देहाती लड़की की वर्जिन चूत की चूदाई
(Deshi Sex Ki Kahani)
देशी सेक्स की कहानी में मेरे गांव में एक बहुत खूबसूरत लड़की थी उन्नीस साल की। मुझे वह जब भी देखती तो मुस्कुराती और इशारों में बात करती. मुझे भी वह अच्छी लगने लगी.
दोस्तो, मेरा नाम वैभव है, उम्र तेईस साल, और मैं एक गाँव का सीधा-साधा लड़का हूँ।
मेरी हाइट पाँच फीट छह इंच है।
मैं हल्का साँवला हूँ।
मैं आज अपनी रियल देशी सेक्स की कहानी लेकर आप सबके सामने हाजिर हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं घर आया हुआ था।
मेरे गाँव में एक बहुत ही खूबसूरत लड़की सपना रहती थी, जिसकी उम्र उन्नीस साल थी।
वह मुझे चाहने लगी थी, उसे मुझसे लगाव होने लगा था।
गाँव के आधे से अधिक लड़के उसके पीछे पड़े थे और वह मेरे पीछे पड़ गई।
उसकी चूचियों को देखकर तो कोई भी दीवाना हो जाएगा।
ऊपर से बिल्कुल रसीली, मोटी चूतड़ वाली, और चेहरे की बनावट भी सुंदर।
मुझे जब भी सपना देखती, मुस्कुराती और इशारों में बात करती, पर मेरा ध्यान उसके ऊपर बिल्कुल नहीं गया।
लेकिन एक दिन ऐसी घटना हुई कि मैं भी उसे चाहने लगा।
फरवरी-मार्च का महीना था।
होली की सफाई में वह अपना द्वार लीप रही थी।
उसका दुपट्टा सरक कर गिर गया था, और उस दिन उसने ब्रा नहीं पहनी थी।
उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ साफ दिख रही थीं।
मैं कम से कम 5 मिनट तक घूरता ही रह गया।
जब उसका ध्यान मेरी तरफ गया तो वह शरमा गई और फिर मुस्कुराने लगी।
अब वह समझ चुकी थी कि मैं भी उसे चाहने लगा हूँ।
एक दिन उसने मुझे टी.वी. बनाने के बहाने घर बुला लिया।
मैं बिल्कुल डर गया क्योंकि उस दिन उसके घर कोई नहीं था और टी.वी. भी खराब नहीं हुई थी।
बस वह कुछ कहना चाहती थी।
उसने दरवाजा बंद कर दिया और मेरी तरफ बढ़ी।
कुछ कहने को थी कि तभी उसके घर वाले आ गए।
मैंने फटाफट अपना मोबाइल नंबर दर्पण पर ही हाथों से लिख दिया और बोला, “जो कहना है, बताना!”
अब आप सोच रहे होंगे कि शीशे पर बिना पेन के कैसे लिखा? वहाँ सिंगारदानी थी, और उस पर धूल जमा थी, सो हाथ चलाया और हो गया।
अब मैं उस पर निगरानी रखने लगा।
जब भी वह अकेली मिलती, मैं उसकी चूचियों को पकड़कर दबा देता था।
मैं उसकी चूचियों को डेढ़ सौ बार से अधिक दबा चुका था।
पर गलियों में उसकी चुदाई तो नहीं हो पाती थी क्योंकि हमेशा कोई न कोई आते-जाते रहते थे।
अब इस तरह लगभग दस महीने बीत चुके थे।
यह तमन्ना बहुत पहले पूरी हो गई होती.
पर उसके पास मोबाइल नहीं था।
जनवरी आ गया था।
सोलह जनवरी, दो हजार बीस का दिन था।
मैं घर आया था।
सुबह वह मुझसे मिली तो मुझे देखकर मुस्कुराने लगी।
सपना की मुस्कुराने की अदा ऐसी थी कि मेरा सात इंच का लण्ड एक झटके में खड़ा हो जाता था।
मैंने उसका हाथ पकड़कर चुम्बन लिया तो वह बोली, “आज रात को मिलोगे?”
मेरे मुँह से आवाज न निकली और मैंने सिर हिला दिया।
फिर क्या … मैंने पूरे दिन रात का इंतजार किया।
ठंड का मौसम था।
गाँवों में लोग ठंड में बहुत जल्दी सो जाते हैं.
तो मैं आठ बजे उसके घर में सावधानी से दाखिल हुआ।
सपना घर में अकेली सोती थी, बाकी सभी लोग घर के आगे पुआल पर सो रहे थे।
मैं जैसे ही पहुँचा, वह उछलकर मेरे पास आयी।
फिर हम दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे।
पहली बार तो वह लगभग पांच मिनट तक मेरे होंठों को अपने होंठों से चूसती रही।
अब उसकी नाक फूल गई थी।
मुझे मालूम था कि जब किसी लड़की को चुदने का मन करने लगता है और वह जोश में आती है, तो वह नाक फुलाने लगती है।
मैं उसको अब चूमने लगा और धीरे-धीरे उसे मदहोश कर दिया।
कुछ मिनट तक मैंने उसकी चूचियों को चूसा, फिर सहलाने लगा।
धीरे-धीरे उसकी सलवार में एक उंगली डालकर देखा तो उसकी चड्डी गीली हो गई थी।
अब वह सिसकारियाँ भरने लगी, “ओह… माँ…!”
सपना के बिल्कुल रसीले, मोटे चूतड़ों को दबाकर मैंने उसकी सलवार उतार दी।
जो नजारा दिखा, मैं उसे बयाँ नहीं कर पा रहा हूँ।
गुलाबी पैंटी, ऊपर से चूचियाँ बिल्कुल टाइट, और उसके होंठों के पास तिल—क्या नजारा था!
मैं अब अपने को नहीं रोक पाया।
मैंने उसकी पैंटी उतार दी।
जब उसकी चूत देखी, तो लग रहा था कि उसने दिन में ही साफ की है।
एक भी बाल नहीं था और चूत में पतली सी पानी की धारा बह रही थी।
सपना अपने को शर्म से कपड़ों से ढकना चाहती थी।
मैंने बिना समय गँवाए अपना पैंट और अंडरवियर उतारा।
मेरा सात इंच का लण्ड देखकर वह बिल्कुल डर गई।
मैंने उसे बहुत समझाया, तब जाकर वह मानी।
मैंने उसके बुर पर अपने बड़े लण्ड का सुपारा रखा और धक्का दिया, पर वह फिसल गया।
फिर मैंने धक्का दिया, पर कुछ भी अंदर नहीं गया और उसे दर्द भी होने लगा।
अब वह काफी डर गई।
मैंने थोड़ी देर तक प्रयास किया, पर कुछ भी नहीं हो सका।
अब मैंने उसके पैरों को फैलाकर डालने लगा, पर जैसे ही मेरे लण्ड का सुपारा अभी अंदर गया, वह चिल्लाने लगी।
मैंने सोचा, इतनी कोशिश के बाद इतना सा गया है।
अब मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और कुछ मिनट बाद थोड़ा और पैरों को फैलाकर जोर से झटका दिया।
फिर क्या, मेरे लण्ड का आधा हिस्सा घुस गया और वह छटपटाने लगी।
उसके आँखों में आँसू आ गए।
वह कुछ बोले, इसलिए मैंने उसके होंठों को और जोर से चूसने लगा।
मैंने फिर कुछ मिनट बाद ही एक और झटके के साथ अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया।
देशी सेक्स करते हुए अब वह इस ठंड में भी पसीने से भीग गई थी।
कुछ मिनट बाद मैंने अपना लण्ड सपना की बुर में आगे-पीछे करने लगा।
अब मुझे महसूस हुआ कि वह भी कुछ अपनी तरफ से हलचल कर रही है।
मैं उसके होंठों को छोड़कर चूचियों को पकड़कर दबाने लगा।
इतने में उसका जोश चरम पर आ गया और उसने मुझे पूरी तरह से जकड़कर चूतड़ों को हिलाने लगी।
लगभग तीन मिनट तक मुझे पकड़कर झकझोर कर वह झड़ गई।
ठीक अगले ही पल मैं भी पूरी तरह झड़ गया।
मैंने कुछ मिनट बाद उसकी वैज़ीना से अपना लण्ड निकाला।
जैसे ही मैंने उसकी चूत की तरफ देखा, चारों तरफ खू.न से लथपथ थी।
मैंने अपना लण्ड निकाला तो वह भी बिल्कुल खू.न से लथपथ हो गया था।
वह मुझे अब घूर कर देख रही थी।
मुझे लगा कि सपना को बुरा लगा है।
मैंने झट से उसे चुम्बन किया, फिर पानी माँगा।
वह अब चल नहीं पा रही थी, इसलिए मैंने कहा, “रुको, मैं लेकर आता हूँ!”
मैंने लंबे पाँव उसके बाल्टी से लोटे में पानी लिया और हम दोनों ने पिया।
फिर कुछ मिनटों तक बातें हुई।
फिर वह मुझे किस करने लगी, हटाने पर भी नहीं हट रही थी।
शायद अब हम दोनों एक-दूसरे से मिलें या न मिलें।
यह कहकर वह रोने लगी।
उसकी आँखों में आँसू इस तरह छलक रहे थे, जैसे मानो मैं उसका पति हूँ और परदेस जा रहा हूँ।
तो प्यारे पाठको, कैसी लगी मेरी देशी सेक्स की कहानी?
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