दिल्ली बस रूट न. 623

(Delhi Bus Route Number 623)

मेरा नाम आमोद कुमार है, मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ।

किसी जरूरी काम से वसंत विहार जाने के लिए मैं प्रीत विहार से रूट न. 623 बस में चढ़ा और टिकट लेकर कंडक्टर के आगे वाली खाली सीट पर बैठ गया और अपना बैग साथ वाली खाली सीट पर रख दिया।

बस चलती रही, सवारियाँ उतरती चढ़ती रही, कुछ देर बाद लक्ष्मी नगर स्टैंड से एक बेहद खूबसूरत लड़की बस में चढ़ी, उसको देख कर मन में बोला ‘कसम से खुदा ने बड़ी फुर्सत में बनाया है।’
खुली ज़ुल्फ़ें, बडी-बड़ी काली-काली आँखें, गुलाबी होंठ, लाल गाल जैसे कश्मीर के सेब, फिगर लगभग 34-28-34, कद लगभग 5 फीट 6 इंच, पीला चूड़ीदार सूट, एकदम स्वर्ग की अप्सरा लग रही थी।

कंडक्टर से टिकट लेकर सीट पर बैठने के लिए उसने मुझे बैग हटाने का आग्रह किया, क्योंकि बस में एक ही खाली सीट थी जिस पर मैंने अपना बैग रखा हुआ था।

मैंने बैग को अपने घुटनों पर रख लिया, और उस लड़की ने मुझे शुक्रिया कहा और मेरे साथ बैठ गई।
बस चल रही थी और मैं अपने मोबाइल पर AirLift फ़िल्म देखने लगा। वो लड़की भी फ़िल्म देख रही थी लेकिन फ़िल्म की आवाज़ उसको नहीं मुझे सुनाई दे रही थी क्योंकि हेडफ़ोन मेरे कानों में लगे थे।
तो मैंने अपने बाएं कान से इयरफ़ोन निकाल कर उस लड़की की तरफ बढ़ा दिया।

तभी उस लड़की ने पूछा- क्या आप फ़िल्म मुझे सेंड कर सकते हो?
मैंने कहा- क्यों नहीं, अभी देता हूँ।
और मैंने उसको फ़िल्म सेंड कर दी।

जब मैं उसको फ़िल्म दे रहा था तो उसने बात करनी शुरू की, मेरे बारे में पूछा और अपने बारे में बताने लगी।
उसने अपना नाम उर्वशी बताया और मैंने उसको अपना नाम आमोद बताया।
जैसा नाम वैसा ही हुस्न…

उसने बताया कि वो जयपुर की रहने वाली है और अभी कुछ महीने पहले ही वो दिल्ली आई है।
बातें करते हुए सफ़र का पता नहीं चला और बस वसंत विहार पहुंच गई, बस से उतर कर हम दोनों अपने-अपने रास्ते हो लिए।

मैं शाम तक अपना काम निपटा कर वापस प्रीत विहार जाने के लिए 623 बस में चढ़ा और टिकट लेने के लिए मैंने पैसे दिए ही थे कि उर्वश पर मेरी नज़र पड़ी, वो सीट पर अकेली बैठी थी।

मैं ज़रा भी वक़्त गवाएं टिकट लेकर उसके साथ बैठ गया और बैठते हुए उसको हैल्लो बोला, उसने भी मुस्कुराते हुऐ ‘हाय’ कहा और पूछा- वापस घर जा रहे हो?
मैंने कहा- हाँ जी, घर ही जा रहा हूँ।

बस चल रही थी और हम दोनों बातें कर रहे थे। लग ही नहीं रहा था कि हम आज पहली बार मिले है।
बातें करते हुए मैं अपना फेसबुक अकॉउंट चैक करने लगा तो मैंने उससे पूछा- क्या आप फेसबुक इस्तेमाल करती हो?
उसने कहा- हाँ!
तो मैंने उसको add करने के लिए पूछा तो उसने कहा- मैं फेसबुक बहुत कम Online आती हूँ।
मैंने कहा- कोई बात नहीं।
और फिर से फेसबुक देखने लगा।

बस में हम दोनों की जांघें छू रही थी और बस के हिचकोलों में दोनों की जांघें आपस में रगड़ती रही।
मैं भी अपनी कोहनी से बस के हिचकोलों की आड़ में उसकी चूचियों को हल्के-हल्के छूने लगा।
उसको शायद अच्छा लग रहा था इसलिए उसने कुछ नहीं कहा, और सिर्फ मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी।

45 मिनट के मस्ती भरे सफर के बाद बस लक्ष्मी नगर पहुँच गई और वो उतरने लगी, उतरते हुए उसने मुझे देखा और मुस्कुराई, बस उसका मुस्कुराना था और मैं भी सीट से उठकर उसके पीछे-पीछे उतर गया, कुछ देर बात की, बातें करते हुए उसने पूछा- आप भी लक्ष्मी नगर रहते हो?
मैंने कहा- नहीं, मैं प्रीत विहार रहता हूँ।
वो बोली- फिर उतर क्यों गए?
मैंने कहा- मुझे कुछ काम है इसलिए उतर गया।

अभी हम बात कर ही रहे थे, तभी उर्वशी ने कहा- आमोद, आपका नंबर क्या है?
मैंने उर्वशी को अपना नंबर बताया, उर्वशी ने अपने फ़ोन से मिस कॉल की और कहा- Fb से बेहतर- WhatsApp है बात करने के लिए।
मैंने सोचा कि मैं तो सिर्फ fb पर ऐड करने के लिए पूछ रहा था, लेकिन यह तो खुद मुझे अपना मोबाइल नंबर दे रही है।

हम दोनों ने एक-दूसरे के नंबर लिए और अपने-अपने घर की तरफ चल पड़े।

घर पहुंचकर मैंने खाना खाया और अपने रूम में जाकर लेट गया लेकिन नींद आंखों से कोसों दूर थी, रह रहकर उर्वशी का चेहरा मेरी आंखों के सामने आ रहा था।
उसको याद करते हुए सोच रहा था कि मैसेज करूँ या ना करूँ और तभी मेरे मोबाइल पर WhatsApp नोटिफिकेशन आया, देखा तो उर्वशी का मैसेज था, लिखा था- Hi, I’m Urvashi
मैंने भी Hello लिखा।

उर्वशी ने पूछा- पहुंच गए घर?
मैंने कहा- हाँ जी, पहुँच गया।
मैंने भी उर्वशी से पूछा- आप घर पहुँच गई?
उसने कहा- हाँ.. पहुंच गई।
मैंने पूछा- मम्मी से या पापा से डांट तो नहीं पड़ी लेट होने पर?
तो उसने कहा- नहीं मम्मी और पापा यहाँ नहीं रहते, वो दोनों जयपुर रहते हैं। यहाँ मैं अपनी फ्रेंड के साथ रहती हूँ।

धीरे-धीरे बातें बढ़ती गई और हम दोनों रोज रात भर WhatsApp पर बातें करते रहे।
बात करते हुए मैंने लिखा- उर्वशी, सच तुम बहुत खूबसूरत हो।
उर्वशी ने लिखा- फ्लर्ट कर रहे हो?
तभी मैंने लिखा- मैं तो चांस मार रहा हूँ।
और दोनों ने स्माइल फेस बना कर एक दूसरे को भेजा।

फिर उसने लिखा- बस में जब मैं आपके पास बैठी थी, तब आप बार बार मुझे देख क्यों रहे थे?
तो मैंने लिखा- मैं तुमको नहीं बनाने वाले की कारीगरी देख रहा था।
उर्वशी ने जवाब दिया- मैंने महसूस किया था जिस तरह लड़के लड़कियों को घूर कर देखते है, आपने उस तरह से नहीं घूरा, आपका देखने का नज़रिया काफी अलग है… और शरारती भी हो।
मैंने कहा- खूबसूरती को घूरना नहीं आता लेकिन खूबसूरती की तारीफ करना अच्छा लगता है, और जब आपको देखा था तो दिल ने कहा ‘बस तुम को सदियों तक पलक झपकाये देखता रहूँ।

हम रोज फ़ोन और WhatsApp पर बाते करते थे। कुछ ही दिनों में बातें करते हुए हम अब खुलने लगे थे, धीरे धीरे अंतरंग बातें शुरू हो गई, कभी कभी फ़ोन सेक्स करते।
सच में दोस्तों फ़ोन सेक्स का भी अपना अलग मजा है।

एक दिन हम दोनों ने फ़िल्म देखने का प्रोग्राम बनाया और लक्ष्मी नगर मेट्रो स्टेशन पर दोपहर 1:00 बजे मिलने का तय किया।
मैं अपनी बाइक से तय वक़्त पर लक्ष्मी नगर मेट्रो स्टेशन पहुंच गया और उर्वशी को फोन कर के बता दिया।
कुछ देर में उर्वशी भी आ गई।

जैसे ही वो पास आई मैंने उसकी कमर में हाथ डाल कर अपनी तरफ खींच लिया और अपने होंठों को उसके होठों से जोड़ दिया और उसको चूम लिया।
किस करते हुए उर्वशी की घबराहट को महसूस कर लिया था मैंने इस लिए चुम्बन ज्यादा लम्बा नहीं किया।

उर्वशी और मैं अलग हुए तो मैंने देखा वो खुद को बहुत असहज महसूस कर रही है, उसके चेहरे पर घबराहट और परेशानी की भाव उभर आये थे।
सच में दोस्तो, वो इतनी खूबसूरत और प्यारी लग रही थी कि मैं शब्दों में नहीं लिख सकता।

उसको असहज देख मैंने उसको अपने सीने से लगा कर कहा- सॉरी उर्वशी, तुमको देखते ही खुद को रोक नहीं पाया।
जब मैंने उसको कहा तो उसने बहुत प्यार भरी नज़रों से मुझे देखा और उसके बाद मैंने उसको अपने सीने से लगा लिया और उर्वशी ने भी अपनी बाँहों को मेरी कमर से लपेट लिया और मेरी बाँहों में सिमट आई।

लेकिन तभी उसकी रूम पार्टनर का फोन आया और उसने कहा कि वो थोड़ी देर में आ रही है क्योंकि उसे आज ही अपने घर देहरादून जाना है, इसलिए वो सामान लेने आ रही है।
ये सब उर्वशी ने फ़ोन डिसकनेक्ट करने के बाद बताया और कहा- सॉरी, आज हम कही नहीं जा सकेंगे।
मैंने कहा- कोई बात नहीं।
और मैं वापस चल दिया।

रात को उर्वशी का मैसेज आया, लिखा था- आपने सबके सामने Kiss क्यों किया मुझे? और आपको ऐसा करने से डर नहीं लगा?
मैंने कहा- उर्वशी, उस वक़्त तुमको देख कर मैं सब कुछ भूल गया।
उर्वशी ने कहा- अब तक डर लग रहा है मुझे वो सब सोच कर।
और बताया कि अभी इतनी घबराहट हैं कि खाना भी नहीं बना सकी मैं।

मुझे अब खुद पर गुस्सा आ रहा था, मेरी हरकत की वजह से उर्वशी परेशान और भूखी है।
मैंने बहाना बना कर फ़ोन काट दिया और घर पर दोस्त के घर जाने के लिए बोलकर घर से निकल आया और उर्वशी के लिए होटल से खाना पैक करा कर लक्ष्मी नगर पहुंचा और उर्वशी को फोन किया और कहा कि मेट्रो स्टेशन एग्जिट पर आओ, कुछ काम है।

उसने कोई सवाल नहीं किया और पांच मिनट में वो आ गई।
मैंने उसको खाना दिया और कहा- मेरी हरकत की वजह से तुम भूखी हो, सॉरी उर्वशी।
वो एकदम से मेरे सीने से लग गई।

खाना दे कर मैं वापस जाने के लिए मुड़ा तो उसने ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- आप भी मेरे साथ खाना नहीं खाओगे?
और मैं उर्वशी के साथ उसके फ़्लैट पर चला गया।
हम दोनों ने साथ खाना खाया, कभी वो मुझे खिलाती, कभी मैं उर्वशी को खिलाता, कभी कभी वो मेरी ऊँगली को दाँत से काट लेती, कभी मैं उसके गाल पर किस कर देता।

खाना ख़त्म होने के बाद उर्वशी ने मुझे थैंक्स बोला और मेरे गले लग गई, मैंने उसके माथे पर किस किया और अपनी बाँहों में लॉक कर लिया और कुछ देर बाद एक दूसरे की आँखों में देखते देखते न जाने कब हम दोनों के होंठ आपस में जुड़ गए।
करीब 15 मिनट तक हम कामवासना के वशीभूत होकर एक दूसरे को किस करते रहे।

उर्वशी के होठों को चूसते हुए टॉप के ऊपर से चूचियाँ दबाने लगा और धीरे-धीरे उसका टॉप ऊपर कर के उतार दिया।
उसने काले रंग की डिज़ाइनर ब्रा पहनी हुई थी, ब्रा के ऊपर से दोनों चूचियाँ दबाने लगा, वो मेरे होठों को चूस रही थी।

मैंने उसको दीवार से लगया और उसकी गर्दन पर चूमने लगा, उसके बाद मैंने अपना हाथ उसके लोअर में डाल कर पैंटी के ऊपर से चूत को मसलने लगा।
मैं उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को चूस और चाट रहा था और उर्वशी भी मेरे सिर को अपनी चूचियों में दबा के सिसकारियाँ भर रही थी।

उसको चूमते हुए मैं धीरे धीरे उसके पेट की तरफ बढ़ने लगा और उसकी नाभि के चारो तरफ अपनी जीभ चलाने लगा और अपने हाथों से उसका लोअर उतार कर उसके पैरों से अलग कर दिया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

उर्वशी ने ब्रा के मैचिंग की डिज़ाइनर पैंटी पहनी हुई थी, कसम से इस वक़्त काली ब्रा और पैंटी में उर्वशी स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी लग रही थी।
मैं पैंटी के ऊपर से चूत पर चूमने लगा, तभी उसने मेरे बालो को पकड़ा और मुझे खड़ा किया और मुझे दीवार से लगा कर मुझे गर्दन पर चूमने लगी और मेरी शर्ट के बटन खोल कर मेरे सीने पर चूमने लगी, कभी मेरे निप्पल को चूसती, कभी दांतों से काटती हुई मेरी बेल्ट और जींस खोल का उतार उतार दी।

मैंने उर्वशी को खड़ा किया और उसके होठों को अपने होठों में भर लिया और अपना हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया। चूत पर बालों का नामोनिशान नहीं था, एकदम सफाचाट और चिकनी चूत पर हाथ फिराने का अलग मजा है, चूत को सहलाते हुए मैंने अपनी ऊँगली उसकी चूत में सरका दी।

उर्वशी के मुँह से मादक सिसकी फूट पड़ी।
मैं ऊँगली उसकी चूत में अंदर बहार करते हुए अपने अंगूठे से उर्वशी की चूत के दाने को सहलाने लगा।
‘आहहहह…’ करते हुए बोली- आमोद, कुछ करो प्लीज़!
और अपना हाथ मेरे अंडरवियर में डाल कर मेरे लण्ड को अपनी मुट्ठी में भर कर मसलने और दबाने लगी।

मैंने उर्वशी को अपनी बाँहों में उठाया और बेडरूम में लाकर बेड पर पेट के बल लिटा दिया और उसकी कमर को चूमने चाटने लगा, कभी कभी हल्का हल्का दांतो से काटने लगा।
उसकी ब्रा को अपने दांतों से पकड़ा और ब्रा के हुक खोलकर उसे उतार दिया और पलट कर उसको सीधा किया, मस्त गोरे गोरे अमृत कलशों पर हल्के गुलाबी रंग के बड़े निप्पल, जो खड़े होकर मुझे बुला रहे थे, जैसे कह रहे हों- आओ और अपने होंठों से चूसो हमें और सारा अमृत पी जाओ।

मैंने उसकी बाई चूची को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा और उर्वशी मेरे सिर के बालों में हाथ घुमाते हुए मेरे सिर को अपनी चूचियों में दबाने लगी और आहें भरने लगी।
मैं कभी उसके निप्पल चूसता, कभी जीभ को निप्पल के चारों तरफ घूमता और दायें निप्पल को अपने अंगूठे और ऊँगली के बीच ले कर मसलने लगा।
उर्वशी की रुई जैसी मखमली गोरी चूचियों को चूस चूसकर लाल कर दिया।

एक हाथ से उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ऊँगली से सहलाता रहा। कुछ देर बाद मैंने उर्वशी की पैंटी उतार दी और खड़े होकर उसके नंगे बदन को देखने लगा।
जब उर्वशी में मुझे देखा तो शर्म से उसका चेहरा लाल हो गया और वो अपने हाथों से अपनी चूचियों को और अपनी चूत को पैरों से छुपाने लगी।

उर्वशी ने कहा- आमोद, ऐसे मत देखो मुझे शर्म आती है।
दोस्तो, आज के वक़्त में भारतीय लड़कियाँ बेशक बोल्ड और खुले विचारों की है लेकिन जब भी वो अपने प्रियतम के साथ संभोग के लिए निर्वस्त्र हो और उनका प्रियतम जिस्म को निहारता है तो वो शर्म, हया, लज्जा में अपने नंगे जिस्म को छुपाने की नाकाम कोशिश करती है और खुदा कसम बला की खूबसूरत लगती है।

उर्वशी भी बिल्कुल वैसी ही लग रही थी, मैं उर्वशी के संगमरमर के जिस्म को देख रहा था, एक एक अंग को बनाने वाले ने सांचे में ढाल कर बड़ी फुर्सत में बनाया है।

मैंने उर्वशी को अपने जिस्म पर चिपके हुए अंतिम वस्त्र को उतरने का इशारा किया, तो उसने पलंग पर बैठकर अंडरवियर के ऊपर से मेरे लन्ड को पकड़कर चूमकर बड़ी अदाओं से अंडरवियर को उतार दिया और लन्ड को लपक कर अपने हाथ में थामा और उसकी चमड़ी को पीछे कर के नत्थूलाल सिर फटे ( टोपे ) को बाहर निकल लिया, नत्थूलाल को चूमते हुए मेरी तरफ देखा और मुँह खोल लन्ड मुँह डालकर चूसने लगी, कभी पूरा लन्ड मुँह में ले कर चूसती, कभी टोपा चूसती हुई टोपे को जीभ से चचोरने लगी।

उर्वशी मेरा लन्ड चूस रही थी और मैंने आनन्द में डूब कर उसके सिर को हाथों से थाम कर अपना लन्ड चुसवाते हुए हल्के-हल्के धक्के मारने लगा और उर्वशी का मुँह चोदने लगा।
उर्वशी भी हुम हुम करते हुए लन्ड चूसती रही, कभी लन्ड चूसते हुए, चाटते हुए, तो कभी मेरी गोटियों को चूसते हुए मुझे देखती रहती।
मैंने लन्ड उसके मुँह से निकाला और उर्वशी को सीधा लिटा कर उसकी चूचियों के बीच में लन्ड रखा तो उर्वशी ने अपनी दोनों चूचियों के बीच में दबा लिया, मैं भी चूचियों को चोदने के लिए धक्के मारने लगा और उर्वशी जीभ निकाल कर लन्ड को मुँह में लेने की बार बार कोशिश करती।

कुछ देर बाद मैं लेटा और उर्वशी को अपनी चूत मेरे मुँह पर रख कर, 69 की अवस्था में आने के लिए बोला।
उर्वशी ने चूत मेरे मुँह पर रख कर लन्ड पकड़ कर मुठियाते हुए चूसना शुरू किया।

मैंने अपने अंगूठों से चूत की फाँकों को अलग किया तो देखा कि अंदर का नज़ारा एकदम गुलाबी था।
उर्वशी की नाजुक और गुलाबी चूत देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया, मैंने अपने होंठों पर जीभ फिराई और उर्वशी की चूत के होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसना शुरू किया, उसकी चूत के होठों को खोल कर चाटते हुए अपनी जीभ चूत के अंदर डाल दी और चूत को चूसने लगा।

उर्वशी भी मेरे मुँह पर अपनी चूत में दबाने, रगड़ने लगी और जोर-जोर से लण्ड को पूरा मुँह में लेकर चूसते हुए बोलने लगी- आमोद, प्लीज़ कुछ करो अब बर्दाश्त नहीं होता, चोद दो मुझे, प्लीज़ फ़क मी, प्लीज़।

मैंने पैकेट से कॉन्डोम निकाला और अपने लण्ड पर चढ़ा कर उसकी चूत पर लण्ड फिराने लगा जिससे उर्वशी ओर भी ज्यादा तड़फ़ने और मचलने लगी और विनती करते हुए बोली- चोद दो मुझे प्लीज़ फक मी आमोद!

मैंने उर्वशी के दोनों पैरों को अपने कन्धों पर रखा और अपने हाथ से पकड़ कर लन्ड को उसकी चूतद्वार पर सेट किया और धक्का मार कर लन्ड उर्वशी की चूत में डाल दिया।
लण्ड का सिर्फ सुपारा ही घुसा था कि उर्वशी की हल्की चीख निकल गई।

मैंने तुरंत उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए जिससे उर्वशी की चीख मेरे मुँह में घुट गई।
उसने कुछ देर मुझे रुकने के लिए कहा, कुछ देर बाद धीरे-धीरे लण्ड अंदर बाहर करने लगा और जब उर्वशी अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने मौका देख कर अगले झटके में पूरा लन्ड उर्वशी की चूत में डाल दिया और उसको चोदने लगा।

वो भी मुझे अपनी ओर खींच रही थी, उसने अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिए थे।
कुछ देर बाद मैंने उसको अपने लन्ड पर बैठने के लिए कहा तो उर्वशी लन्ड पकड़ कर चूत की फाँकों के बीच सेट करके बैठ गई और अपनी गांड हिला हिला कर चुदने लगी।

उर्वशी लन्ड चूत में ले कर कूदने लगी, जिससे उसकी चूचियाँ ऊपर-नीचे हिल कर मुझे निमंत्रण दे रही थी, जैसी कह रही हो हमें भी चूस लो!
मैं बेदर्दी से उसकी चूत में नीचे से धक्के मारने लगा और उसकी चूचियों के निप्पल बारी बारी से चूसता, काटता रहा।

2 मिनट बाद, उर्वशी चीखते हुए झड़ने लगी और हाँफते हुए मेरे सीने पर ढेर हो गई लेकिन मैं अभी मैदान-ए-चूत पर डटा हुआ था।
जब उर्वशी झड़ कर मेरे सीने पर लेटी हुई अपनी हाँफते हुए अपनी सांसों पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रही थी तो मैं उसकी पीठ पर हाथ फेरता हुआ उर्वशी को सामान्य होने में मदद करता रहा।

कुछ देर बाद मैंने उर्वशी को घोड़ी बनने के लिए कहा तो वो घोड़ी बन गई और मैंने उसकी चूत में लन्ड डाल कर उसकी चूचियों को अपने हाथों में थाम लिया और उर्वशी की कमर पर झुक कर उसके कान की लटकन को चूसने लगा, उर्वशी के कान में बोला- क्या तुम हार्ड चुदाई के लिए तैयार हो?
वो बोली- आमोद, कई दिनों बाद आज जी भर कर चुदना चाहती हूँ, जैसे मन करे आप मुझे वैसे चोदो!

मैंने अपने धक्के पैसेंजर स्पीड से शुरू किये और एक्सप्रेस की स्पीड से उसको चोदने लगा, पूरा कमरे का माहौल फच… फच… के राग से संगीतमय बन गया।
उर्वशी बोल रही थी- आमोद, पूरी ताकत से चोदो!
और मैं उसकी पीठ पर चूमते हुए गांड पर चांटें मारने लगा।

‘आह्ह… हाँ मेरे बलमा… चोद मुझे, बहुत फड़कती है ये निगोड़ी चूत, निचोड़ लो मेरी जवानी, हर रात चुदाई की प्यास में आंसू बहाती है ये। आज सच में कई दिनों बाद मस्त चुदाई हुई है, जोर से चोदो मेरे राजा।’

मैं घोड़ी बनी उर्वशी को चोद रहा था और उसके दोनों निप्पल, और बूब्स को बेदर्दी से निचोड़, मसल रहा था।
उर्वशी को चोदते हुए काफ़ी समय हो चुका था और वो फिर से झड़ने के करीब थी।

8-10 धक्कों के बाद उर्वशी की चूत झड़ने लगी लेकिन मेरा नहीं हुआ था, तो मैंने उर्वशी को पलंग के किनारे खींच लिया और उसकी टाँगों को कन्धों पर रख कर उसकी चूत में लन्ड डाल कर उसके ऊपर झुक कर उसके होठों को चूसते हुए चोदने लगा।
अपनी बाँहों को मेरे गले में डाल कर मुझे अपने तरफ खींचा और मेरे कान में बोली- आमोद, बस अब हिम्मत नहीं है।

मैं उर्वशी की बात समझते हुए जोर जोर से धक्के लगाने लगा और कुछ देर बाद मेरा स्पर्म निकलने को हुआ तो मैं तेज़ी से धक्के मारने लगा और हम दोनों एक साथ डिस्चार्ज हो गए और मैंने वीर्य से कंडोम भर दिया।

उर्वशी और मैं दोनों एक दूसरे बाँहों में हाँफने लगे, उर्वशी थक कर चूर हो गई थी।
फिर हम दोनों बाथरूम गए, एक दूसरे को साफ किया, और एक दूसरे को बाँहों में ले कर लेट गए।

कुछ देर बाद मैं उर्वशी को बोला- उर्वशी, मैं अभी सिगरेट ले कर वापस आता हूँ।
तो उर्वशी ने मुझे रोक और कहा- सिगरेट पीने का मेरा भी मन हो रहा है लेकिन मुझे लगा शायद आपको स्मोकिंग पसंद नहीं, यह सोच कर सिगरेट नहीं जलाई, लेकिन अगर आपको सिगरेट पीने का मन है तो कहीं जाने की जरूरत नहीं।

और फिर उसने मुझे सिगरेट दी और हम एक सिगरेट पीने लगे।

दोस्तो, यह थी मेरी कहानी, लिखने में जो गलती हुई उसके लिए क्षमा करें तथा अपने विचारों को ईमेल द्वारा भेज कर बताना आपको मेरी रियल सेक्स कहानी कैसी लगी।
अगली कहानी में बताऊँगा कि कैसे मैं उर्वशी के साथ उसकी फ्रेंड के वापस आने तक उर्वशी के रूम पर रहा और तीन रात हमने खूब सेक्स किया।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top