संगीत शिक्षक से चुदवाया
(Sangeet Shikshak Se Chudvaya)
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यह कहानी सुनें.
दोस्तो, मेरा यानि की प्रीति गिल का अन्तर्वासना के सभी पाठकों को प्रणाम!
मैं भी अन्तर्वासना की बहुत बड़ी प्रशंसिका हूँ, हर रोज़ लोग-इन करते ही सबसे पहले अन्तर्वासना की साईट खोल के नई कहानियों को मजा ले ले कर पढ़ने के बाद मुझे ऊँगली भी करनी पड़ती है।
मैं एक बहुत बड़े बिजनेस-मैन की बेटी हूँ, जब मेरी मध्यम-वर्गीय लड़कियों से दोस्ती हुई।
जब उनके घर में कोई नहीं होता था तो उनके साथ फिल्में देखती थी।
कच्ची उमर में ही मुझे चुदवाई का चस्का लग गया.
18 साल की थी जब मैंने चुदाई का मजा लिया, उसके बाद मैं एक बिगड़ी हुई अमीर लड़की के लेबल से जानी जाने लगी।
मैं कई लड़कों के साथ मैं हमबिस्तर हुई हूँ।
पापा बिजनस-टूअर पे ही रहते, मॉम किट्टी पार्टियों में लगी रहती और मैं लड़कों में!
मुझे संगीत का बहुत शौक है क्यूंकि मुझे संगीत वाले सर बहुत पसंद थे, जो चीज़ प्रीति को अच्छी लगे, प्रीति उसको पाने के बाद ही दम लेती है।
कॉलेज में पहुँच कर मैंने संगीत को एक विषय के रूप में ले लिया।
सर की उम्र 34-35 साल होगी लेकिन उनका व्यक्तित्व देख सभी लड़कियाँ उन पे फ़िदा थी।
संगीत की क्लास कॉलेज लगने से एक घंटा पहले सुबह लगती थी।
सर जल्दी आ जाते थे।
6 फ़ुट लंबे, मजबूत शरीर, चौड़ी छाती देख मैं पागल हुई पड़ी थी।
मैं जानबूझ कर उनके सामने झुक जाती, उनको अपने अनारों के दर्शन करवाती।
धीरे धीरे वो मेरी तमन्ना समझने लगे।
मैंने क्लास से आधा घंटा पहले आना शुरू कर दिया।
एक रोज़ मैं कॉलेज पहुँची, सर की कार नीचे खड़ी थी, सर कमरे में नहीं थे, मैं उनको देखने नीचे गई, दुबारा कमरे में आ गई।
सोचा था आज सर को सब कह दूंगी क्यूंकि आज कॉलेज में छुट्टी थी, सिर्फ़ संगीत की क्लास के लिए ही सर ने बुलाया था।
आज ड्रेस में नहीं आना था इसलिए में कसा हुआ लाल रंग का टॉप जो लगभग मेरे बदन से चिपका हुआ था वो भी सिर्फ़ नेवेल तक जिस से पेट साफ़ दिख रहा था.
मैंने जींस भी नीचे बांधी थी, उनकी नज़र सुरों में कम … मेरे चिकने पेट पे ज्यादा थीं, कसी जीन से चूतड़ साफ़ दिख रहे थे।
मैंने देखा कि सर बार बार मेरी ब्रेस्ट को देखते।
सर पता नहीं किस ख्याल में खोये हुए थे।
मैंने कुछ पूछना था, मैंने अपना हाथ उनकी जाँघ पे रखते हुए कहा- किन ख्यालों में खो गए सर?
वो बोले- कुछ नहीं … तुम करो!
मैंने हाथ ऊपर सरकाते हुए उनके लण्ड वाली जगह पे फेरते हुए कहा- बता दो न!
जवान लड़की, वो भी ऐसे लिबास में अकेली, कोई मर्द भी डोल जाये!
मैंने उनके लण्ड को मसल दिया उन्होंने मेरी कमर में हाथ डालते हुए मेरे पेट को सहला दिया।
कमरे में सिर्फ़ शांति थी।
ना वो बोले, न मैं!
वो मुझे बाँहों में समेटे हुए मेरे होंठ चूसने लगे।
साथ में मेरी टॉप में हाथ डाल मम्मों को दबाने लगे।
मेरी सिसकियाँ पूरे कमरे में गूंज उठी।
सर बोले- इसी लिए तुम्हें अकेली को बुलाया था.
मैंने उनकी शर्ट के बटन खोल कर उनकी चौड़ी छाती पे होंठ रगड़ते हुए कहा- सर, मैं आपको बहुत चाहती हूँ!
उन्होंने मेरा टॉप उतार दिया, ब्रा खोल कर मेरे दोनों मम्मे चूसने लगे।
मैं आहें भरने लगी।
मैंने भी अपनी बेल्ट खोल फ़िर जीन खोल उतार डाली ख़ुद ही।
अब मैं सिर्फ़ पैंटी में थी।
सर मुझ पर छाने लगे।
मैंने उनके कच्छे में से लण्ड निकाल कर सहलाया, कितना बड़ा था!
सांवला, मोटा, ताज़ा लण्ड देख मेरे मुहं में पानी आ गया।
मैने झट से उस पर जुबान फेरते हुए मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
मैंने बहुत लण्ड चूसे थे लेकिन इसको चूसने में दिक्कत आने लगी क्योंकि यह तो बहुत मोटा था।
फ़िर भी मैंने 69 में होकर लण्ड चूसना जारी रखा.
सर मेरी चिकनी चूत चाटने लगे, मेरे दाने को मसलने लगे।
मैंने कहा- सर, अब चोद डालो मुझे!
वो मेरी नंगी टांगों के बीच में आकर आसन लगा कर लण्ड को चूत पे रख कर रगड़ने लगे।
फ़िर एक धक्का मारा और उनका आधा लण्ड मेरी गीली चूत में घुस गया, थोड़ा दर्द हुआ लेकिन सह लिया।
सर बोले- तुम पहले से ही चुदी हुई हो?
मैंने कहा- जी!
उन्होंने एक और धक्का लगाकर अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में पेल दिया।
लण्ड काफी बड़ा था, इसीलिए बहुत कसा हुआ अन्दर जा रहा था। सर धक्के मारने लगे।
उईई ईइऽऽऽ सीई ईईऽऽ चोदो सर ! मुझे दबा दबा के चोदो !
मैं ज़न्नत की सैर करने लगी, मैंने सब कुछ बक डाला- हाय ! ऐसा मजा अभी तक मेरे 5 बॉय-फ़्रेन्ड्स ने भी कभी नहीं दिया ! सर चोदो ! फाड़ डालो इस कमीनी को ! ऐसा ही लण्ड चाहती थी मैं ! भोंसड़ा बना डालो इसका !
तभी उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत में से निकाल लिया और सीधे लेटते हुए मुझे ऊपर आने को बोले।
मैं उनके लण्ड पर बैठ गई, पूरा लण्ड एक बार में ही मेरी चूत की गहराइयों में उतर गया।
मैं उछलने लगी, मेरे बड़े बड़े मम्मे हिलने लगे। सर बोले- अभी +1 में हो और इतने बड़े करवा लिए ! तू सच में रंडी है ! ले खा मेरा लण्ड !
सर नीचे से उठ उठ के चोदने लगे मुझे।
हाय सर ! मेरा बस चलता तो पहले दिन ही आपके नीचे लेट जाती ! पहले मिले होते तो किसी और का लण्ड न खाती ! आपकी पत्नी धन्य है उसको यह निराला लण्ड मिला !
मैं एक बार स्खलित हो चुकी थी, लेकिन क्या ताकत थी सर में!
वो फ़िर मुझे पलट नीचे डाल बोले- टांगों को मेरी कमर से लपेट दे!
मेरी गाण्ड के नीचे गद्दी लगा मेरे ऊपर लेट के मुझे चोदते हुए बोले- साली! औरत को नीचे लिटा के ही असली चुदाई मिलती है!
सर ने मेरे मम्मे खूब दबाये, चूसे।
जब सर झड़ने वाले थे तो मेरी चुदाई और तेज़ हो गई, लण्ड मेरे अन्दर थोड़ा चुभने लगा.
लेकिन मैं चुप रही और उसका साथ देती रही।
तभी तेज़ी से गरम गरम माल मेरी बच्चेदानी के आस पास निकलना शुरू हुआ, मैं फ़िर झड़ गई।
हम दोनों नंगे एक दूसरे से लिपटे रहे। मैंने दिल में कहा- प्रीति, आज फ़िर तू जीत गई ! जो चाहा, आज पा के ही दम लिया।
उसके बाद हर शनिवार वो मुझे कॉलेज बुलाते।
एक रोज़ हम चुदाई में मशगूल थे, पूरी दुनिया से बेखबर, हमें खेल-शिक्षक ने पकड़ लिया। वो जानता था कि मैं बहुत अमीर घर से हूँ।
धमकी वो दे नहीं सकता था, इसी बीच सर वहां से रफ़ूचक्कर हो गए, मानो सब पहले से तय हुआ हो, मैं खेली खाई थी।
खेल-शिक्षक उससे भी हट्टे-कट्टे थे, उनकी आयु 49-50 साल होगी, फ़िर भी वो बोले- प्रीति ! एक बार मेरे नीचे लेट जा ! याद किया करेगी कि कभी किसी ने चोदा था !
वो पास आए और मुझे बाँहों में ले लिया।
उसकी बेटी मेरी हम-उम्र थी और उसी कॉलेज में पढ़ती थी।
मैं बिल्कुल नंगी थी इसलिए क्या कहती !
ऊपर से जब उसने लण्ड निकाल के दिखाया तो मैं रोक नहीं पाई- 10 इंच का लण्ड था!
कैसी लगी चुदाई की दास्ताँ?
उसके बाद उसने मुझे कैसे कहाँ चोदा फ़िर बताऊंगी आपके जवाब पढ़ने के बाद!
इंतजार करो!
अगर अन्तर्वासना ने मेरी कहानी नहीं छापी तो मैं वेबसाइट देखना छोड़ दूंगी।
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कहानी का अगला भाग: खेल-शिक्षक से चुदवाया
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