प्यारी सी कुंवारी कली की मदमस्त चुदाई

(Desi Chut New Xxx Kahani)

बाबा सैम 2025-08-03 Comments

देसी चूत न्यू Xxx कहानी में मेरे दोस्त की दूकान के पास दो बहनें रहती थी. दोनों माल थी. मैंने छोटी वाली को सेट करने की कोशिश की. लेकिन बड़ी वाली बीच में आकर चुद गयी.

मैं आपका दोस्त बाबा सैम!
उम्मीद करता हूँ कि आप सभी अच्छे हैं!

मैं हाज़िर हूँ आपके सामने एक नई कहानी के साथ।

जिन दोस्तों ने मेरी पिछली कहानी
चालू लड़की ने मेरे लंड को खूब मजा दिया
पढ़ी है, वे जानते हैं कि मैं हरियाणा का रहने वाला हूँ और एक एमएनसी कंपनी में इंजीनियर हूँ।
मेरी उम्र 28 साल, कद 5 फुट 7 इंच है और मेरा हथियार 6.5 इंच का है।

जैसा कि मैंने आपको अपनी पिछली कहानी में बताया, मैं कॉलेज के समय अपने दोस्त की मोबाइल दुकान पर जाता था।

इससे मेरा टाइम पास भी हो जाता था और जेब खर्च के लिए कुछ पैसे भी इकट्ठे हो जाते थे।

देसी चूत न्यू Xxx कहानी भी मेरे दोस्त की दुकान से शुरू हुई.

दूकान के पास एक चाय वाले बाबा की दुकान थी।
चाय वाले बाबा की दो पोतियाँ थीं।
छोटी वाली लड़की का नाम सलोनी था, जो दसवीं कक्षा की छात्रा थी।
बड़ी वाली का नाम नीतू था, जो बारहवीं कक्षा में पढ़ती थी।

सलोनी के शरीर की बात करें तो उसका रंग बिल्कुल दूध जैसा गोरा, हाइट 4 फुट 8 इंच और फिगर 28-24-28 था।

उसकी बिल्ली जैसी प्यारी आँखें उसके चेहरे पर चार चाँद लगा देती थीं।
आसपास के सभी दुकानदार सलोनी को खा जाने वाली नजरों से देखते थे।
सलोनी बहुत प्यारी और नटखट लगती थी।

वहीं, नीतू की हाइट 5 फुट, रंग गोरा और फिगर 34-32-34 था।
नीतू भी बहुत प्यारी और गोलू-मोलू सी लड़की थी।

वे दोनों लड़कियाँ स्कूल के बाद अपने दादा का हाथ बटाने के लिए उनकी दुकान पर आया करती थीं।

जब वे स्कूल से आने के बाद दादा की दुकान से अपने घर जातीं, तो मैं सलोनी को देखने के लिए दुकान के बाहर खड़ा हो जाता या पास की दुकान पर हुक्का पीने लगता।

जब दोनों दुकान के सामने से निकलतीं, तो मुझे देखकर मुस्कुराते हुए निकल जाती थीं।

एक-दो बार सलोनी को मुस्कुराते देखकर मैंने उसे आँख मारी और वह मुस्कुराकर निकल गई।

बदनामी और झिझक के मारे मैं उनसे बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।

एक दिन सलोनी मुझे देखकर मुस्कुराते हुए दुकान के सामने से जा रही थी, तो मैंने एक पर्ची पर अपना नंबर लिखकर उसकी तरफ फेंक दिया।
लेकिन उसने पर्ची नहीं उठाई।
मुझे बहुत अजीब लगा और मैं अंदर वापस आ गया।

थोड़ी देर बाद जब मैं हुक्का पीने गया, तो वहाँ पर्ची नहीं थी।
मुझे लगा शायद हवा से उड़ गई होगी।

दो-तीन घंटे बाद मुझे एक अनजान नंबर से कॉल आई।

जब मैंने हेलो बोला, तो उधर से दो लड़कियों की हँसने की आवाज़ आई और फोन कट गया।

मैंने उस नंबर पर वापस कॉल किया।

“कौन बोल रहा है?” एक लड़की ने पूछा।

मैं समझ गया कि ये वही दोनों हैं।

मैंने कहा, “जिसकी फेंकी पर्ची को तुमने उठाया, मैं वही बोल रहा हूँ! तुम कौन बोल रही हो?”

“मैं नीतू बोल रही हूँ! तुम्हें किससे बात करनी है?” उसने जवाब दिया।

“मुझे सलोनी अच्छी लगती है! मैं उससे बात करना चाहता हूँ!” मैंने कहा।

नीतू ने फोन सलोनी को दे दिया.

और मेरी सलोनी से 10-15 मिनट बात हुई।

“जब तक हम मिस कॉल न करें, इस नंबर पर कॉल मत करना! ये हमारे घर का नंबर है!” सलोनी ने कहा।

जैसा कि आप जानते हैं, उस वक्त कॉल रेट बहुत ज्यादा होते थे।
वे मुझे मिस कॉल करतीं और हम 10-15 मिनट बात करते।

सात-आठ दिन नॉर्मल बातचीत के बाद मेरी सलोनी से थोड़ी खुलकर बात होने लगी।
कभी-कभी हम एक-दूसरे को फोन पर किस भी कर लेते थे।

सलोनी का घर हमारी दुकान से 200 मीटर की दूरी पर था और उन्होंने अपने घर के नीचे की दुकानें किराए पर दी हुई थीं।

जब सलोनी बालकनी में खड़ी होती, तो मैं उसे देखने के बहाने उसके घर के आसपास चला जाता।

एक-दो बार, जब उसके घर पर कोई नहीं होता था, मैं उसे चॉकलेट देने उसके घर भी चला गया।

मैंने सलोनी को दुकान पर आकर मिलने को कहा।
बड़ी मिन्नतों के बाद सलोनी दुकान पर आ गई।

मैंने सलोनी को हग किया और उसके गाल पर किस करने लगा।
वह मुझे मना करने लगी।
“एक बार आँखें बंद करो!” मैंने सलोनी से कहा।

काफी मनाने के बाद उसने आँखें बंद कर लीं।
मैंने उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रखे, तभी उसने मुझे धक्का दिया और दुकान से बाहर भाग गई।

एक-दो दिन बाद उसने मुझसे बात करना बंद कर दिया।
जब उसके घर पर कोई नहीं था, तो मैं उसके घर चला गया।
वहाँ सिर्फ़ नीतू थी।
“चले जाओ, कोई आ जाएगा!” नीतू ने कहा।
“मुझे कॉल करो!” मैंने उससे कहा।

10 मिनट बाद नीतू का कॉल आया।
मैंने उसे बताया कि सलोनी मुझसे बात नहीं कर रही।

“सलोनी को अपनी क्लास का एक लड़का पसंद है!” नीतू ने कहा।

मुझे बहुत दुख हुआ और मैं उदास होकर नीतू से बात करने लगा।

“सलोनी आपको पसंद नहीं करती! मैं आपको पसंद करती हूँ!” नीतू ने कहा, “जब आपने पर्ची फेंकी, तो मुझे लगा आप मुझसे बात करना चाहते हैं।

“लेकिन जब आपने कहा कि आप सलोनी से बात करना चाहते हो, तो मुझे बहुत रोना आया!” उसने बताया।

धीरे-धीरे मेरी नीतू से रोज़ बात होने लगी।
हम एक-दूसरे को फोन पर पप्पियाँ देने लगे और नॉनवेज बातें भी करने लगे।

नीतू के बूब्स बहुत हैवी थे और वह गोल-मटोल सी बहुत मस्त लगती थी।

लगभग एक महीने की बातचीत के बाद मैंने नीतू से मिलने की बात कही।
लेकिन हमारे पास मिलने की जगह और बहाना नहीं था।

“स्कूल से बंक कर लो!” मैंने नीतू से कहा।
“अगर मैं छुट्टी करूँगी, तो मुझे पेरेंट्स के साइन वाली एप्लिकेशन क्लास टीचर को देनी पड़ेगी, जो मुमकिन नहीं है!” नीतू ने बताया।

फिर नीतू ने मुझे आइडिया दिया, “मैं हाफ-डे तबीयत का बहाना करके आ जाऊँगी!”

नीतू के आइडिया से मैं बहुत खुश हुआ और हमने शनिवार को मिलने का प्लान बनाया।

अब समस्या थी मिलने की जगह की।

दुकान पर मैं नीतू से नहीं मिल सकता था क्योंकि सब उसे जानते थे।
कोई देख लेता, तो बवाल हो जाता।

मैंने अपने बेस्ट फ्रेंड नंदू को इस बारे में बताया।

“मेरे घरवाले शुक्रवार और शनिवार को गाँव जा रहे हैं। घर पर मैं अकेला हूँ!” नंदू ने कहा।

“क्या हम तेरे घर पर मिल सकते हैं?” मैंने पूछा।
“बस पड़ोस में कोई देख न ले, इस बात का ध्यान रखकर तुम मेरे घर आ सकते हो!” उसने जवाब दिया।

शनिवार को मैं दुकान वाले दोस्त की बाइक लेकर नीतू के स्कूल के पास पहुँच गया और उसे अपने साथ नंदू के घर ले आया।

नंदू ने मुझे अपने भैया-भाभी के कमरे में भेज दिया और खुद दूसरे कमरे में टीवी देखने लगा।

मैंने जल्दी से दरवाज़ा लगाया और नीतू को गले से लगा लिया।

नीतू ने स्कूल की व्हाइट शर्ट और ग्रे स्कर्ट पहनी थी।
वह बहुत हॉट लग रही थी।

स्कर्ट के नीचे उसकी गोरी-गोरी पिंडलियों को देखकर मेरा मन उन्हें खा जाने का करने लगा।

मैंने नीतू को गले लगाए-लगाए बेड पर लेटा दिया और उसके माथे पर चूमने लगा।
फिर मैंने उसकी आँखों को चूमा और उसके गोरे-गोरे गालों को अपनी जीभ से चाटने लगा।

फिर मैंने उसके छोटे-छोटे, गुलाब की पंखुड़ियों जैसे नरम, रस भरे होंठों को अपने होंठों में दबा लिया।

थोड़ी देर बाद नीतू भी मेरे होंठों को चूसने लगी और मुझे कसकर अपने से चिपकाने लगी।

थोड़ी देर उसके होंठों को चूमने के बाद मैं उसके गले पर किस करने लगा।
गले पर चूमते-चूमते मैंने उसकी शर्ट के बटन खोल दिए।

उसने सफ़ेद ब्रा पहनी थी, जो उसके 34 नंबर के बूब्स को ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी।

मैंने फटाफट उसकी शर्ट और ब्रा निकाल दी और उसके बड़े-बड़े, गोल-गोल, मखमली बूब्स को दबाने लगा।

उसके गोरे बूब्स पर गुलाबी निप्पल ऐसे लग रहे थे, जैसे वैनिला आइसक्रीम पर स्ट्रॉबेरी रखी हो।

उन्हें देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया।
मैंने एक चूचे को दबाना शुरू किया और दूसरे को मुँह में भरकर चूसने लगा।

उसके चूचों को चूसते हुए इतना आनंद आ रहा था, जैसे मैं बस चूसता ही रहूँ।

फिर मैं चूचों को चूसते-चूसते अपने एक हाथ को नीचे ले गया और उसकी स्कर्ट ऊपर करके उसकी चूत को सहलाने लगा।

नीतू मेरी गर्दन पकड़कर अपनी चूचियों पर दबाने लगी और जोर-जोर से सिसकारियाँ लेने लगी।

मैं खड़ा हुआ और नीतू को मेरा लौड़ा चूसने को कहा।
“नहीं!” नीतू ने मना कर दिया।

मैंने वक्त की नज़ाकत समझते हुए उस पर ज़्यादा दबाव नहीं डाला और उसकी स्कर्ट ऊपर करके उसकी पैंटी निकाल दी।

पैंटी निकलते ही मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं।
उसकी चूत पर एक भी बाल का नामोनिशान नहीं था।
उसकी गुलाबी चूत बहुत प्यारी और एक पतली सी झिरी जैसी दिख रही थी।

प्यारी चूत देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया।
मैंने तुरंत उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिए।

मैं उसकी चूत में उंगली करने लगा।
हैरानी की बात थी कि गीली होने के बावजूद उसकी नई चूत में एक उंगली भी अच्छे से नहीं जा रही थी।
मुझे समझ आ गया कि नीतू अब तक कुंवारी है।

मैंने पास की ड्रेसिंग टेबल से वैसलीन निकाली और अपने लौड़े पर अच्छे से लगा ली।

मैंने नीतू को बेड के किनारे लिटाया और उसकी कमर के नीचे अपना गमछा रख दिया।

मैं नीतू के ऊपर लेटकर उसे किस करने लगा और उसकी चूत पर अपना लौड़ा रगड़ने लगा।

फिर मैंने नीतू को किस करते हुए उसके छेद पर अपना लौड़ा टिकाया।
धीरे-धीरे ज़ोर लगाकर मैं अपना लौड़ा उसकी न्यू चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा।

नीतू को दर्द हो रहा था तो वह मुझे हटाने लगी।

मैंने नीतू को बातों में उलझाकर फिर से किस करना शुरू किया और एक करारा झटका उसकी न्यू Xxx चूत में मार दिया।
मेरा आधा लौड़ा उसकी देसी Xxx चूत में घुस गया।

नीतू के मुँह से “गु-गु” की आवाज़ निकली और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।
वह मुझे धक्का देकर हटाने की कोशिश करने लगी।

मैंने नीतू के होंठों को अपने होंठों में दबा रखा था और उसे कसकर चिपका रखा था।
वह मुझे हटाने की नाकाम कोशिश करती रही।

झटके के बाद मुझे अपने लौड़े पर गरम-गरम गीलेपन का एहसास हुआ।
मैं समझ गया कि ये नीतू का खू.न है; उसका कौमार्य भंग हो चुका है।

थोड़ी देर तक नीतू झटपटाती रही।
मैं उसके ऊपर चिपका रहा और उसकी चूचियों को चूसने लगा।

कुछ देर बाद नीतू शांत हो गई और मेरे सर को अपनी चूचियों पर दबाने लगी।

जब मुझे लगा कि नीतू नॉर्मल हो गई है, तो मैंने हल्के-हल्के धक्के लगाने शुरू किए।

थोड़ी देर बाद नीतू को भी मज़ा आने लगा।
उसने अपने पैर मेरी कमर के पीछे लपेटकर मुझे जकड़ लिया।

मैं नीतू को किस करते हुए धक्के लगाता रहा।
कभी-कभी नीतू मेरे होंठों को जोर-जोर से चूसने लगी।

अचानक उसका शरीर काँपने लगा।
नीतू मुझे किस करते हुए काँपते हुए झड़ गई और बोली, “दर्द हो रहा है! हट जाओ!”

लेकिन मेरा स्खलन अभी नहीं हुआ था।
मैंने नीतू को ज़ोर से चिपकाया और सुपरफास्ट स्पीड से धक्के लगाने शुरू कर दिए।

दो मिनट बाद मैं चरम सुख की ओर पहुँच गया।
मैंने फटाफट अपना लौड़ा बाहर निकाला और नीतू के पेट पर अपने वीर्य की बौछार कर दी।

हम दोनों पसीने से पूरी तरह भीग चुके थे।

10 मिनट तक ऐसे ही लेटे रहने के बाद मैंने नीतू से कहा, “उठो, बाथरूम चलो!”

दर्द के मारे नीतू उठ नहीं पा रही थी।
मैं उसे सहारा देकर बाथरूम तक ले गया और गुनगुने पानी से नहलाया।

गुनगुने पानी से नहाने के बाद उसे दर्द में कुछ आराम मिला।

फिर मैंने खू.न से सना गमछा धोया।

हमने फटाफट कपड़े पहने और मैंने नीतू को गले लगाकर चूमना शुरू कर दिया।

मेरा लौड़ा फिर से खड़ा होने लगा लेकिन अब हमारे पास वक्त नहीं था।
हमने दरवाज़ा खोला और बाहर आ गए।

तब हमने नंदू को थैंक्स और बाय बोला और वहाँ से निकल लिये।

मैंने नीतू को उसके घर के पास छोड़ा और दुकान पर चला गया।

2 घंटे बाद नीतू का कॉल आया।
उसने बताया, “मुझे चलने में बहुत तकलीफ़ हो रही है!”

उसकी बदली चाल देखकर उसकी मम्मी ने पूछा, “क्या हुआ?”
“स्कूल में खेलते हुए गिर गई!” नीतू ने बात टाल दी।

1 महीने बाद उसके एग्जाम थे।
हमने कई बार कोशिश की लेकिन मिल नहीं पाए।

एग्जाम के टाइम हम एक बार फिर मेरे एक दोस्त के किराए के कमरे में मिले।

लेकिन वक्त कम होने की वजह से हम जल्दी-जल्दी एक बार ही संभोग कर पाए।

उस आखिरी मुलाकात के बाद जब नीतू अपने घर गई और मुझसे बात कर रही थी, तो उसकी बहन सलोनी ने हमारी बात सुन ली।

जलन की वजह से सलोनी नीतू से लड़ने लगी।
लड़ते-लड़ते सलोनी ने नीतू से फोन छीन लिया।

“इस नंबर पर दोबारा कॉल मत करना!” सलोनी ने चिल्लाकर फोन काट दिया।

फिर न तो नीतू का फोन आया, न ही वह मुझे दोबारा दिखी।

बातों-बातों में नीतू ने एक बार बताया था कि उसके माँ-बाप उसे कम पसंद करते हैं, और सलोनी उनकी लाड़ली है।
हो सकता है सलोनी ने घर पर कोई क्लेश कर दिया हो, और नीतू का घर से निकलना बंद करा दिया हो।

मुझे आज तक नहीं पता कि उस वक्त नीतू के साथ क्या हुआ।

लेकिन आज भी ये कहानी लिखते हुए नीतू का प्यारा सा चेहरा और उसका गोल-मटोल, मादक शरीर मेरी आँखों में घूम रहा है।

दोस्तो, यह थी मेरी जिंदगी की नई लड़की की मदमस्त कहानी!
उम्मीद करता हूँ आपको मेरी जिंदगी की इस सच्ची कहानी ने खूब मज़ा दिया होगा! आप सब का पानी भी चड्डियों में निकल गया होगा!

मिलता हूँ जल्दी अपनी अगली कहानी के साथ।
तब तक के लिए बाय-बाय!

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मेरी मेल आईडी है
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