प्यार को तड़फती लुगाई हुई पराई- 1
(Cute Girl Story)
क्यूट गर्ल स्टोरी में शराब के ठेकेदार की पत्नी की है. ठेकेदार उस भली लड़की के साथ मार पीट करता है. एक टैक्स इंस्पेक्टर यह देखता है तो वह उस ठेकेदार को धमकाता है.
दोस्तो, आज की कहानी मेरे पड़ोस में घटित एक सच्ची घटना पर आधारित है।
संभवतः आपके पड़ोस में भी कोई ऐसा घर होगा, जहाँ पति द्वारा पत्नी को प्रताड़ित करने के किस्से सुनने को मिलते हों।
यह क्यूट गर्ल स्टोरी सचिन के इर्द-गिर्द घूमती है।
सचिन कॉलेज में स्पोर्ट्स में अच्छा नाम रखता था।
स्टेट लेवल तक कुश्ती खेला, लंबा-छरहरा, मजबूत जिस्म का मालिक।
उसकी उम्र 27 साल थी।
उसकी कद-काठी और कुश्ती के किसी मैच में विजयी होने पर मंत्रीजी की कृपा से आबकारी विभाग में इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्ति हो गई।
डिपार्टमेंट और पद ऐसा था कि कमाई का कोई हिसाब नहीं।
सचिन की दूसरी पोस्टिंग हरियाणा में रोहतक के पास हुई।
हरियाणा ऐसा प्रदेश है जहाँ पानी से ज्यादा दारू बिकती है।
सचिन के पास कार और बुलेट मोटरसाइकिल थी।
इंस्पेक्टर का रुआब तो बुलेट पर ही आता है।
सचिन ने अपनी बॉडी अपने शौक के हिसाब से मेंटेन कर रखी थी।
रोज़ एक घंटा वर्जिश उसकी जिंदगी का अहम हिस्सा था।
खाने-पीने का शौकीन … बढ़िया हरियाणवी देसी घी का खाना उसकी कमजोरी थी।
हाँ, शराब और शवाब को वो हाथ भी नहीं लगाता था।
पता नहीं कैसे परिवार के संस्कारों ने उसे आज तक लड़कियों से दूर रखा था।
कॉलेज लाइफ में न जाने कितनी लड़कियों ने उसे लाइन मारी, नौकरी लगने के बाद शराब के ठेकेदारों ने उसे लड़कियाँ ऑफर कीं, पर सचिन ने अपने को इन सबसे दूर रखा।
उसे पोर्न देखने का शौक था।
उसकी रात बिना पोर्न देखे और ज्यादातर रातों में बिना मुठ मारे नींद नहीं आती थी।
और हाँ, रिश्वत के मामले में उसका हाजमा पक्का था।
था भी बहुत दिलदार।
अगर कोई ठेकेदार पैसे से कमजोर दिखा तो उसने बिना पैसे लिए उसका काम कर दिया।
किसी को पैसे की जरूरत पड़ी, तो उधार दे दिए।
उसके पैसे कौन मार सकता था भला।
अब जब वो ट्रांसफर होकर आया तो उसे मकान चाहिए था रहने के लिए।
मकान भी अच्छा, जहाँ AC लग सकें और गाड़ी खड़ी हो सके।
उसके इलाके का एक ठेकेदार था ओमप्रकाश जायसवाल।
उसे सब ओमी कहते थे।
खूब पैसे वाला था, कई ठेके उसके नाम थे।
उसके अपने ईंटों के भट्टे भी थे।
शराब का काम तो उसके पिताजी करते थे।
कोविड में उनका स्वर्गवास हो गया।
अब काम ओमी संभालता था।
बस दो ही कमियाँ थीं ओमी में … शराब पीना और गंदा बोलना।
बिना गालियों के तो किसी से बात ही नहीं करता था।
एक हड्डी का दुबला-पतला, उम्र लगभग 30-31 साल।
उसकी खासी बड़ी कोठी थी।
उसने हाथ जोड़कर सचिन से निवेदन किया कि वो उसकी कोठी में ही ऊपर की मंजिल पर ठहर ले।
पूरी कोठी में सिर्फ ओमी, उसकी पत्नी सोनिया, उसकी माताजी और दो नौकर रहते थे।
नौकर पति-पत्नी थे … रामू और हेमा।
वो कोठी के एक कोने में बने सर्वेंट क्वार्टर में रहते थे।
ओमी की माताजी आशा देवी, पति के स्वर्गवास के बाद अधिकतर वृन्दावन में अपने फ्लैट में रहती थीं।
महीने में 6-7 दिन के लिए आती थीं।
ओमी का कोई बच्चा नहीं था।
सोनिया, ओमी से उम्र में काफी छोटी, मात्र 26 साल की, बहुत सुंदर और पढ़ी-लिखी, आधुनिक ख्यालों के परिवार से आई लड़की थी।
पर बच्चा न होने से अब ओमी उस पर अक्सर हाथ छोड़ देता और बाँझ-बाँझ कहकर रोज़ ही शराब के नशे में गाली-गलौज करता।
आशा देवी ने शुरू में तो ओमी को खूब डाँटा और रोका, पर जब उनकी न चली, तो उन्होंने अपना ठिकाना वृन्दावन कर लिया।
वो भी मन ही मन सोनिया से नाराज़ थीं कि उसने उनका वंश आगे चलाने के लिए बच्चा नहीं दिया।
सोनिया ने अपनी परेशानियों का जिक्र कभी अपने मायके में न किया।
असल में उसके पिता हृदय रोगी थे और माँ का देहांत काफी पहले हो गया था।
पैसे की कोई कमी नहीं थी, पर सोनिया अपने पिता को दुखी नहीं देखना चाहती थी।
उसने ओमी से कई बार कहा कि वो इतनी पढ़ी-लिखी है, उसे किसी स्कूल में अच्छा जॉब मिल जाएगा।
पर ओमी इसमें अपनी हेठी समझता।
ओमी शादी के समय बहुत दिलफेंक और पक्का व्यापारी था।
कोई जिम्मेदारी नहीं थी इसीलिए सोनिया से उसका रिश्ता हुआ।
एक तरह से उनकी लव मैरिज थी।
शादी से पहले ही दोनों ज्यादा ही नजदीक आने शुरू हो गए थे।
सोनिया बहुत चंचल और बेबाक थी … उसे रिस्क लेने में मजा आता था।
शादी के समय सोनिया केवल 22 साल की थी।
शुरू के दो साल उनकी सेक्स लाइफ खूब रंगीन रही।
ओमी सोनिया को खूब घुमाता और जमकर दोनों सेक्स करते।
सोनिया सेक्स की बहुत शौकीन थी।
मौज-मस्ती का हर शौक उन दोनों ने पूरा किया।
ओमी सोनिया के मखमली जिस्म का दीवाना था।
पर पता नहीं कैसे ओमी को पीने की लत लग गई।
वो बाजारू औरतों के पास जाने लगा।
वहीं से उसे रोग लग गए।
ओमी के पिता ने उसका भरपूर इलाज करवाया और उसे उस बीमारी से बचा लिया।
उन्होंने ओमी पर इतनी सख्ती कर दी कि उसका बाजारू औरतों पर जाना तो रुक गया, पर वो बहुत चिड़चिड़ा हो गया और गंदा बोलने लगा।
उसके पिता और कुछ करते, इससे पहले कोविड में वो चल बसे।
ओमी ने व्यापार में तो अपनी जिम्मेदारी समझी, पर गंदा बोलना और शाम होते ही शराब पीना उसका शगल हो गया।
अब पिछले दो साल से वो आए दिन सोनिया पर हाथ उठाता और बिना गालियों के तो बात ही नहीं करता।
वो सोनिया से सेक्स भी करता, तो वेश्या समझकर।
उसका व्यवहार बहुत गंदा होता।
तो वो सेक्स सोनिया को बलात्कार-सा लगता।
सोनिया अब उसके पास जाने से भी चिढ़ती।
सोनिया ने उसका और अपना टेस्ट कराया, तो वो तो बिल्कुल ठीक थी।
हाँ, पिछली बीमारी में जो इलाज चला, उससे ओमी के शुक्राणु काफी कम बनते थे।
डॉक्टर्स ने कहा कि अगर वो शराब छोड़ दे और लगकर इलाज करे, तो साल-छह महीने में संभव है कि सोनिया गर्भवती हो जाए।
पर ओमी कुछ सुनने को तैयार नहीं था।
सोनिया ने अपनी सास से कहा, तो वो भी ओमी को समझा-बुझाकर थक-हारकर वापस वृन्दावन चली जाती।
एक बार तो सोनिया ने आत्महत्या की सोची, पर फिर उसे अपने पिता और यहाँ तक कि ओमी पर भी तरस आ गया।
उसके बाद तो दोनों का ख्याल रखने वाला कोई न होता।
उसके पिता तो जी लेते, पर ओमी नहीं जी पाता।
ओमी तड़के ही भट्टे के लिए निकल जाता, सिर्फ चाय पीकर!
फिर 10 बजे तक वापस आता।
उसके बाद नहाकर और नाश्ता-खाना खाकर 12 बजे जाता, फिर तो शाम को 7-8 बजे नशे में धुत्त वापस आता।
उसका ड्राइवर उसे सहारा देकर कोठी के अंदर पहुँचाता।
ओमी के दोपहर को जाने के बाद के छह-सात घंटे सोनिया के दिन के सबसे अच्छे वक्त होते।
उसके नौकर उससे हमदर्दी रखते थे।
सोनिया सुंदर तो थी ही, शौकीन भी थी।
उसने इतनी परेशानियों के बावजूद भी अपने को मेंटेन कर रखा था।
इन बीच के घंटों में वो अपने मर्जी के आधुनिक कपड़े पहनती, मन का बनाकर खाती, अपने पिता और रिश्तेदारों से बात करती।
बीच में मन करता, तो स्कूटी निकालकर बाजार घूम आती।
उस पर हर ड्रेस फबती।
पर शाम होते-होते उसे डर सताने लगता … ओमी की गालियों और लात-घूंसों और थप्पड़ों का!
वो कोशिश करती कि ओमी के सामने ही न पड़े, पर एक बार ओमी ने नौकरानी पर हाथ उठा दिया था।
तो उसके आदमी ने उसी रात काम छोड़ने का फैसला किया।
अब उनके बिना तो सोनिया मर ही जाती।
तो सोनिया ने उससे ये वादा किया कि ओमी के आते ही वो दोनों अपने क्वार्टर में चले जाएँ।
अब कोठी में अकेली सोनिया रह जाती … गाली खाने और पिटने को!
नौकरों के सामने ये सब हरकतें ओमी करता, तो सोनिया को बहुत अपमान भी लगता।
वो दोनों नौकर सोनिया से बहुत हमदर्दी रखते थे, पर करते भी क्या!
अब सोनिया ने भी इसे नियति मान लिया था।
वो चाहती थी कि ओमी और ज्यादा पीकर आए, ताकि घर आकर सीधा बिस्तर पर पड़कर सो जाए।
वो अपने बीते हुए दिन और रंगीन रातें याद करके दुखी रहती बस!
जब ओमी ने सचिन के ज्यादा ही हाथ-पैर जोड़े, कोठी में रहने के लिए, तो सचिन तैयार तो हो गया, पर उसने कुछ शर्तें रखीं।
एक तो उसके पोर्शन बिल्कुल अलग रहेगा।
दूसरा, वो बिना किराया दिए नहीं रहेगा।
हाँ, सफाई वगैरह ओमी के नौकर करेंगे।
बहुत ना-नुकुर के बाद ओमी किराया लेने को तैयार हो गया।
सचिन ने अपना सारा सामान ट्रक से उसकी कोठी में उतरवा दिया।
ओमी ने ही अपने नौकरों और सोनिया से कहकर सारा सामान सेट करवाकर सचिन को बता दिया।
सचिन ने खाने के लिए ओमी से ही कहा कि वो एक पंडित खाना बनाने वाली रख दे, जो सुबह-शाम खाना बना दे।
ओमी ने बहुत कहा कि खाना नीचे से आ जाया करेगा, पर सचिन ने साफ मना कर दिया।
सचिन के ऑफिस के एक बाबू ने उससे कहा भी कि ओमी उसकी लाइन का आदमी नहीं है, गाली और शराब के बिना उसका काम नहीं चलता।
सचिन ने हँसकर कहा कि जिस दिन ओमी उसे गाली दे देगा, उसी दिन उसके हाथ-पैर तो टूटेंगे ही, साथ ही शराब का लाइसेंस भी खतरे में पड़ जाएगा।
और रहा सवाल शराब पीने का, वो अपने घर में कुछ भी करे, इससे उसे क्या!
सचिन ओमी के साथ ही दिन में कोठी गया।
दोपहर का खाना ओमी ने कोठी पर ही खाने का निवेदन किया था।
सचिन ने पहली बार वहाँ क्यूट गर्ल सोनिया को देखा।
सोनिया सलवार-सूट में बहुत सुंदर लग रही थी।
उसके माथे पर लाली थी, जैसे वो किसी चीज़ से टकराई हो।
सोनिया ने उससे पूछा कि वो चाय लेगा या कॉफी।
सचिन बोला कि इस पिछड़े इलाके में तो सभी लोग चाय ही पीते हैं, अगर वो बना सकती हो, तो अच्छी-सी कॉफी बना दे, वरना चाय ही दे दे।
सोनिया मुस्कुराकर चली गई। ओमी अपनी आदत से बाज़ नहीं आया।
उसने एक भद्दी-सी गाली देकर सोनिया से कहा कि कॉफी इंस्पेक्टर साहब को पसंद आनी चाहिए।
उसकी गंदी जुबान सुनकर सचिन तुरंत खड़ा हो गया।
उसने गुस्से में ओमी से कहा, “ठेकेदार जी, मुझे नहीं रहना आपके गाली हाउस में। मेरे सामने कोई गाली दे, ये मुझे बर्दाश्त नहीं।”
उसे ठिठकी और सहमी खड़ी सोनिया से कहा, “माफ कीजिए, मैं इनके घर की कॉफी क्या, पानी भी नहीं पियूँगा।”
ओमी की तो घिग्घी बँध गई।
वो तो हाथ जोड़े खड़ा हो गया।
आबकारी के इंस्पेक्टर की नाराज़गी लेकर वो ठेका चला ही नहीं सकता था और सचिन एक दबंग इंस्पेक्टर है, ये उसे मालूम था।
अब सोनिया ने बात संभाली।
उसने अंग्रेजी में बात करते हुए ओमी के व्यवहार के लिए माफी माँगी और सचिन से कहा कि रहना न रहना उसकी इच्छा है, पर घर आकर कॉफी नहीं पिएगा, तो इससे उसका अपमान होगा।
सचिन उसकी साफगोई और वाक्पटुता का कायल हो गया।
उसने नरम होकर उससे कहा, “मुझे उम्मीद है कि आपकी कॉफी भी आप ही की तरह अच्छी होगी।”
ओमी तो जब तक वो रहा, चुप ही बैठा रहा।
सोनिया ही सचिन से बात करती रही।
कुल मिलाकर सचिन उससे बहुत प्रभावित हुआ।
सोनिया ने कह दिया कि उसकी मेड पंडित है और वो उसका भी खाना बना दिया करेगी। क्योंकि नीचे तो वो दोनों सारा काम निबटाकर 6 बजे तक अपने क्वार्टर चले जाते हैं। तो मेड 7 बजे तक ऊपर जाकर खाना बना देगी।
सचिन ने उससे माथे पर लाली के लिए पूछा, तो सोनिया बोली कि अँधेरे में चौखट से टकरा गई थी।
पर हाँ, ओमी का चेहरा सफेद पड़ गया था।
कॉफी और खाना बहुत ही लाजवाब था।
सचिन ने अपने कॉलेज के कैफे हाउस के बाद इतनी अच्छी कॉफी पहली बार पी थी।
यह क्यूट गर्ल स्टोरी 5 भागों में चलेगी.
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क्यूट गर्ल स्टोरी का अगला भाग: प्यार को तड़फती लुगाई हुई पराई- 1
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