दोस्ती में फुद्दी चुदाई-14

(Dosti Mein Fuddi Chudai- Part 14)

This story is part of a series:

सोनम समझ गई कि मैं क्या चाहता हूँ उसने एक बार ‘नहीं’ की.. निगाह से मुझे देखा.. लेकिन मैं बोला- अरे भोसड़ी की.. जो कहता हूँ.. सो कर.. यार सुबह से गाण्ड मरी हुई है.. साला आज एक अदद चुदाई नहीं हुई नसीब में..

सोनम राज़ी नहीं हुई.. तो मैंने उसका सर और नीचे दबाया और बोला- अरे चूस मादरचोदी.. क्यूँ चाहती है कि तेरी गाण्ड फाडू.. और सुन आज ही नहीं.. आज के बाद भी.. तू मुझसे चुदवाएगी क्योंकि जो मेरे पास है अगर वो बाहर गया.. तो तेरी माँ भी चुद जाए तो भी तेरी ही गाण्ड मारेगी।

सोनम का मुँह खुला का खुला रह गया वो मुझे जानती थी कि मैं कितना बड़ा कमीना हूँ। उसने तुरंत मेरा लण्ड मुँह में लिया और जोर-जोर से उसका टोपा चूसने लगी। मैंने लगभग आधा लण्ड और घुसाया और उसके मुँह को चोदने लगा।

सोनम जोर-जोर से मेरा लण्ड चूसने लगी.. मैं सबसे पीछे की सीट पर टाँगें फैला कर बैठ गया और सोनम मेरी टांगों के बीच जमीन में बैठ कर मेरा पूरा लण्ड अपने मुँह में ले रही थी।

पहले की तरह नंगी बैठी सोनम भी धीरे-धीरे और गरम होने लगी। मैंने उसका मुँह पकड़ा और लण्ड को ऊपर-नीचे करने लगा.. इस वक़्त मेरे लण्ड का झड़ना बहुत जरूरी था.. समय लगभग 2-30 बजे का हो रहा था.. कॉलेज खाली हो चुका था।

मेरा लण्ड सोनम के गले के अंतिम छोर से टकरा रहा था.. जिसके कारण बार-बार सोनम के मुँह से उबकाई की आवाज़ निकल जाती थी.. लेकिन क्योंकि मेरे हाथ उसकी चूचियों को मसल-मसल कर लाल कर रहे थे.. इसलिए वो भी पूरी मस्ती में थी और शायद वो भी नहीं चाहती थी कि मैं रुकूँ.. और मैं ना रुकूँ इसके लिए उसका चालू रहना जरुरी था।

लण्ड चूसते-चूसते सोनम भी अब मेरे टोपे को जोर-जोर से काटते हुए छेड़ रही थी, मैं एक बारगी काँपा और उसी वक़्त मेरे लण्ड ने लावा उगल दिया।

सोनम को मौका ही नहीं मिला कि वो थूक सके.. लेकिन उसके होंठों पर जरूर थोड़ा सा वीर्य लग गया था। मैंने अपनी ऊँगली से उसके होंठ पौंछे और थोड़ी देर के लिए छत की ओर देखा।

मेरे दिमाग में आया कि ये मेरे संग क्या-क्या हो रहा है.. लेकिन जो भी हो रहा है जवानी के नशे में धुत्त होने का मौका जरूर था।

मैंने सोनम की तरफ देखा जो उसी हालत में नीचे बैठी हुई मेरी तरफ इस तरह देख रही थी कि वो अब क्या करे।

मैंने उसे बालों से पकड़ा.. अपनी ओर खींचा और उसके मदमस्त होंठों पर अपने लबों को रख दिया। सोनम की चूचियाँ उस सीट से रगड़ खा रही थीं।

ना जाने क्यों मैंने उसे ऊपर-नीचे करते हुए उसके होंठों का रसपान करना ज्यादा अच्छा समझा। इससे सोनम के निप्पल उस सीट से बार-बार रगड़ खाने लगे। इसके साथ ही मैं अपना दूसरा हाथ उसकी चूत से सटा कर रगड़ने लगा। उस माहौल और इस जंगली तरीके की वजह से सोनम एकदम से उत्तेजित हो गई और मेरे बालों को पकड़ कर मुझे जोर-जोर से चूमने लगी।

उसका दूसरा हाथ मेरे लण्ड को मसलने लगा और मेरे बेरहमी से चूमते समय उसके मुँह से निकल रही ‘आहें’ इस बात की ओर इशारा कर रही थीं कि अब लौड़ा डाल दो.. बस अब डाल दो.. समर।

तभी सोनम झटके से उठ कर खड़ी हो गई.. उसने एक बार मेरी ओर देखा। उसकी आँखों में हवस के अलावा कुछ नहीं था और एक हाथ उसकी गीली चूत पर दूसरा मेरे लण्ड पर।

जाहिर था.. अब उसको चुदवाना ही था.. मैं कुछ करता कि उसने एक पैर मेरे सीने पर रख कर मुझे पीछे किया और घूम कर अपनी पीठ मेरी तरफ की.. और मेरे लण्ड पर बैठ गई।

एकदम से हुए इस घटनाक्रम में पहली बार मुझे सम्भलने का वक़्त नहीं मिला। जब तक मैं कुछ करता.. सोनम की चूत मेरा लण्ड निगल चुकी थी और उसकी एक जबरदस्त ‘आअह्ह्ह्ह्ह’ निकल गई।

अब सोनम लौड़ा लीलते ही ऊपर-नीचे होने लगी। मैंने भी उसकी कमर पकड़ ली और अपनी जीभ से उसकी पीठ चाटने लगा। जैसे ही मेरी जीभ सोनम की रीढ़ पर लगी.. सनसनी के कारण उसकी फिर से ‘आह्ह्ह्ह्ह्’ निकल गई।

“आह्ह्ह्ह्ह्.. सैम… सीईई.. एह्ह्ह्ह्ह्.. आह्ह्ह्ह्ह्.. ऐसे..ही तोह.. आअह्ह्ह्ह्ह.. चुदना..चाह..ती..आईईईईईएय्य्य..थी.. सीईईईई..।”

इसके पहले सोनम कुछ और सिसकारियाँ ले पाती.. मैंने अपना हाथ उसके मुँह पर रख दिया क्योंकि अब भी किसी के आने का खतरा था और सोनम की सिसकारियाँ हर लगते धक्के के साथ और तेज हो रही थीं।

उस वक़्त भी सोनम के मुँह से ‘गूँ..गूँ’ की आवाजें आ रही थीं।

मैंने अपनी जीभ हटा ली और पीछे होकर सोनम को भी पीछे खुद से चिपका लिया और उसके कानों को काटते हुए बोला।

“देखो सोना.. इसी शोर की वजह से अभी तो मुझसे चुद रही हो.. थोड़ी देर बाद कॉलेज का हर गार्ड चोदेगा और फिर सारे मादरचोद तुम्हें उस ठरकी चेयरमैन से भी चुदवाएंगे।”

यह कह कर मैंने अपना हाथ हटा लिया। सोनम की पीठ मेरे सीने से चिपकी थी.. उसने पीछे मुड़ कर मुझे देखा। मैंने अपनी भौहें ऊपर कीं.. और सोनम आगे बढ़ कर चूमते हुए उछलने लगी.. शायद इतने मर्दों से चुदाई की बात सुन कर उसके अन्दर की रंडी जाग गई थी।

कुछ ही पलों में सोनम की गाण्ड सीट की टिप पर टिकी थी और मैं उसकी चूत में ‘भकाभक’ धक्के मार रहा था।

उसके पैर मेरी गाण्ड पर कसे थे और उसके हाथ मेरी बाँहों और कन्धों पर रेंगते हुए कस रहे थे।

सीट के पेंचों से ‘चूँ..चूँ..’ की आवाज़ निकल रही थी। खिड़की के बिखरे हुए शीशों में से हवा ‘सांय-सांय’ की आवाज़ के साथ बह रही थी।

किसी चुदासी लौंडिया की चूत जब पनियाई हुई हो.. तो उसकी चुदाई की आवाज़ तो आप जानते ही हैं।

कुल मिला कर उस बड़े से ‘एल-4’ में, “फच.. चूँ.. फच.. चूँ.. फच.. चूँ.. सांय्य्य्य्य.. फच.. फच.. चूँ.. चूँ.. सांय.. सांय.. आअह्ह्ह्ह्ह.. हुफ़्फ़्फ़्फ़्..’ की आवाजें तैर रही थीं।

कुछ पलों में हमारे बदन पसीने से भीगे हुए थे और सोनम की कलाइयां मुझ पर अपनी कसावट और पुख्ता कर रही थीं। मेरी चोदने की रफ़्तार भी तेज हो गई और मेरा लण्ड सोनम की चूत को दुबारा भरने को तैयार था।

सोनम के शरीर की अकड़न भी बता रही थी कि वो इस मिलन का इंतज़ार नहीं करेगी।

तभी सोनम की चूत ने पानी फेंक दिया जैसे ही मेरे लण्ड को चिकनाई का अहसास हुआ.. उसने भी अपना गुस्सा निकाल दिया और सोनम की पूरी चूत भर दी।

सोनम निढाल होकर मेरे सीने से लग गई.. पूरी संतुष्टि होने पर मैंने भी उसे गले से लगा लिया।

आप लोगों के मन में ये सवाल जरूर आया होगा कि सोनम की चूत में दुबारा वीर्य कैसे भरा.. तो इसका जवाब आपको इस कहानी के पहले के भागों में मिलेगा दोस्तों।

हिंट के लिए ये बता दूँ कि आज पहली बार सोनम को मैंने चोदा था। इसके बाद मैंने और सोनम ने कपड़े पहने और बाहर कैसे निकलें.. ये सोचने लगे। मैंने घड़ी देखी.. अब 3-30 हो रहे थे।

इसके बाद क्या हुआ.. फ़ोन किसका था.. अंकिता और रूचि का क्या होगा। अगले भागों में सब तरतीब से लिखूँगा।

अपने अमूल्य विचार मेरी ईमेल आईडी पर भेज कर मेरा हौसला बढ़ाइएगा।

दोस्ती में फुद्दी चुदाई-13

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