बीवी की सहेली की चुदाई- 6

(Desi Bur Chudai Kahani)

देसी बुर चुदाई कहानी में एक भाभी ने अपने जेठ की जवान बेटी को मेरे लंड के लिए पेश कर दिया. मैंने उसे नंगी किया, उसकी बुर चाट कर उसे सेक्स के लिए गर्म किया, फिर चोदा.

कहानी के पांचवे भाग
कुंवारी भतीजी के सामने भाभी ने चूत मरवाई
में आपने पढ़ा कि मेरी बीवी की सहेली अपने जेठ की जवान बेटी को मेरे लंड से चुदवाने के लिए तैयार करने के लिए उसके सामने रंडी की तरह चुद गई.

अब आगे देसी बुर चुदाई कहानी:

इधर मैंने एक मोटा सा सिरहाना लेकर आरती को लिटाकर उसके चूतड़ों के नीचे दे दिया और उसकी टाँगें फैलाकर उसकी चूत को अपने थूक से भर दिया।

आरती कहराते हुए बोली, “आह भैया, कुछ हो रहा है! जल्दी करो ना प्लीज!”

तभी भाभी आ गई।
उसके हाथ में गिलास था।

वो गिलास मुझे देते हुए बोली, “लो देवर जी, एक बार ठंडा पानी पीकर अपने इंजन को थोड़ा ठंडा कर लो! कहीं गर्मी से मेरी बेटी की चूत में बीच में ही ढीले मत हो जाना!”

मैंने आरती के सामने पहली बार भाभी को गाली देते हुए कहा, “साली रंडी, कुतिया! इतनी बार मेरा लंड खाकर भी तुझे ये नहीं पता चला कि मैं तुम जैसी दोनों रंडियों को पूरी रात चोद सकता हूँ! अगर भरोसा नहीं, तो अपनी दूसरी दोनों बेटियों को भी बुला ले! आज तुम चारों की चूत फाड़कर भोसड़ा ना बना दिया, तो मुझे कहना!”

भाभी हँसते हुए बोली, “देवर जी, आप तो बहुत जल्दी ताव में आ जाते हैं! लो, पानी पी लो, थोड़ा ठंडे हो जाओगे!”

मैंने उसके हाथ से पानी लेकर एक घूँट में पी गया।
ठंडा पानी पीकर मुझे कुछ ठंडक मिली।

उधर भाभी बोली, “देवर जी, रही बात मेरी बाकी दोनों बेटियों की, पहले आप मेरी एक बेटी की चूत तो खोल दो! फिर जब वक्त आएगा, उनकी चूत भी आप खोल देना!”

आरती मेरी तरफ प्यासी नजरों से देखते हुए, अपनी टाँगें फैलाकर लेटी हुई थी।
एकदम नंगी कली, चूत की गर्मी से परेशान होकर, एक हाथ से अपनी एक चूची और दूसरे हाथ से अपनी नन्ही चूत को सहलाते हुए, लंड लेने का इंतजार करती हुई बड़ी ही प्यारी लग रही थी।

भाभी मेरा लंड पकड़कर आरती को दिखाते हुए बोली, “बेटी, तू किस्मत वाली है जो आज तुझे पहली बार में इतना बड़ा और मस्त लंड मिलने वाला है! आरती, देख इस लंड को! तू झेल लेगी ना!”
आरती गर्दन हिलाकर धीरे से बोली, “भैया, आ जाओ ना!”

मैंने आरती की कमर के नीचे बाँह डालकर उसे अपने से चिपका लिया।
मेरा लंड उसकी चूत के होंठों से होता हुआ उसकी गांड की दरार में फंस गया।

भाभी ने मेरा लंड खींचकर उसकी चूत के छेद से भिड़ाकर कहा, “लो देवर जी, कर दो उद्घाटन मेरी बेटी की चूत का!”

भाभी ने आरती की एक टाँग पकड़कर नीचे दबा ली।

मैंने उसकी दूसरी टाँग दबा ली, जिससे चूत के दोनों होंठ पूरी तरह खुल गए और उसका छेद नजर आने लगा।
मैंने लंड का टोपा आरती की चूत के होंठों में रगड़ते हुए आरती के चेहरे की तरफ देखा।

मासूम सी आरती, आँखें बंद करके अपनी दोनों चुचियों को मसलते हुए, अपने दाँतों से नीचे वाला होंठ चबा रही थी।

मैंने उसकी पूरी चूत, जो मेरे लंड के टोपे से भी छोटी थी, का उद्घाटन करने से पहले प्यार से कहा, “आरती!”
उसने आँखें खोलते हुए धीरे से कहा, “जी भैया!”

मैंने उससे पूछा, “तैयार हो लंड लेने के लिए?”
आरती ने सिर हिलाते हुए बड़ी नशीली आवाज में कहा, “हाँ भैया! अंदर कुछ हो रहा है! डाल भी दो ना!”

मैंने आरती को झकड़े हुए भाभी से लंड पकड़ने को कहा।
भाभी ने लंड के टोपे को चूत पर कुछ इस तरह सेट किया कि लंड अपने टारगेट से हिले ना और सीधा अंदर चला जाए।

भाभी ने जैसे ही लंड चूत पर सेट किया, मैंने आरती के मासूम चेहरे की तरफ देखकर एक झटका मारा।
लंड का टोपा टस से मस हुए बिना चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया।

जिस आरती की आँखों में एक पल पहले वासना की लाली थी, उन आँखों में अब आँसू थे।

आरती दोनों हाथों से मुझे पीछे धकेलने की कोशिश कर रही थी, पर मैंने उसे बाहों में झकड़ रखा था।

मैंने अपनी कमर को हल्का सा पीछे खींचते हुए एक और झटका मार दिया।
मेरे झटका मारते ही लंड आधे से थोड़ा कम आरती की टाइट चूत में जाकर फंस गया।

उधर झटका लगते ही आरती की जोर से चीख निकली, “आई ईईई मम्मी, मर गई! आह, निकालो इसको! आआ आआ आईईईई मम्मी, फट गई मेरी! उफ्फ भैया, निकालो इसको बाहर! मुझे नहीं करना!”
कमरे में आरती की चीखें गूंज रही थी।

जब नई चूत फटती है, तो चूत वाली की चीखें सुनने का अपना ही मजा होता है।
और उससे ज्यादा मजा चूत वाली को संभालते हुए पूरा लंड अंदर डालकर उसकी चूत खोलने में आता है।

जब लड़की की सील टूटती है और वो बहुत छटपटाने के बाद अपनी गांड उठाकर लंड माँगने लगती है, तो किसी भी मर्द को अपने लंड पर गुरूर हो जाता है।

मैं आरती की चीखों को अनसुना करते हुए उसे झकड़कर पुचकार रहा था।
भाभी ये बोलकर कि, “देवर जी, इसको दबोचकर रखना! निकल ना जाए!” उसकी निपल्स को चूस रही थी।

आरती भाभी से बोली, “आह चाची, प्लीज निकलवाओ भैया का बाहर! आह, मैं मर जाऊँगी!”
भाभी आरती के सिर में हाथ फिराकर बोली, “बेटी, लंड से भी किसी की जान निकलती है क्या! थोड़ी देर बर्दाश्त कर, तुझे बहुत मजा आएगा!”
पर आरती भाभी के मुँह पर थप्पड़ मारकर बोली, “मैं सबको बताऊँगी, आपने मेरे साथ क्या किया!”

उसकी बात से भाभी को गुस्सा आ गया।
वो आरती को डाँटते हुए बोली, “साली रंडी! तू जब स्कूल में किसी से अपनी चूत मसलवा रही थी, तब तूने नहीं सोचा!”
फिर भाभी मुझसे बोली, “डाल दो देवर जी, पूरा लंड इस कुतिया की चूत में! साली बहुत तेवर दिखा रही है!”

भाभी की बात से मुझे जोश चढ़ गया।
मैंने एक इंच के लगभग लंड बाहर खींचा, तो आरती, “आह भैया!” बोलते हुए लंबी साँस लेते हुए बोली, “आह, प्लीज सारा निकाल लो बाहर!”

मैंने थोड़ा सा लंड और बाहर निकालकर आरती के होंठ चूसने लगा और उसके बालों में हाथ फिराते हुए उसे समझाया, “देखो आरती, तुम इतनी समझदार हो! मेरी बात सुनो, थोड़ी देर में तुम्हें मजा आने लगेगा!”
भाभी मेरे पीछे आकर मेरी गोलियाँ सहलाते हुए बोली, “देवर जी, अभी तो आधा लंड भी अंदर नहीं गया!”

मैं आरती की गर्दन, होंठ, और बूब्स चूम रहा था।
जैसे ही आरती थोड़ी शांत हुई, मैंने कमर को नीचे की तरफ एक झटका मारा और मेरा पूरा लंड आरती की बहुत ही टाइट गुफा में जा चुका था।

कमरे में आरती की चीखें फिर से गूंजने लगी।

उधर भाभी मेरे चूतड़ पर थपकी देकर बोली, “वाह मेरे सांड! अब पूरा लंड गया है इस कुतिया की चूत में! वाह देवर जी, फाड़ दी आपने इसकी कोमल चूत!”

आरती मुझे बुरी तरह अपने ऊपर से धकेल रही थी।
पर शेर के पंजे से बकरी कभी आजाद नहीं हो सकती, वही हालात इस समय आरती की थी।

मैं आरती को कंट्रोल करने के लिए उसे चूम-चाट रहा था।
चार-पाँच मिनट बाद आरती शांत हो गई, तो मैंने धीरे-धीरे एक-एक इंच लंड बाहर निकालकर अंदर करना शुरू कर दिया।

भाभी मेरी गोलियों को सहलाने के साथ आरती की चूत का दाना मसल रही थी।

थोड़ी देर में आरती मस्त होने लगी।
आरती ने नीचे से अंगड़ाई लेते हुए हल्के से अपने चूतड़ उठाकर मेरी कमर में बाँहें डाल ली।

मैंने आरती के छोटे-छोटे निपल्स चूसते हुए अपनी स्पीड बढ़ा दी।

अब आरती मेरे हर झटके के साथ, “आह भैया, बहुत मजा आ रहा है! उफ्फ मम्मी, आह करो ना! आईईईई ईसश्स स आह भैया!” करने लगी।

भाभी आरती के पास आकर उसके होंठ चूमते हुए बोली, “वाह मेरी प्यारी बेटी! मैंने बोला था ना देवर जी, मेरी बेटी किसी से कम नहीं! ये आपका लंड आराम से झेल लेगी!”

मैं बिना रुके आरती की चूत में लंड पेल रहा था।
आरती की बहुत ही टाइट चूत के कारण मेरे लंड में दर्द होने लगा था।
ऐसा लग रहा था कि लंड छिल गया हो।

भाभी खुश होते हुए बोली, “देवर जी, आपका लंड तो मेरी भी बस करवा देता है! देखो ना, आरती ने पहली बार में कैसे आपका मूसल झेल लिया! मेरी बेटी मुझसे भी बड़ी चुदक्कड़ बनेगी!”

आरती मेरे हर झटके का जवाब अपने चूतड़ उछालकर दे रही थी।
मुझे ऐसा लग रहा था कि आरती की चूत की गर्मी मेरे लंड को पिघला देगी।

मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी।
थोड़ी देर बाद आरती सिसकियाँ लेते हुए मुझसे चिपक गई और जोर-जोर से चिल्लाते हुए, “आह भैया, मैं गई! आह मम्मी, कुछ निकल रहा है मेरे अंदर से!” बोली।

तभी आरती का बदन झटके खाकर अकड़ सा गया।

आरती मुझसे एकदम चिपकी हुई थी।
मैंने भी अपने लंड से कुछ झटके मारते हुए अपनी बॉल्स आरती की चूत में खाली कर दी।

मेरे लंड के गर्म पानी की बरसात होते ही आरती मुझे चूमने लगी।

उसकी चूत मेरे लंड की दीवारों पर बार-बार सिकुड़ और ढीली हो रही थी।
हम दोनों पसीने से नहा चुके थे।

थोड़ी देर एक-दूसरे की बाहों में रहने के बाद आरती ने अपनी आँखें खोलकर बोली, “भैया, बाहर निकालो ना! दुख रहा है!”

मैंने आरती को अपनी बाहों से आजाद करके बेड पर अपनी दोनों कुहनियाँ टिकाई और धीरे-धीरे लंड को बाहर खींच लिया।
जैसे बोतल के गले से कॉर्क बाहर निकलता है, वैसे फच की आवाज से लंड का टोपा बाहर आ गया।

लंड बाहर निकलते ही मैं आरती के पास बैठकर उसकी चूत देखने लगा।
आरती की चूत से मेरे वीर्य के साथ खू.न बह रहा था।

आरती अभी भी टाँगें फैलाए लेटी थी।
भाभी बेड पर बिछी चादर को एक किनारे से इकट्ठा करके आरती की एक टाँग पकड़कर उसकी चूत को साफ करते हुए बोली, “वाह मेरी प्यारी बेटी! आखिर तूने देवर जी के पत्थर जैसे लंड को अपनी कोमल चूत से निचोड़ ही लिया!”

देसी बुर चुदाई के बाद आरती मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखने लगी।

फिर भाभी ने चादर से मेरा लंड अच्छे से साफ करते हुए पूछा, “देवर जी, कब से आरती की चूत के सपने देख रहे थे? अब तो खुश हो ना!”
मैंने भाभी को बाहों में लेकर उसके होंठ चूसते हुए कहा, “बहुत खुश हूँ मेरी जान! अब से मैं और मेरा लंड तेरे गुलाम हैं! तू जब चाहे मेरा लंड ले सकती है!”
भाभी खुश होकर बोली, “अरे नहीं देवर जी, गुलाम आप नहीं, गुलाम तो मैं हूँ आपकी, जो आपने मुझे इतना प्यार दिया!”

मैंने भाभी से कहा, “भाभी, कसम से आरती की चूत मारकर मजा आ गया! लंड अभी भी दुख रहा है! बहुत टाइट चूत है आरती की!”
भाभी बोली, “देवर जी, चूत टाइट है नहीं थी! अब तो आपके मूसल लंड ने देखो, बेचारी को कैसे खोलकर फुला दिया है!”

फिर मैंने उठकर लंड को अच्छे से धोया।
आरती उठ नहीं पा रही थी।
भाभी ने उसको दर्द की दवाई देकर सुला दिया।

भाभी ने आरती को सुलाने से पहले बेड की चादर बदल दी थी और उसे बिना धोए सूखने के लिए रख दिया था।

मैंने भाभी से पूछा कि ऐसा क्यों कर रही है, तो उसने बताया कि ये चादर वो ऐसे ही रखेगी। इसपर आरती की चूत के खून के निशान और आपके वीर्य के निशान आरती की सुहागरात की निशानी रहेंगे।

आरती को सोते हुए छोड़कर मैं और भाभी नंगे ही ड्राइंग रूम में आ गए।

मैं आरती की कुंवारी चूत खोलकर थक चुका था।
मैं आकर सोफे पर लेट गया।

भाभी मेरे लंड के पास अपनी गांड टिकाकर बैठते हुए, एक हाथ से मेरी कमर सहलाते हुए बोली, “देवर जी, कैसा रहा? मजा आया या नहीं!”
मैंने भाभी की कमर में हाथ डालकर उसे अपने ऊपर गिराते हुए कहा, “भाभी, मजा तो बहुत आया! पर साली ने थका दिया! लंड पर जलन हो रही है। इतनी टाइट चूत मारकर लगता है छिल गया!”

भाभी बोली, “देवर जी, आप गर्म पानी से नहा लो! तब तक मैं दूध गर्म कर देती हूँ। आप दूध पीकर फ्रेश हो जाओगे!”
मैंने उठते हुए कहा, “ठीक है, मैं नहाकर आता हूँ। फिर इसको स्कूल भी लेकर जाना होगा!”

भाभी बोली, “देवर जी, आरती अपनी टाँगें तो बंद नहीं कर पा रही! आपको लगता है क्या वो चलने लायक रही होगी? कल और परसों आरती के स्कूल की छुट्टी है। आप एक काम करो, दो दिन उसके साथ मस्ती करो। सोमवार को उसे स्कूल ले जाना!”
मैंने कहा, “ठीक है, मैं नहाकर आता हूँ!”

नहाने के बाद भाभी ने मुझे गर्म दूध पिलाया।

भाभी मेरे पास नंगी ही बैठी थी।

आगे की कहानी की प्रतीक्षा कीजिये.

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देसी बुर चुदाई कहानी का अगला भाग: बीवी की सहेली की चुदाई- 7

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