पड़ोसी के लड़के ने मां बेटियाँ चोद दीं- 1
(Desi Girl First Sex Kahani )
देसी गर्ल फर्स्ट फक कहानी में मुझे मेरे पड़ोस का लड़का अच्छा लगता था. वह मेरे गर्लफ्रेंड भी आता था. मेरी मम्मी ने उसे मुझे पढ़ाने के लिए कहा तो मैं खुश हो गयी.
नमस्कार साथियो, उम्मीद है आप सभी को मेरी पिछली सेक्स कहानी
सेक्स की प्यासी सलहज को लंड दिया
पसंद आई होगी.
आज मेरी एक पाठिका ने अपनी कहानी मुझसे साझा की है.
मैं वही कहानी आपके सामने लेकर आई हूं.
उस सहेली के आग्रह पर गोपनीयता के लिए मैं देसी गर्ल फर्स्ट फक कहानी के सभी पात्रों के नाम बदल कर लिख रही हूं.
यह कहानी सुनें.
नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम सपना है और मैं सूरत से हूं.
मेरी उम्र 28 वर्ष है और मेरी शादी हो चुकी है. मुझे एक बेटा भी है.
आज मैं जो कहानी बताने जा रही हूं ये मेरी जीवन की एक सच्चाई है.
ये आज से सात साल पहले शुरू हुई दास्तान है जो हमारे पड़ोस में रहने आए एक व्यक्ति के साथ शुरू हुई थी.
मेरे घर में हम चार लोग थे.
मैं, मेरी बहन खुशबू, मेरी मां कमला और हमारे पापा अशोक.
मेरी मां हमारी सगी मां नहीं हैं, वे हम दोनों बहनों के पैदा होने के बाद इस घर में ब्याह कर आई थीं क्योंकि हमारी सगी मां टीबी के कारण मर गई थीं और पापा अकेले थे तो उन्होंने दूसरी शादी की थी.
हमारी नई मां एकदम जवान हैं और वे पापा से करीब बारह साल छोटी हैं.
मेरे पापा एक कपड़े के मिल में मुंशी हैं, मां घर में ही रहती हैं.
हम दोनों बहनों की पढ़ाई चल रही थी.
मेरा पढ़ाई में मन बिल्कुल भी नहीं लगता था, बस किसी तरह ग्रेजुएशन पूरा कर रही थी.
वहीं खुशबू पढ़ने में ज्यादा होशियार थी इसलिए सबकी लाड़ली भी थी.
खुशबू मुझसे केवल एक साल ही छोटी है.
एक दिन हमारे घर के ठीक सामने एक परिवार रहने आया.
उसमें माता-पिता और उनका एक लड़का था, जो 25-26 वर्ष का होगा.
उस परिवार का परिचय हम सबसे हुआ तो पता लगा कि उस लड़के का नाम विपुल है … जो एक मेडिकल कंपनी में काम करता है.
वह अक्सर छत पर दिखता था और हमें ही घूरता रहता था.
खुशबू उस पर ध्यान नहीं देती थी पर मैं भी उसे ही देखती थी.
मुझे वह अच्छा भी लगता था.
कुछ दिनों बाद उसके माता पिता एक दुर्घटना में चल बसे और अब विपुल अकेला ही रह गया था.
मेरे पापा पर सेठ को सबसे ज्यादा भरोसा था इसलिए पापा व्यस्त रहते थे और वे घर पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते थे जिससे मां अक्सर नाराज रहती थीं.
एक बार कुछ काम पड़ा तो मां बोलीं- जा विपुल को बुला कर ला.
हम दोनों बहनों को थोड़ा अजीब लगा कि ज्यादा जान पहचान नहीं है और मां पूरे जोश से बोल रही हैं.
मां और विपुल में क्या बात हुई, ये तो पता नहीं … पर उसने उसी वक्त हमारी मदद के लिए कुछ पैसे दिए.
जैसा कि मैंने आपको बताया कि विपुल मुझे अच्छा लगता था.
उसका कद 5 फुट 10 इंच का था. उसने अपने शरीर का काफी ध्यान रखा था और काफी स्मार्ट था.
वहीं मेरी हाइट 5 फुट 5 इंच की थी और फिगर 30-28-32 का था.
तब मैं 21 साल थी.
मैं विपुल को अपना ब्वॉय फ्रेंड ही मानने लगी थी लेकिन वह मेरे बारे में क्या सोचता था … मुझे नहीं पता था.
मां काफी देर तक उससे बातें करती रहती थीं.
तब ये मेरी समझ में नहीं आया कि ऐसा क्यों होता था?
हमारी परीक्षाएं खत्म हो गई थीं.
उसके एक दिन पहले हमारे मोहल्ले में एक पार्टी थी और सभी को बुलाया गया था.
तय समय पर हम सब पार्टी में पहुंच गए और वहां मेरी मां पहले से ही थीं, जो अपनी सहेलियों से बात कर रही थीं.
उधर वे विपुल के साथ थीं.
वहां मैं गई तो विपुल ने मेरी गांड पर धीरे से हाथ फेर दिया.
जब मैंने मुड़कर देखा तो उसने ऐसे देखा जैसे कुछ हुआ ही नहीं.
थोड़ी देर बाद उसने फिर वही एक चांटा सा धीरे से मारा और मुझसे अलग हो गया.
अब मेरी नजरें विपुल को ही ढूंढ रही थीं क्योंकि वह अचानक से गायब हो गया था.
मैंने मां की तरफ ध्यान दिया तो मेरी मां भी नहीं दिख रही थीं.
मां का तो पता था कि वह ज्यादा देर तक पार्टी में नहीं रहती थीं तो मैंने सोचा कि वे घर चली गई होंगी.
रात के बारह बजे तक पार्टी चली और अब वह लगभग खत्म सी हो रही थी.
मैं भी घर लौटी तो देखा खुशबू छत पर फोन से बात कर रही थी और मां सो चुकी थीं.
अगले दिन पापा ने फिर खुशबू से कहा की विपुल को बुलाए.
जब वह आया तो हम सभी थे और पापा ने उससे कहा कि वह मुझे पढ़ाई में हेल्प करे क्योंकि ये मेरा आखिरी साल था.
पहले उसने कुछ नखरे दिखाए, फिर मां ने कहा- थोड़ा ध्यान दो … मुझे तुमसे कुछ उम्मीद है.
तो वह तैयार हो गया.
मैं भी काफी खुश थी कि उसके साथ समय बिताने को मिलेगा.
वहीं वह मां की तरफ देख रहा था और वे दोनों हंस रहे थे.
मेरे प्रति उसके व्यवहार में कुछ फर्क आ गया था.
अब वह मुझ पर एक हक सा जता रहा था.
पढ़ाते हुए उसके हाथ मेरे जिस्म से टकरा जाते थे तो कभी बूब्स पर सहला देते.
मुझे भी अच्छा लगता था इसलिए मैं भी उससे चिपक कर बैठ जाती थी जिससे उसकी हिम्मत बढ़ती गई.
फिर एक दिन पढ़ाते हुए उसने अचानक से मेरी चुत पर हाथ रखा और सहलाने लगा.
मेरे मुँह से ‘आह … ह.’ निकल गई.
तभी उसने मुझे कमर से पकड़ लिया और दबाते हुए बोला- क्या हुआ, तुम ठीक हो न?
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहूं?
उधर वह लगातार मेरी चूत सहलाता रहा.
इससे पहले कि मैं कुछ कहती, उसने मुझे कस कर दबाया और मुझे किस करने लगा.
इसमें पता ही नहीं चला कि कब मैं झड़ गई.
तभी उसने मुझे छोड़ते हुए कहा- हो गया तेरा काम!
वह उठकर चला गया, मैं यही सोचती रही कि ये क्या हुआ, यह सही था या नहीं?
फिर मां से कहकर अगले दिन कॉलेज चली गई … और जब लौटी तो देखा कि वह पहले से मौजूद है.
मां वहां से बाहर निकल गईं.
अब ये रोज होता था.
मेरे आने से पहले तक कमरे में वह मौजूद रहता था और मेरे शरीर को छूने के बहाने ढूंढता था.
ये मुझे भी अच्छा लगता था.
फिर एक दिन उसने पूछा- क्या हुआ आज कॉलेज में?
मैं- कुछ खास नहीं, बस दो ही क्लास हुई आज!
विपुल- कौन कौन सी?
यह कहते हुए वह आगे बढ़ा और मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया. मेरे माथे पर, आंखों पर किस करने लगा.
तभी मैंने भी उसका लंड पकड़ लिया जो तन रहा था.
उसे शायद उम्मीद नहीं थी.
तभी मैंने कहा- क्या है ये सब?
विपुल मुझे अपनी बांहों में कसते हुए बोला- आंटी आज मैं सपना को अपने साथ ले जा रहा हूं और वहीं पढ़ा भी दूंगा.
मैं- क्या मतलब?
विपुल- तुम्हारी मां से मांग रहा हूं तुम्हें आज!
इससे पहले कि मैं कुछ समझती, मां ने कहा- ठीक है ध्यान रखना.
विपुल बोला- जी बिल्कुल!
उसने अब मुझे चलने का इशारा किया.
मैं- वहां क्यों आज?
विपुल- यहां कुछ सही नहीं लग रहा है, पता नहीं क्यों आज मजा नहीं आ रहा. मैं तुम्हारे दोनों होंठों को चखना चाहता हूं.
मैं- अभी तक एक ही को चखा है क्या?
वह बोला- अभी घर चल कर बताऊंगा!
उसके घर पहुंचते ही उसने दरवाजा बंद किया और मुझे बेड पर धकेल दिया.
फिर घूरते हुए कहा- क्या मस्त है तेरी जवानी भी!
मैंने कहा- उस रात तुम्हीं मुझे सीढ़ी पर तंग कर रहे थे न!
विपुल- हां साली, चोदना तो मैं तुझे ही चाहता था लेकिन तेरी मां बीच में आ गई. लेकिन आज तुझे पूरा लेना होगा.
मैं हंस कर रह गई और बोली- क्या?
तभी उसने मेरी कुर्ती उतार दी.
अब मैं सिर्फ ब्रा में थी और शर्मा कर अपनी आंखों को ढका.
मेरी आंखों पर से हाथ हटाते हुए वह मुझे किस करने लगा और अपना लंड सलवार के ऊपर से ही रगड़ने लगा.
मैं भी मदहोश हो रही थी, तभी उसने मेरी सलवार भी उतार दी और बूब्स को दबाते हुए बोला- इन्हें तो बड़ा करना होगा.
मैंने उसकी तरफ देखा तो वह सिर्फ अंडरवियर में था.
मैं उठ कर उसका लंड सहलाने लगी, जो अब काफी कड़क हो गया था और मोटा भी.
हम दोनों अब एक दूसरे को चूमने लगे और एक दूसरे के जिस्म से खेल रहे थे.
तो वह बोला- अपनी मां से एक बात कहेगी क्या?
मैं- क्या?
विपुल- वह क्या खाती थी जब तुझे पैदा किया?
मैं- मतलब?
विपुल- साली तू जो इतनी चिकनी है कि बस तुझे मसलने का ही मन करता है.
मैं- तो मसल दो न, मैंने कब मना किया है?
वह मेरी चूचियों को दबाते हुए बोला- पूरी रंडी की तरह तैयार है चूत खुलवाने को!
फिर मेरी चड्डी उतारते हुए मेरी जांघों को चूमने लगा.
वह धीरे धीरे ऊपर आ रहा था और मेरी चूत में अपने होंठ लगा कर चूसने लगा.
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और मैं मचल रही थी.
तभी उसने अपनी दो उंगलियां मेरी चूत में डाल दीं.
मैंने चादर को जोर से पकड़ लिया और मचलने लगी.
कुछ ही पलों में मेरा पानी निकल गया.
विपुल- साली, लंड के लिए आवाज भी नहीं निकाल रही मादरचोद … आज तेरी चूत का भोसड़ा बनाता हूं.
वह लगातार अपनी उंगलियों से मेरी चुत चोद रहा था.
मैं बस ‘आ … ह … ओ … ह … ऐसे ही … आज बना लो अपना मुझे!
विपुल- क्या बनाऊं साली बहन की लौड़ी?
मैं- आ … ह अपनी बीवी आह … और … मत तड़पाओ मुझे आह अब … चोद … दो आ … ह.
तभी अचानक से उसने अपना 7 इंच का लंड मेरे मुँह में डाल दिया.
विपुल- ले बहनचोद चूस इसे आ ह!
मैं भी उसका लंड चूसने लगी.
उसका लंड काफी सख्त था और मेरे गले में फंस रहा था.
वह बहुत जोर जोर से मुँह में डाल रहा था.
विपुल- ले साली छिनाल … आह चूस अच्छे से बहन की लौड़ी रांड आह चूस लौड़ा आह.
कुछ देर बाद उसने मुझे लिटा कर अचानक से एक ही झटके में मेरी चुत में अपना लंड पेल दिया.
मैं जोर से चीख पड़ी.
कुछ देर के लिए मेरी आंखें बंद रहीं, फिर जब मैं संभली तो देखा कि वह मुझे किस कर रहा है और धीरे धीरे लंड अन्दर बाहर कर रहा है.
मैं- आ.. ह बाहर निकालो द…र्द हो रहा है आह अब बस औ…र नहीं!
विपुल- चुप साली रंडी, मैं तुझे तेरी चूत फाड़ने के लिए मांग कर लाया हूं तेरी मां से आह साली चुपचाप ऐसे ही चुदती रह तुझे बहुत मजा आएगा. इस वक्त तेरे दूसरे होंठ चुस रहे हैं … मेरा लंड तेरी टाँगों के बीच के होंठ चूस रहा है और मैंने तेरे ऊपर के होंठ चूस रहा हूँ आह मस्त माल है तू आह रगड़ दूंगा आह आज चोद दूंगा आह मेरी जान ऐसे ही लेती रह आ … ह तेरी चूत बहुत मस्त है.
फिर उसने मुझे पलटा और बोला कि चल अब कुतिया बन जा.
मैं कुतिया बन गई तो उसने पीछे से मेरी चूत में लंड घुसा दिया और चोदने लगा.
मैं भी अब उसका साथ दे रही थी और अपनी गांड उसके लंड के हिसाब से हिला रही थी.
मैं भी पूरी मस्ती में आ गई थी और वह भी.
मैं अब तक दो बार झड़ चुकी थी लेकिन वह अभी भी वैसे ही चोद रहा था.
मैं- आज मार ही डालोगे क्या … आह और कितना ठोकोगे मेरे नीचे वाले होंठों को?
विपुल- बस मेरी जान ऐसे ही मजा लेती रह आज!
मैं- अब बस भी करो, तुम्हारे लंड के चक्कर में मेरी हालत खराब हो गई है.
विपुल- बस आ रहा हूं मैं भी … आह ये ले … आह और ले साली कुतिया … तेरी मां की चुत आ…ह आ…ह!
यही कहते हुए वह भी मेरी चूत में ही झड़ गया.
देसी गर्ल फर्स्ट फक करके हम दोनों हांफ रहे थे.
तभी मेरी नज़र बेड पर गई. सारा चादर खून से लाल हुआ था.
मैं- ये क्या किया तुमने?
विपुल- आज तुझे जन्नत की सैर कराते हुए तुझे तेरी जवानी के बारे में बताया मेरी जान और कुछ नहीं.
मैं- अब ये साफ कैसे किया जाए?
विपुल- घबरा मत … तेरी मां ही सफाई करेगी.
यह कहते हुए वह मुझे किस करने लगा और बोला कि चल मेरे लौड़े को साफ कर!
फिर मैंने उसके लंड को उसी चादर से साफ किया.
उसके बाद मैंने खुद को भी साफ किया और नहाने चली गई.
उसके बाद मैं अपने घर आ गई.
शाम को मैंने देखा कि सच में वह चादर हमारे घर में ही रखा हुआ है सफाई के लिए!
उसके अगले दिन मां ने वह चादर साफ करके विपुल के घर भिजवा दिया.
इसके बाद क्या हुआ, वह मैं अगले भाग में बताऊंगी.
इस देसी गर्ल फर्स्ट फक कहानी पर अपनी राय जरूर बताएं.
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देसी गर्ल फर्स्ट फक कहानी का अगला भाग: पड़ोसी के लड़के ने मां बेटियाँ चोद दीं- 2
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