के बॉयफ्रेंड थे और वो उनके साथ खूब मस्ती करती थीं।
पर मुझे बस उनके अनुभव सुनकर ही काम चलाना पड़ रहा था।
मैं भी वो सब महसूस करना चाहती थी, पर किसी अजनबी के साथ कोई भी रिश्ता बनाने में मुझे थोड़ा डर लगता था।
इसलिए मैं अभी तक इस एहसास से अनछुई थी।
हालाँकि मुझे भी काफी कुछ पता था, पर किसी तरह का अनुभव नहीं था।
खेल-खेल में निखिल जब भी मुझे छूता, तो मुझे बहुत अच्छा लगता और पूरे शरीर में एक सनसनी-सी दौड़ जाती थी।
वो कभी मेरे बूब्स टच कर लेता, तो कभी मेरी गांड दबा देता था।
मुझे उसका इस तरह से छूना अच्छा लगता.
तो मैं बस उसको देखकर हल्के से मुस्कुरा देती थी।
और ऐसे ही लगभग एक हफ्ता बीत गया।
एक दिन निखिल ने कहा, “आज फार्महाउस घूमने चलते हैं, और वहाँ ट्यूबवेल में नहाएँगे, बहुत मजा आएगा।”
मैंने कहा, “बिल्कुल, चलो चलते हैं।”
हमने एक बैग में एक-एक सेट अतिरिक्त कपड़े, तौलिया और काफी सारी खाने-पीने की चीजें भर लीं।
फार्महाउस में लगे पेड़-पौधों की सिंचाई के लिए हर दो से तीन दिन में ट्यूबवेल चलाया जाता था।
जिसके लिए घर से किसी न किसी को जाकर यह काम करना होता था।
हमने घर में बोल दिया कि हम फार्महाउस जा रहे हैं। शाम तक आएँगे। खाने-पीने का इंतजाम भी हमने कर लिया है, इसलिए दोपहर को वहीं खा लेंगे।
चूँकि किसी न किसी को तो फार्महाउस जाना ही होता था, तो किसी ने कोई सवाल भी नहीं किए।
निखिल ने फार्महाउस की चाभी ले ली।
खेत घर से काफी दूर थे, इसलिए निखिल ने बाइक ले ली और हम उस पर बैठकर खेतों की तरफ रवाना हो गए।
वहाँ पहुँचकर निखिल ने फार्महाउस के मेन गेट का ताला खोला और अंदर की तरफ से ताला लगाकर गेट लॉक कर दिया।
फिर वहाँ बने मकान में जाकर हमने अपना सामान रख दिया।
निखिल ने जाकर ट्यूबवेल चला दिया और पानी देखने चला गया।
तब तक मैंने अपना सूट और लेगिंग उतारकर बैग में रखी टी-शर्ट और शॉर्ट्स से चेंज कर लिया।
कुछ देर में निखिल वापस आ गया और हम निकलकर ट्यूबवेल के पास पहुँच गए।
ट्यूबवेल के आगे की तरफ एक बड़ी-सी सीमेंट की टंकी बनी हुई थी, जिसकी ऊँचाई लगभग 5 फुट थी।
और ऊपर पानी का पाइप लगा हुआ था।
साथ ही उसी टंकी से निकलकर पानी छोटी-छोटी नालियों के जरिए पेड़ों तक जाता था।
कुछ देर वहाँ बैठने के बाद निखिल ने कहा, “चलो, अब नहाते हैं।”
निखिल ने बड़े आराम से अपने सारे कपड़े उतारे और अब वो सिर्फ अंडरवियर में था।
वह ट्यूबवेल में बनी सीमेंट की टंकी के अंदर उतर गया और बोला, “जल्दी करो, तुम भी आ जाओ।”
जैसे ही मैं टंकी के करीब गई, उसने मेरा हाथ पकड़कर बड़ी सावधानी से मुझे पानी की टंकी में उतार लिया।
गर्मी का मौसम था और बाहर काफी गर्मी थी, पर वहाँ का पानी काफी ठंडा था।
फिर हम अपने हाथों से पानी उछाल-उछालकर एक-दूसरे को भीगाने लगे और पूरी तरह भीग गए।
मेरी टी-शर्ट छाती से चिपक गई थी और मेरे उभार उससे साफ दिखाई दे रहे थे।
मैंने अपनी ब्रा पहले ही उतार दी थी, तो मेरे मम्मों की नुकीली घुंडियाँ तनी हुई दिखने लगीं।
निखिल का लंड मुझे देखकर उसकी अंडरवेयर के अंदर से तंबू बन गया था।
वो बार-बार मुझे पकड़ता, तो उसका खड़ा लंड कभी मेरे पेट में, तो कभी गांड की दरारों में चुभ जाता।
वो खेल-खेल में मेरी तनी हुई चुचियों को जोर से दबा रहा था।
मुझे भी उसका इस तरह से छूना बहुत उत्साहित कर रहा था।
कहीं न कहीं मुझमें जो सेक्स की अधूरी प्यास थी, उसे मैं मिटाना चाहती थी।
इसलिए जब भी वो कुछ करता, तो मैं भी उससे और चिपक जाती थी।
आग दोनों तरफ थी, तो सब कुछ बहुत आसान था और निखिल मेरे लिए कोई अनजान नहीं था, तो मैं उसके साथ कम्फर्टेबल थी।
फिर निखिल ने मुझे पीछे से पकड़ा और मेरे गले में चूमने लगा और अपने दोनों हाथों से मेरी चूचियाँ भी दबाता जा रहा था।
मैं उस अहसास से मदहोश हो गई और धीरे-धीरे उसके आगोश में जाने लगी।
फिर वो अपना एक हाथ मेरे पेट से खिसकाते हुए मेरे शॉर्ट्स में डालकर मेरी चूत टटोलने लगा।
मेरे लिए यह बिल्कुल नया एहसास था, पर मैं इसमें पूरी तरह से खो जाना चाहती थी, इसलिए उसका पूरा सहयोग कर रही थी।
काफी देर तक ऊपर से चूत टटोलने के बाद उसने मुझसे शॉर्ट्स और पैंटी उतारने को कहा।
मैंने बिना किसी ड्रामे के अपने शॉर्ट्स और पैंटी दोनों एक साथ निकाल दिए।
अब निखिल पानी के अंदर ही मेरी चूत मसलने लगा, जिससे मेरी साँसें बहुत तेजी से चलने लगीं।
मेरे पूरे शरीर में हरकत हो रही थी और मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी।
मैं तो इस खेल में नई थी, पर शायद निखिल इस खेल का माहिर खिलाड़ी था।
वो पूरे जोश में था और मेरी चूत में अपनी उंगली डालकर मेरे साथ मजे से खेल रहा था।
उसने अपनी अंडरवेयर उतार दी और अपना लंड मेरे हाथों में पकड़ा दिया।
उसका लंड काफी बड़ा और सख्त था।
मैं उसके लंड को पकड़कर जोर-जोर से आगे-पीछे करने लगी।
और उतनी ही तेजी से उसकी उंगलियाँ मेरी चूत के अंदर-बाहर हो रही थीं।
अचानक मेरी साँसें उखड़ने लगीं और टाँगें जोर से काँपने लगीं।
मेरा शरीर एकदम शिथिल-सा हो गया और मैं पूरी तरह से निढाल हो गई।
मुझे एक सुखद एहसास की अनुभूति होने लगी और मैंने निखिल को कसकर जकड़ लिया और उससे लिपट गई।
यह शायद पहली बार था जब मैं अपने चरमोत्कर्ष तक पहुँची थी।
वो तो माहिर खिलाड़ी था, तो उसको समझने में देर नहीं लगी होगी कि मेरा पानी निकल गया।
मैं नीचे से पूरी नंगी थी और ऊपर सिर्फ मेरी टी-शर्ट थी।
निखिल ने फिर मेरी टी-शर्ट भी निकाल दी और मैं पूरी नंगी हो गई।
उस वक्त मेरे चुचे ज्यादा बड़े तो नहीं थे, पर अपने पूरे शेप में आ गए थे।
मैं उस समय 32B साइज की ब्रा पहनती थी।
निखिल मेरी चुचियों को कभी अपने मुँह में भरकर चूसता, तो कभी अपने हाथों से दबा रहा था।
जल्दी ही मैं दोबारा गर्म हो गई।
उसका लंड अब और भी बड़ा और टाइट लग रहा था और मैंने उसे अपनी चूत में लेने का मन बना लिया था।
मैं हमेशा से चाहती थी कि मेरी पहली चुदाई यादगार हो और आज वही होने जा रहा था।
निखिल ने मुझे उठाकर साइड में बिठाया और अपना बड़ा-सा लंड मेरी चूत के मुहाने पर रखकर अंदर डालने की कोशिश करने लगा।
मेरा यह पहली बार था, तो उसका लंड मेरी चूत में आसानी से जाने से इनकार कर रहा था।
निखिल ने फिर एक जोरदार धक्का मारा, तो उसका लंड थोड़ा अंदर जाकर मेरी चूत में फंस गया।
मुझे इतना तीखा दर्द हो रहा था जैसे किसी ने मेरी चूत में चीरा लगा दिया हो।
मेरी आँखों से आँसू टपकने लगे।
मुझे इतना तो पता ही था कि पहली चुदाई में दर्द होता है तो मैं इस पीड़ा को सहने के लिए तैयार थी और फिर किसी तरह अपना दर्द बर्दाश्त करने की कोशिश की।
निखिल कुछ देर तक मुझे चूमता रहा और मेरे चुचे भी सहलाता जा रहा था।
फिर एक और जोरदार धक्के के साथ उसका मोटा लंड मेरी चूत को फाड़ते हुए अंदर घुस गया।
उसकी इस हरकत से मेरी जोर से चीख निकल गई, पर आसपास सुनने वाला कोई नहीं था।
निखिल ने फिर धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत के अंदर-बाहर चलाना शुरू कर दिया।
कुछ देर बाद जब मेरा दर्द कुछ कम हुआ, तो मैं भी अपनी कमर हिलाकर उसका साथ देने लगी।
मुझे दर्द के साथ मजे का एहसास हो रहा था और मैं उस पल को खुलकर जी लेना चाहती थी।
हम पानी के अंदर ही छपाक-छपाक की आवाज के साथ चुदाई कर रहे थे और आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे।
लगभग दस मिनट की मस्ती भरी चुदाई के बाद मेरा शरीर फिर से थरथराने लगा और मैं धीरे-धीरे निखिल की बाहों में सिमटने लगी।
निखिल समझ गया कि मेरा होने वाला है.
तो उसने अपनी पकड़ मजबूत कर ली और पूरी ताकत के साथ मुझे जोर-जोर से चोदने लगा।
उसकी स्पीड जितनी तेज होती जाती, मेरी आहें उतनी तेजी से निकलने लगतीं और आखिरकार हम दोनों एक साथ झड़ गए।
मुझे अपनी चूत में उसका गर्म लावा महसूस होने लगा, जिसे मैं अपने अंदर ही समा लेना चाहती थी।
इसके बाद हम ट्यूबवेल के नीचे अच्छे से नहाए और फिर जाकर अपने कपड़े पहन लिए।
कुछ देर आराम करने के बाद हमने खाया-पिया और एक-एक झपकी ले ली।
और जब हम उठे, तब तक शाम भी हो गई थी।
हमने सब कुछ सही से बंद किया और घर वापस आ गए।
हमें घर में जब भी कहीं अकेले में मौका मिलता, तो हम चुदाई कर लेते थे।
ऐसे ही कुछ दिनों तक हमारी चुदाई का सिलसिला चलता रहा और फिर हम सब घर वापस आ गए।
मैंने फिर कॉलेज जॉइन कर लिया और वहाँ मेरा एक बॉयफ्रेंड भी बन गया।
और फिर उसके बाद मेरा ननिहाल में आना-जाना लगभग खत्म ही हो गया।
क्योंकि बेशक हमने साथ मिलकर बहुत मस्ती की थी, पर इस रिश्ते को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता था और वक्त रहते सब कुछ खत्म करने में ही हमारी भलाई थी।
जैसे-जैसे समय गुजरता गया, हम अपनी-अपनी लाइफ में बिजी हो गए और जब कभी निखिल से मेरा सामना हुआ भी, तो हम एक-दूसरे को नजरअंदाज कर देते थे।
कॉलेज में जाने के बाद मैंने अपने बॉयफ्रेंड के साथ खूब मजे किए और बहुत-सी यादें बनाईं।
वो सब मैं आपको अपनी अगली कहानी में बताऊँगी।
इसी के साथ मैं अर्णव अब आप सभी से विदा लेता हूँ और आशा करता हूँ कि आपको यह कहानी जरूर पसंद आई होगी।
कजिन बेहन चोद कहानी पर आप अपने विचार एवं सुझाव मेरी मेल आईडी पर व्यक्त कर सकते हैं।
आप मुझे मेरी इंस्टाग्राम यूजर आईडी Arnav9k7 के द्वारा भी संदेश भेज सकते हैं।
मुझे आप सभी के संदेशों का इंतजार रहेगा।
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